Sansar Daily Current Affairs, 20 June 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Regional Cooperation Agreement on Combating Piracy and Armed Robbery against Ships in Asia (ReCAAP)
संदर्भ
ReCAAP के सूचना आदान-प्रदान केंद्र (Information Sharing Centre – ISC) के साथ मिलकर भारतीय तटरक्षक (Indian Coast Guard – ICG) 12वीं क्षमता संवर्धन प्रयोगशाला का आयोजन करने जा रहा है.
ReCAAP क्या है?
- इसका पूरा नाम है – Regional Cooperation Agreement on Combating Piracy and Armed Robbery against Ships in Asia
- यह ऐसा पहला क्षेत्रीय सरकार-से-सरकार समझौता है जो एशिया में सामुद्रिक डकैती एवं सशस्त्र लूट को रोकने से सम्बंधित है.
- अभी इसमें 20 देश सदस्य के रूप में हैं.
- ReCAAP की स्थापना और इसके संचालन में भारत ने जापान और सिंगापुर के साथ-साथ सक्रिय भूमिका निभाई है.
- केंद्र सरकार ने ReCAAP के लिए भारत में ICG को नाभिक केंद्र के रूप में नामित किया है.
- ReCAAP समझौते के अन्दर सहयोग के जो तीन स्तम्भ बताये गये हैं, वे हैं – सूचना आदान-प्रदान, क्षमता संवर्धन एवं पारस्परिक विधिक सहायता.
- इसके लिए सिंगापुर में एक सूचना आदान-प्रदान केंद्र (ISC) बनाया गया है जो सम्बंधित पक्षों और समुद्री समुदाय के बीच में सूचना देने और उनके बीच सामंजस्य बनाने का काम करता है.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : 2019 Yearbook of the Stockholm International Peace Research Institute (SIPRI)
संदर्भ
स्वीडन की सरकार के द्वारा आंशिक रूप से वित्त-पोषित संस्था – स्टॉकहोम अंतर्राष्ट्रीय शान्ति शोध संस्थान (SIPRI) – का 2019 के लिए वार्षिक पुस्तिका पिछले दिनों प्रकाशित की गई.
पुस्तिका के मुख्य निष्कर्ष
- 2018 के बाद से पूरे संसार में आणविक अस्त्रों की संख्या घट गई है, परन्तु कई देश आणविक हथियारों को आधुनिक बनाने में लगे हुए हैं.
- 2019 के आरम्भ में भारत समेत 9 देशों के पास आणविक अस्त्र थे. इन सभी के पास कुल मिलाकर 13,865 आणविक अस्त्र थे. विदित हो कि 2018 के आरम्भ में यह संख्या 14,465 थी, इस प्रकार 600 आणविक अस्त्रों की कमी आई. उल्लेखनीय है कि इस आँकड़े में उत्तर कोरिया का आँकड़ा नहीं है क्योंकि वहाँ के आणविक अस्त्रों के बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है.
- वार्षिक पुस्तिका ने अस्त्रों को दो श्रेणियों में रखा है – तैनात अस्त्र (deployed warheads) तथा अन्य अस्त्र (other warheads). अन्य अस्त्र के अन्दर वे अस्त्र आते हैं जो या तो भंडार में रखे हुए है या उनको नष्ट किया जा रहा है. जहाँ तक भारत की बात है रिपोर्ट में भारत के आणविक अस्त्रों की संख्या 2018 और 2019 में दोनों वर्ष 130-140 बताई गई है.
- आणविक अस्त्रों की संख्या में कमी आने का मुख्य कारण यह बताया गया है कि पूरे विश्व के 90% आणविक अस्त्र रखने वाले देशों “रूस और अमेरिका” ने स्वयं कुछ अस्त्र घटाने के अतिरिक्त 2010 की New START संधि के अंतर्गत अस्त्रों में कमी है.
- परन्तु, यह भी एक सच्चाई है कि रूस और अमेरिका अपने आणविक अस्त्रों, मिसाइल एवं विमान डिलीवरी तंत्रों एवं आणविक अस्त्र उत्पादन सुविधाओं को बदल रहे हैं और उनको आधुनिक बना रहे हैं.
नई स्टार्ट संधि क्या है?
- START का पूरा नाम है – Strategic Arms Reduction Treaty.
- यह संधिअमेरिका और रूस के बीच आणविक अस्त्रों की संख्या घटाने से सम्बंधित है.
संधि में निहित प्रस्ताव
- सामरिक आणविक मिसाइल लांचरों की संख्या आधी कर दी जायेगी.
- SORT प्रणाली के स्थान पर जाँच और सत्यापन की एक नई प्रणाली स्थापित की जायेगी.
- तैनात रणनीतिक आणविक अस्त्रों की संख्या 1,550 तक सीमित कर दी जायेगी. विदित हो कि यह संख्या मूल स्टार्ट संधि में प्रस्तावित संख्या से लगभग 2/3 कम है और2002 की मास्को संधि में प्रस्तावित संख्या से 10% कम है.
