Sansar डेली करंट अफेयर्स, 21 September 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 21 September 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Gilgit-Baltistan

संदर्भ

पाकिस्तान द्वारा गिलगित-बल्तिस्तान (G-B) को सभी संवैधानिक अधिकार देकर पूर्ण प्रांत का दर्जा प्रदान करने की योजना निर्मित की जा रही है.

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2018 में पाकिस्तान सरकार ने गिलगित-बल्तिस्तान (G-B) आदेश पारित किया था. इसका उद्देश्य G-B को अपने पांचवें प्रांत के रूप में शामिल करना और इसे पाकिस्तान के शेष संघीय ढांचे के साथ एकीकृत करना था.
  • इससे पूर्व, भारत ने दृढ़तापूर्वक कहा था कि संपूर्ण संघ-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जिसमें गिलगित-बल्तिस्तान के क्षेत्र भी शामिल हैं, भारत के अभिन्न भाग हैं तथा पाकिस्तान या इसकी न्यायपालिका के पास अवैध एवं बलात रूप से अधिकृत किए गए क्षेत्रों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है.
  • वर्ष 1994 के भारत के संसदीय संकल्प में यह पुनर्पुष्टि की गई थी कि यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर राज्य का एक हिस्सा है, जो वर्ष 1947 में इसके अधिग्रहण (विलय) के आघार पर भारत का अभिन्‍न अंग है.
  • G-B जम्मू-कश्मीर की पूर्ववर्ती रियासत का एक हिस्सा था, परन्तु कबीलाई लड़ाकों और पाकिस्तान सेना द्वारा कश्मीर पर आक्रमण के उपरांत वर्ष 1947 के अंत से यह पाकिस्तान के नियंत्रणाघीन है.

गिलगित-बल्तिस्तान का इतिहास

साल 1947 तक भारत-विभाजन के समय गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की तरह ना तो भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का. दरअसल 1935 में जम्मू कश्मीर के महाराजा ने गिलगित का इलाका अंग्रेजों को 60 साल के लिए लीज पर दे दिया था. अंग्रेज़ इस इलाके का उपयोग अपनी सामरिक रणनीति के तहत करते थे और यहाँ की ऊँची पहाड़ियों पर सैनिकों को रखकर आस-पास के इलाके पर नजर रखते थे. अंग्रेजों की गिलगित-स्काउट्स नाम की एक सैनिक-टुकड़ी यहाँ तैनात रहती थी.

विभाजन के समय डोगरा राजाओं ने अंग्रेजों के साथ अपनी लीज डीड को रद्द करके इस क्षेत्र में अपना अधिकार कायम कर लिया. लेकिन गिलगित-स्काउट्स के कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने कश्मीर के राजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया और 1 नवम्बर, 1947 को गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया. इससे कुछ ही दिन पहले 26 अक्टूबर, 1947 को हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर रियासत के भारत में विलय की मंजूरी दे दी थी. गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी की घोषणा करने के 21 दिन बाद ही पाकिस्तान ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया जिसके बाद से 2 अप्रैल, 1949 तक गिलगित-बल्तिस्तान पाकिस्तान के कश्मीर के कब्जे वाला हिस्सा माना जाता रहा. लेकिन 28 अप्रैल, 1949 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ जिसके तहत गिलगित के मामले को सीधे पकिस्तान की केंद्र सरकार के अधीनस्थ कर दिया गया. इस करार को कराँची समझौते के नाम से जाना जाता है.

गिलगित-बल्तिस्तान

  • गिलगित-बल्तिस्तान सात जिलों में बँटा है.
  • दो जिले बल्तिस्तान डिवीज़न में और पाँच जिले गिलगित डिवीज़न में हैं.
  • इस क्षेत्र की अपनी विधानसभा है.
  • पाक-अधिकृत कश्मीर सुन्नी-बहुल है जबकि गिलगित-बल्तिस्तान शिया-बहुल इलाका है.
  • इसकी आबादी करीब 20 लाख है.
  • इसका क्षेत्रफल करीब 73 हजार वर्ग किमी. है.
  • इसका ज्यादातर इलाका पहाड़ी है.
  • यहीं दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी K2 है.
  • इस इलाके की सीमाएँ भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान से मिलती हैं. इसके उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और पूरब में भारत है.
  • पाकिस्तान यह दावा करता है कि वह गिलगित-बल्तिस्तान के नागरिकों के साथ देश के अन्य नागरिकों के जैसा ही व्यवहार करता है. लेकिन स्थानीय लोग पाकिस्तान सरकार पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं.
  • इस वजह से इस इलाके में कई बार आन्दोलन भी हुए. स्थानीय जनता CPEC को पाकिस्तान सरकार की चाल बताती है. लोगों का कहना है कि उनके मानवाधिकार और संसाधन खतरे में है.

