Sansar Daily Current Affairs, 20 October 2018
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Azad Hind Government
संदर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्टूबर 21 को लाल किले में राष्ट्रीय झंडा फहराएँगे और एक पट्टिका (plaque) का अनावरण करेंगे. यह पट्टिका सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा 70 वर्ष पहले आजाद हिन्द सरकार का नेतृत्व संभालने के अवसर पर तैयार की गई है.
आजाद हिन्द सरकार क्या है?
- 1943 में आजाद हिन्द सेना ने सिंगापुर पर कब्ज़ा कर लिया था और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने उस अवसर पर आजाद हिन्द की कार्यकारी सरकार की स्थापना की घोषणा की थी.
- इस कार्यकारी सरकार को धूरी राष्ट्रों अर्थात् जापान, जर्मनी, इटली और उनके साथियों का समर्थन प्राप्त था.
- ज्ञातव्य है कि सुभाष चन्द्र बोस ने ब्रिटेन के शासन से मुक्त करने के लिए द्वितीय विश्वयुद्ध के अंतिम वर्षों में कार्यकारी निर्वासित सरकार के झंडे के तले संघर्ष किया था.
सरकार की बनावट
अक्टूबर 21, 1943 को कार्यकारी सरकार की घोषणा करते समय बोस ने कहा था कि उनकी मुक्ति सेना का गठन सिंगापुर के युद्ध क्षेत्र में किया गया था. विदित हो कि बोस इस कार्यकारी सरकार के प्रमुख अर्थात् प्रधानमंत्री थे. साथ ही उनके पास युद्ध और विदेश मामलों के मंत्रालय भी थे. कैप्टन लक्ष्मी उसके महिला संगठन की प्रमुख थीं जबकि एस.ए. अय्यर प्रचार-प्रसार विभाग के मुखिया थे.
क्रांतिकारी नेता रास बिहारी बोस को सर्वोच्च परमार्शदाता बनाया गया था. कार्यकारी सरकार की स्थापना जापान द्वारा हथियाए गये अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में भी की गई थी. बाद में 1945 में ब्रिटेन ने इस द्वीप समूह को फिर से कब्जे में ले लिया था. बोस की मृत्यु के साथ आजाद हिन्द आन्दोलन समाप्त हो गया. उधर द्वितीय विश्व युद्ध भी धुरी राष्ट्रों की पराजय के साथ समाप्त हो गया.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : NCW Launches E-mail ID For Sexual Harassment At Workplace Cases
संदर्भ
राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women – NCW) ने एक ईमेल एड्रेस (metoo@gmail.com) तैयार किया है जिसका काम कार्यक्षेत्र में यौन-उत्पीड़न के मामलों को प्रतिवेदित करना होगा. यह कार्य उन अनेक शिकायतों को ध्यान में रख कर किया गया है जो आयोग के पास सोशल मीडिया में चल रहे #मी टू आन्दोलन (#Metoo movement) के संदर्भ में स्त्रियों द्वारा दी गई थीं.
- आयोग ने अनुरोध किया है कि पीड़ित महिलाएँ अपनी शिकायत को लिखित रूप में metoo@gmail.com पर भेज सकती हैं.
- आयोग इन शिकायतों पर विचार कर कार्रवाई करेगा.
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)
राष्ट्रीय महिला आयोग एक वैधानिक निकाय के रूप में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत जनवरी, 1992 में की गई थी. राष्ट्रीय महिला आयोग एवं सभी राज्य महिला आयोगों का प्रधान कर्तव्य महिलाओं की सुरक्षा एवं उनके हितों की रक्षा को सुनिश्चित करना है.
आयोग नियमित रूप से “राष्ट्र महिला” नामक एक मासिक पत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों में प्रकाशित किया करता है.
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : Should India have two time zones?
संदर्भ
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (Council of Scientific & Industrial Research – CSIR) की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (National Physical Laboratory – NPL) के वैज्ञानिक, जो भारतीय प्रामाणिक समय (Indian Standard Time) की देख-रेख करते हैं, ने हाल ही में एक शोध-पत्र प्रकाशित किया है जिसमें भारत में दो समय-खंड (two time zones) बनाने की आवश्यकता का वर्णन किया है तथा सुझाव दिया है कि जो नया समय-खंड बनेगा, वह वर्तमान समय-खंड से एक घंटा आगे होगा.
दो समय-खंड की आवश्यकता क्यों?
- भारत की चौड़ाई बहुत अधिक है. वस्तुतः यह 68°7’पू. से लेकर 97°25’पू. देशांतर तक फैला हुआ है अर्थात् पूर्व से पश्चिम 29° का अंतर है. भौगोलिक दृष्टि से इसका अर्थ हुआ है कि पूर्व और पश्चिम में दो घंटे का अंतराल है.
