Sansar Daily Current Affairs, 21 May 2020
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.
Topic : Garbage-free star rating for the cities
संदर्भ
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में कचरा मुक्त शहरों की स्टार रेटिंग के परिणामों की घोषणा की.
रेटिंग से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- इस सर्वेक्षण में 1.19 करोड़ नागरिकों की प्रतिक्रिया, 10 लाख से अधिक संग्रहित छायाचित्रों का मूल्यांकन किया गया था. इसके अतिरिक्त मूल्यांकन करने वाले 1210 लोगों ने 5175 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों का निरीक्षण किया था.
- कुल 141 शहरों की रेटिंग हुई है इनमें छह को पांच स्टार, 65 को तीन स्टार और 70 को एक स्टार प्राप्त हुआ है.
- इसमें छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर, गुजरात के राजकोट, कर्नाटक के मैसूर, मध्यप्रदेश के इंदौर और महाराष्ट्र के नवी मुंबई को फाइव स्टार रेटिंग दी गई है.
- इसके अतिरिक्त हरियाणा के करनाल, नई दिल्ली, आंध्र प्रदेश के तिरुपति और विजयवाड़ा, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़ के भिलाई नगर, गुजरात के अहमदाबाद को तीन स्टार की रेटिंग मिली है.
- वहीं दिल्ली छावनी, रोहतक (हरियाणा), ग्वालियर, वडोदरा, भावनगर उन शहरों में शामिल हैं जिन्हें कूड़ा मुक्त होने के संबंध में एक स्टार प्रदान किया गया है.
आगे की राह
कोविड-19 संकट के कारण सफाई और प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन महत्वपूर्ण है. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर शहरी इलाके में साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए पिछले पांच साल में स्वच्छ भारत मिशन की महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं होती तो वर्तमान (कोविड-19 से पैदा) स्थिति और भी बदतर होती.
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.
Topic : Hotter oceans spawn super cyclones
संदर्भ
‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department- IMD) के अनुसार, चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ (Amphan) बंगाल की खाड़ी का सामान्य से अधिक तापमान के चलते ‘अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान’ (Extremely Severe Cyclonic Storm) का रूप ले सकता है.
मुख्य तथ्य
- वैज्ञानिकों के अनुसार, सुपर साइक्लोन के निर्माण में बंगाल की खाड़ी का सामान्य से अधिक तापमान रहने में ‘लॉकडाउन’ ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
- ‘सुपर साइक्लोन अम्फान’ जो पश्चिम बंगाल की तरफ बढ़ रहा है, वर्ष 1999 के सुपर साइक्लोन के बाद से बंगाल की खाड़ी में आया सबसे तीव्र चक्रवात है.
सुपर साइक्लोन क्या है?
तूफान जिनका निर्माण बहुत तीव्रता से होता है और जिनकी वायु की गति ‘अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान’ की वायु गति से बहुत अधिक हो जाती है, वे सुपर साइक्लोन माने जाते हैं.
चक्रवात की परिभाषा
चक्रवात निम्न वायुदाब के केंद्र होते हैं, जिनके चारों तरफ केन्द्र की ओर जाने वाली समवायुदाब रेखाएँ विस्तृत होती हैं. केंद्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है. फलतः परिधि से केंद्र की ओर हवाएँ चलने लगती है. चक्रवात (Cyclone) में हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत तथा दक्षिण गोलार्द्ध में अनुकूल होती है. इनका आकर प्रायः अंडाकार या U अक्षर के समान होता है. आज हम चक्रवात के विषय में जानकारी आपसे साझा करेंगे और इसके कारण, प्रकार और प्रभाव की भी चर्चा करेंगे. स्थिति के आधार पर चक्रवातों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है –
- उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
- शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclones)
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को कैरबियन सागर में हरिकेन, पूर्वी चीन सागर में टायफून, फिलीपिंस में “बैगयू”, जापान में “टायसू”, ऑस्ट्रेलिया में “विलिबिलि” तथा हिन्द महासागर में “चक्रवात” और “साइक्लोन” के नाम से जाना जाता है.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अधिकतम बारंबारता पूर्वी चीन सागर में मिलती है और इसके बाद कैरिबियन, हिन्द महासागर और फिलीपिन्स उसी क्रम में आते हैं. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रमुख क्षेत्र निम्न्वित हैं –
- उत्तरी अटलांटिक महासागर– वर्ड अंतरीप का क्षेत्र, कैरबियन सागर, मैक्सिको की खाड़ी, पश्चिमी द्वीप समूह.