- नई स्टार्ट संधि तैनात अथवा गैर-तैनात दोनों प्रकार के अंतरमहादेशीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) लौन्चरों, पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) लौन्चरों तथा आणविक अस्त्रों से युक्त भारी बमवर्षकों की संख्या घट
SIPRI
- SIPRI का गठन स्टॉकहोम (स्वीडन की राजधानी) में 1966 में हुई थी.
- इसका एक कार्यालय बीजिंग, चीन में भी है और पूरी दुनिया में इसे एक सम्मानित थिंक-टैंक के रूप में जाना जाता है.
- यह एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो युद्ध, हथियार, शस्त्र-नियंत्रण और निरस्त्रीकरण से सम्बंधित अनुसंधान को समर्पित है.
- यह संस्थान नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और रूचि रखने वाले लोगों को आँकड़े, विश्लेष्ण और सुझाव देता है.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : AWaRe- a WHO tool for safer use of antibiotics
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों AWaRe नामक एक ऐप निकाला है जिसका काम एंटी-बायटिकों के निरापद प्रयोग के बारे में बताना और प्रतिरोधकता पर लगाम कसना है.
AWaRe क्या है?
यह एक ऑनलाइन ऐप है जिसका उद्देश्य नीति-निर्माता और स्वास्थ्यकर्मियों को यह बताना है कि एंटी-बायटिक दवाइयों का किस प्रकार सुरक्षापूर्वक एवं अधिक कुशलता से प्रयोग किया जाए.
यह ऐप एंटी-बायटिक दवाओं को तीन भागों में बांटता है –
- उपलब्धता – वे एंटी-बायटिक दवाएँ जो सर्वाधिक साधारण परन्तु गंभीर संक्रमणों में काम आती हैं.
- निगरानी – वे एंटी-बायटिक दवाएँ जो स्वास्थ्य की देख-भाल से सम्बंधित तंत्र में सदैव उपलब्ध रहती हैं.
- संरक्षित – वे एंटी-बायटिक दवाएँ जिनका प्रयोग कम से कम करना है और तभी करना है जब और कोई उपाय न हो.
चिंता का विषय
- एंटी-बायटिक दवाओं के विरुद्ध प्रतिरोधकता पूरे विश्व में सबसे बड़े स्वास्थ्यगत जोखिमों में से एक बना हुआ है. इसके चलते 2050 तक 50 मिलियन लोग मर जाएँगे, ऐसा अनुमान है.
- यह खतरा पूरे संसार में बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि कई देशों में 50% से अधिक एंटी-बायटिक दवाएँ गलत ढंग से प्रयोग में लाई जा रही हैं, जैसे – वायरस के उपचार में. विदित हो कि एंटी-बायटिक दवाएँ बैक्टीरिया को मारने के लिए होती हैं, न कि वायरस को. कई मौतें इसलिए भी हो जाती हैं कि बिना आवश्यकता के रोगी को ब्रोड स्पेक्ट्रम वाली एंटी-बायटिक गोलियाँ दे दी जाती हैं.
- कारगर और उचित दवाओं के कम उपलब्ध होने के कारण कई निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में बच्चों की मृत्यु हो जाती है. इसका एक कारण यह भी है कि एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध के उपचार से सम्बंधित राष्ट्रीय योजनाओं में या तो धन की कमी होती है अथवा उनका ठीक से कार्यान्वयन नहीं होता है.
समस्या के मूल में क्या है?
- दवा लिखने वालों में और जन-साधारण में जानकारी और जागरूकता की कमी.
- सही जाँच करने वाली प्रयोगशालाओं की कमी.
- रोग का निदान ठीक से करने की क्षमता का अभाव.
- स्थानीय रूप से प्रचलित रोगों को ध्यान में रखते हुए साक्षियों पर आधारित उपचार-विषयक मार्ग-निर्देशों का उपलब्ध नहीं होना.
- एंटी-बायटिक दवाओं की सलाह और प्रयोग की गुणवत्ता को प्रतिबिम्बित करने वाले डाटा तक पहुंच का अभाव.
- छोटे स्पेक्ट्रम वाली दवाओं के होते हुए भी चिकित्सकों द्वारा बड़े स्पेक्ट्रम वाली एंटी-बायटिक दवाएँ लिखने की आदत.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Report Defending In Numbers
संदर्भ
फोरम-एशिया ने एक द्विवार्षिक प्रतिवेदन निर्गत किया है जिसका शीर्षक है – Defending In Numbers.
मानवाधिकार से सम्बंधित इस प्रतिवेदन में 2017 और 2018 के बीच एशिया के 18 देशों में होने वाले मानवधिकार-उल्लंघन के ऐसे 688 मामलों और दुरुपयोगों का वर्णन है जिनके चलते मानवाधिकार संगठनों, स्थानीय समुदायों एवं मीडिया के समेत 4,854 लोगों पर दुष्प्रभाव पड़ा.