- पूर्वोत्तर के विधायकों, कार्यकर्ताओं, उद्योगपतियों एवं सामान्य नागरिकों की यह शिकायत रही है कि उन पर भारतीय मानक समय का विपरीत प्रभाव रहता है और इसलिए वे एक अलग समय-खंड की माँग करते रहे हैं.
- पूर्वोत्तर में सूरज 4 सबेरे ही उग जाता है और जाड़े में 4 बजे सायं तक डूब जाता है. इसके चलते जब तक सरकारी कार्यालय अथवा शैक्षणिक संस्थान खुलते हैं तब तक दिन के 5-6 घंटे बर्बाद हो जाते हैं. जाड़े में यह समस्या और भी विकट हो जाती है. रात में कार्यालय अथवा विद्यालय आदि खोले रखने से बिजली की खपत बढ़ जाती है जिसके चलते पर्यावरण को भी क्षति पहुँचती है.
प्रस्ताव
ऊपर वर्णित शोधपत्र में दो समय-खंड प्रस्तावित किये गये हैं – IST-I (UTC + 5.30 h) और IST-II (UTC + 6.30 h). दोनों समय-खंडों के बीच की रेखा के रूप में 89°52’पू. देशांतर को चुना गया है जो असम और पश्चिम बंगाल की सीमा से गुजरता है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस रेखा के पश्चिम वाले राज्यों में वर्तमान समय-खंड लागू रह सकता है और नया समय-खंड अर्थात् IST-II इस रेखा के पूर्व की ओर स्थित राज्यों के लिए लागू किया सकता है. ये राज्य होंगे – असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह.
विरोध के स्वर
- दो समय-खंड (two time-zones) बनाने पर एक खंड से दूसरे खंड में जाने के समय घड़ी को फिर से मिलाना आवश्यक हो जाएगा. इससे सम्भ्रम की स्थिति हो सकती है. हो सकता है कि मानवीय भूल से भीषण रेल-दुर्घटना भी घाट जाए.
- यह तर्क दिया जाता है कि नया समय-खंड बनाने से बिजली की जो बचत होगी, वह कोई ख़ास बचत नहीं होगी.
- एक घंटे का अंतराल होने के कारण दो समय-खंडों के कार्यालय-समय में 25% की ओवर-लैपिंग होगी जिसके कारण पूर्वी-क्षेत्र की उत्पादकता को और वहाँ के हितों को क्षति पहुँच सकती है.
- नए समय-खंड के विरोधियों के पास एक मनोवैज्ञानिक तर्क भी है. उनका कहना है कि पूर्वोत्तर के लोग शेष भारत से अपने-आप को अलग-थलग मानते हैं और यह भावना नया समय-खंड लागू करने से और भी प्रबल हो सकती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : ADMM-Plus
संदर्भ
हाल ही में सिंगापुर में ASEAN के रक्षा मंत्रियों का 12वाँ सम्मेलन (ADMM) तथा 5वें ADMM-Plus सम्मेलन का आयोजन हुआ. इस सम्मेलनों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूज़ीलैण्ड, साउथ कोरिया, रूस और अमेरिका के रक्षा मंत्रियों ने प्रतिभागिता की.
2006 में ADMM की स्थापना के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ कि सिंगापुर ने सम्मेलन की अध्यक्षता की. सिंगापुर ने 2010 में स्थापित ADMM-Plus सम्मेलन की भी अध्यक्षता पहली बार की.
पृष्ठभूमि
ADMM और ADMM-Plus वे रक्षा मामलों से सम्बंधित मंच हैं जो क्षेत्रीय सुरक्षा से सम्बन्धित हैं. इनके माध्यम से आसियान देशों और उनके भागीदारों के बीच सामरिक संवाद एवं व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है.
ASEAN
- ASEAN का full-form है – Association of Southeast Asian Nations.
- ASEAN का headquarters जकार्ता, Indonesia में है.
- इसकी स्थापना 8 अगस्त, 1967 को थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुई थी.
- इसका Motto है – “One Vision, One Identity, One Community” अर्थात् एक सोच, एक पहचान, एक समुदाय.
- आसियान में 10 member देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम) हैं और 2 observer देश हैं (Papua New Guinea और East Timor).
- ASEAN देशों की साझी आबादी 64 करोड़ से अधिक है जो कि यूरोपियन यूनियन से भी ज्यादा है.
- अगर ASEAN को एक देश मान लें तो यह दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
- इसकी GDP 28 हजार करोड़ डॉलर से अधिक है.
- आसियान के chairman Lee Hsien Loong हैं जो ब्रूनेई से हैं.
- आसियान में महासचिव का पद सबसे बड़ा है. पारित प्रस्तावों को लागू करने का काम महासचिव ही करता है. इसका कार्यकाल 5 साल का होता है.
- क्षेत्रीय सम्बन्ध को मजबूत बनाने के लिए 1997 में ASEAN +3 का गठन किया गया था जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया और चीन को शामिल किया गया.