- प्रशांत महासागर– दक्षिणी चीन, जापान, फिलीपिन्स, कोरिया एवं वियतनाम के तटीय क्षेत्र, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका का पश्चिमी तटीय क्षेत्र.
- हिन्द महासागर– बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, मॉरिसस, मेडागास्कर एवं रियूनियन द्वीपों के क्षेत्र.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएँ
- इनका व्यास 80 से 300 किमी. होता है. कभी-कभी इनका व्यास 50 किमी. से भी कम होता है.
- इसकी औसत गति 28-32 किमी. प्रतिघंटा होती है, मगर हरिकेन और टायफून 120 किमी. प्रतिघंटा से भी अधिक गति से चलते हैं.
- इनकी गति स्थल की अपेक्षा सागरों पर अधिक तेज होती है.
- सामान्यतः व्यापारिक हवाओं के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं.
- इसमें अनेक वाताग्र नहीं होते और न ही तापक्रम सम्बन्धी विभिन्नता पाई जाती है.
- कभी-कभी एक ही स्थान पर ठहरकर तीव्र वर्षा करते हैं.
- समदाब रेखाएँ अल्पसंख्यक और वृताकार होती है.
- केंद्र में न्यून वायुदाब होता है.
- इनका विस्तार भूमध्य रेखा के 33 1/2 उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों तक होता है.
निर्माण संबंधी दशाएँ
- एक विशाल गर्म सागर की उपस्थिति जिसके सतह का तापमान कम से कम 27°C हो.
- सागर के उष्ण जल की गहराई कम से कम 200 मी. होनी चाहिए.
- पृथ्वी का परिभ्रमण वेग उपर्युक्त स्थानों पर 0 से अधिक होनी चाहिए.
- उच्चतम आद्रता की प्राप्ति.
- उच्च वायुमंडलीय अपसरण घटातलीय अपसरण से अधिक होनी चाहिए.
- उध्वार्धर वायुप्रवाह (vertical wind flow) नहीं होनी चाहिए.
- निम्न स्तरीय एवं उष्ण स्तरीय विक्षोभ की उपस्थति.
शीतोष्ण चक्रवात
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात को गर्त चक्र अथवा निम्न दाब क्षेत्र भी कहा जाता है. इनकी उत्पत्ति दोनों गोलार्धों में 30°C – 65°C अक्षांशों के बीच होती है. इन अक्षांशों के बीच उष्ण वायु राशियाँ एवं शीतल ध्रुवीय वायुराशियाँ जब मिलती है तो ध्रुवीय तरंगों के कारण गर्त चक्रों की उत्त्पति होती. इन चक्रवातों की उत्पत्ति के सन्दर्भ में वर्कनीम द्वारा ध्रुवीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया. इस सिद्धांत को तरंग सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है.
एशिया के उत्तर-पूर्वी तटीय भागों में उत्पन्न होकर उत्तर-पूर्व दिशा में भ्रमण करते हुए अल्युशियन व उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तटीय भागों पर प्रभाव डालते हैं. उत्तरी अमेरिका के उत्तर-पूर्वी तटीय भाग से उत्पन्न होकर ये चक्रवात पछुवा हवाओं के साथ पूर्व दिशा में यात्रा करते हैं, तथा पश्चिमी यूरोपीय देशों पर प्रभाव डालते हैं. शीत ऋतु में भूमध्य सागर पर शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात सक्रीय हो जाते हैं.इसका प्रभाव दक्षिणी स्पेन, द.फ़्रांस, इटली, बाल्कन प्रायद्वीप, टर्की, इराक, अफ़ग़ानिस्तान तथा उत्तर-पश्चिमी भारत पर होता है.
प्रमुख विशेषताएँ
- इनमें दाबप्रवणता कम होती है, समदाब रेखाएँ V अकार की होती है.
- जल तथा स्थल दोनों विकसित होते हैं एवं हज़ारों किमी. क्षेत्र पर इनका विस्तार होता है.
- वायुवेग उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से कम होती है.
- अधिकतर शीत ऋतु में उत्पन्न होते हैं.
- तीव्र बौछारों के साथ रुक-रुक कर वर्षा होती है, जो कई दिनों तक चलती रहती है.
- शीत कटिबंधीय चक्रवातों के मार्ग कोझंझा पथ कहा जाता है.
