Sansar डेली करंट अफेयर्स, 21 June 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 21 June 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena.

Topic : Summer Solstice

संदर्भ

उत्तरी गोलार्द्ध में 21 जून को ग्रीष्म अयनांत (summer solstice) घटित होता है. इस दिन सूर्य का अयन दक्षिण की ओर होने लगता है और ग्रीष्म ऋतु का आरम्भ हो जाता है. जून 21 किसी भी वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है.

अयनांत किसे कहते हैं?

अयनांत शब्द लैटिन भाषा के शब्द “solstitium” से निकला है, जिसका अर्थ है “स्थिर सूर्य”. इस दिन मकर रेखा पर सूर्य स्थिर प्रतीत होता है. कुछ लोग इस अयनांत को Sun-turn अर्थात् “सूर्य का मुड़ना” यह नाम देते हैं.

Summer-solstice-2019

अयनांत क्यों होता है?

अयनांत एक खगोलीय घटना है जो पृथ्वी के अपनी धूरी से एक ओर झुके रहने के कारण और सूर्य की परिक्रमा के समय इसकी चाल के कारण होती है.

जून के अयनांत के समय पृथ्वी अपनी परिक्रमा के समय ऐसी स्थिति में होती है कि जिसमें उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका हुआ होता है. पृथ्वी से देखने पर सूर्य दोपहर में विषुवत रेखा के उत्तरी भाग में 23 ½ डिग्री हमारे सिरों के ऊपर कर्क रेखा पर स्थित होता है. उत्तर में सूर्य इस बिंदु से अधिक आगे नहीं जा पाता है.

निहितार्थ

ग्रीष्म अयनांत में विषुवत रेखा के उत्तर के सभी भागों में दिन 12 घंटों से अधिक लम्बा होता है, परन्तु इसके ठीक विपरीत दक्षिण गोलार्द्ध में सारे भूभागों में दिन 12 घंटे से छोटे हैं.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Related to health

Topic : Ebola outbreak

संदर्भ

पश्चिम अफ़्रीका में स्थित देश गिनी गणराज्य’ में  इसी वर्ष फरवरी में फैले इबोला प्रकोप (Ebola outbreak) को, हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समाप्त घोषित कर दिया है. इस बार फैले इबोला प्रकोप से ‘गिनी’ में 16 लोग संक्रमित हुए और 12 लोगों की मौत हुई थी.

पृष्ठभूमि

  1. वर्ष 2014-2016 में इबोला प्रकोप से 11,300 लोगों की मौत हुई थी. इनमे से अधिकांश मृत्यु गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया में हुईं.
  2. मई 2021 में, ‘कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य’ (DRC) ने आधिकारिक तौर पर अपने देश में 12वें इबोला प्रकोप के अंत की घोषणा कर दी थी.

EBOLA के बारे में

  1. Ebola वायरस एक जानलेवा वायरस है.
  2. इसका वायरस जंगली जानवरों से इंसान में संक्रमित होता है.
  3. जनता को इस रोग के प्रति जागरूक बनाने, आवश्यक औषधियाँ उपलब्ध कराने और समाज के अन्दर विशेष सावधानी रखने से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है.
  4. यदि रोग को शुरू ही में पकड़ लिया जाए और रोगी खूब पानी पिला जाए तो इस रोग को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता है.
  5. अभी तक इस रोग से लड़ने के लिए कोई कारगर दवा नहीं निकली है.

चिंता का विषय

  • गत 2 वर्षों में कांगो में इबोला वायरस से 2275 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
  • WHO के अनुसार, कांगो और कई अफ्रीकी देश टेस्ट किट और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में यहां संक्रमण के मामलों में अचानक तेज़ी दर्ज की जा सकती है.

GS Paper 3 Source : Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Barrier to cyclone storms: Odisha plans to plant mangroves along its coast

संदर्भ

हाल ही में, ओडिशा सरकार द्वारा समुद्र तटीय क्षेत्र में मैंग्रोव और कैसुरीना का वृक्षारोपण करने के लिए प्रस्ताव रखा गया है. हाल ही में आये चक्रवात यास के दौरान मैंग्रोव वनों ने भितरकणिका राष्ट्रीय उद्यान में चक्रवाती हवाओं के प्रति एक प्राकृतिक अवरोध के रूप में कार्य किया था.

पृष्ठभूमि

ओडिशा, अपनी विशिष्ट भू-जलवायु अवस्थिति के कारण चक्रवात, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखे जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के प्रति काफी सुभेद्य रहता है.

मैंग्रोव क्या होता है?

मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र स्थलीय वनों और जलीय समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों के मध्य एक कड़ी के रूप में कार्य करता है. यह लवण-सहिष्णु वनस्पति है, जो नदियों और ज्वारनदमुखों के अंतर्ज्वारिय क्षेत्रों में उत्पन्न होती है.

मैंग्रोव से प्राप्त होने वाले लाभ

तटीय संरक्षण (Coastal protection): मैंग्रोव वन तटों को मजबूत आधार प्रदान करते हैं तथा तूफान, समुद्री जल धाराओं, तरंगों और ज्वार से होने वाले क्षरण को भी कम करने में सहायता करते हैं.

जलवायु विनियमन (Climate regulation): मैंग्रोव वनों में वस्तुतः स्थलीय वनों (terrestrial forests) की तुलना में चार गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता मौजूद है.

जल निस्यंदन (Water filtration): 2-5 हेक्टेयर मैंग्रोव की सहायता से 4 हेक्टेयर जलीय कृषि (aquaculture) के अपशिष्ट जल का निस्तारण किया जा सकता है.

