Sansar Daily Current Affairs, 20 June 2020
GS Paper 2 Source : Down to Earth
UPSC Syllabus : Government Policies & Interventions.
Topic : Chhattisgarh Government make Roka Cheka
संदर्भ
छत्तीसगढ़ सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक ‘रोका–छेका‘ पद्धति को प्रभावी तरीके से लागू करने का फैसला लिया है. राज्य में रोका-छेका की व्यवस्था पहले से प्रचलित है, अब राज्य सरकार ने इसे और अधिक व्यवस्थित और असरदार बनाने का निर्णय लिया है.
रोका–छेका पद्धति क्या है?
- छत्तीसगढ़ राज्य में ’रोका-छेका’ की परंपरा बहुत पुरानी है. इस परंपरा के तहत मवेशी खेत में न घुस पाएँ इसको लेकर ग्रामीण बैठक करते हैं और आपस में रणनीतियाँ बनाते हैं. इस परंपरा के तहत खुले में घुमने वाले पशुओं को गौठानों में डाल दिया जाता है. इससे मवेशियों की भी सुरक्षा रहती है और किसानों की फसल को क्षति नहीं पहुँचती.
- कई गांवों में पशुओं को रखने के लिए बाड़े (गोशाला) की सुविधा नहीं है, ऐसे में पशु मालिकों को इस दौरान उनके चराने पर प्रतिबंध लग जाने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
समस्याएँ
बेसहारा मवेशियों के सड़कों पर डेरा डालने के कारण यातायात व्यवस्था बद से बदतर होती जाती है. सड़कों पर चारों तरफ बेसहारा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होती रही हैं. रात के समय तो वाहन चालक को दिखाई नहीं देते हैं, जिसके चलते चालक इन मवेशियों से टकराकर घायल होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं.
क्या किया जाना चाहिए?
- सरकार द्वारा अधिक से अधिक गोशालाओं का निर्माण किया जाना चाहिए.
- रोका-छेका को नई गोशालाओं के निर्माण के साथ शुरू किया जाना चाहिए जिससे गाय के गोबर से बनी खाद का उत्पादन भी हो सकेगा.
- इन गोशालाओं के माध्यम से राज्य सरकार रोजगार के नए साधन भी मुहैया कर सकती है.
- सरपंचों से अपील की जानी चाहिए कि वह प्रतिबंध के दौरान सभी जानवरों को गोशालाओं में ही रखें, जिससे पशुओं का उचित पोषण और फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
- गौशाला निर्माण का एक उद्देश्य बड़े पैमाने पर जैविक उर्वरक का उत्पादन करना भी हो सकता है, ताकि भूमि की उर्वरता को बढ़ाया जा सके और कृषि की इनपुट लागत को कम किया जा सके.
- गौशाला में एकत्र किए गए गोबर का उपयोग करके जैविक खाद के निर्माण के लिए नई गौशालाओं के साथ पुनर्जीवित किया जा सकता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : Russia-India-China (RIC) Grouping
संदर्भ
भारत 23 जून को होने वाली ‘रूस-भारत-चीन समूह’ की आभासी बैठक में भाग लेने वाला है.
मंत्रिस्तरीय वार्ता में सम्मिलित होने के भारत के इस निर्णय ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर तनाव कम करने के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया है. रूसी राजनयिक स्रोतों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव की स्थिति पर ‘रचनात्मक संवाद’ का समर्थन करने का संकेत दिया है.
RIC क्या है?
- 1998 में तत्कालीन रूसी विदेश मंत्री येवगेनी प्रिमकोव (Yevgeny Primakov) ने रूस-भारत-चीन समूह (Russia-India-China- RIC) की परिकल्पना की थी.
- इस समूह की स्थापना का ध्येय “अमेरिका द्वारा निर्देशित विदेश नीति को समाप्त करना”, तथा भारत के साथ पुराने संबंधों को नवीनीकृत करना और चीन के साथ हुई नई मित्रता को प्रोत्साहन देना था.
RIC समूह का महत्त्व
- RIC देशों का योगदान क्षेत्रफल की दृष्टि से संयुक्त रूप से 19 प्रतिशत से अधिक है तथा संयुक्त रूप से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 33 प्रतिशत से अधिक का योगदान है.
- इस समूह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सम्मिलित तीनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं तथा इसके दो देश, रूस और चीन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UN Security Council) के स्थायी सदस्य हैं, जबकि भारत UNSC की सदस्यता के लिए प्रयासरत है.
- ये तीनों देश एक नयी वैश्विक आर्थिक संरचना के निर्माण में योगदान करने में सक्षम हैं. यह समूह आपदा राहत और मानवीय सहायता हेतु एक साथ काम कर सकता है.
