Sansar Daily Current Affairs, 22 December 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Beti Bachao Beti Padhao
संदर्भ
केंद्र सरकार 2019 की जनवरी के पहले सप्ताह से बेटी बचाओ, बेटो पढ़ाओ विषय पर तीन विशेष राज्यों में क्षेत्र-स्तरीय अभियान का आयोजन करने जा रही है. इस अभियान के तहत महाराष्ट्र के कई जिलों में 900, गोवा में 100 और दादर-नगर हवेली केंद्र-शाषित क्षेत्र में 30 सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP)
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) जनवरी 2015 में आरम्भ की गई थी.
- इस योजना में केंद्र सरकार के कार्यान्वयन में तीन मंत्रालय सहयोग (tri-ministerial effort) करते हैं. ये मंत्रालय हैं – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय.
- इस योजना का उद्देश्य लैंगिक समानता तथा लड़कियों की पढ़ाई के महत्त्व को बढ़ावा देना है.
- योजना का लक्ष्य शिशु लिंग अनुपात में सुधार लाना है. इसके लिए सरकार की ओर से कई क्षेत्रों में सुधारात्मक प्रयास किये जाएँगे, जैसे – लोगों को यह पता लाने से रोकना कि गर्भस्त शिशु लड़की है या लड़का, बच्चियों की शिक्षा को बढ़ावा देना तथा उनको हर प्रकार से सशक्त करना.
योजना की महत्ता और आवश्यकता
1961 से भारत में लगातार शिशु लिंग अनुपात (child sex ratio) गिरता जा रहा है. 1991 में यह अनुपात 945 था जो घटकर 2001 में 927 हो गया और आगे चल कर 2011 में 918 हो गया. यह गिरावट खतरनाक है. लिंग अनुपात की इस गिरावट के कई मूलभूत कारण हैं, जैसे – समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव की परम्परा, लिंग के निर्धारण के लिए उपकरणों का सरलता से उपलब्ध होना, उनका सस्ता होना और उनका दुरूपयोग किया जाना.
शिशु लिंग अनुपात
शिशु लिंग अनुपात (Child Sex Ratio – CSR) 0 से 6 वर्ष के बच्चों में प्रत्येक एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या को कहते हैं. इसलिए इस अनुपात में गिरावट को स्त्रियों की अशक्तता का एक बहुत बड़ा संकेत माना जाता है. यह अनुपात इस सच्चाई को भी प्रतिबिम्बित करता है कि लिंग निर्णय के द्वारा गर्भ में ही बच्चियों के साथ भेद-भाव होता है और उनके जन्म के उपरान्त भी वे भेद-भाव की शिकार होती हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : SDG India Index 2018
संदर्भ
नीति आयोग ने हाल में सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDG) भारत सूचकांक, 2018 का प्रतिवेदन निर्गत किया है जिसमें यह दर्शाया गया है कि सतत विकास लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने की दिशा में भारत के राज्यों और केंद्र-शाषित क्षेत्रों ने अब तक क्या प्रगति की है.
पृष्ठभूमि
- सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक (SDG India Index) को केंद्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टिट्यूट और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर तैयार किया था.
- इस सूचकांक में 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 13 के विषय में किये गये उनके कुल प्रदर्शन के आधार पर भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्र-शाषित क्षेत्र के लिए एक समग्र स्कोर दिया जाता है. यह स्कोर 0 से 100 के बीच में कहीं भी हो सकता है. इस स्कोर से पता चलता है कि दिए गये लक्ष्यों के मामले में इन राज्यों/केंद्र शाषित क्षेत्रों ने क्या औसत प्रगति की है.
- इस सूचकांक का उद्देश्य राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करना है जिससे वे आपस में होड़ करते हुए सतत विकास लक्ष्यों को शीघ्र से शीघ्र पूरा करें.
- सूचकांक का यह लाभ भी है कि इसके आधार पर केंद्र सरकार राज्यों की प्रगति पर तत्क्षण (real-time) निगरानी रख सकती है.