- इसमें प्रायः दो वताग्र होते हैं एवं वायु की दिशा वताग्रों के अनुसार तेजी से बदल जाती है.
प्रति चक्रवात क्या होता है?
प्रतिचक्रवात या विरुद्ध चक्रवात वृताकार समदाब रेखाओं द्वारा घिरा हुआ वायु का ऐसा क्रम होता है जिसके केंद्र में वायुदाब उच्चतम होता है और बाहर की ओर घटता जाता है, जिस कारण हवाएँ केंद्र से परिधि की ओर चलती है. प्रति चक्रवात उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब क्षेत्रों में अधिक उत्पन्न होते हैं मगर भूमध्य रेखीय भागों में इनका पूर्णतः अभाव होता है.
शीतोष्ण कटिबंधी चक्रवातों के विपरीत प्रति चक्रवातों में मौसम साफ़ होता है. प्रतिचक्रवातों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत हैं –
- इनका आकर प्रायः गोलाकार होता है परन्तु कभी-कभी U आकर में भी मिलते हैं.
- केंद्र में वायुदाब अधिकतम होता है और केंद्र तथा परिधि के वायुदाबों के अंतर 10-20 मी. तथा कभी-कभी 35 मीटर होता है. दाब प्रवणता कम होती है.
- आकर में प्रतिचक्रवात, चक्रवातों के अपेक्षा काफी विस्तृत होते हैं. इनका व्यास चक्रवातों की अपेक्षा 75% अधिक बड़ी होती है.
- प्रतिचक्रवात 30-35 किमी. प्रतिघंटा की चाल से चक्रवातों के पीछे चलते हैं. इनका मार्ग व दिशा निश्चित नहीं होता है.
- प्रतिचक्रवात के केंद्र में उच्चदाब अधिक होने के कारण हवाएँ केंद्र से बाहर की ओर चलती है.
- उत्तरी गोलार्ध में इनकी दिशा घड़ी की सुई के अनुकूल (clockwise) एवं दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई के प्रतिकूल (anti clockwise) होती है.
- प्रतिचक्रवात के केंद्र में हवाएँ ऊपर से नीचे उतरती है अतः केंद्र का मौसम साफ़ होता है और वर्षा की संभावना नहीं होती है.
- प्रतिचक्रवात का तापमान, मौसम वायुराशि के स्वभाव एवं आर्द्रता पर आधारित होता है. ग्रीष्म काल में उष्ण वायुराशि के बन्ने के कारण तापमान ऊँचा और जाड़े में ध्रुवीय हवाओं के कारण तापमान नीचा हो जाता है.
- इस चक्रवात में वातगर नहीं बनते हैं.
- चक्रवात के सामान प्रतिचक्रवातों के आगमन की सूचना चंद्रमा या सूर्य के चतुर्दिक प्रभामंडल द्वारा नहीं मिल पाती है. इसके विपरीत प्रतिचक्रवात के नजदीक आते ही आकाश से बादल छंटने लगते हैं, मौसम साफ़ होने लगता है तथा हवा मंद पड़ जाती है.
- प्रतिचक्रवात (पूर्व दिशा में चलाने वाले) के अग्र भाग में हवा की दिशा पश्चिमी होती है तथा अपेक्षाकृत उनकी गति कुछ अधिक होती है. प्रति चक्रवात के पृष्ठ भाग में हवा की दिशा पूर्वी होती है तथा गति मंद होती है. यह वायु प्रणाली शीतल चक्रवातों में होती है. गर्म प्रतिचक्रवातों में वायु प्रणाली अविकसित होती है.
GS Paper 3 Source : Times of India
UPSC Syllabus : Awareness in space.
Topic : What is ‘Solar Minimum’ and why is it happening now?
संदर्भ
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों द्वारा सूर्य की सतह पर होने वाली घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से कमी दर्ज की गई है. वैज्ञानिक भाषा में इसे सोलर मिनिमम का नाम दिया गया है.
सोलर मिनिमम क्या है ?
- सूरज एक ऐसा तारा है जिस पर विद्युत से आवेशित गैसें (प्लाज़्मा) विद्यमान हैं. प्लाज़्मा भिन्न-भिन्न कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान पर अनवरत गति करते रहते हैं.