भारत के लिए RIC का महत्व
- रूस-भारत-चीन (RIC), शंघाई सहयोग संगठन ( Shanghai Cooperation Organisation- SCO) के आधार का निर्माण करते है.
- भारत, भू-सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थिति में अवस्थित है.
- सागरीय और महाद्वीपीय, दोनों क्षेत्रों में चीन के ‘आधिपत्य’ को चुनौती देने के लिए भारत के लिए यह समूह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है.
GS Paper 3 Source : Economic Times
UPSC Syllabus : IP related issues.
Topic : CISH initiates process for GI tag for Banarsi Langrha, Chausa mangoes
संदर्भ
पूरी दुनिया में अपने जायके के लिए मशहूर मलीहाबादी दशहरी आम के बाद अब केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) ने बनारसी लंगड़ा, चौसा तथा रटौल किस्मों के आम के लिए भी ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
GI Tag प्राप्त होने से क्या हो जाएगा?
- जीआई टैग (विशिष्ट भौगोलिक संकेत) हासिल होने के बाद आम की इन किस्मों के किसानों को अपनी फसल के बेहतर दाम मिलने की संभावना बढ़ेगी और अन्य क्षेत्रों के आम किसान उनके नाम का दुरुपयोग कर अपनी फसल बाजार में नहीं बेच सकेंगे.
- साथ ही दूसरे आम उत्पादक उनके नाम का दुरुपयोग करके बाजार में अपना माल नहीं बेच सकेंगे.
मुख्य बिंदु
दशहरी आम को सितंबर 2009 में जीआई टैग प्राप्त हुआ था. इसके अलावा आम की अनेक भारतीय किस्मों को भी जीआई टैग हासिल हो चुका है. इनमें रत्नागिरी का अल्फांसो, गीर और मराठवाड़ा का केसर, आंध्र प्रदेश का बंगनापल्ली, भागलपुर का जर्दालू, कर्नाटक का अप्पामिडी और मालदा का हिमसागर मुख्य हैं.
GI Tag किसे दिया जाता है?
जीआई टैग उन उत्पादों को दिया जाता है जो किसी क्षेत्र विशेष में पैदा होते हैं. इन उत्पादों की खासियत और प्रतिष्ठा उस क्षेत्र विशेष में पैदा होने की वजह से स्थापित होती है. यह टैग मिलने के बाद संबंधित उत्पाद का नाम लेकर बाजार में किसी और चीज को बेचने पर पाबंदी लग जाती है.
- GI का full-form है – Geographical Indicator
- भौगोलिक संकेतक के रूप में GI टैग किसी उत्पाद को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है.
- नाम से स्पष्ट है कि यह टैग केवल उन उत्पादों को दिया जाता है जो किसी विशेष भगौलिक क्षेत्र में उत्पादित किये गए हों.
- इस टैग के कारण उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिल जाता है.
- यह टैग ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के विषय में आश्वस्त करता है.
- डब्ल्यूटीओ समझौते के अनुच्छेद 22 (1) के तहत GI को परिभाषित किया गया है.
- औद्योगिक सम्पत्ति की सुरक्षा से सम्बंधित पहली संधि के अनुसार GI tag को बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का एक अवयव माना गया है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI WTO के बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के व्यापार से सम्बंधित पहलुओं पर हुए समझौते से शाषित होता है. भारत में वह भौगोलिक वस्तु संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा) अधिनयम, 1999 से शाषित होता है.
भौगोलिक संकेतक पंजीयक
- भौगोलिक वस्तु संकेतक (पंजीकरण एवं सुरक्षा) अधिनयम, 1999 के अनुभाग 3 के उप-अनुभाग (1) के अंतर्गत पेटेंट, रूपांकन एवं व्यापार चिन्ह महानिदेशक की नियुक्ति GI पंजीयक के रूप में की जाती है.
- पंजीयक को उसके काम में सहयोग करने के लिए केंद्र सरकार समय-समय पर अधिकारियों को उपयुक्त पदनाम के साथ नियुक्त करती है.
GS Paper 3 Source : Economic Times
UPSC Syllabus : Issues related to growth and development.
Topic : Developing Asia to “barely grow” in 2020; India’s GDP to contract by 4% this fiscal: ADB
संदर्भ
हाल ही में एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank- ADB) द्वारा जारी एशियाई विकास आउटलुक (Asian Development Outlook) के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में कुल 4 प्रतिशत का संकुचन आ सकता है.
मुख्य बिंदु
- एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के कारण बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित हुई है, जिसका प्रभाव शीघ्र ही भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास पर देखने को मिल सकता है.
