Sansar Daily Current Affairs, 22 January 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : H-1B Visa
संदर्भ
नियोक्ता-कर्मचारी संबंध में बदलाव के लिए एक प्रस्तावित H-1B वीजा गैर-आप्रवासी वीजा नियम अब मान्य नहीं होंगे, क्योंकि इन्हें अभी तक फेडरल रजिस्टर में प्रकाशित नहीं किया गया था.
फेडरल रजिस्टर अमेरिकी सरकार का श्वेत पत्र होता है, जिसमें सरकारी एजेंसियों के नियम, प्रस्तावित नियम और सार्वजनिक नोटिस आदि लागू होने से पहले प्रकाशित किए जाते हैं.
वीज़ा के विभिन्न प्रकार
- H1-B वीज़ा: संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक लोगों को H1-B वीज़ा प्राप्त करना आवश्यक होता है. H1-B वीज़ा वस्तुतः ‘इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट’ (Immigration and Nationality Act) की धारा 101(a) और 15(h) के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक गैर-आप्रवासी (Non-immigrants) नागरिकों को दिया जाने वाला वीज़ा है. यह अमेरिकी नियोक्ताओं को विशेषज्ञतापूर्ण व्यवसायों में अस्थायी तौर पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है.
- H-4 वीज़ा: H1-B वीज़ा धारकों के आश्रित परिवार के सदस्यों (पति/पत्नी) को एक H-4 वीज़ा निर्गत किया जाता है जो कि H1-B वीज़ा धारक के साथ उनके प्रवास के अंतराल में अमेरिका में ही रहना चाहते हैं. H-4 वीज़ा के अंतर्गत मुख्य आवेदक H1-B वीज़ा धारक ही होता है. H-4 वीज़ा के लिये परिवार के सदस्य जैसे पति/पत्नी, 21 वर्ष से कम आयु के बच्चे अर्हता प्राप्त कर सकते हैं और अपने देश के ही अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में आवेदन कर सकते हैं.
- H2-B वीज़ा- इस तरह के वीज़ा का आवेदन करने के लिये आवेदन पत्र को श्रम विभाग से प्रमाणित होना चाहिये. यह अस्थाई रोज़गार के लिये निर्गत किया जाता है.
- H-3 वीज़ा- यह वीज़ा प्रशिक्षुओं के लिये निर्गत किया जाता है. जो लोग किसी कार्य के प्रशिक्षण के लिये अमेरिका जाने के इच्छुक हैं वे लोग इस प्रकार के वीज़ा के लिये आवेदन करते हैं.
- L-1 वीज़ा: एक गैर-प्रवासी वीज़ा है जिसके अंतर्गत कंपनियाँ विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में मौजूद अपनी सहायक कंपनियों या फिर मूल कंपनी में रख सकती हैं.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
F-1 वीजा क्या है?
- F-1 वीज़ा एक प्रकार का छात्र-वीज़ा है, जो अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को अमेरिका के किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज, विश्वविद्यालय, उच्च शैक्षणिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय अथवा किसी अन्य शैक्षणिक संस्थान में पूर्णकालिक छात्र के रूप में दाखिला लेने हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति देता है.
- F-1 वीज़ा धारकों को पहले शैक्षणिक वर्ष के दौरान कैंपस के बाहर कार्य करने की अनुमति नहीं दी जाती है, किंतु कुछ शर्तों और प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए वे कैंपस के अंदर कार्य कर सकते हैं. हालाँकि पहले शैक्षणिक वर्ष के बाद छात्र कैंपस के बाहर भी कार्य कर सकते हैं.
M-1 वीजा क्या है?
एम 1 वीजा अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दिया जाने वाला एक गैर-सरकारी वीजा है. यह वीजा प्राय: ऐसे छात्रों को दिया जाता है जो गैर-अकादमिक पाठ्यक्रम में अध्ययन करते हैं, उदाहरण के लिए व्यावसायिक या वोकेशनल कोर्स इत्यादि में.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : Indian military personnel for Moscow soon for S-400 training
संदर्भ
अमेरिका ने यह फिर दुहराया है कि यदि भारत रूसी अल्माज़-अनतेई S-400 ट्रायम्फ स्व-चालित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (SAM) खरीदता है तो उसपर CAATSA कानून लागू हो जाएगा.
