Sansar डेली करंट अफेयर्स, 21 December 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 21 December 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Paika Rebellion

संदर्भ

भारत सरकार पइका विद्रोह (Paika Rebellion) की याद में एक स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट निर्गत करने की योजना बना रही है.

पइका विद्रोह क्या है?

आज से 200 वर्ष पहले 1817 में ओडिशा राज्य के खुर्दा में सैनिकों का एक विद्रोह हुआ था जिसका नेतृत्व बक्शी जगबंधु (बिद्याधर महापात्र) ने किया था. इस विद्रोह को पइका विद्रोह कहते हैं.

विद्रोह के कारण

  • ओडिशा के पारम्परिक जमींदार सैनिकों को पइका कहा जाता था. जब 1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस राज्य के अधिकांश भाग को कब्जे में ले लिया तो खुर्दा के राजा का प्रभुत्व समाप्त हो गया और इसके साथ पइका जनों की शक्ति और प्रतिष्ठा में भी गिरावट आ गई. अंग्रेज़ लोग इन आक्रामक और योद्धा लोगों से चिंतित रहा करते थे और इसलिए इनको रास्ते पर लाने के लिए उन्होंने वाल्टर एवर के अन्दर एक आयोग का गठन किया.
  • इस आयोग ने सुझाव दिया कि पइका जनों के पास जो लगान रहित पैत्रिक भूमि दी गई थी उसे ब्रिटिश शासन अपने कब्जे में ले ले. इस सुझाव का कठोरता से पालन किया जाने लगा. इस पर पइका लोगों ने विद्रोह कर दिया.
  • इस विद्रोह के कुछ अन्य कारण भी थे, जैसे – नमक के मूल्य में वृद्धि, कर के भुगतान के लिए दी जाने वाली कौड़ी मुद्रा को समाप्त करना और भूमि लगान को वसूलने के लिए अपनाई गई शोषणकारी नीति.
  • विद्रोह के आरम्भ में कंपनी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा, परन्तु मई 1817 तक विद्रोह को दबाने में सफल रही. कई पइका नेताओं को फाँसी दे दी गई अथवा देश निकाला दे दिया गया. आठ वर्षों के बाद जगबंधु ने भी 1825 में आत्मसमर्पण कर दिया.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO)

संदर्भ

हाल ही में केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organisation – CDSCO) ने आइसोट्रेटिनोइन (Isotretinoin) नामक दवा के प्रयोग से सम्बंधित सुरक्षात्मक दिशा निर्देश निर्गत किये हैं. इस संगठन ने सभी राज्यों और केंद्र-शाषित क्षेत्रों के औषधि-नियंत्रकों को निर्देश दिया है कि वे आइसोट्रेटिनोइन दवा की बिक्री, निर्माण और वितरण पर नजर रखे.

पृष्ठभूमि

आइसोट्रेटिनोइन एक ऐसी दवा है जो मुँह से ली जाती है और भीषण मुँहासे के उपचार के लिए प्रयोग में आती है. 2002 में CDSCO ने 10mg और 20mg के आइसोट्रेटिनोइन कैप्सूल के द्वारा गाँठ वाले एवं गोलाकार मुँहासे तथा भीषण नोड्यूल वाले मुँहासे के उपचार के लिए अनुमोदन किया था बशर्ते वे एंटी-बायोटिक चिकित्सा से ठीक नहीं हो रहे हों तो.

आगे चलकर यह पाया गया कि यदि इस आइसोट्रेटिनोइन को उचित मार्गनिर्देशन में नहीं लिया जाए तो गर्भस्त शिशु में जन्मजात दोष पैदा हो सकते हैं.

CDSCO क्या है?

CDSCO अर्थात् केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीनस्थ स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय का एक राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण है.

CDSCO के कार्य

औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम के अनुसार CDSCO इन कार्यों के लिए उत्तरदायी है – नई दवाओं का अनुमोदन, चिकित्सा प्रयोगों का संचालन, औषधियों के लिए मानदंडों का निर्धारण, देश में आयात की गई दवाओं की गुणवत्ता का नियंत्रण तथा राज्य औषधि नियंत्रण संगंठनों को विशेषज्ञ परामर्श देकर उनकी गतिविधियों का समन्वयन.

राज्य नियामकों के साथ CDSCO कुछ विशेष प्रकार की महत्त्वपूर्ण दवाओं, जैसे – I.V. द्रव, टीका, रक्तद्रव आदि के लिए लाइसेंस देने हेतु संयुक्त रूप से उत्तरदायी होता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : MHA authorises 10 central agencies to access any computer resource

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक आदेश निर्गत किया है जिसके द्वारा देश की दस सुरक्षा एवं गुप्त सूचना एजेंसियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अनुश्रवण करने, कोड तोड़ने और हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से किसी भी कंप्यूटर में जमा सूचना तक पहुँच सकते हैं.

ये एजेंसियाँ कौन हैं?

