Sansar Daily Current Affairs, 21 April 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effects of liberalisation on the economy (post 1991 changes), changes in industrial policy and their effects on industrial growth.
Topic : U.S. currency watchlist an intrusion into policy official
संदर्भ
भारतीय वाणिज्य सचिव अनूप वाधवान ने अमेरिकी सरकार द्वारा भारत को ‘मुद्रा-हेरफेर करने वाले देशों या ‘करंसी मैन्युपुलटेर्स’ (Currency Manipulators) निगरानी सूची में शामिल करने से सम्बंधित निर्णय के औचित्य पर सवाल उठाया है.
इसके अतिरिक्त, यह सूची दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिए अपने अधिदेशों को पूरा करने के लिए आवश्यक नीति-विस्तार में अनुचित हस्तक्षेप करती है.
संबंधित प्रकरण
हाल ही में, अमेरिकी राजकोष विभाग (U.S. Treasury Department) ने, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा भारी मात्रा में डॉलर की गई खरीद (सकल घरेलू उत्पाद का 5% के लगभग) का हवाला देते हुए, अमेरिकी कांग्रेस में पेश की गयी ‘करंसी मैन्युपुलटेर्स’ निगरानी सूची में भारत को बनाए रखा है.
भारत को मुद्रा निगरानी सूची में शामिल करने का एक और कारण 20 बिलियन डॉलर या इससे अधिक का व्यापार अधिशेष भी है.
पृष्ठभूमि
केंद्रीय बैंक के प्रमुख अधिदेशों में ‘मुद्रा में स्थिरता’ लाना शामिल होता है, इसके लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा का क्रय और विक्रय करते हैं.
अमेरिका किसी देश को मुद्रा में हेरा-फेरी करने वाला कब और क्यों बताता है?
अमेरिका का ट्रेजरी विभाग वर्ष में दो बार एक प्रतिवेदन प्रकाशित करता है जिसमें वैश्विक, आर्थिक एवं विनियम दर से सम्बन्धित नीतियों की समीक्षा होती है.
किसी देश को “मुद्रा मैनिपुलेटर” का टैग कब मिलता है?
अमरीकी ट्रेजरी विभाग किसी देश को “मुद्रा मैनिपुलेटर” घोषित करने के लिये तीन मानदंडों का प्रयोग करता है :-
- अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष 20 अरब डॉलर हो.
- वर्तमान GDP का 3% चालू खाता अधिशेष हो और
- एक वर्ष में देश से सकल घरेलू उत्पाद के 2% से अधिक विदेशी मुद्रा खरीदी गई हो.
इस प्रकार की घोषणा अमेरिका क्यों करता है?
इस प्रकार की घोषणा कर के अमेरिका का ट्रेजरी विभाग उन देशों के प्रति ध्यान केन्द्रित करता है जिनका अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अच्छा-ख़ासा होता है और जिनका अमेरिकी और विश्व की अर्थव्यवस्था में अधिक महत्त्व होता है.
आगे क्या होगा?
1988 के विदेश व्यापार और प्रतिस्पर्धा अधिनियम के अधीन अमेरिका को इन देशों से बात-चीत करनी होगी अथवा वह इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में ले जा सकता है. अमेरिका इस संदर्भ में जो दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है, वे हैं –
- अमेरिका विकासशील देशों में निवेश करने वाली एजेंसी विदेश निजी निवेश निगम (Overseas Private Investment Corporation) को इन देशों को धनराशि देने से रोक सकता है.
- अमेरिका जो सरकारी खरीद करता है उसकी संविदाओं से वह इन देशों को बाहर रख सकता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Travel Bubble
संदर्भ
भारत में कोविड-19 मामलों में हालिया उछाल के मद्देनजर, श्रीलंका ने भारत के साथ प्रस्तावित ‘यात्रा बुलबुला’ अर्थात ‘ट्रैवल बबल’ (Travel Bubble) शुरू करने का फैसला स्थगित कर दिया है.
यात्रा बुलबुला (TRAVEL BUBBLE) क्या है?