पृष्ठभूमि
पिछले वर्ष भारत ने रूस से पाँच S-400 ट्रायम्फ / ‘Triumf’ मिसाइल प्रणालियों के क्रय के विषय में एक समझौता किया था. यह भारत की ओर से रक्षा के क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े सौदों में से एक था.
CAATSA क्या है?
- CAATSA का पूरा रूप है – Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act अर्थात् प्रतिबंधों के माध्यम से अमेरिका के शत्रुओं से निबटने से सम्बंधित अधिनियम.
- यह अमेरिका का एक संघीय अधिनियम है जिसके द्वारा ईरान उत्तरी कोरिया और रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. इस अधिनियम में यह प्रावधान भी है की रूस के साथ रक्षा और गुप्त सूचना प्रक्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण लेनदेन करने वाले देशों पर भी प्रतिबंध लागू किये जा सकते हैं.
- परन्तु भारत के साथ अमेरिका की रक्षा भागीदारी को देखते हुए अमेरिका ने भारत के विरुद्ध CAATSA लगाने नहीं जा रहा है, ऐसा रूस के साथ हुए सौदे पर उसकी नरम प्रतिक्रिया से ज्ञात हो रहा है.
S-400 क्या है?
- यह एक हवाई प्रतिरक्षा प्रणाली है जो आकाश में शत्रु के विमान को धरती पर से ही भेद सकती है.
- यह रूस की सर्वाधिक उन्नत प्रणाली है जो 380 km. दूर स्थित बमवर्षकों, जेटों, मिसाइलों और ड्रोनों को भी नष्ट कर सकती है.
- यह प्रणाली रूस में 2007 से काम कर रही है.
- इस प्रणाली का निर्माण Almaz-Antey ने किया है.
भारत को S-400 क्यों चाहिए?
पड़ोस से भारत को सदैव खतरा रहता है. पाकिस्तान और चीन दोनों से हमें कभी भी सामना करना पड़ सकता है. पाकिस्तान के पास 20 लड़ाकू स्कवॉड्रन (fighter squadrons) हैं जिनके पास उत्क्रमित F-16 के साथ-साथ चीन से लिए गये कई J-17 विमान भी हैं. चीन के पास भी स्वयं 1,700 फाईटर हैं जिनमें 800 4-Gen फाइटर हैं. इसलिए S-400 का सौदा भारत के लिए आवश्यक हो गया था.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Parliament and State legislatures—structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.
Topic : Question Hour
संदर्भ
सरकार द्वारा पिछले मानसून सत्र के दौरान ‘प्रश्नकाल’ (Question Hour) को निलंबित कर दिया गया था, इसके लिए 29 जनवरी से आरंभ होने वाले संसद के बजट सत्र में फिर से प्रारम्भ किया जाएगा.
प्रश्नकाल
सामान्यतया, संसद की बैठक का प्रथम घंटा प्रश्नों के लिए निर्धारित होता है, जिसे प्रश्न काल कहा जाता है. इस दौरान संसद सदस्यों द्वारा मंत्रियों से सरकारी कार्यकलापों और प्रशासन के संबंध में प्रश्न पूछे जाते हैं तथा इस प्रक्रिया द्वारा उन्हें उनके मंत्रालयों की कार्यप्रणाली हेतु उत्तरदायी ठहराया जाता है.
अपवाद: दोनों सदनों में सत्र के प्रत्येक दिन ‘प्रश्नकाल’ आयोजित किया जाता है. किंतु दो दिन इसके अपवाद होते हैं:
- जिस दिन राष्ट्रपति केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों के सांसदों को संबोधित करते है, उस दिन कोई प्रश्नकाल नहीं होता है.
- जिस दिन वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं उस दिन प्रश्नकाल नहीं होता है.
तारांकित प्रश्न क्या है?
