Sansar Daily Current Affairs, 20 August 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Volcanoes, Earthquakes and Landslides.
Topic : Major landslide blocks flow of Chenab river
संदर्भ
पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले के नाल्दा गाँव के समीप एक भीषण भूस्खलन के चलते चिनाब नदी का प्रवाह अवरूद्ध हो गया. इसके पश्चात् नदी जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है तथा आसपास के क्षेत्रों जल में डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है.
चिनाब नदी के बारे में
- चिनाब नदी भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले के ऊपरी हिमालय में टांडी में चंद्रा और भागा नदियों के संगम से बनती है.
- चिनाब का प्रवाह हिमाचल प्रदेश में बारा लाचा दर्रे से बर्फ पिघलने से शुरू होता है.
- चिनाब, सिन्धु की सबसे बड़ी सहायक नदी है. यह चंद्रा और भागा दो नदियों के मिलने से बनती है इसलिए इसे चंद्रभागा भी कहते हैं.
- यह जम्मू और कश्मीर के जम्म् क्षेत्र से होकर पंजाब, पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती है.
- चिनाब का पानी भारत और पाकिस्तान द्वारा सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) की शर्तों के अनुसार साझा किया जाता है.
- भारत द्वारा कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब की एक उपनदी मरुसूदर पर पाकल डुल पर प्रस्तावित पनबिजली परियोजना संचालित की जा रही है.
यह जरूर पढ़ें – भारत की नदियाँ
भूस्खलन
- गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में चट्टानी मलबे एवं भू-सतह जैसे ढलान पर स्थित पदार्थों का नीचे तथा बाहर की ओर संचलन भूस्खलन कहलाता है.
- भूस्खलन के कारण कृत्रिम झीलों का निर्माण हो जाता है, जो प्रभावित फ्लैश फ्लड (अकस्मात् आने वाली बाढ़) को प्रेरित कर सकता है. पृथ्वी पर लैंडस्लाइड तीसरी सर्वाधिक विनाशक प्राकृतिक आपदा है. भूस्खलन आपदा प्रबन्धन पर प्रतिवर्ष करीब 400 अरब डॉलर का व्यय किया जा रहा है.
- भूस्खलन की घटनाएँ मुख्य रूप से प्राकृतिक कारणों से घटित होती हैं जैसे भूकंपीय कम्पन और दीर्घकालिक वर्षा या सीपेज के कारण मृदा परतों के मध्य जल का दाब.
- हाल के दशकों में, भूस्खलन के लिए उत्तरदायी मानवीय कारण महत्त्वपूर्ण हो गये हैं. इन कारणों में ढलानों पर स्थित वनस्पति की कटाई, प्राकृतिक जल निकासी में अवरोध, जल या सीवर लाइनों में रिसाव तथा सड़क, रेल, भवन-निर्माण के कार्यों के चलते ढलानों को परिवर्तित करना आदि शामिल हैं.
मौसम-प्रेरित भूस्खलन
उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्मकाल के दौरान भूस्खलन की घटनाएँ उस समय अपेक्षाकृत अधिक होती हैं, जब एशिया के कुछ हिस्सों में चक्रवात, तूफान और टाइफून की अधिकता होती है और मानसूनी मौसम के कारण भारी वर्षा होती है.
अवैध खनन
पहाड़ों को काटने के कारण होने वाले लैंडस्लाइड ग्रामीण क्षेत्रों में एक प्रमुख समस्या हैं, जहाँ लोग घरों के निर्माण के लिए अवैध रूप से पहाड़ी ढलानों पर स्थित सामग्री को एकत्रित करते हैं. घातक भूस्खलन सामान्यतः सड़कों और बहुमूल्य संसाधनों से समृद्ध स्थलों के निकट स्थित बसावटों में अधिक घटित होते हैं.
भूकम्प
लैंडस्लाइड-प्रवण हिमालयी क्षेत्र अत्यधिक भूकम्प-प्रवण क्षेत्र है जहाँ तीव्रता वाले भूकम्प आते हैं और इस प्रकार यह क्षेत्र भूकम्प-प्रेरित भूस्खलन के लिए भी प्रवण बन जाता है. भूकम्प-प्रेरित लैंडस्लाइड के कारण हिमालय में लगभग 70 जलबिजली परियोजनाएँ संकट में हैं.