SDG भारत सूचकांक की महत्ता
SDG भारत सूचकांक (SDG India Index) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित लक्ष्यों एवं प्रधानमन्त्री द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किये जा रहे प्रयासों के बीच एक पुल का काम करता है. विदित हो कि प्रधानमंत्री ने “सब का साथ, सब का विकास” का नारा दिया है जिसमें सतत विकास के पाँच वैश्विक लक्ष्यों का कार्यान्वयन शामिल है. ये पाँच लक्ष्य “पाँच P” कहलाते हैं – People, Planet, Prosperity, Partnership and Peace.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- ज्ञातव्य है कि सतत विकास लक्ष्य को भारत के साथ-साथ विश्व के 192 अन्य देशों ने 2015 में अपनाया था. 2018 के सूचकांक के अनुसार भारत को विभिन्न मानदंडों के आलोक में 58 का समग्र स्कोर मिला है. इसका अर्थ यह हुआ कि यह देश निर्धारित लक्ष्यों को लगभग आधे से ज्यादा प्राप्त कर चुका है. जहाँ तक राज्यों का प्रश्न है तो बड़े राज्यों को 42 से लेकर 69 के बीच में स्कोर प्राप्त हुआ है और केंद्र-शाषित क्षेत्रों को 57 से लेकर 68 के बीच का स्कोर मिला है.
- जो तीन राज्य सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में अग्रणी रहे, वे हैं – हिमाचल प्रदेश, केरल और तमिलनाडु.
- केंद्र-शाषित क्षेत्रों में 68 के स्कोर के साथ चंडीगढ़ सबसे आगे रहा.
- तमिलनाडु को 66 का स्कोर मिला. जिन लक्ष्यों के मामले में यह राज्य सबसे ऊपर रहा, वे हैं – निर्धनता उन्मूलन तथा स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा की आपूर्ति.
- केरल राज्य के अच्छे प्रदर्शन के पीछे उसकी ये सफलताएँ हैं – अच्छे स्वास्थ्य की सुविधा, भूखमरी घटाना, लिंगानुपात सुधारना और गुणवत्ता-युक्त शिक्षा की व्यवस्था.
- हिमाचल प्रदेश की सफलता के पीछे ये कार्य रहे – स्वच्छ जल और सफाई की व्यवस्था, असमानता को घटाना तथा पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण.
- जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि केंद्र-शाषित क्षेत्रों में चंडीगढ़ को सबसे अधिक स्कोर मिला. इसका कारण यह था कि उसने स्वच्छ जल और सफाई की सुविधा देने में बहुत ही अनुकरणीय प्रदर्शन किया. इसके अतिरिक्त इन कामों में भी उसकी प्रगति अच्छी रही – सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा का प्रावधान, आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा और गुणवत्ता-युक्त शिक्षा की व्यवस्था करना.
- लैंगिक समानता के मामले में सिक्किम और अंडमान निकोबार एवं चंडीगढ़ जैसे केंद्रशाषित क्षेत्र शीर्षस्थ रहे क्योंकि इनको इस मामले में 50 से अधिक का स्कोर मिला.
- जिन राज्यों को सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है, वे हैं – झारखंड, ओडिशा और नागालैंड.
- यदि अलग-अलग लक्ष्यों को देखा जाए तो पता चलता है कि इन लक्ष्यों में राज्यों की प्रगति सबसे बुरी रही – लैंगिक समानता (36), टिकाऊ शहर और समुदाय का निर्माण (39), उद्योग में नवाचार की सुविधा एवं आधारभूत संरचना (44) तथा भूख का निवारण (48).
सतत विकास लक्ष्य
सतत विकास लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की एक सूची है जिसे 2015 में तैयार किया गया था. इसमें वर्णित 17 लक्ष्यों को 2030 तक सभी सदस्य देशों द्वारा पूरा किया जाना है. ये लक्ष्य हैं –
- गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति
- भूख की समाप्ति,खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करना
- सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करना
- समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना
- लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना
- सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- सस्ती,विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना.
- सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास,पूर्ण और उत्पादक रोजगार, और बेहतर कार्य को प्रोत्साहित करना
- लचीले बुनियादी ढांचे,समावेशी और सतत औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करना
- देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना
- सुरक्षित,लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण
- स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना
- जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना
- स्थायी सतत विकास के लिए महासागरों,समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग
- सतत उपयोग को प्रोत्साहित करने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों,सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना
- सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को प्रोत्साहित करने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेही बनना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके
- सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को दृढ़ बनाना.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : International Whaling Commission (IWC)
संदर्भ
जापान अंतर्राष्ट्रीय तिमिंगल-वध आयोग (International Whaling Commission – IWC) से निकलने की सोच रहा है.
निहितार्थ
यदि जापान इस आयोग से बाहर चला जाता है तो व्हेलों के संरक्षण को लेकर उसे अंतर्राष्ट्रीय आलोचना झेलनी पड़ेगी और व्हेलों को मारने के पक्ष में खड़े और विपक्ष में खड़े देशों के बीच की खाई और चौड़ी हो जायेगी.
पृष्ठभूमि
अंतर्राष्ट्रीय तिमिंगल-वध आयोग ने व्हेलों के मारने पर रोक लगा रखी है. जापान इस रोक का अनुपालन भी करता है. परन्तु “वैज्ञानिक उद्देश्य” बताकर वह प्रत्येक वर्ष सैंकड़ों व्हेलों को मार देता है और इनके मांस की बिक्री भी करता है.
अंतर्राष्ट्रीय तिमिंगल-वध आयोग (IWC)
- अंतर्राष्ट्रीय तिमिंगल-वध आयोग एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जिसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय तिमिंगल-वध विनियमन संधि (International Convention for the Regulation of Whaling – ICRW) के अंतर्गत की गई है. इस संधि पर 1946 में अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में 59 देशों द्वारा हस्ताक्षर किये गये थे.
- इसका मुख्यालय इंग्लैंड के कैंब्रिज नगर के निकट इम्पिन्गटन में है.
- ICRW अपने सभी सदस्य देशों में व्हेलों को मारने से सम्बंधित व्यावसायिक, वैज्ञानिक एवं आदिवासियों द्वारा इनके भक्षण से सम्बंधित प्रथाओं पर नियंत्रण रखता है.
- 1986 में इस आयोग के सदस्यों ने व्हेलों को वाणिज्य के लिए मारने पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह प्रतिबंध अभी भी चालू है.
व्हेल आश्रयणी
- 1994 में IWC ने अन्टार्कटिका महादेश के चारों ओर एक आश्रयणी बनाई थी, जिसका नाम दक्षिणी महासागर व्हेल आश्रयणी (Southern Ocean Whale Sanctuary) रखा गया था. इस आश्रयणी के समूचे क्षेत्र में सभी प्रकार के व्यवसायिक व्हेल-वध को प्रतिबंधित कर दिया गया है.
- इसके अतिरिक्त IWC ने हिन्द महासागर में स्थित लघु-द्वीपीय देश सेशेल्स के पास भी एक व्हेल आश्रयणी घोषित की है जिसे हिन्द महासागर व्हेल आश्रयणी (Indian Ocean Whale Sanctuary) कहा जाता है.
उद्देश्य
- व्हेलों का समुचित संरक्षण सुनिश्चित करना.
- व्हेल वध के उद्योग का व्यवस्थित रूप से विकास करना.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : States’ Start-up Ranking 2018
संदर्भ
औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion – DIPP) ने राज्यों की स्टार्ट-अप रैंकिंग 2018 के परिणाम हाल ही में घोषित कर दिए हैं. ऐसी रैंकिंग पहली बार निकाली गई है.
पृष्ठभूमि
- औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग जनवरी 2016 से राज्यों में स्टार्ट-अप से सम्बंधित पारिस्थितिकी तंत्र की समीक्षा करता आया है.
- इस समीक्षा का मुख्य उद्देश्य था राज्यों/केंद्र-शाषित क्षेत्रों को अपने यहाँ स्टार्ट-अप से सम्बंधित पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए बढ़ कर कदम उठाने हेतु प्रोत्साहन देना. इसके लिए क्षमता विकास पर विशेष बल दिया गया.