सदस्यों को संबंधित मंत्रियों के विशेष संज्ञान के दायरे में लोक महत्व के विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्न पूछने का अधिकार होता है. प्रश्न चार प्रकार के होते है – तारांकित, अतारांकित, अल्प-सूचना और निजी सदस्यों के लिए प्रश्न.
तारांकित प्रश्न वह होता है जिसका सदस्य सभा में मंत्री से मौखिक उत्तर चाहता है और पहचान के लिए उस पर तारांक बना रहता है. संसद सदस्यों द्वारा सदन में मंत्रियों से पूछे गए इस प्रकार के प्रश्नों का मौखिक उत्तर दिया जाता है तथा सदस्य द्वारा उस सम्बन्ध में पूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं.
अन्य प्रकार के प्रश्न
अतारांकित प्रश्नः- अतारांकित प्रश्न वह होता है जिसका लिखित उत्तर सदस्यों द्वारा मांगा जाता है और मंत्री द्वारा सभा पटल पर रखा मान लिया जाता है. इस प्रकार इसे मौखिक उत्तर के लिए नहीं पुकारा जाता है और इस पर कोई अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछा जा सकता.
अल्प सूचना प्रश्नः- अल्प सूचना प्रश्न सदस्य अविलम्बनीय लोक महत्व से संबंधित प्रश्न की सूचना मौखिक उत्तर हेतु दे सकता है और जिसे एक सामान्य प्रश्न हेतु विनिर्दिष्ट 10 दिन की सूचनावधि से कम अवधि के भीतर पूछा जा सकता है. ऐऐ प्रश्न को अल्प सूचना प्रश्न के नाम से जाना जाता है.
निजी सदस्यों के लिए प्रश्नः- ये प्रश्न (लोक सभा मे प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 40 के अधीन) निजी सदस्य को संबोधित भी किए जा सकते हैं बशर्ते कि उस प्रश्न की विषयवस्तु किसी विधेयक, संकल्प या सभा में कार्य संचालन से संबंधित अन्य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी है. ऐसे प्रश्नों से संबंधित प्रक्रिया वही है जो मंत्री को संबोधित प्रश्नों में अपनायी जाती है और इसमें वे परिवर्तन किए जा सकते हैं जैसा अध्यक्ष आवश्यक समझे.
अधिक जानकारी के लिए यह जरुर पढ़ें > संसदीय प्रक्रिया प्रश्नावली
प्रश्नकाल के तुरंत उपरांत का समय शून्यकाल (Zero Hour) होता है अर्थात् यह प्रश्नकाल और कार्यक्रम निर्धारित करने के मध्य का समय होता है. इस दौरान सदस्यों को बिना किसी पूर्व सूचना के मामले प्रस्तुत करने की अनुमति होती है. प्रश्नकाल के समान ही संसदीय प्रक्रिया के नियमों में शून्यकाल का भी उल्लेख नहीं है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Insolvency and Bankruptcy Code
संदर्भ
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय में ‘ऋणशोधन एवं दिवालियापन संहिता’ (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC) की धारा 32A सहित विभिन्न धाराओं की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है.
ऋणशोधन एवं दिवालियापन संहिता (IBC) की धारा 32 A
- आईबीसी की धारा 32A में यह प्रावधान किया गया है कि न्यायायिक प्राधिकरण (Adjudicating Authority) द्वारा समाधान योजना को मंजूरी देने के बाद, कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया प्रारंभ होने के पहले के पहले के अपराधों के लिए कॉरपोरेट देनदार पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा.
- आईबीसी की इस धारा के तरह की समाधान योजना के अंतर्गत सम्मिलित कॉर्पोरेट देनदार की संपत्ति पर कार्रवाई नहीं की जाएगी.
IBC और निगमित दिवालियापन
- IBC को संसद द्वारा 2016 में अधिनियमित किया गया था.
- भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (IBC), 2016 लाने तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का NPA चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुका था. इन चिंताओं को दूर करने के लिये यह कानून बनाया गया और इसे लागू करके इसके अंतर्गत कार्रवाई भी की गई.