यह पर्यटन को बढ़ावा देने का एक कार्यक्रम है जो उन देशों ने बनाया है जहाँ COVID-19 महामारी को नियंत्रित करने में अच्छी सफलता मिली है.
इस कार्यक्रम के अंतर्गत बाल्टिक क्षेत्र के देश आपस में व्यापार सम्बन्ध फिर से जीवित करेंगे और पर्यटन जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा देंगे.
यह कैसे काम करेगा?
- एस्टोनिया, लात्विया और लूथिनिया देशों के निवासी एक-दूसरे देश में बिना क्वारंटीन में गये हुए मुक्त रूप से रेल, हवाई जहाज और समुद्री जहाज से यात्रा कर सकेंगे.
- इस क्षेत्र में दूसरे देशों से आने वाले लोगों को 14 दिनों के क्वारंटीन से गुजरना होगा.
- मुक्त रूप से इस क्षेत्र में यात्रा करने के लिए यहाँ के निवासी पर भी कुछ शर्त लागू होंगे, उदाहरण के लिए वह पिछले 14 दिनों में बाहर नहीं गया हो और COVID-19 से संक्रमित नहीं हुआ हो. साथ ही वह ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में नहीं आया हो जिसे यह संक्रमण हो चुका हो.
महत्त्व
जिन देशों में COVID-19 पर बेहतर नियंत्रण प्राप्त हो चुका है, वैसे देश चाहें तो किसी तरह की बबल योजना चलाकर आपसी अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला सकते हैं. विदित हो कि वैश्विक GDP का 35% इन्हीं देशों से आता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : South China Sea dispute
संदर्भ
फिलीपींस द्वारा समुद्री जलधारा के एक विवादित क्षेत्र में संचित तेल-भंडार पर अपना दावा जताने के लिए दक्षिण चीन सागर में सैन्य जहाजों को तैनात करने की योजना बनाई जा रही है.
पृष्ठभूमि
फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटर्टे को, फिलीपींस के दावाकृत जलक्षेत्र में चीनी गतिविधियों को लेकर, उसका सामना करने से अनिच्छा के लिए बढ़ती घरेलू आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
दक्षिणी चीन सागर विवाद क्या है?
- मूल विवाद दक्षिणी चीन सागर में स्थित दो द्वीप समूहों को लेकर है जिनका नाम स्प्रैटली द्वीप और पार्सल है. ये दोनों द्वीपसमूह वियतनाम और फिलिपिन्स के बीच पड़ते हैं.
- चीन इन दोनों पर अपना दावा करता है. दूसरी ओर चीन के इस दावे का विरोध फिलिपिन्स, वियेतनाम, मलेशिया और ताईवान की ओर से हो रहा है. ब्रूनेई को भी इसमें आपत्ति है.
- फिलीपींस द्वारा मामले को 2013 में न्यायालय में लाया गया था, जो स्कारबोरो शोल पर केंद्रित था. हालाँकि बीजिंग के द्वारा कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया गया.
- द हेग, नीदरलैंड स्थित स्थाई मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) ने फैसला दिया था कि दक्षिण चीन सागर पर ऐतिहासिक अधिकार के चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है.
मध्यस्थता पैनल ने क्या निर्णय दिया?
- हेग स्थित न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सागर में तथाकथित “nine-dash line” का चीन का दावा व्यापक आर्थिक हितों के साथ सागरीय विधि पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nation Convention on the Laws of the Sea – UNCLOS) का उल्लंघन था.
- अत्यधिक मत्स्यन और कृत्रिम द्वीपों के विकास के कारण न्यायालय ने स्प्रैटली आइलैंड जोकि एक विवादास्पद द्वीप समूह है, में पारिस्थितिकी तंत्र के कुछ हिस्सों को क्षति पहुँचाने के लिए चीन की खिंचाई की.
- न्यायालय ने यह भी कहा कि चीन ने फिलीपींस के संप्रभु अधिकारों का उल्लंघन किया.
- यह भी कहा कि चीन के द्वारा कृत्रिम द्वीपों का निर्माण “कोरल रीफ पर्यावरण को गंभीर क्षति” का कारण है.
“नाइन-डैश” लाइन क्या है?