भारत का क्या कहना है?

भारत का कहना है कि यह इलाका जम्मू-कश्मीर राज्य का अभिन्न हिस्सा है. भारत जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से को एक अलग पाकिस्तानी प्रांत बनाये जाने का विरोध कर रहा है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान समेत कश्मीर के उन इलाके से भी हटे जहाँ उसने अवैध कब्ज़ा कर रखा है. उधर पाकिस्तान इस इलाके पर अपना कानूनी दावा मजबूत करने की साजिशें रच रहा है. भारत इस इलाके में चीन की गतिविधियों का भी विरोध करता रहा है.

सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण

गिलगित-बल्तिस्तान पाक-अधिकृत इलाके का हिस्सा है. भौगोलिक स्थिति की वजह से यह इलाका सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. पाकिस्तान और चीन से जुड़े होने के कारण यह इलाका भारत के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है. पाकिस्तान और चीन किसी न किसी बहाने इस इलाके में अपने पैर पसारने की कोशिश करते रहे हैं. चीन ने 60 के दशक में गिलगित-बल्तिस्तान होते हुए काराकोरम राजमार्ग बनाया था. इस राजमार्ग के कारण इस्लामाबाद और गिलगित आपस में जुड़ गये. इस राजमार्ग की पहुँच चीन के जियांग्जिग प्रांत के काशगर तक है. इतना ही नहीं, चीन अब जियांग्जिग प्रांत को एक राजमार्ग के जरिये बलूचिस्तान की ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है. इसके जरिये चीन की पहुँच खाड़ी समुद्री मार्गों तक हो जायेगी. चीन गिलगित पर भी अपनी पैठ बनाना चाहता है और इसके लिए वह पाकिस्तान का साथ चाहता है क्योंकि गिलगित पर नियंत्रण के बिना ग्वादर का चीन के लिए कोई मतलब नहीं है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : U.S. keen on finalising BECA at 2+2 dialogue

संदर्भ

अमेरिका, अक्टूबर माह के अंत में होने वाली आगामी भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भारत से एक बुनियादी समझौता, भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौता (Basic Exchange and Cooperation Agreement for Geo-spatial Cooperation-BECA) पर हस्ताक्षर अपेक्षा कर रहा है.

भारत और अमेरिका के बीच बुनियादी समझौते

अब तक, भारत ने अमेरिका के साथ तीन बुनियादी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं :-

  1. लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (Logistics Exchange Memorandum of Agreement- LEMOA)
  2. संगतता और सुरक्षा समझौता (Communications Compatibility and Security Agreement -COMCASA)
  3. सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (General Security of Military Information Agreement- GSOMIA) पर बहुत समय पहले हस्ताक्षर किये गए थे. अंतिम 2+2 वार्ता में GSOMIA का विस्तार करते हुए औद्योगिक सुरक्षा अनुलग्नक (Industrial Security Annex-ISA) के लिए एक विस्तार पर हस्ताक्षर किए गए थे.

BECA क्या है?

यह समझौता भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सैन्य और नागरिक उपयोग दोनों के लिए भू-स्थानिक सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है.

भारत के लिए महत्त्व एवं लाभ

BECA, भारत को भू-स्थानिक खुफिया पर अमेरिकी विशेषज्ञता का उपयोग करने और स्वचालित हार्डवेयर सिस्टम और क्रूज, बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन जैसे हथियारों की सैन्य परिशुद्धता में वृद्धि करने में सक्षम बनाएगा.

2+2 वार्ता क्या होती है?

जून, 2017 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन डी.सी. की यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच इस नए वार्ता प्रारूप पर सहमति हुई थी.