- COVID-19 के प्रभाव के चलते दक्षिण एशिया की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में समग्र रूप से वर्तमान वित्तीय वर्ष में 3 प्रतिशत का संकुचन देखने को मिल सकता है.
इस संकुचन के पीछे कारण
- विदित हो कि सभी उच्च-आवृत्ति वाले संकेतक जैसे क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Manager’s Index- PMI) आदि अप्रैल महीने में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुँच गए हैं.
- शहरों में अपनी नौकरियों से हाथ धोने के पश्चात् सभी प्रवासी कामगार अपने गाँव लौट गए हैं. इतनी समस्याओं का सामने करने के बाद उन्हें उत्पादन के लिये वापस शहरों में लाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है. ऐसी परिस्थिति में वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत का उत्पादन पर्याप्त धीमा रहने की पूर्ण आशंका है.
- ADB का अनुमान है कि वर्ष 2020-21 में एशिया का विकास अपेक्षाकृत अतीव धीमा रहेगा, क्योंकि कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी को खत्म करने के लिये अपनाए गए उपायों जैसे लॉकडाउन आदि के कारण आर्थिक गतिविधियों के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न होती है और माँग भी कमज़ोर होती है.
अन्य एशियाई क्षेत्रों की स्थिति
- अनुमान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में एशिया ज्यादा से ज्यादा से 0.1 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ विकास करेगा, जो कि बीते 6 दशकों में सबसे कम विकास दर है.
- इससे पूर्व वर्ष 1961 में इतनी कम वृद्धि दर्ज की गई थी.
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में पूर्वी एशिया के लिये विकास दर का अनुमान 2.0 प्रतिशत से घटकर 1.3 प्रतिशत हो गया है.
- एशियाई विकास आउटलुक के मुताबिक, मौजूदा वित्तीय वर्ष (2020-21) में चीन में 1.8 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज करने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत थी, इस प्रकार स्पष्ट है कि कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण चीन के आर्थिक विकास में काफी कमी आई है.
- दक्षिण पूर्व एशिया में उपभोग, निवेश और व्यापार में व्यापक गिरावट आई है. इस क्षेत्र में मौजूद सभी देशों की समग्र अर्थव्यवस्था में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2.7 प्रतिशत का संकुचन होने का अनुमान है.
एशियाई विकास बैंक के बारे में
- यह एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना 19 दिसम्बर, 1966 को हुई थी.
- ADB का मुख्यालय मनीला, फिलीपींस में है.
- एशियाई विकास बैंक में 68 सदस्य देश शामिल हैं जिसमें 49 एशिया और प्रशांत क्षेत्र से हैं और और बाकी बाहर से हैं. (According to Wikipedia)
- इस बैंक में सदस्य के रूप में एशियाई क्षेत्र के बाहर के कुछ विकसित देशों के अतिरिक्त UNESCAP अर्थात् संयुक्त राष्ट्र एशिया-प्रशांत आर्थिक एवं सामाजिक आयोग के सदस्य भी लिए जाते हैं.
- ADB को विश्व बैंक की तर्ज पर ही तैयार किया गया था.
- इसमें विश्व बैंक की तरह ही वोटिंग में वेटेज की प्रणाली है अर्थात् जो देश बैंक को जितनी पूँजी देता है, उसके वोट का महत्त्व उतना ही होता है.
- ADB विश्व पूँजी बाजार में निर्गत बॉन्ड के माध्यम से धन जुटाया करता है. यह अपने सदस्य देशों द्वारा किये गये आर्थिक योगदान, उधार से हुई कमाई एवं ऋणों की वापसी से अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करता है.
- इसमें प्रत्येक सदस्य राज्य से एक प्रतिनिधि होता है.
- बोर्ड ऑफ गवर्नर बैंक के अध्यक्ष का चुनाव करते हैं.
- इस बैंक के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है और इसे पुनः निर्वाचित किया जा सकता है.
- परंपरागत रूप से अब तक नियुक्त अध्यक्ष सदैव जापान से ही रहे हैं और यह संभवतः इसलिए भी है क्योंकि जापान बैंक के सर्वाधिक बड़े शेयरधारकों में से एक है.
मेरी राय – मेंस के लिए
एशिया महाद्वीप में मौजूद अर्थव्यवस्थाओं पर मौजूदा वित्तीय वर्ष में COVID-19 महामारी का प्रकोप इसी प्रकार जारी रहेगा, बावजूद इसके कि समय के साथ लॉकडाउन को शिथिल किया जा रहा है और आर्थिक गतिविधियों को ‘नए सामान्य’ परिदृश्य में फिर से शुरू किया जा रहा है. ADB के अनुसार, आने वाले समय में कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी और भी गंभीर रूप धारण कर सकती है, जिसका स्पष्ट प्रभाव विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर देखने को मिलेगा, जिसके चलते वित्तीय संकट से इनकार नहीं किया जा सकता है.आवश्यक है कि विभिन्न सरकारों को COVID-19 के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिये नीतिगत उपाय अपनाने चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस का प्रभाव कम-से-कम हो.