नाइन-डैश लाइन दक्षिणी हैनात द्वीप के दक्षिण और पूर्व में सैकड़ों किलीमीटर में फैला क्षेत्र है जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पार्मेल और स्प्रैटली द्वीप श्रृंखला को कवर करता है. चीन ने अपने दावे की पुष्टि हेतु 2000 वर्षों के इतिहास का हवाला दिया जिसमें इन दो द्वीप श्रृंखलाओं को इसके अभिन्न हिस्से के रूप में माना गया था.
PCA के निर्णय पर चीन की प्रतिक्रिया
- चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर पर एक अंतर्राष्ट्रीय निर्णय को “अकृत और शून्य” कहकर खारिज कर दिया गया और किसी भी “बाध्यकारी तत्व” से रहित बताया गया.
- चीन दक्षिण चीन सागर में एक सैन्य वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (ADIZ) स्थापित करने पर विचार कर रहा है. ADIZ बनाये जाने से इसके ऊपर से उड़ने बाले विमानों को पहले चीन को सूचित करना होगा.
- कई चीनी विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा कि यह पूरा प्रकरण चीन को घेरने के उद्देश्य से अमेरिका के “पिवोट एशिया” अथवा चुनःसंतुलन रणनीति को लागू करने के लिए निर्मित किया गया छद्म आवरण है.
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इसे मान्यता प्रदान करते हुए स्पष्ट कर दिया कि न्यायाधिकरण समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन (UNCLOS) के क्षेत्राधिकार के भीतर गठन किया गया है इसलिए इसके निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए.
दक्षिण चीन सागर इतना महत्त्वपूर्ण क्यों?
- दक्षिणी चीन सागर एक व्यस्त अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग, वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार की मुख्य धमनियों में से एक है.
- लगभग $5 ट्रिलियन मूल्य का विश्व व्यापार जहाज़ों के द्वारा प्रतिवर्ष दक्षिण चीन सागर से होता है.
- दक्षिणी चीन सागर कई अपतटीय तेल और गैस ब्लॉक के साथ संसाधनों से भी समृद्ध है.
GS Paper 2 Source : Down to Earth
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : Global Youth Mobilization Local Solutions campaign
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न संस्थाओं तथा और युवा संगठनों द्वारा एक साथ मिलकर एक अनोखा अभियान “ग्लोबल यूथ मोबलाइज़ेशन लोकल सॉल्यूशंस” प्रारम्भ किया गया है, जिसमें, नॉवेल कोरोनो वायरस बीमारी (COVID-19) महामारी से प्रभावित युवाओं के जीवन को फिर से पटरी पर लाने के लिए विश्व-भर से युवाओं को शामिल किया जाएगा.
‘ग्लोबल यूथ मोबलाइज़ेशन लोकल सॉल्यूशंस’ अभियान के बारे में
- इस अभियान की शुरुआत 19 अप्रैल, 2021 को की गई है.
- इस अभियान का उद्देश्य महामारी से प्रभावित समुदायों में युवाओं को जीवन के पुनर्निर्माण के लिए नवप्रवर्तनशील कार्यक्रम प्रारम्भ करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है.
- इसके तहत, आरंभ में $ 500 से $ 5,000 की सहायता के रूप में कुल $ 2 मिलियन (लगभग 15 करोड़ रुपये) की राशि चार स्तरों में उपलब्ध कराई जाएगी तथा एक “उत्प्रेरक” कार्यक्रम द्वारा सर्वाधिक आशाजनक समाधानों का आकलन किया जाएगा तथा, आगामी महीनों में अधिक धन जुटा कर उन्हें दोहराया जाएगा.
इस अभियान में विश्व के छह सबसे बड़े युवा संगठनों द्वारा सहयोग किया जा रहा है:
- वर्ल्ड अलायन्स ऑफ़ यंग मैन’स क्रिस्चियन एसोसिएशन
- विश्व युवा महिला क्रिश्चियन एसोसिएशन
- स्काउट मूवमेंट का विश्व संगठन
- वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ गर्ल गाइड्स एंड गर्ल स्काउट्स
- इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज
- ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग इंटरनेशनल अवार्ड.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : World Press Freedom Index-2021
संदर्भ
हाल ही में ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ (World Press Freedom Index-2021) निर्गत किया गया है. ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ में भारत की रैंक 180 देशों में 142 है.
‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ से संबन्धित प्रमुख बिन्दु
- गैर-लाभकारी संगठन रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की ओर से जारी ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ (World Press Freedom Index-2021) में भारत 180 देशों में 142वें स्थान पर है. ज्ञातव्य है कि भारत पिछले साल भी इस सूचकांक में 142वें स्थान पर ही था.
- ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ के अनुसार, भारत पत्रकारिता के लिए सबसे खराब देशों में शामिल है. यहाँ प्रेस की स्वतंत्रता पिछले कुछ समय में बहुत ही कमजोर हुई है.
- वहीं ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ की सूची में नॉर्वे शीर्ष स्थान पर है. इस सूचकांक में नॉर्वे के बाद फिनलैंड और डेनमार्क का स्थान आता है.
- ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ में एरिट्रिया सबसे निचले पायदान पर है.
- वहीं अगर भारत के पड़ोसियों की बात की जाये तो ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक-2021’ में चीन का 177वाँ स्थान है. इसके अतिरिक्त नेपाल 106वें, श्रीलंका 127वें, म्यांमार 140वें, पाकिस्तान 145वें और बांग्लादेश 152वें स्थान पर हैं.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक क्या है?
- यह सूचकांक 2002 से Reporters Without Borders (RSF) द्वारा जारी किया जाता रहा है.
- इस सूचकांक में 180 देशों को शामिल किया जाता है.
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक सम्बंधित देश में पत्रकारों को उपलब्ध स्वतंत्रता के आधार पर तैयार किया जाता है.
- इस सूचकांक का उद्देश्य है विभिन्न देशों के बीच प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न करना है.
- यह सूचकांक जिन आधारों पर मीडिया की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करता है, वे हैं – विविधतावाद, मीडिया स्वतंत्रता, कानूनी ढाँचे की गुणवत्ता तथा पत्रकारों की सुरक्षा.
- इस सूचकांक में प्रत्येक क्षेत्र में मीडिया की स्वतंत्रता के हनन का स्तर भी देखा जाता है.
- सूचकांक बनाने के लिए विश्व-भर के विशेषज्ञ 20 भाषाओं में एक प्रश्नावली बनाते हैं. इस प्रश्नावली के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण किया जाता है और पत्रकारों के प्रति हिंसा के मामलों का संख्यात्मक आँकड़ा संगृहीत किया जाता है.
- रैंकिंग को एक दृष्टि में समझने के लिए सूचकांक के साथ एक रंगीन नक्शा भी दिया जाता है जिसमें प्रेस स्वतंत्रता में कमी-बेशी के हिसाब से रंग दिखाए जाते हैं.
- इस रंगीन नक़्शे में विभिन्न देशों को अलग-अलग रंग में दिखाया जाता है जिनका तात्पर्य कुछ इस तरह से है — श्वेत (अच्छी स्थिति), पीला (संतोषजनक स्थिति), नारंगी (समस्याग्रस्त स्थिति), लाल (विकट स्थिति), काला (अत्यंत विकट स्थिति).
Prelims Vishesh
Codex Committee on Spices and Culinary Herbs – CCSCH :-
- हाल ही में कोडेक्स कमिटी ऑन स्पाइसेस एंड कलिनरी हर्ब्स (Codex Committee on Spices and Culinary Herbs -CCSCH) का पाँचवाँ सत्र आभासी माध्यम से शुरू हुआ है.
- भारत इस सत्र की मेजबानी कर रहा है.
- कोडेक्स कमिटी ऑन स्पाइसेस एंड कलिनरी हर्ब्स (CCSCH), मसालों और कुलिनरी हर्ब्स (spices and culinary herbs) से संबन्धित वैश्विक मानकों(worldwide standards) का विकास व इन्हें प्रचारित करती है.
- इस कमेटी का गठन वर्ष 2013 में हुआ था.
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