  1. इस वार्ता प्रणाली में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्री भाग लेते हैं.
  2. 2+2 वार्ता ने भारत-अमेरिका व्यापार और वाणिज्यिक मुद्दों हेतु रणनीतिक और वाणिज्यिक संवाद को प्रतिस्थापित किया है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : EXIM Bank

संदर्भ

भारतीय निर्यात-आयात बैंक (Export-Import Bank of India – EXIM Bank) द्वारा किए गए नवीनतम अध्ययन  के अनुसार, चयनित क्षेत्रों में आत्मनिर्मरता से 186 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात- प्रतिस्थापन (import substitution) संभव हो सकता है. इस अध्ययन के अंतर्गत आयात प्रतिस्थापन और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए कुछ चयनित क्षेत्रों की पहचान की गई है.

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अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • दृढ़ और बढ़ती निजी उपभोग मांग के बाद भी देश के सकल मूल्य वर्द्धित (gross value added) में विनिर्माण क्षेत्र का हिस्सा 2019-20 में घटकर 15.1% रह गया है, जबकि वर्ष 2010.11 में यह 18.4% था. फलस्वरूप बढ़ती घरेलू मांग की पूर्ति के लिए आयात पर निर्भरता बढ़ गई है.
  • इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण, मशीनरी, रसायन और संबद्ध क्षेत्रों, औषध क्षेत्र, कुछ कृषि उत्पादों, दुर्लभ मृदा तत्वों आदि जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्मरता को बढ़ावा देना आवश्यक है.
  • भारत द्वारा किए जा रहे कुल आयात में लगभग 39% तथा गैर-तेल आयात में 50% की हिस्सेदारी के साथ इन क्षेत्रों में 186 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का आयात होता है.
  • भारत में नीतिगत सुधारों और औद्योगिक आधारों के विकास में राज्यवार विभेद के कारण देश-भर के औद्योगिक परिवेश में उल्लेखनीय अंतर परिलक्षित होता है.
  • विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित करने की रणनीतियों में अनुसंधान एवं विकास व कौशल विकास को प्रोत्साहित करना, औद्योगिक समूहों को सशक्त बनाना, प्रतिकूल शुल्क संरचना को युक्तियुक्त बनाना, कुशल सीमा शुल्क और बंदरगाह प्रक्रियाओं को विकसित करना, विश्वसनीय मानक तथा प्रमाणन प्रणाली निर्मित करना आदि शामिल हैं.
  • प्रतिकूल शुल्क संरचना (inverted duty structures) -निर्मित उत्पादों की बजाये आगतों (inputs) पर उच्च कर की व्यवस्था को संदर्भित करता है.

एक्ज़िम बैंक (EXIM Bank)

  • एक्ज़िम बैंक ऑफ इंडिया (एक्ज़िम बैंक) की स्थापना एक संसदीय अधिनियम (Act of Parliament) के तहत वर्ष 1982 में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के वित्तपोषण, इसे सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिये शीर्ष वित्तीय संस्थान के रूप में की गई थी.
  • एक्ज़िम बैंक भारत के लिये प्रमुख निर्यात ऋण एजेंसी है. यह बैंक मुख्यतः भारत से किये जाने वाले निर्यात के लिये ऋण उपलब्ध कराता है.
  • भारत के विकासात्मक एवं बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं, उपकरणों, वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के लिये विदेशी खरीदारों और भारतीय आपूर्तिकर्त्ताओं को आवश्यक सहायता देना भी इसमें शामिल है.
  • इसका नियमन भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा किया जाता है.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Glacier retreat in Himalayas to cause water crisis: Study

संदर्भ

हिमालय में हिमनदों के निवर्तन (पीछे हटने) से जल संकट उत्पन्न हो गया है. एक हालिया अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि हिंदूकुश हिमालय (HKH) क्षेत्र में हिमनदों के निवर्तन से सतही जल, भौमजल उपलब्धता और जल सोतों पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न हुआ है.

ज्ञातव्य है कि इसरो (ISRO) के एक पूर्ववर्ती अध्ययन में यह रेखांकित किया गया था कि हिमालय के 75 प्रतिशत हिमनद खतरनाक दर से निवर्तित हो रहे हैं. मौसम में चरम परिवर्तन, वाष्पीकरण में वृद्धि और हिमनदों की मात्रा में परिवर्तन जैसे कारकों के कारण जलवायु तापन (Climate warming) हिंदूकुश हिमालय क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है.