- ऋणशोधन एवं दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC), 2016 वर्तमान समय की मांग है, क्योंकि यह व्यक्तियों और निगमों, दोनों के लिये दिवालिया प्रक्रिया को व्यापक और सरल बनाता है.
- इसकी सीमा के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के लोग आते हैं, जिसमें किसानों से लेकर अरबपति व्यवसायी और स्टार्टअप से लेकर बड़े कॉर्पोरेट घराने शामिल हैं.
- ऋणशोधन एवं दिवालियापन संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code – IBC) समयबद्ध दिवाला और शोधन समाधान (लगभग 180 दिनों के अंदर, जैसी भी परिस्थिति हो) प्रदान करता है.
- यदि कोई कंपनी कर्ज़ वापस नहीं चुकाती तो IBC के अंतर्गत कर्ज़ वसूलने के लिये उस कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है.
- इसके लिये NCLT की विशेष टीम कंपनी से बात करती है और कंपनी के प्रबंधन के राजी होने पर कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है.
- इसके बाद उसकी पूरी संपत्ति पर बैंक का कब्ज़ा हो जाता है और बैंक उस संपत्ति को किसी अन्य कंपनी को बेचकर अपना कर्ज़ वसूल सकता है.
- IBC में बाज़ार आधारित और समय-सीमा के अंतर्गत इन्सॉल्वेंसी समाधान प्रक्रिया का प्रावधान है.
- IBC की धारा 29 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई बाहरी व्यक्ति (थर्ड पार्टी) ही कंपनी को खरीद सकता है.
GS Paper 3 Source : Business Standard
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : Budget 2021: Govt likely to target fiscal deficit at 4% of GDP by FY26
संदर्भ
सरकार राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को वर्ष 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद के 4% पर लक्षित कर सकती है.
आवश्यकता
- कोविड-19 महामारी के कारण जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि में संकुचन तथा राजस्व संग्रह और व्यय में एक वृहद् विसंगति होने के कारण राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4% तक संशोधित करने की आवश्यकता है. आगामी कुछ वर्षों के दौरान भी विस्तारवादी नीतियों की माँग के बने रहने की संभावना है.
- इसका तात्पर्य है कि सरकार वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM), 2004 द्वारा निर्धारित जीडीपी के 2.5-5% के दीर्घकालिक मध्यम अवधि के लक्ष्य से विचलन के लिए तैयार है.
- राजकोषीय समेकन की समीक्षा करने के लिए गठित एन.के.सिंह समिति ने राजकोषीय घाटे को वर्ष 2017-18 तक 3% और वर्ष 2023 तक धीरे-धीरे 2.5% तक कम करने (वित्त वर्ष 2021 में 2.8% व 2021-22 में 2.6%) की सिफारिश की थी.
- बाद में, सरकार ने राजकोषीय घाटे को वर्ष 2022-25 (FY23) तक सकल घरेलू उत्पाद के 3.1% तक लाने का लक्ष्य रखा था.
- राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को और अधिक विस्तारित करने के लिए, सरकार को पुन: FRBM अधिनियम में संशोधन करना होगा.
क्या है राजकोषीय घाटा?
- सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. इससे पता चलता है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिये कितनी उधारी की ज़रूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधारी को शामिल नहीं किया जाता है. राजकोषीय घाटा आमतौर पर राजस्व में कमी या पूंजीगत व्यय में अत्यधिक वृद्धि के कारण होता है.
- पूंजीगत व्यय लंबे समय तक इस्तेमाल में आने वाली संपत्तियों जैसे-फैक्टरी, इमारतों के निर्माण और अन्य विकास कार्यों पर होता है. राजकोषीय घाटे की भरपाई आमतौर पर केंदीय बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) से उधार लेकर की जाती है या इसके लिये छोटी और लंबी अवधि के बॉन्ड के जरिये पूंजी बाजार से फंड जुटाया जाता है.