सर्वाधिक सामान्य उल्लंघनों के प्रकार
- न्यायिक उत्पीड़न (327 मामले)
- निरंकुश गिरफ्तारी एवं बंदीकरण (249 मामले)
- हिंसा (164 मामले)
मुख्य निष्कर्ष
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के 20 वर्ष बीत जाने पर भी एशिया मानव एवं पर्यावरण अधिकारों के रक्षकों के लिए खतरनाक जगह बना हुआ है.
- एशिया में उल्लंघन के 688 मामलों में से आधे मामले ऐसे थे जो उन व्यक्तियों के विरुद्ध थे जो लोकतंत्र के साथ-साथ भूमि और पर्यावरण अधिकारों के लिए लड़ रहे थे.
- मानवाधिकार उल्लंघन के विरोध में लड़ने वाले लोगों में आदिवासीगण, कृषकगण तथा अन्य स्थानीय समुदाय रहे क्योंकि उनकी भूमि, जीवन और आजीविका पर पर्यावरण के दोहन तथा परियोजनाओं के विकास के कारण खतरा हो रहा है.
- मानवाधिकार के लिए लड़ने वालों के विरुद्ध सबसे अधिक अत्याचार करने वाले पुलिस, न्यायालय और सैनिक थे.
आगे की राह
प्राकृतिक संसाधनों के लिए आज बड़ी प्रतिस्पर्धा है जिसमें सरकार और सामान्य जन दोनों शामिल हैं. इसलिए ऐसे उपाय ढूँढने होंगे कि विकास का कार्य भी हो और मानवाधिकार का उल्लंघन भी न हो. संयुक्त राष्ट्र ने अपने सतत विकास लक्ष्यों (लक्ष्य 16) में स्पष्ट रूप से कहा है कि हर हालत में लोगों की मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए और इसी के अनुरूप देशों में कानून बनने चाहिए तथा अंतर्राष्ट्रीय समझौते होने चाहिएँ.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : Anthrax
संदर्भ
पिछले दिनों DRDO और JNU के वैज्ञानिकों ने Anthrax की एक ऐसी टीका बनाई है जो पहले से अधिक प्रभावी है क्योंकि यह बीजाणुओं स्पोरों (spores) के साथ-साथ anthraxtoxin के विरुद्ध भी प्रतिरोधकता उत्पन्न करता है.
Anthrax क्या है?
- Anthrax एक प्रकार का रोग है जो मिट्टी में रहने वाले Bacillus anthracis नामक कीटाणु के कारण होता है. यह रोग लोगों से अधिक पशुओं को लगता है, जैसे – मवेशी, भेड़ें और बकरियाँ. लोगों में एंथ्रेक्स तब होता है जब वे पशुओं, ऊन, मांस या चमड़ों के सम्पर्क में आते हैं.
- एंथ्रेक्स एक पशु अथवा व्यक्ति से दूसरे पशु अथवा व्यक्ति को प्रत्यक्ष रूप से संक्रमित नहीं होता है, अपितु यह बीजाणुओं से फैलता है. ये बीजाणु पहनावों और जूतों के माध्यम से इधर-उधर फैलते हैं.
- एंथ्रेक्स कभी-कभी प्रयोगशालाओं में दुर्घटनावश भी मनुष्य में संक्रमित हो सकता है.
उपचार
- एंथ्रेक्स रोग को ठीक करने के लिए जो उपाय सबसे ज्यादा चलता है, उसमें एक प्रकार का एंटी-बायटिक 60 दिनों तक रोगी को दिया जाता है. यदि उपचार शीघ्र से शीघ्र आरम्भ हो जाता है तो यह सबसे कारगर होता है.
- समय अधिक हो जाने पर शरीर में बैक्टीरिया इतनी अधिक मात्रा में उत्पन्न हो जाता है कि दवाइयों से उन्हें समाप्त करना कठिन हो जाता है.
जैव आतंकवाद (Bioterrorism) में एंथ्रेक्स का प्रयोग
एंथ्रेक्स का जैव-युद्ध में भी प्रयोग होता है. आतंकवादी भी जान-बूझकर लोगों को संक्रमित करने के लिए एंथ्रेक्स का प्रयोग करते हैं. एक बार अमेरिका में एक लिफ़ाफ़े में डालकर एंथ्रेक्स फैलाया गया था जिससे न केवल 22 लोग बीमार पड़ गये, अपितु 5 लोगों की मृत्यु भी हो गई.
Prelims Vishesh
Solanum plastisexum; Australia’s new sex-changing tomato :-
- ऑस्ट्रेलिया में पिछले दिनों टमाटर की एक नई प्रजाति निकाली गई है जिसे Solanum plastisexum नाम दिया गया है. इसे Dungowan bush tomato भी कहा जा रहा है.
- बताया जाता है कि यह टमाटर बैंगन का एक दूर का रिश्तेदार है.
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