- भौतिक विज्ञान की एक सामान्य सी अवधारणा कहती है कि यदि विद्युत से आवेशित गैसें या तरंगें किसी निश्चित पैटर्न में गति करें तो चुंबकीय बल पैदा कर देती हैं और इस बल के प्रभाव वाला क्षेत्र चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है. इस प्रकार सूरज पर बहुत सारे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र अस्तित्व में आते रहते हैं.
- सूरज पर जिस तरह गैसें इधर से उधर प्रवाहित होती रहती हैं, आपस में टकराती हैं, घुलती-मिलती हैं. ठीक उसी तरह इनकी गति के कारण पैदा हुए चुंबकीय क्षेत्र भी बहुधा एक-दूसरे से टकराते रहते हैं, एक-दूसरे में उलझ जाते हैं और कुछ अपनी क्षमता से अधिक खिंच जाते हैं. इन सब कारकों के कारण सूर्य पर एक बड़ी हलचल पैदा हो जाती है जो सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और सनस्पॉट जैसी कई सौर घटनाओं को जन्म देती है. इन सभी को ही सामूहिक रूप से सोलर ऐक्टिविटी या सौर गतिविधि कहा जाता है.
सनस्पॉट क्या है?
- सूर्य के अंदरूनी भागों में लगातार नाभिकीय क्रियाएं (संलयन) चलती रहती हैं. इससे जो ऊष्मा मुक्त होती है वह अपने आस-पास वर्तमान गैसों को गर्म कर देती है. ये गैसें अपनी स्वभाविक प्रकृति के चलते ऊपर यानी सतह की ओर उठती हैं जबकि सतह पर मौजूद अपेक्षाकृत ठंडी गैसें नीचे की ओर गति करती हैं. फ़िर एक निश्चित अंतराल के पश्चात् इन गैसों के गुणधर्म बदलने लगते हैं.
- सतह पर पहुंचने वाली गर्म गैसें ठंडी हो जाती हैं और सूरज के गर्भ की गर्मी पाकर ठंडी गैसें गर्म हो जाती हैं और ये पुनः आपस में जगह बदल लेती हैं. इस प्रकार यह घटनाक्रम बिना रुके चलता रहता है.
- परन्तु इस चक्र की वजह से जो चुंबकीय क्षेत्र पैदा होते हैं वे कई बार आपस में उलझकर इतने घने हो जाते हैं कि अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में गैसों के मार्ग को ही अवरुद्ध कर देते हैं. फलस्वरूप सूर्य की सतह पर कुछ भाग ऐसे छूट जाते हैं जहां तक गर्म गैसें पहुंच नहीं पातीं जबकि उनके आस-पास के क्षेत्र में वे अपनी जगह बना लेती हैं.
- इस प्रकार ये भाग अपेक्षाकृत ठंडे रह जाते हैं और काले रंग के धब्बे जैसे नज़र आते हैं. इन्हीं धब्बों को सनस्पॉट कहा जाता है.
- इन्हें सबसे पहले व्यवस्थित ढंग से 1609 में टेलीस्कोप के अविष्कारक गैलिलियो गैलिली और उनके बाद क्रिस्टोफ शायनर ने देखा था.
- ये सनस्पॉट आकार में हमारी पृथ्वी से भी कई गुना बड़े हो सकते हैं. इनका चुंबकीय क्षेत्र भी पृथ्वी से कई हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली होता है. एक बड़े सनस्पॉट का तापमान 3700 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. भले ही यह आंकड़ा भले ही बहुत अधिक लगता है पर सूर्य की सतह के लगभग 5500 डिग्री सेल्सियस तापमान की तुलना में बहुत कम होता है.
चिंता का विषय
चूंकि वैज्ञानिक और शोधकर्ता अभी तक सूरज के अंदरूनी हिस्सों में घटने वाली कई क्रियाओं के विषय में पूरी तरह नहीं जान पाए हैं. इसलिए सूर्य की बाहरी सतह पर होने वाली घटनाओं जैसे कि सनस्पॉट को देखकर ही इस सितारे पर चल रही गतिविधियों का अंदाज लगाया जाता है. लेकिन अब इन सनस्पॉट्स की संख्या में कमी आई है. इसका सीधा अर्थ है कि सूर्य पर उतने चुंबकीय क्षेत्र नहीं बन पा रहे हैं और ऐसा तभी संभव हो सकता है जब प्लाज़्मा का प्रवाह रुकने लग जाए. कुल मिलाकर इस सब को सूर्य पर चलते रहने वाली सौर गतिविधियों के कम हो जाने के इशारे के तौर पर देखा जाता है.