ये दस एजेंसियाँ हैं – गुप्त-सूचना ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व गुप्त-सूचना निदेशालय; केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी कैबिनेट सचिवालय (RAW), गुप्त सूचना निदेशालय (केवल जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर एवं असम के सेवा क्षेत्रों के लिए) तथा पुलिस आयुक्त, दिल्ली.

आदेश के मुख्य तथ्य

  • सरकार ने इन एजेंसियों को कंप्यूटर में जमा सूचना प्राप्त करने का अधिकार दो अधिनियम/नियम के अनुसार दिया है. ये हैं – सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अनुभाग 69/Section 69 तथा सूचना प्रौद्योगिकी प्रक्रिया एवं सुरक्षा नियम, 2009 का नियम 4.
  • इस आदेश में यह प्रावधान किया गया है कि किसी भी ग्राहक अथवा सेवा प्रदाता अथवा कंप्यूटर संसाधन के प्रभार में किसी भी व्यक्ति को इन एजेंसियों को तकनीकी सहायता उपलब्ध करानी होगी.
  • आदेश का अनुपालन नहीं करने पर सम्बंधित व्यक्ति को सात वर्ष की कैद और जुर्माना होगा.

व्यक्त की जा रहीं चिंताएँ

पहले ऐसा होता था कि केवल गतिशील डाटा को ही सरकार जाँच सकती थी किन्तु अब पुनर्जीवित, भंडारित एवं उत्पादित डाटा भी सरकार इन एजेंसियों के माध्यम से देख सकती है क्योंकि इन्हें जब्ती की कार्रवाई करने की भी शक्ति दी गई है. इसका अर्थ यह हुआ कि न केवल बातचीत अथवा ई-मेल अपितु कंप्यूटर में पाया गया कोई भी डाटा, एजेंसियों को उपलब्ध कराना होगा. एजेंसियों को कंप्यूटर आदि को जब्त करने का भी अधिकार होगा. इस प्रकार बिना किसी रोक-टोक के इन एजेंसियों को फ़ोन की बात-चीत और कंप्यूटर के अंदर झाँकने की अथाह शक्ति दे दी है जो बड़ी चिंता की बात है. हो सकता है कि इस शक्ति का दुरूपयोग भी हो.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Govt seeks ₹41,000 crore more for bank recapitalisation

संदर्भ

भारत सरकार ने बीमार चल रहे सरकारी बैंकों को चालू वित्त वर्ष में नई पूँजी के रूप में ₹41,000 करोड़ रुपयों के अनुपूरक अनुदान देने के लिए संसद में एक प्रस्ताव रखा है.

निहितार्थ

  • इस अतिरिक्त पूँजी से पाँच सरकारी बैंकों को PCA ढाँचे (PCA Framework) अर्थात् ससमय सुधारात्मक कार्रवाई ढाँचे से बाहर निकलने में सहायता मिलेगी.
  • ज्ञातव्य है कि सरकार ने वर्तमान वित्त वर्ष में बजट में पुन: पूँजीकरण (recapitalisation) बॉन्डों के द्वारा सरकारी क्षेत्र के बैंकों में ₹65,000 करोड़ डालने का प्रावधान किया था. इस राशि में से ₹42,000 करोड़ आवंटित करना रह गया है. इसके अतिरिक्त सरकार उन बैंकों को ₹41,000 करोड़ और देना चाहती है. यदि सरकार का यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो 31 मार्च, 2019 तक सरकारी बैंकों को कुल मिलाकर ₹83,000 करोड़ मिलेंगे.
  • इतनी राशि उपलब्ध कराने का उद्देश्य है कि जो बैंक PCA ढाँचे के अन्दर अच्छा काम कर रहे हैं वे अपने नियामक पूँजी मानदंडों को पूरा कर सकें और जो बैंक PCA के बाहर हैं वे PCA की दहलीज को पार न करें.

बैंकों के पुन: पूँजीकरण से सम्बंधित चिंताएँ

  • सरकार बैंकों की मुख्य स्वामी होती है. अतः वह पुनः पूँजीकरण के लिए स्वतंत्र है. किन्तु प्रश्न यह है कि यह पूँजीकरण किस कीमत पर होगा, कब तक चलेगा और क्या मात्र पुनः पूँजीकरण से ही काम चल जाएगा?
  • बजट घाटे के कठोर मानदंडों का पालन करने को बाध्य होने के कारण सरकार को बैंकों का पुनः पूंजीकरण करने में समस्या होती है. यह समस्या बढ़ती ही जाती है.
  • सरकार द्वारा पूँजी देने से बैंककर्मी ऋण वसूली के मामले में ढीले पड़ जाते हैं.
  • पुनः पूँजीकरण से यह होता है कि घाटे पर चलने वाले बैंकों के कर्मी उत्साह से काम नहीं करते हैं. दूसरी ओर, जो बैंक लाभ कमा रहे हैं पर जिन्हें पूँजी नहीं मिल रही है, उनके कर्मियों में अच्छा काम करने का उत्साह समाप्त हो जाता है.
  • पुनः पूँजीकरण मूलभूत रूप से एक प्रकार की सब्सिडी है जो लाभ में चलने वाले बैंक घाटे पर चलने वाले बैंकों को देंगे. इस प्रकार अंततोगत्वा कुशलता ही दुष्प्रभावित होती है.