मुख्य निष्कर्ष

  • निवर्तन से अनुप्रवाह वाले क्षेत्रों में जल प्रवाह की परिवर्तनशीलता में वृद्धि होगी.
  • इससे भौमजल पुनर्भरण की दर भी प्रभावित होगी.
  • हिमनदों के पिघलने में प्रत्याशित गिरावट के कारण भौमजल में गिरावट आएगी, जिससे गंगा बेसिन के सर्वाधिक प्रभावित होने की संभावना है.
  • प्रारंभ में, उपलब्ध पिघले हुए जल की मात्रा में वृद्धि होगी, परन्तु हिमनदों में जल का भंडारण कम होने से यह अकस्मात कम हो जाएगा.
  • हिंदूकुश हिमालय क्षेत्र आठ देशों -अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, चीन, भारत, म्यांमार, नेपाल और पाकिस्तान तक विस्तृत है.
  • यह सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र सहित दस प्रमुख एशियाई नदी प्रणालियों का उद्गम स्रोत है.
  • लगभग 3 बिलियन लोग प्रत्यक्ष रूप से हिंदूकुश हिमालय पारितंत्र पर निर्भर हैं, जिनमें सिंचाई, विद्युत्‌ और पेयजल सुविधाएँ शामिल हैं.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : In a first, eight beaches of India recommended for the coveted “Blue Flag” International eco-label

संदर्भ

अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस (International Coastal Clean-Up Day) के अवसर पर भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि देश के आठ समुद्री तटों को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन ब्लू फ्लैग‘(Blue Flag) के लिए अनुशंसित किया गया है. ये आठ समुद्र तट हैं – गुजरात में शिवराजपुर, दमन और दीव में घोघला, कर्नाटक में कासरकोड और पादुबद्री समुद्र तट, केरल में कप्पड़, आंध्र प्रदेश में रशिकोंडा, ओडिशा का गोल्डन समुद्र तट और अंडमान और निकोबार में राधानगर समुद्र तट.

इंटरनेशनल कोस्टल क्लीन-अप डे

  • हर वर्ष सितंबर माह के तीसरे शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस (International Coastal Clean-Up Day) के रूप में चिह्नित किया जाता है. इसे 1986 से मनाया जा रहा है.
  • इस वर्ष 21 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.
  • यह दिवस लोगों को समुद्र तटों को साफ करने, कचरे को हटाने आदि के लिए प्रोत्साहित करता है.

ब्लू फ्लैग कार्यक्रम क्या है?

  • बीचों के लिए अभिकल्पित ब्लू फ्लैग कार्यक्रम का संचालन डेनमार्क के कोपेनहेगन में स्थित “Foundation for Environmental Education (FEE)” नामक एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी और लाभ-रहित संगठन करता है.
  • इसका आरम्भ सबसे पहले 1985 में फ़्रांस में हुआ था. 1987 में जाकर यह कार्यक्रम यूरोप में लागू हुआ और फिर जब इसमें दक्षिण अफ्रीका शामिल हुआ तो 2001 के पश्चात् यह कार्यक्रम यूरोप के बाहर भी कार्यशील हो गया.
  • जापान और दक्षिण कोरिया पूर्व एशिया के एकमात्र ऐसे देश हैं जहाँ ब्लू फ्लैग बीच अस्तित्व में है.
  • 566 बीचों के साथ स्पेन ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र के मामले में शीर्षस्थ देश है.
  • स्पेन के बाद ग्रीस और फ़्रांस का स्थान आता है जहाँ क्रमशः 515 और 395 ऐसे बीच हैं जिन्हें ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र मिला हुआ है.

ब्लू फ्लैग के लिए आवश्यक मानदंड

ब्लू फ्लैग का प्रमाणपत्र लेने के लिए किसी भी बीच में लगभग 33 विशेष गुण होने चाहिएँ. इनमें से मुख्य हैं – ग्रे वाटर के उपचार हेतु संयंत्र, चलंत शौचालय, सौर ऊर्जा संयंत्र, बैठने की सुविधा, CCTV, जल की गुणवत्ता के विशेष मानकों का पूरा होना, कचरा-प्रबंधन की सुविधा, दिव्यांगो के लिए अनुकूल परिवेश होना, प्राथमिक चिकित्सा का प्रबंध, बीच से पालतू पशुओं को दूर रखना. इन मानदंडों में कुछ स्वैच्छिक हैं और कुछ अनिवार्य हैं. परन्तु CRZ कानून यह कहता है कि समुद्र तट और द्वीपों में इस प्रकार का निर्माण-कार्य नहीं करने दिया जाता है.