- सैद्धांतिक रूप से, उच्चतर राजकोषीय घाटा एक धीमी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर सकता है. ऐसा लोगों को अधिक धन उपलब्ध करवाकर किया जा सकता है, जो क्रय और निवेश गतिविधियों में धन व्यय कर सकते हैं. हालांकि, दीर्घावधि में राजकोषीय घाटा, आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है.
इसके बारे में विस्तार से पढ़ें > राजकोषीय घाटा
क्या है FRBM कानून?
- उल्लेखनीय है कि देश की राजकोषीय व्यवस्था में अनुशासन लाने के लिये तथा सरकारी खर्च तथा घाटे जैसे कारकों पर नज़र रखने के लिये राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (FRBM) कानून को वर्ष 2003 में तैयार किया गया था तथा जुलाई 2004 में इसे प्रभाव में लाया गया था.
- यह सार्वजनिक कोषों तथा अन्य प्रमुख आर्थिक कारकों पर नज़र रखते हुए बजट प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. FRBM के माध्यम से देश के राजकोषीय घाटों को नियंत्रण में लाने की कोशिश की गई थी, जिसमें वर्ष 1997-98 के बाद भारी वृद्धि हुई थी.
- केंद्र सरकार ने FRBM कानून की नए सिरे से समीक्षा करने और इसकी कार्यकुशलता का पता लगाने के लिये एन. के. सिंह के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था.
मौद्रिक नीति समिति
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी एवं पारदर्शी बनाने के लिये 27 जून, 2016 को किया गया था.
- वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1934 (RBI अधिनियम) में संशोधन किया गया, ताकि मौद्रिक नीति समिति को वैधानिक और संस्थागत रूप प्रदान किया जा सके.
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से तीन सदस्य RBI से होते हैं और अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति केंद्रीय बैंक द्वारा की जाती है.
- रिज़र्व बैंक का गवर्नर इस समिति का पदेन अध्यक्ष होता है, जबकि भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर मौद्रिक नीति समिति के प्रभारी के तौर पर काम करते हैं.
Prelims Vishesh
Floating solar Project (FSP) :-
- विश्व की सबसे बड़ी तैरती हुई सौर परियोजना (600 मेगावाट सौर ऊर्जा) का निर्माण मध्य प्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी पर निर्मित ओंकारेश्वर बांध पर किया जाएगा.
- इस परियोजना के माध्यम से विद्युत उत्पादन वर्ष 2022-23 तक आरंभ हो जाएगा.
- इस परियोजना के अंतर्गत अधिक महत्त्व की भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाता है, परन्तु अधिग्रहित स्थल की लागत 25 से 50% तक अधिक होती है.
- भारत में 57 के अंतर्गत कोलकाता में 10 किलोवाट का संयंत्र, केरल में NTPC द्वारा 190 किलोवाट और ग्रेटर विशाखापत्तनम स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा 2 मेगावाट की परियोजना शामिल है.
In Tunisia, a ‘new generation’ turns to protest :-
- ट्यूनीशियाई युवाओं की एक नई पीढ़ी आर्थिक समस्याओं, सामाजिक असमानता, राजनीतिक भ्रष्टाचार और अन्य समस्याओं को लेकर लगतार विरोध प्रदर्शन कर रही है.
- ट्यूनीशिया को आधिकारिक तौर पर ट्यूनीशिया गणराज्य कहा जाता है, यह देश उत्तरी अफ्रीका के माघरेब क्षेत्र में स्थित है.
- यह दक्षिण-पश्चिम में अल्जीरिया के साथ और दक्षिण-पूर्व में लीबिया के साथ सीमाएं साझा करता है.
Greater Adjutant Stork :-
- बिहार में, ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क के संरक्षण हेतु सामुदायिक भागीदारी से इनकी आबादी वर्ष 2007 में 78 से बढ़कर वर्ष 2020 में लगभग 600 हो गई है.
- इस पक्षी के विश्व में केवल तीन ज्ञात प्रजनन स्थल हैं: जिनमें से 2 भारत में (असम और बिहार) तथा एक कंबोडिया में है.
- IUCN स्थिति: संकटग्रस्त (endangered).
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