मत्स्यन (Fisheries): मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में 3000 से अधिक मछलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं.

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme) के नैरोबी अभिसमय (Nairobi Convention) द्वारा पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र के लिए मैंग्रोव पारितंत्र पुनर्स्थापन (Mangrove Ecosystem Restoration) पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इन अभिसमय का उद्देश्य स्वस्थ नदियों, तटों और महासागरों के साथ एक समृद्ध पश्चिमी हिंद महासागरीय क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना है. हालांकि, भारत इस अभिसमय का पक्षकार नहीं है.

मैंग्रोव संरक्षण के उपाय

  • सुंदरबन के कुछ हिस्सों को कानूनी तौर पर राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों (विशेष रूप से बाघ संरक्षण) के रूप में संरक्षित किया गया है.
  • वैज्ञानिकों ने नीदरलैंड की तर्ज़ पर समुद्रतटीय मृदा के कटाव को रोकने हेतु डाइकों (Dikes) के निर्माण का सुझाव दिया है.
  • सुंदरबन को रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत शामिल किया जाना एक सकारात्मक कदम है. यह कन्वेंशन नमभूमि (Wetlands) और उनके संसाधनों के संरक्षण तथा बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढाँचा उपलब्ध कराता है.
  • सुभेद्यता के अनुसार सुंदरबन को विभिन्न उपक्षेत्रों में विभाजित कर प्रत्येक के लिये एक निर्देशित समाधान कार्यक्रम अपनाया जाना चाहिये.
  • इस क्षेत्र में नदियों के अलवणीय जल की मात्रा में वृद्धि के उपाय किये जाने चाहिये.

मानवीय कारणों से होने वाले निम्नीकरण को रोकने के लिये-

  • स्थानीय समुदायों को जागरूक करना एवं उनकी समस्याओं के लिये वैकल्पिक समाधानों को लागू करना.
  • सामान्य पर्यटन की जगह जैव-पर्यटन (Eco-Tourism) को बढ़ावा देना.
  • वनोन्मूलन (Deforestration) पर रोक एवं वनीकरण को बढ़ावा देना.
  • संकटग्रस्त जीवों एवं वनस्पतियों की सुरक्षा को बढ़ावा देना.
  • जैव-तकनीक के माध्यम से मैंग्रोव का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Infrastructure

Topic : Integrated Power Development Scheme

संदर्भ

हाल ही में, भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय की ‘एकीकृत विद्युत विकास योजना’ (इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम) के तहत हिमाचल प्रदेश के सोलन में 50  किलोवॉट पॉवर क्षमता के सोलर रूफ टॉप प्लांट का उद्घाटन किया गया.

यह परियोजना भारत सरकार की ‘शहरी वितरण योजना’ में परिकल्पित सरकार की ‘गो ग्रीन’ (Go Green) पहल को और सुदृढ़ करेगी.

एकीकृत विद्युत विकास योजना (Integrated Power Development Scheme: IPDS)

वर्ष 2015 में विद्युत मंत्रालय द्वारा शहरी क्षेत्रों में विद्युत अवसंरचना में सुधार और विद्युत आपूर्ति में स्मार्ट मीटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली लागू करने हेतु एकीकृत विद्युत विकास योजना (Integrated Power Development Scheme: IPDS) का प्रारंभ किया गया था.

उद्देश्य

इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं :-

  • शहरी क्षेत्रों में उप-पारेषण और वितरण नेटवर्क को दृढ़ करना.
  • शहरी क्षेत्रों में वितरण ट्रांसफार्मर / फीडर / उपभोक्ताओं का मीटरीकरण करना.
  • वितरण क्षेत्र की सूचना प्रौद्योगिकी सक्षमता और पुनर्गठित त्वरित विद्युत विकास एवं सुधार कार्यक्रम (R-APDRP) के अंतर्गत वितरण नेटवर्क को सुदृढ़ता प्रदान करना.

यह योजना समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों (Aggregate Technical & Commercial losses: AT&C) में कमी करने; सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम ऊर्जा लेखांकन/ लेखा परीक्षा प्रणाली की स्थापना करने, मीटर के अनुसार विद्युत्‌ की खपत के आधार पर बिल में गणना की गई ऊर्जा में सुधार और संग्रह दक्षता में सुधार करने में सहायता प्रदान करेगी.


Prelims Vishesh

India’s first international maritime services cluster (IMSC) :-

  • गुजरात मेरीटाइम बोर्ड गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (Gift City) में प्रथम IMSC स्थापित करेगा.
  • गिफ्ट सिटी भारत का एकमात्र स्वीकृत IFSC अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) है, जो गुजरात के गांधीनगर में स्थित है.
  • IMSC को एक समर्पित पारितंत्र के रूप में विकसित किया जाएगा.
  • इसमें बंदरगाह, शिपिंग, लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता और समुचित सरकारी विनियामक शामिल होंगे, जो सभी GIFT सिटी के एक ही भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद हैं.
  • यह समुद्री क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मकता, व्यवसाय करने में सुगमता और आत्मनिर्भरता बढ़ाने में सहायता करेगा.

Ratle Hydroelectric Project :-

  • रतले जलविद्युत परियोजना (Ratle HEP) एक रन ऑफ द रिवर परियोजना है, जो जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर स्थित है.
  • वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच रतले और किशनगंगा (झेलम नदी) परियोजनाओं पर असहमति है.

Jangi Thopan Powari Hydroelectric Project:-

जंगी थोपन पोवारी जलविद्युत परियोजना हिमाचल प्रदेश के किन्‍नौर जिले में सतलुज नदी पर स्थित एक रन ऑफ द रिवर परियोजना है.


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