निष्कर्ष

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर यह खतरा मंडरा रहा है कि वे न केवल अपना बाजार शेयर अपितु अपनी पहचान भी खो देंगे. इसके लिए आवश्यक है कि सरकार अत्यंत सटीकता एवं मुस्तैदी से हस्तक्षेप करे. अतः नीति निर्माताओं और बैंकरों को चाहिए कि वे मिल-जुल कर एक ऐसा कारगर विकल्प खोजें जिससे समस्या का समाधान हो और उसकी उपेक्षा न हो.


GS Paper 3 Source: Economic Times

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Topic : NASA Confirms Saturns Rings Will Be Gone in 100 Million Years

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नासा द्वारा किये गये नए अनुसंधानों से इस बात की पुष्टि हुई है कि शनि ग्रह के प्रसिद्ध वलय वोयाजर 1 और 2 द्वारा कई दशकों पहले किये गए प्रेक्षणों के अनुरूप अधिकतम गति से समाप्त हो रहे हैं.

ये वलय कहीं और विलीन नहीं हो रहे हैं अपितु शनि ग्रह इसे अपने गुरुत्वाकर्षण के बल पर अपनी ओर खींच रहा है और इन वलयों के हिम-कण धूल भरी बरसात के रूप में उस ग्रह के चुम्बकीय क्षेत्र से प्रभावित होकर नीचे गिर रहे हैं.

वलयों की संरचना

  • शनि के वलय बालू के कण से लेकर पहाड़ इतने बड़े खण्डों वाले करोड़ों पदार्थों के बने हुए हैं. ये वाले मुख्य रूप से बर्फ के बने हुए हैं. इसके अतिरिक्त इन वलयों में वे चट्टानी धूमकेतु भी शामिल हो गये हैं जो अन्तरिक्ष से होकर गुजर रहे होते हैं.
  • देखने में शनि ग्रह एक अकेले और ठोस छल्ले से घिरा दिखता है पर इससे यदि कोई शौकिया खगोलवेत्ता भी देखेगा तो पायेगा कि इसमें कई अलग-अलग भाग हैं. जैसे-जैसे इन वलयों का पता चला, वैसे-वैसे वर्णक्रम से (alphabetically) इनको नाम दे दिया गया. इस प्रकार ग्रह से सबसे दूर वाले वाले को A और सबसे निकट वाले को C कहा गया. बीच वाले वाले को B कहा जाता है. A और B वलयों के बीच में 4,700 किमी. का अंतराल है जिसे कैसिनी अंतराल (Cassini Division) कहा जाता है.
  • इन वलयों में भी ढेर सारे अंतराल और आकृतियाँ हैं. इनमें से कुछ शनि के ही अनेक छोटे-छोटे चाँदों ने बनाए हैं और अन्य कैसे बने हैं, यह आज तक खगोलवेत्ता जान नहीं पाए हैं.

क्या केवल शनि में ही वलय हैं?

ऐसा नहीं है कि सौर मंडल में मात्र शनि ग्रह में ही वलय हैं. इस प्रकार के वलय वृहस्पति, अरुण एवं वरुण (Jupiter, Uranus और Neptune) ग्रहों में भी हैं, लेकिन उनके वलय बहुत धुंधले हैं. दूसरी ओर, शनि के वलय सबसे अधिक बड़े और सबसे अधिक द्रष्टव्य इसलिए हैं क्योंकि इनकी कुल मोटाई पृथ्वी और चाँद की दूरी (282,000 कि.मी.) की तीन-चौथाई के समतुल्य है.


Prelims Vishesh

Shram Awards 2018 :-

  • हाल ही में केंद्र सरकार ने देश-भर के 40 कर्मियों को प्रधानमंत्री श्रम पुरस्कार देने की घोषणा की है.
  • 1985 से आरम्भ यह पुरस्कार उन कर्मियों को दिए जाते हैं जिन्होंने उत्पादकता, नवाचार एवं स्वदेशीकरण की दिशा में ऐसा उत्कृष्ट योगदान दिया हो जिसके कारण विदेशी मुद्रा की बचत हुई हो.
  • ये पुरस्कार असाधारण और लम्बे समय तक किये गये समर्पित कार्य के लिए भी दिए जाते हैं.
  • इन पुरस्कारों के चार प्रकार हैं –
  1. श्रम रत्न : 2 लाख रु. और एक प्रशस्ति पत्र
  2. श्रम भूषण : 1 लाख रु. और एक प्रशस्ति पत्र
  3. श्रम वीर/श्रम वीरांगना : 60 हजार और एक प्रशस्ति पत्र
  4. श्रम श्री/श्रम देवी : 40 हजार और एक प्रशस्ति पत्र

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