- बाद में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड को भी इसमें शामिल किया गया. फिर इसका नाम बदलकर ASEAN +6 कर दिया गया.
- 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आसियान को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया.
- आसियान की बढ़ती महत्ता को देखते हुए अब कई देश इसके साथ करार करना चाहते हैं.
ADMM-Plus
- इसका पहला सम्मेलन 2010 में वियतनाम की राजधानी हनोई में हुआ था. उस सम्मलेन में रक्षा मंत्रियों ने आपस में व्यवहारिक सहयोग के लिए पाँच विषयों पर सहमति दी थी. ये विषय हैं – सामुद्रिक सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, शान्ति बनाए रखने की कारर्वाइयाँ, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत तथा सैन्य औषधियाँ.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : RBI objects to payments regulator outside its control
संदर्भ
सरकार का यह प्रस्ताव है कि एक स्वतंत्र भुगतान नियामक बोर्ड (Payment Regulatory Board – PRB) की स्थापना की जाए जो देश की सभी भुगतान प्रणालियों पर दृष्टि रखे. सरकार के इस प्रस्ताव का भारतीय रिज़र्व बैंक ने विरोध किया है. उसका कहना है कि यदि ऐसा बोर्ड बनाया जाता है तो उसको रिज़र्व बैंक के अधीनस्थ रखना चाहिए और उसका मुखिया रिज़र्व बैंक का गवर्नर ही होना चाहिए.
भूमिका
ज्ञातव्य है कि नए बोर्ड की संकल्पना सुभाष चन्द्र गर्ग की अध्यक्षता में गठित एक सप्त-सदस्यीय सरकारी पैनल द्वारा की गई है. प्रस्ताव के अनुसार यह बोर्ड स्वतंत्र होगा और इसका अध्यक्ष सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से नियुक्त किया जाएगा. पैनल के समक्ष रिज़र्व बैंक ने अनुशंसा की थी कि RBI के गवर्नर को ही इस नियामक निकाय का मुखिया बनाए जाए.
रिज़र्व बैंक के विरोध का आधार
- RBI का कहना है कि रतन वाटल समिति (Ratan Watal Committee) ने भी एक भुगतान नियामक बोर्ड बनाने की अनुशंसा की थी पर उसमें कहा गया था कि यह RBI के अधीन ही होना चाहिए.
- रिज़र्व बैंक का कहना है कि भारत में भुगतान की प्रणालियाँ कुशलतापूर्वक चल रही है और इसमें लगातार प्रगति हुई है. आज भारत को विश्व-भर में भुगतान प्रणालियों के अगुआ के रूप में मान्यता मिली है. इसलिए इसमें कोई परिवर्तन की आवश्यकता ही नहीं है.
- RBI का तर्क है कि भारत में भुगतान प्रणाली पर बैंकों का वर्चस्व है इसलिए इसका मुख्य नियंत्रण रिज़र्व बैंक के पास ही रहने देना अच्छा होगा. यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात है कि भुगतान प्रणाली के विनियमन का काम विदेशों में भी प्रमुख रूप से केंद्रीय बैंकों के ही पास होता है. इसलिए विदेशी मॉडल को ही अपनाया जाना श्रेयस्कर होगा.
भारतीय रिज़र्व बैंक नए प्रस्ताव के पूर्णतया विरुद्ध नहीं है. इसका मात्र यह कहना है कि प्रस्तावित परिवर्तनों के कारण ऐसा न हो कि वर्तमान प्रणाली, जो ठीक-ठाक चल रही है, में कोई घातक व्यवधान न उपस्थित हो जाए.
Prelims Vishesh
India’s first Bitcoin ATM kiosk set up in Bengaluru :-
- Unocoin Technologies Private Ltd ने बेंगलुरु में भारत का पहला ATM खोला है जिसके माध्यम से क्रिप्टो-मुद्राओं में व्यापार किया जा सकता है.
- यह ATM उन उपभोक्ताओं के लिए होगा जो Unocoin के साथ पंजीकृत हैं.
- इससे उपभोक्ता 10 बिटकॉइन तक का क्रय-विक्रय कर सकेंगे. परन्तु यह लेन-देन भारतीय रुपयों में ही संभव होगा.
- बिटकॉइन के अतिरिक्त Ethereum में भी लेन-देन हो सकेगा.
- Bitcoin के बारे में full details पढ़ें – Bitcoin in Hindi
Carnot Prize :-
भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कई पहलों के माध्यम से सुधार करने के लिए भारत के रेल मंत्री को Pennsylvania विश्वविद्यालय ने ऊर्जा-नीति विषयक शीर्षस्थ पुरस्कार के लिए नामित किया है. इस पुरस्कार का नाम Carnot Prize है जो फ्रांस के वैज्ञानिक Sadi Carnot के नाम पर दिया दिया जाता है.
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