GS Paper 3 Source : Down to Earth
UPSC Syllabus : Science and Technology.
Topic : Protein ‘spike’ that lets novel coronavirus pierce, invade human cells
संदर्भ
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ता प्रोटीन के एक टुकड़े ‘पेप्टाइड’ पर परीक्षण कर रहे हैं, जो कोरोनावायरस कोविड-19 को फेफड़ों की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक सकता है.
पेप्टाइड क्या है?
अमीनो अम्लों की छोटी श्रृंखलाओं को पेप्टाइड कहते हैं. कई पेप्टाइड मिलकर प्रोटीन का गठन करते हैं. प्रोटीन एवं पेप्टाइड में आकार का ही अंतर है. इसमें अमीनो अम्ल जिस बंध द्वारा जुड़े होते हैं उसे पेप्टाइड बंध कहते हैं.
पेप्टाइड कैसे कर सकता है कोरोना वायरस को खत्म?
पेप्टाइड उस वायरल प्रोटीन को रोक सकता है जिसका उपयोग कोरोनावायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है. इसकी मदद से कोरोनावायरस को शरीर में फैलने से पहले ही रोक सकते हैं.
कैसे करता है कोविड-19 मानव शरीर पर हमला?
- कोरोना वायरस व्यक्ति के सेल्स को अपने ट्रिमेरिक स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन के माध्यम से जोड़ लेता है.
- कोविड-19, सार्स वायरस की तुलना में 10 गुना अधिक मजबूती से होस्ट सेल में चिपक जाता है.
- यह वायरस होस्ट के किसी विशिष्ट हिस्से में ‘रिसेप्टर’ से जुड़ जाता है. यह रिसेप्टर, मानव कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है, जिनमें फेफड़े भी शामिल हैं.
चुनौतियाँ
पेप्टाइड दवाओं का सबसे बड़ा दोष यह है कि उन्हें आमतौर सीधे तौर पर नहीं खाया जा सकता, उन्हें शरीर में इंजेक्ट करना पड़ता है. साथ ही उसमें परिवर्तन करने की भी आवश्यकता है जिससे वे अधिक समय तक खून में रह सकें और अधिक प्रभावी हो सकें.
Prelims Vishesh
India elected non-permanent member of UN Security Council :-
- भारत को हाल ही में आयरलैंड, मैक्सिको और नॉर्वे के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में 2021-22 के लिए चुना गया है.
- भारत का कार्यकाल जनवरी 2021 से शुरू होगा.
- प्रत्येक वर्ष महासभा पांच गैर-स्थायी सदस्यों का चुनाव करती है, 10 कुल सीटों में से दो साल के
- इससे पहले, भारत को सात कार्यकाल के लिए परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में चुना गया था.
- विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सबसे शक्तिशाली और संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है.
World Refugee Day :-
- विश्व भर में शरणार्थियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है.
- इस दिन का उदेश्य शरणार्थियों की दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित करना है.
- विदित हो कि विश्व शरणार्थी दिवस 4 दिसंबर 2000 को संकल्प 55/76 पारित करके संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा घोषित किया गया था.
Reliance Industries 1st Indian company to hit $150 billion :-
मुंबई स्थित भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) 19 जून, 2020 को 150 अरब डॉलर के मूल्य को छूने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गयी है. रिलायंस यह उपलब्धि हासिल करने आली पहली बार भारतीय कंपनी बन गयी है.
‘Sathyabama’ portal launched for self-reliant India in coal and mining sector :-
- केंद्रीय खदान और कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने खनन उन्नति में ‘सत्यभामा’ (SATYABHAMA – Science and Technology Yojana for AtmaNirbhar Bharat in Mining Advancement) नामक एक पोर्टल लॉन्च किया.
- पोर्टल को देश के खनिज और खनन क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देकर डिजाइन और विकसित किया गया है.
- नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की माइन्स इंफॉर्मेटिक्स डिवीजन इस पोर्टल की कार्यान्वयन एजेंसी है.
- इस पोर्टल के माध्यम से, केंद्र सरकार का उद्देश्य खनन और खनिज क्षेत्र में गुणात्मक और नवीन अनुसंधान और विकास कार्य करने के लिए शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करना है.
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May, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Download