Chenab Bridge, Jammu and Kashmir :- GS Paper 1 Source : PIB UPSC Syllabus : Related to women. Role of women and women’s organization. संदर्भ सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश देत हुए महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है. पृष्ठभूमि न्यायालय में दायर याचिका में संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि योग्य महिला उम्मीदवारों को “राष्ट्रीय रक्षा अकादमी” और “नौसेना अकादमी परीक्षा” में बैठने और NDA में प्रशिक्षण देन की अनुमति दी जाए. महिलाओं को मात्र लिंग के आधार पर एनडीए में शामिल नहीं किया जाता है जो समानता के मौलिक अधिकारों का कथित उल्लंघन है. GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora. संदर्भ चीन की राष्ट्रीय विधायिका ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा लायी गयी तीन बच्चों की नीति का हाल ही में औपचारिक रूप से समर्थन किया. यह नीति दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाले देश में तेजी से कम होती जन्म दर को रोकने के मकसद से लायी गयी है. पृष्ठभूमि विदित हो कि चीन में 1980 के दशक में राष्ट्रपति डेंग शाओपिंग के शासन में वन-चाइल्ड पॉलिसी यानी एक-बच्चे की नीति सख्ती से लागू की गई थी. इसके अंतर्गत माता-पिता सिर्फ एक बच्चा ही पैदा कर सकते थे. इन नियमों को तोड़ने वाले जोड़ों और उनके बच्चों से सरकारी सुविधाएं छीन ली जाती थीं. साथ ही उन्हें सरकारी नौकरियों और योजनाओं से भी दूर कर दिया जाता था. चीन ने यह योजना 2015 तक जारी रखी. यह नीति माल्थस के सिद्धांत को देखते हुए अपनाई गई थी जिसके अनुसार, अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि अंततः आर्थिक एवं पर्यावरणगत विभीषिका में फलित होती है. 70 के दशक में चीन खाद्य पदार्थों की कमी भी थी और यह भी एक बच्चे की नीति के पीछे एक कारण था. जनसंख्या के बारे में एक सुगठित सिद्धांत प्रस्तुत करने वाला पहला अर्थशास्त्री टॉमस रोबर्ट माल्थस था. उसने प्रायोगिक आँकड़ों को जमा करके जनसंख्या का एक सिद्धांत बनाया था जो उसने अपनी पुस्तक “Essay on the Principle of Population (1798)” में प्रकट किया. इसमें उसने यह तर्क दिया कि यदि जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो वह संसाधनों से आगे बढ़ जायेगी और ढेर सारी समस्याओं का कारण बनेगी. विस्तार से पढ़ें > माल्थस का सिद्धांत चीनी अधिकारीयों के अनुसार, इस नीति के कारण जनसंख्या में 400 मिलियन की कमी आई. परन्तु इससे जनसंख्या पर अनपेक्षित दुष्प्रभाव देखने को मिला. इस नीति के अंतर्गत लोगों को दूसरे बच्चे के लिए सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य था. परन्तु यह पाया गया कि लोग दूसरे बच्चे में अधिक रूचि प्रदर्शित नहीं कर रहे थे. जिस समय एक बच्चे की नीति आई थी उस समय 11 मिलियन जोड़े दूसरे बच्चे के लिए पात्रता रखते थे. सरकार आशा कर रही थी कि 2014 में 2 मिलियन बच्चे जन्मेंगे, परन्तु ऐसा हो न सका. मात्र 7 लाख जोड़ों ने दूसरे बच्चे के लिए आवेदन दिया और उनमें 6 लाख 20 हजार को ही अनुमति मिली. परिणामस्वरूप, आने वाले वर्षों में जनसंख्या में कमी एक समस्या के रूप में विद्यमान रहेगी. चीन में बूढ़े लोगों की गिनती बढ़ गई है. वस्तुतः जनसंख्या का एक चौथाई भाग 2030 तक 60 वर्ष की आयु से अधिक का होगा. एक बच्चे की नीति के लाभ एक-बच्चा नीति के दोष GS Paper 3 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation. संदर्भ भारत सरकार ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन के तौर पर वर्ष 2016 में किये गये किगाली समझौते के समर्थन की घोषणा की है. समझौते के अनुसार भारत को वर्ष 2047 तक अपने हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) उपयोग