ब्लू फ्लैग के लिए भारत में चुने गये समुद्र तट

  • भारत के 13 तटों को ब्लू फ्लैग के रूप में अभिप्रमाणन के लिए चुना गया है. इनमें से प्रमुख हैं – घोघला बीच (दिउ), शिवराजपुर बीच (गुजरात), भोगवे (महाराष्ट्र), पदुबिद्री और कसरकोड बीच (कर्नाटक), कप्पड़ बीच (केरल) आदि.
  • ओडिशा के कोणार्क के समीप स्थित चंद्रभागा बीच वह पहला बीच है जिसके लिए टैग अभिप्रमाणन प्रक्रिया पूरी कर ली गई और जो ब्लू फ्लैग पाने वाला एशिया का पहला बीच होने जा रहा है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Technology missions.

Topic : National Technical Textiles Mission

संदर्भ

केंद्र सरकार ने 1480 करोड़ रुपये के कुल परिव्‍यय के साथ देश को तकनीकी वस्त्र (technical textiles) क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी राष्‍ट्र के रूप में स्‍थापित करने की दृष्टि से राष्‍ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन के गठन को अपनी स्‍वीकृति दे दी है. इस मिशन की चार वर्षीय कार्यान्‍वयन अवधि वित्‍तीय वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक होगी.

इस मिशन के चार घटक होंगे :-

अनुसंधान, नवाचार और विकास: इसके अंतर्गत 1000 करोड़ रुपये के परिव्‍यय की योजना तैयार की गई है जिसमें-

  • कार्बन फाइबर, अरामिड फाइबर, नाइलॉन फाइबर और कम्‍पोजिट में शानदार तकनीकी उत्‍पादों के उद्देश्‍य से फाइबर स्‍तर पर मौलिक अनुसंधान और
  • भू-टेक्‍सटाइल, कृषि- टेक्‍सटाइल, चिकित्‍सा-टेक्‍सटाइल, मोबाइल- टेक्‍सटाइल और खेल- टेक्‍सटाइल एवं जैवनिम्‍नीकरण त‍कनीकी टेक्‍सटाइल के विकास पर आधारित अनुसंधान अनुप्रयोग को शामिल किया गया है.

संवर्द्धन और विपणन विकास

  • भारतीय तकनीकी कपड़ा श्रेणी का अनुमानित आकार 16 अरब डॉलर है जो 250 अरब डॉलर के वैश्विक तकनीकी कपड़ा बाजार का लगभग 6 प्रतिशत है.
  • भारत में तकनीकी कपड़ा की पहुंच 5 से 10 प्रतिशत ही है. जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा 30 से 70 प्रतिशत है.
  • इस मिशन का उद्देश्‍य बाजार विकास, बाजार संवर्धन, अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी सहयोग, निवेश प्रोत्साहन और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से सालाना 15 से 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि के साथ घरेलू बाजार के आकार 2024 तक 40 से 50 अरब डॉलर करना है.

निर्यात संवर्धन

  • इसका उद्देश्‍य तकनीकी कपड़ा के निर्यात को बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 20,000 करोड़ रुपये करना है जो वर्तमान में लगभग 14,000 करोड़ रुपये है.
  • साथ ही वर्ष 2023-24 तक प्रति वर्ष निर्यात में 10 प्रतिशत औसत वृद्धि सुनिश्चित करना है.
  • इस श्रेणी में प्रभावी बेहतर तालमेल और संवर्द्धन गतिविधियों के लिए एक तकनीकी कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी.

शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास

  • यह मिशन उच्चतर इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी स्‍तर पर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देगा और इसके अनुप्रयोग का दायरा इंजीनियरिंग, चिकित्सा, कृषि, जलीय कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों तक बढ़ाएगा.
  • कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाएगा और अत्यधिक कुशल मानव संसाधनों का पर्याप्त भंडार तैयार करेगा ताकि अपेक्षाकृत परिष्कृत तकनीकी कपड़ा विनिर्माण इकाइयों की आवश्यकता पूरी की जा सके.

तकनीकी वस्त्र क्या है?

  • तकनीकी कपड़ा वह कपड़ा होता है जिसका निर्माण मुख्य रूप से तकनीकी कामों के लिए होता है न कि साज-सज्जा के लिए.
  • वाहनों (गाड़ियों) में उपयोग में आने वाले वस्त्र, चिकित्सा में उपयोग किये जाने वाले वस्त्र, भू-वसन (geotextiles, तटबन्धों की मजबूती के लिये प्रयुक्त), कृषिवसन (agrotextiles, फसलों की सुरक्षा के लिये प्रयुक्त), सुरक्षा वस्त्र (ऊष्मा एवं विकिरण से सुरक्षा, अग्नि-सुरक्षा) आदि तकनीकी वस्त्र के कुछ उदाहरण हैं.