- इसका एक अन्य उद्देश्य देश में सहयोगात्मक संघीयता की भावना को आगे बढ़ाना भी है.
- इसके लिए जिन तरीकों को अपनाया गया है, उनका लक्ष्य है राज्यों के बीच में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण तैयार करना और उन्हें अच्छी-अच्छी प्रथाओं को सीखने, अपनाने और साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना.
2018 की राज्य स्टार्ट-अप रैंकिंग
- सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाला राज्य : गुजरात
- अन्य शीर्षस्थ प्रदर्शन करने वाके राज्य : कर्नाटक, केरल, ओडिशा, और राजस्थान.
- अग्रणी राज्य : आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना.
- आगे बढ़ने को इच्छुक राज्य : हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल.
- उभरते हुए राज्य : असम, दिल्ली, गोवा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तराखंड.
- प्रारम्भिक चरण में स्थित राज्य : चंडीगढ़, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम और त्रिपुरा.
- स्टार्ट-अप को बढ़ाने में चैंपियन : केंद्र-प्रशासित क्षेत्रों के उन अधिकारियों को चैंपियन का नाम दिया गया है जिन्होंने अपने-अपने राज्य में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तन्त्र के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Seismic Experiment for Interior Structure (SEIS)
संदर्भ
अमेरिका की अन्तरिक्ष एजेंसी NASA द्वारा मंगल ग्रह को भेजे गये मनाव-रहित अन्तरिक्षयान InSight पिछले महीने उस ग्रह पर सफलतापूर्वक उतर गया था. हाल ही में इसने वहाँ की सतह में भूकम्प का टोह लगाने के लिए अपने मुख्य उपकरण को काम पर लगा दिया है.
यह उपकरण वस्तुतः एक भूकम्प मापक है जिसको एक रोबोटिक बाँह के माध्यम से मंगल की धरती पर अन्तरिक्ष यान से 1.64 मीटर की दूरी पर उतार दिया गया है.
InSight का भूकम्प-मापक उपकरण
InSight के भूकम्प-मापक उपकरण को फ्रांस की अन्तरिक्ष एजेंसी CNES ने बनाया है. यह उपकरण मंगल की सतह पर होने वाली हलचलों – Marsquakes अर्थात् मंगल-भूकम्पों – का अध्ययन करेगा जिससे वैज्ञानिकों को इस विषय में सटीक जानकारी प्राप्त होगी.
भूकम्प-मापक के मुख्य कार्य
- मंगल-भूकम्पों से उत्पन्न तरंगों का अध्ययन करना.
- धूमकेतुओं के गिरने से उत्पन्न तरंगों की जानकारी लेना.
- मंगलग्रह के वायुमंडल में होने वाली गतिविधियों से उत्पन्न धरातलीय कंपन की टोह लेना.
- वहाँ उठने वाली धूल-भरी आँधियों जैसी जलवायवीय घटनाओं के प्रभाव को आँकना.
नासा का InSight Mars Lander मिशन
नासा इस अभियान में एक रोबोटिक geologist भेजा है जो मंगल की खुदाई करके मंगल के तामपान को जानने की कोशिश करेगा. इस मिशन का मुख्य काम मंगल ग्रह की गहरी संरचना के विषय में जानकारी इकठ्ठा करना है. मंगल के सतह, वायुमंडल, आयनमंडल के बारे में वैज्ञानिक पहले से ही जान चुके हैं पर मंगल की सतह के नीचे क्या है, यह अभी भी जानना बाकी रह गया है.
क्या है तकनीक?
- इस मार्स लैंडर में एक सिस्मोमीटर लगा है जो भूकम्प की तीव्रता की जाँच करेगा.
- इसमें एक हीट फ्लो लगा है जो मंगल के सतह से 5 मीटर/16 ft. तक अन्दर जाकर तापमान जानने की कोशिश करेगा.
- इस अन्तरिक्ष यान में एक रेडियो विज्ञान यंत्र भी लगा हुआ है जो मंगल ग्रह की संरचना और बदलावों की जाँच करेगा.