को 80% तक कम करना है, जबकि चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका को क्रमश: वर्ष 2045 और 2034 तक समान लक्ष्य प्राप्त करना है. क्लोरोफ्लूरो कार्बन (CFC) एक यौगिक गैस है जिसमें क्लोरीन, फ्लोरीन और कार्बन के तत्त्व होते हैं. हमारे एरोसोलों, वातानुकूलन पदार्थों (refrigerants) और प्लास्टिक फ़ोम (foams) में CFC होता है. जब यह CFC हवा में प्रवेश करता है तो यह उड़ते-उड़ते ओजोन परत तक पहुँच कर ओजोन कणों को नष्ट करने लगता है. CFC 50 से 100 वर्षों तक सक्रिय रहता है. CFC यौगिकों का घरेलू और औद्योगिकों क्षेत्रों में इतना ज्यादा प्रयोग हो रहा है कि उनकी जगह दूसरे रसायन को इस्तेमाल करना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. अभी तक कोई विकल्प नहीं खोजा जा सका है. इन यौगिकों का प्रयोग वातानुकूलन उपकरणों में, पैकेजिंग उद्योग में, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में, बिजली पैदा करने में, आग को बुझाने के उपकरणों में होता है. CFC विकल्प खोजते समय हमें यह बात दिमाग में रखनी होगी कि जिस तरह CFC यौगिकों में आग नहीं लग सकती, कोई विष नहीं फैल सकता और किसी दूसरे रसायन से वे क्रिया भी नहीं करते – – ये खूबियाँ उसके वैकल्पिक यौगिकों में भी होनी चाहिएँ. इसके साथ ही वैकल्पिक यौगिकों में ओजोन में कमी लाने का दुर्गुण या तो बिल्कुल नहीं या न के बराबर होना चाहिए. अनुसंधानों से पता चला है कि ओजोन की परत (ozone layer) नष्ट करने में दो बातें मुख्य रूप से असर डालती हैं- इस आधार पर जो मूल CFC खोजे गए थे उनका ओजोन विनाशक अंक एक (1) था और आग बुझाने वाले उपकरणों में विद्यमान CFC में 3 से 10 था. इस आधार पर ऐसे यौगिक खोजे जा रहे हैं जो वायुमंडल में बहुत तेजी से फैल जाएँ और ज्यादा देर तक टिके रहें. ऐसे यौगिकों की खोज करते हुए वैज्ञानिक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) यौगिकों तक पहुँचे. ये टिकाऊ हैं और वायुमंडल की ऊपरी सतह तक पहुँचते-पहुँचते लगभग इनका विनाश हो जाता है. पर्यावरण की दृष्टि से यदि देखें तो CFC यौगिकों की अपेक्षा HFC यौगिक अधिक स्वीकार्य हैं इनका ओजोन विनाशक अंक शून्य से 0.05 तक है जो CFC की तुलना में बहुत कम है. लेकिन अभी नए HFC यौगिकों पर ज्यादा खोज नहीं हुई है. इस विषय में बहुत कम आँकड़े उपलब्ध हैं और इनकी सत्यता के बारे में शकाएँ उठाई गई हैं. परन्तु जब तक हम सुरक्षित रसायनों और नई तकनीकों को पूरी तरह से विकसित न कर लें तब तक हमारा कर्तव्य है कि हम पृथ्वी के जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की सुरक्षा के लिए ऐसे रसायनों का प्रयोग कम करें जो ओजोन के सुरक्षा कवच को कमजोर बना रहे हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए CFC पर पूरे विश्व में प्रतिबंध लगाया जा चुका है. यह जरुर पढ़ें > पराबैंगनी किरण ओजोन परत को कैसे प्रभावित करती हैं? ‘रवांडा’ की भौगोलिक अवस्थिति ‘रवांडा’ (Rwanda) मध्य अफ्रीका में अवस्थिति एक स्थल-रुद्ध देश है. Cattle Island :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi July,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : National Defence Academy – NDA
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी
Topic : Three Child Policy of China
चीन की नवीनतम जनगणना से जुड़े प्रमुख बिंदु
चीन में एक बच्चे की नीति क्यों अपनाई गई थी?
माल्थस का सिद्धांत क्या है?
क्या एक बच्चे की नीति सफल रही?
Topic : Kigali Agreement
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
किगाली समझौता
CFC क्या है?
हमारे सामने चुनौती
CFC का विकल्प
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Prelims Vishesh