Sansar Daily Current Affairs, 20 July 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Nelson Mandela International Day
- 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.
- ज्ञातव्य है कि इस तिथि को नेल्सन मंडेला की 100वीं जयंती है.
- नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस एक वैश्विक आयोजन है जो प्रत्येक वर्ष दक्षिणी अफ्रीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति और रंगभेद विरोधी कार्यकर्ता नेल्सन मंडेला के सम्मान में किया जाता है.
- नेल्सन मंडेला दिवस के आयोजन का पहला प्रस्ताव अप्रैल 2009 में नेल्सन मंडेला फाउंडेशन तथा एड्स पीड़ितों के लाभ के लिए आयोजित होने वाले 46664 नामक संगीत बैंड के द्वारा दिया गया था.
- तब से यह कार्यक्रम नेल्सन मंडेला के कार्य और अवदान के सम्मान में विश्व-भर में मनाया जाता है.
- पहला मंडेला दिवस जुलाई 18, 2009 को मनाया गया था जब मंडेला 91 वर्ष के हुए थे.
- इस अवसर पर सामुदायिक सेवा के आयोजन, कला-प्रदर्शनियाँ, चंदा संग्रहण के साथ-साथ न्यू यॉर्क सिटी के रेडियो सिटी म्यूजिक हॉल में एक संगीत सभा भी हुई थी.
- शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसमें रूचि दिखलाई और 18 जुलाई को मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने के विचार का समर्थन किया.
- नेल्सन मंडेला दक्षिणी अफ्रीका के राष्ट्रपति होने के साथ रंगभेद विरोधी कार्यकर्ता, मानवतावादी तथा राजनैतिक नेता भी थे.
- रंगभेद के विरोध में काम करते हुए वे कई बार जेल गये और सरकार के तख्ता-पलट के आरोप में उन्हें 1964 में आजीवन सजा भी मिली.
- आजीवन कैद की सजा को 27 वर्ष काटने के बाद सरकार ने 1990 में अंतर्राष्ट्रीय दबाव में आकर उन्हें जेल से मुक्त कर दिया.
- तत्पश्चात् उस समय के राष्ट्रपति F.W. de Klerk के साथ मिलकर उन्होंने रंगभेदी शासन को समाप्त करने में तथा 1994 में आम चुनाव आयोजित करने में सक्रिय भूमिका निभाई.
- इस चुनाव में वे देश के नए राष्ट्रपति चुने गये.
- अपने राष्ट्रपति काल में अर्थात् मई 1994 से लेकर जून 1999 तक मंडेला ने जातीय सामंजस्य स्थापित करने, गरीबी से लड़ने और देश के सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा देने की दिशा में काम किया.
- अपने इन कामों के लिए उन्हें U.S. Presidential Medal of Freedom के साथ-साथ उन्हें नोबल शान्ति पुरस्कार भी मिला.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Women Entrepreneurs Platform (WEP)
- हाल ही में नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (WEP) तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यालय (Office of International Programmes – OIP) ने संयुक्त रूप से एक द्वि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन आयोजित किया जिसका विषय था – “स्त्री सशक्तिकरण : उद्यमिता, नवाचार और सततता को परश्रय देना” था.
- महिला उद्यमिता मंच का उद्देश्य भारत भर में महिलाओं के लिए इको-सिस्टम का निर्माण करना है जिससे कि वे अपनी उद्यम-विषयक आकांक्षाओं को साकार कर सकें, अपनी नवोन्मेषी पहलों को आगे बढ़ा सकें तथा अपने व्यवसाय के लिए सतत एवं दीर्घकालिक रणनीतियों की रुपरेखा तैयार कर सकें.
- WEP महिला उद्यमियों के लिए वृद्धि तथा अवसरों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कुछ अनूठी सेवाएँ, यथा – CRISIL की ओर से महिलाओं के नेतृत्व में चलने वाले स्टार्ट-अपों का साख मूल्यांकन एवं DICE जिलों द्वारा स्थापित 10 करोड़ रूपए के कोष के माध्यम से शेयर निवेश की सुविधा – प्रदान करेगा.
- स्त्रियों का आर्थिक सशक्तिकरण इसलिए आवश्यक है कि आर्थिक रूप से सशक्त स्त्रियाँ देश के विकास के लिए एक बहुत बड़ा कारक तत्त्व सिद्ध होती हैं.
- आज हम भली-भाँति जानते हैं कि स्त्रियों की आर्थिक संवृद्धि के फलस्वरूप बहुत-सारे सामाजिक लाभ उत्पन्न हो जाते हैं.
- देखा जाता है कि स्त्रियाँ अपनी आय को बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य एवं पोषण में खर्च करती हैं जिसका देश-भर के आर्थिक विकास की क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
- इस मंच के तीन स्तम्भ हैं –
- इच्छा शक्ति (इच्छुक उद्यमियों को अपना उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित करना)
- ज्ञान शक्ति (महला उद्यमियों को तथा आर्थिक प्रणाली का सहारा देना जिससे वे अपने उद्दम को आगे बढ़ा सकें)
- कर्म शक्ति (व्यवसाय को स्थापित करने और आगे ले जाने में सहयोग करना)
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : No confidence motion
- हाल ही में कुछ विपक्षी दलों ने वर्तमान केंद्र सरकार के प्रति लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव रखा जिसे लोक-सभा की अध्यक्षा सुमित्रा महाजन ने विचारार्थ स्वीकार कर लिया है.
- अविश्वास प्रस्ताव (no confidence motion) क्या है?
- अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रस्ताव है जो किसी दल के द्वारा वर्तमान सरकार के विरुद्ध विचार के लिए लोक सभा में प्रस्तुत किया जाता है.
- ऐसे प्रस्ताव में प्रस्तावक के द्वारा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में कथित दोष, चूक और गलतियाँ दर्शाई जाती हैं और सरकार को बर्खास्त करने की माँग की जाती है.
- अविश्वास प्रस्ताव उपस्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि इस पर कम से कम 50 सांसद अपना समर्थन दें.
- ऐसा होने पर प्रस्ताव को विचार के लिए स्वीकृत कर लिया जाता है और अध्यक्ष इस पर बहस के लिए एक तिथि निर्धारित करता है.
- अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा के अंत में प्रधानमंत्री आरोपों का उत्तर देते हैं और अंत में आवाज़ अथवा मतदान के जरिये बहुमत का निर्णय सुनाया जाता है.
- यदि सरकार अविश्वास प्रस्ताव में अपेक्षित मत नहीं प्राप्त करती है तो उसे इस्तीफ़ा देना होता है.
- कोई प्रधानमन्त्री इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार न हो तो राष्ट्रपति स्वयं पहल करके उसे हटा सकता है. किन्तु ऐसा कभी नहीं हुआ है.
- प्रधानमन्त्री के इस्तीफ़ा देने के बाद सरकार का काम चलाने के लिए प्रधानमन्त्री को अंतरिम कार्यकारी प्रधानमन्त्री घोषित किया जाता है.
- ऐसा अंतरिम प्रधानमन्त्री कोई बड़ा नीतिगति निर्णय नहीं ले सकता है.
- इस प्रकार अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया में राज्यसभा की कोई भूमिका नहीं है.
- इस विषय में आवश्यक प्रावधान Rules of Procedure and Conduct of Business के नियम 198 में दिए गये हैं.
- संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Samagra Shiksha Scheme
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने समग्र शिक्षा के तहत “पढ़े भारत – बढ़े भारत” नामक अभियान की घोषणा की है जिसका उद्देश्य छात्रों में संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करने की ललक को बढ़ावा देना है.
- इस अभियान के तहत सरकार विद्यालयों को वार्षिक पुस्ताकालय अनुदान (annual library grant) देगी जिससे कि बच्चे संस्कृति के बहाने अपने ज्ञान का परिवर्धन कर सकेंगे.
- प्राथमिक से लेकर उच्चतर-माध्यमिक स्तरों वाले विद्यालयों को दी जाने वाली अनुदान की राशि 5,000 रु. से 20,000 रु. तक होगी.
- समग्र शिक्षा योजना क्या है?
- समग्र शिक्षा योजना प्राथमिक से लेकर कक्षा 12 तक की विद्यालयीन शिक्षा से सम्बंधित कार्यक्रम है.
- यह कार्यक्रम 2018-19 केन्द्रीय बजट में लाया गया था.
- वस्तुतः समग्र शिक्षा योजना पहले से चल रही तीन केंद्र-संपोषित योजनाओं का समिश्रण है.
- ये योजनाएँ हैं – सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA), शिक्षक शिक्षण (TE)
- इस योजना में विद्यालयीन शिक्षा को एक अटूट क्रम के रूप में देखा गया है जो विद्यालय पूर्व शिक्षा से लेकर उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के स्तर तक चलती है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Prevention of Corruption (Amendment) Bill, 2013
- राज्य सभा ने भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक, 2013 को पारित कर दिया है.
- इस विधेयक के द्वारा 1988 के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम को संशोधित किया गया है.
- पारित विधेयक के मुख्य नए तत्त्व हैं –
- घूस देने को दंडनीय अपराध घोष करना : विधेयक के अनुसार घूस देना भी एक प्रत्यक्ष अपराध होगा किन्तु यदि किसी को घूस देने के लिए बाध्य कर दिया जाता है और वह इसकी सूचना सम्बंधित अधिकारियों को 7 दिन के अन्दर दे देता है तो घूस देना अपराध नहीं माना जाएगा.
- आपराधिक कदाचार की नई परिभाषा : विधेयक में आपराधिक कदाचार दो ही मामलों में माना गया गया है – i) फर्जी ढंग से सम्पत्ति हड़पना और ii) आय से अधिक सम्पत्ति जमा करना.
- जाँच के पहले अनुमति प्राप्त करना : यदि कोई सरकारी कर्मी अपराध करता है तो इसकी जाँच के पहले पुलिस अधिकारीयों को उपयुक्त सरकारी प्राधिकारी से पूर्वानुमति लेनी होगी. परन्तु यदि कोई सरकारी कर्मी घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा जाता है तो उसे तत्काल गिरफ्तार करने लिए पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं होगी.
- मुकदमा पूरा करने की समय सीमा : विधेयक के अनुसार, विशेष जज को दो साल के अन्दर भ्रष्टाचार के मुकदमे को पूरा कर लेना होगा. यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो 6-6 महीने पर समय-विस्तार दिया जा सकता है पर हर समय-विस्तार के समय जज को देरी होने का कारण बताना होगा. मुकदमा पूरा करने की समय-सीमा उस दशा में भी अधिकतम 4 वर्ष होगी.
विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी संधि (United Nations Convention against Corruption – UNCAC) पर भारत हस्ताक्षर कर चुका है. इस संधि में सभी देशों को कहा गया था कि अपने-अपने देश के सम्बंधित कानूनों को UNCAC के अनुरूप ढाला जाए. इसी निर्देश के अनुपालन में विचाराधीन विधेयक उपस्थापित किया गया था.
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