- इस लैंडर में एक थर्मल शील्ड भी लगा है जिसका कार्य पर्यावरण से सिस्मोमीटर को बचाना है.
क्या-क्या खोज करेगा?
- यह InSight Mars Lander मंगल ग्रह की चट्टानों और इस ग्रह का निर्माण कैसे हुआ, यह पता लगाएगा.
- मंगल के rotation track और core के बारे में जानकारी जुटाएगा.
मिशन के लिए मंगल ग्रह ही क्यों?
सौर मंडल के अन्य ग्रहों की तुलना में मंगल न तो बहुत बड़ा है और न ही बहुत छोटा ही है. इसका अर्थ यह हुआ कि मंगल में उसके निर्माण का रिकॉर्ड सुरक्षित है जिससे यह पता लग सकता है कि हमारे ग्रह कैसे बने हैं. सच पूछा जाए तो मंगल ग्रह एक ऐसी उपयुक्त प्रयोगशाला है जिसमें चट्टानी उपग्रहों के निर्माण और विकास का अध्ययन किया जा सकता है. वैज्ञानिकों को पता है कि इस ग्रह में भूवैज्ञानिक गतिविधियाँ उतनी प्रबल नहीं है परन्तु InSight जैसे अन्तरिक्षयान इस सम्बन्ध में अधिक सटीक ज्ञान दे सकेंगे.
InSight Mars Lander Quick Facts
- इसकी लागत 82.88 करोड़ डॉलर है.
- इसकी भार 360 kg. है.
- NASA पहली बार InSight को अमेरिका के पश्चिमी तट से प्रक्षेपित कर रहा है. इससे पहले NASA के ज्यादातर मिशन अमेरिका के पूर्वी तट में स्थित फ्लोरिडा के Kennedy Space Center से छोड़े जाते हैं.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : NABCB Accreditation Secures Recognition in Asia-Pacific Region
संदर्भ
भारत के राष्ट्रीय अभिप्रमाणन निकाय – सत्यापन निकायों हेतु राष्ट्रीय अभिप्रमाणन बोर्ड (National Accreditation Board for Certification Bodies – NABCB)- ने 19 दिसम्बर, 2018 प्रशांत महासागर अभिप्रमाणन सहयोग (Pacific Accreditation Cooperation -PAC) के बहुपक्षीय मानवता समझौते (Multilateral Recognition Arrangement – MLA) पर हस्ताक्षर किये हैं.
NABCB क्या है?
- यह भारतीय गुणवत्ता परिषद् (Quality Council of India) का एक अंगीभूत बोर्ड है जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर सत्यापन/निरीक्षण से सम्बंधित निकायों के अभिप्रमाणन के लिए उत्तरदायी होता है.
- इसके द्वारा निर्यात की जा रही सामग्री को सत्यापित करने के कारण वह सामग्री वैश्विक बाजार में स्वीकार्य हो जाती है क्योंकि इस सत्यापन से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि वह सामग्री अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करती है. इससे भारतीय वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलता है.
- एशियाई प्रशांत क्षेत्र में NABCB के सदृश अन्य दो ही प्रमाणन निकाय हैं. ये दो निकाय हांगकांग और मेक्सिको में है.
- NABCB जिन अंतर्राष्ट्रीय मानकों के पालन की जाँच करता है, वे हैं – ISO/IEC 17021-1 और ISO 45001.
Prelims Vishesh
Cell-by-cell DNA science is ‘Breakthrough of 2018’ :-
- 2018 में मानव के कोषों की वृद्धि में DNA की भूमिका को प्रकट करने वाली नई तकनीकों को अमेरिका की प्रसिद्ध पत्रिका “Science” ने वर्ष की उपलब्धि बताया है.
- आशा की जाती है कि आने वाली दशाब्दियों में इससे बुढ़ापा, उपचार और रोगों की प्रक्रिया की बेहतर समझ हो सकेगी.
Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA
[vc_message message_box_color=”juicy_pink” icon_fontawesome=”fa fa-file-pdf-o”]November, 2018 Sansar DCA is available Now, Click to Download[/vc_message]