हमें पिछली एक सदी के सबसे गहरे सोलर मिनिमम का सामना करना पड़ सकता है. हमारे सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र बहुत कमजोर हो रहा है. इस बात का एक बड़ा नुकसान यह हो सकता है कि सुदूर ब्रह्मांड से आने वाली जिन कॉस्मिक किरणों को पहले सूरज का चुंबकीय क्षेत्र रोक लिया करता था, वे हमारे सौरमंडल के दूसरे ग्रहों की भाँति अब सीधी पृथ्वी तक भी पहुँचने लगेंगी और यहाँ के चुंबकीय क्षेत्र और जीवों पर विपरीत प्रभाव डाल सकती हैं. इसके अतिरिक्त ये तीक्ष्ण कॉस्मिक किरणें हमारी कई अंतरिक्ष परियोजनाओं को भी क्षति पहुँचा सकती हैं.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Long-term monitoring of tigers, co-predators and prey species in TATR
संदर्भ
महाराष्ट्र के चन्द्रपुर जिले में स्थित ताडोबा अंधारी व्याघ्र आश्रयणी में कितने शिकारी पशु हैं उसका आकलन किया गया था. इसमें पाया गया कि 1,727 वर्ग किलोमीटर में फैली इस आश्रयणी में 2019 में 115 बाघ और 151 तेंदुए थे.
मुख्य निष्कर्ष
- 2018 की तुलना में बाघों की संख्या बढ़ी है, परन्तु उनका आबादी की दृष्टि से घनत्व 5.51 से घटकर 5.23 प्रति 100 वर्ग किलोमीटर हो गया है. ऐसा इसलिए हुआ कि 2019 के सर्वेक्षण में अधिक बड़े क्षेत्र को लिया गया है.
- पूरे चन्द्रपुर जिले में 200 से अधिक बाघ हैं. इस प्रकार महाराष्ट्र के कुल भागों के 2/3 बाघ इसी जिले में रहते हैं.
ताडोबा अंधारी व्याघ्र आश्रयणी
- यह महाराष्ट्र का सबसे पुराना और सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है.
- “तडोबा राष्ट्रीय उद्यान” को “तडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व” के रूप में भी जाना जाता है.
- इसकी स्थापना 1995 में हुई थी.
- यह महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपुर जिले में स्थित है और नागपुर शहर से लगभग 150 किमी दूर है.
- ताडोबा शब्द भगवान “तडोबा” या “तारू” के नाम से लिया गया है, जिसकी प्रशंसा इस क्षेत्र के स्थानीय आदिवासी लोग करते हैं और “अंधारी” इस क्षेत्र में बहने वाली अंधारी नदी के नाम से ली गई है.
- इसके अन्दर दो आश्रयणियाँ आती हैं जिसमें ताडोबा आश्रयणी का विस्तार चिमूर पहाड़ियों में है जबकि अंधारी आश्रयणी मोहरली और कोलसर श्रेणियों में फैली हुई है.
Prelims Vishesh
microRNA :-
- शरीर में स्थित microRNA बिना कोडिंग वाले कण होते हैं जो प्रोटीन में नहीं बदलते.
- ये कण वायरस के आनुवंशिक पदार्थ RNA को काट डालते हैं और इस प्रकार उसके संक्रमण से हमें बचाते हैं.
- microRNA पिछले दिनों इसलिए चर्चा में रहा कि इसकी संख्या बूढों में घट जाती है और इसलिए वे वायरस के शिकार हो जाते हैं.
Aatmanirbhar Gujarat Sahay Yojana :-
- आत्मनिर्भर गुजरात सहाय योजना गुजरात सरकार की एक योजना है जिसके अन्दर छोटे उद्यमियों और अपना रोजगार करने वालों को तीन वर्ष के लिए एक लाख रु. का ऋण दिया जाएगा.
- इस योजना से जो लोग लाभान्वित होंगे, वे हैं – घरेलू नौकर, सब्जी विक्रेता, निर्माण मजदूर और वे व्यक्ति जिनकी आय COVID-19 के तालाबंदी के कारण बंद हो गई है.
International Day of Light :-
- प्रकाश पर आधारित तकनीकों की दैनंदिन जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रतिवर्ष मई 16 को संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस मनाया करता है.
- इस दिवस का आयोजन UNESCO का अंतर्राष्ट्रीय मूलभूत विज्ञान कार्यक्रम करता है जिसका सचिवालय इटली के ट्रियेस्ट में है.
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