तकनीकी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा उठाये गये कदम

  • तकनीकी वस्‍त्र उद्योग के विकास तथा उच्‍च गुणवत्‍तापूर्ण विशेष फाइबर के भारत में निर्माण के लिए शोध व अनुसंधान के संबंध में सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. विशेष फाइबर का आयात एक बड़ी चुनौती है. भारत इसे किफायती बनाने के लिए प्रयासरत है.
  • तकनीकी वस्‍त्रों में 530 प्रोटोटाइम नमूनों को पिछले चार वर्षों में पहले ही मंत्रालय में विकसित किए जा चुके हैं; 140 करोड़ रुपये की लागत से 8 उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र स्‍थापित किए गए हैं; पिछले तीन से चार वर्षों में तकनीकी वस्‍त्रों में 22,000 भारतीयों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
  • जमीनी स्‍तर पर करीब 650 सम्‍मेलन और सेमिनार आयोजित किए गए हैं; 11 इन्‍क्‍यूबेशन सेंटर स्‍थापित किए गए हैं; सड़कों, जलाशयों के लिए 40 जियो टैक्‍सटाइल परियोजनाओं और स्‍लोप स्‍टेबीलाइजेशन को हाथ में लिया गया है.
  • ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिससे सुनिश्चित हो कि किसान 54 एग्रोटैक प्रदर्शन केन्‍द्रों में निरूपण के जरिए एग्रोटैक अपनाएं; और रोजमर्रा के कामकाज में एग्रोटैक के इस्‍तेमाल के बारे में किट्स वितरित किए गए हैं.

आगे की राह

तकनीकी वस्त्र को पूरी दुनिया में कई देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनमें विकसित देशों के अलावा कई विकासशील देश भी शामिल हैं. भारत में अभी इसके तकनीकी, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी लाभ उठाए जाने की स्थिति नहीं बनी है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ और पर्यावरण क्षरण की समस्या मौजूद हैं. कुछ इलाकों में बाढ़ प्रबंधन और नियंत्रण के लिए तकनीकी वस्त्रों से बने ट्यूब, कंटेनर और बैग इत्‍यादि का उपयोग किया जा सकता है.


Prelims Vishesh

India-US Defence Technology and Trade Initiative (DTTI) Group Meeting held  :-

  • DTTI एक नम्य तंत्र है जो यह सुनिश्चित करता है कि दोनों राष्ट्रों के वरिष्ठ नेता बढ़ती रक्षा साझेदारी से सम्बद्ध अवसरों और चुनौतियों पर ध्यान केन्द्रित करते रहें.
  • DTTI के लक्ष्यों में शामिल है – द्विपक्षीय रक्षा व्यापार संबंधों पर नेतृत्व का निरंतर ध्यान बना रहे, भारत के रक्षा औद्योगिक आधार को दृढ़ बनाना, तकनीकी सहायता के नए क्षेत्रों का अन्वेषण करना, अमेरिकी-भारतीय व्यापार संबंधों का विस्तार करना.
  • DTTI के अंतर्गत चार संयुक्त कार्य समूह स्थापित किये गये हैं, जो जल, थल, वायु और विमान वाहक पोत से सम्बंधित प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं, जिससे उनके डोमेन के अन्दर पारस्परिक रूप से सहमत परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जा सके.

Djibouti code of conduct/Jeddah amendment (DCOC/JA) :-

  • भारत भी जापान, नोर्वे, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका की भांति DCOC के पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हो गया है.
  • जिबूती आचार संहिता/जेद्दा संशोधन (DCOC/JA) समुद्री मामलों पर एक समूह है, जिसमें लाल सागर, अदन की खाड़ी व अफ्रीका का पूर्वी तट से संलग्न देश तथा हिंद महासागर क्षेत्र के द्वीपीय राष्ट्रों सहित 18 सदस्य देश शामिल हैं.
  • इसका उद्देश्य पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र अदन की खाड़ी और लाल सागर में जहाजों के साथ होने वाली जलदस्युता (piracy) एवं सशस्त्र डकैती का दमन करना है.

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