Sansar डेली करंट अफेयर्स, 22 March 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 22 March 2019


GS Paper 2 and 4 Source: Indian Express

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Topic : Social Media Platforms Present Voluntary Code of Ethics

संदर्भ

सोशल मीडिया के कुछ मंचों और IMAI अर्थात् भारतीय इन्टरनेट एवं मोबाइल संघ ने भारतीय चुनाव आयोग के समक्ष एक स्वैच्छिक आचार संहिता प्रस्तुत की है जो 2019 के आम चुनाव से सम्बंधित है. इस संहिता को आगे लाने में जिन सोशल मीडिया मंचों के भी नाम हैं, वे हैं – BIGO, ByteDance, Facebook, Google, Sharechat और Twitter. इन सभी का कहना है कि यदि नोडल अधिकारी कानून के अनुसार किसी विषय-वस्तु पर प्रतिबंध चाहेंगे तो वे उसपर कार्रवाई करेंगे.

मुख्य तथ्य

  • संहिता में बताया गया है कि चुनावी प्रक्रिया में भरोसा बढ़ाने तथा धांधली को रोकने के लिए सोशल मीडिया मंच क्या-क्या उपाय हाथ में ले सकते हैं.
  • सोशल मीडिया मंच चुनावी विषयों से सम्बन्धित सूचनाओं को सुलभ बनाने के लिए निर्धारित नीतियों और प्रक्रियाओं का अनुपालन करेंगे और इसके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत को भी ध्यान में रखेंगे.
  • ये मंच भारतीय चुनाव आयोग द्वारा नामित नोडल अधिकारियों के साथ उच्च प्राथमिकता वाली संचार सम्पर्क-व्यवस्था स्वेच्छापूर्वक स्थापित करेंगे.
  • चुनाव आयोग और इन सोशल मीडिया मंचों ने मिलकर एक अधिसूचना व्यवस्था बनाई है जिसके माध्यम से चुनाव आयोग जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुभाग 126 के संभावित उल्लंघनों तथा अन्य विषयों के बारे में अधिसूचना भेजता रहेगा.
  • प्रस्तावित संहिता के अनुसार आयोग से प्राप्त उल्लंघन-विषयक अधिसूचनाओं के प्राप्त होने के तीन घंटे के अंदर सोशल मीडिया मंच उनपर तेजी से कार्रवाई करेंगे.
  • सोशल मीडिया मंचों का यह कर्तव्य होगा कि वे विभन्न दलों अथवा उनके प्रत्याशियों के द्वारा दिए जा रहे विज्ञापनों का पूर्व सत्यापन अवश्य कर ले.

असत्य समाचार किसे कहते हैं?

असत्य समाचार वे समाचार हैं जिन्हें प्रिंट, समाचार मीडिया अथवा इन्टरनेट पर आधारित सोशल मीडिया के माध्यम से जान-बूझकर गलत सूचना देने के लिए तैयार किया जाता है. असत्य समाचार को लिखने और प्रकाशित करने का उद्देश्य लोगों को गुमराह कर आर्थिक अथवा राजनीतिक लाभ उठाना है. ये अधिकतर सनसनीखेज और अतिश्योक्तिपूर्ण होते हैं. इनके शीर्षक जानबूझकर पूर्णतया झूठे बनाए जाते हैं जिससे कि लोगों का ध्यान खींचा जा सके.

असत्य समाचार मतदान को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं. अभी पैसा देकर छपाए हुए समाचारों के लिए निर्वाचन आयोग के कुछ मार्गनिर्देश हैं और सेक्शन 126 में इसके विषय में उल्लेख है परन्तु सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर अभी ऐसा कोई मजबूत कानून नहीं है जिससे असत्य समाचारों पर नियंत्रण रखा जा सके.

असत्य समाचार के खतरे 

राजनैतिक : ऐसे समाचार जनमत को भटकाने अथवा उनके ध्रुवीकरण के लिए प्रकाशित होते हैं. कई ऐसे असत्य समाचार प्रकाशित किये जाते हैं जिससे भारत की छवि को विदेश में कलंकित किया जाता है.

धार्मिक : कुछ असत्य समाचारों में किसी विशेष धार्मिक विचारों की सराहणा होती है और किसी विशेष धर्म की निंदा.

आपराधिक : ऐसे समाचारों में अपराध को सनसनीखेज बनाकर लोगों में व्यर्थ का भय उत्पन्न किया जाता है.

आर्थिक ठगी : असत्य समाचारों का प्रयोग लोगों को आर्थिक झाँसा देने के लिए भी किया जाता है.

असत्य समाचारों को कैसे रोका जाए?

  • असत्य समाचारों को रोकने के लिए स्वतंत्र विश्वसनीय और कारगर प्रेस नियमों की आवश्यकता है.
  • बड़े मीडिया चलाने वालों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया का उपयोग करके सच्चाई को सामना लाएँ और असत्य समाचारों की जाँच-पड़ताल कर उनका खंडन करें.
  • मीडिया के स्वामित्व को नियंत्रित करना भी आवश्यक है. ऐसा कई बार देखा जाता है कि मीडिया के कई मालिक अत्यंत सशक्त हो जाते हैं और समाचारों के एजेंडा को प्रभावित करने लगते हैं.
  • असत्य समाचारों को कानूनी परिभाषा में लाया जाए तथा इसके लिए भारी दंडात्मक प्रावधान लाये जाएँ.
  • असत्य समाचारों से उत्पन्न मामलों के विरुद्ध शिकायतों को दूर करने के लिए एक प्रणाली बनाई जाए तथा ऐसी शिकायतों को दूर करने के लिए पंचाट की व्यवस्था हो.
  • लोगों में डिजिटल मीडिया का ज्ञान बढ़ाया जाए जिससे वे किसी असत्य समाचार की छानबीन स्वयं कर सकें और अपना मंतव्य दे सकें.
  • ऐसे तकनीकी उपाय किये जाएँ जिससे किसी समाचार की विश्वसनीयता को जाँचा जा सके.

Beyond Fake News Project

British Broadcasting Corporation (BBC) ने एक नया अभियान शुरू किया है जिसका उद्देश्य गलत सूचना देने और असत्य समाचार प्रसारित करने की रोकथाम करना है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : International Day of Forests- 21 March

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र ने 21 मार्च 2019 को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाया. यह दिवस पर्यावरणीय स्थिरता और खाद्य सुरक्षा में वनों के महत्त्व और महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाया जाता है. इस साल की थीम है –  ‘वन और शिक्षा’ (Forest and Education).

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के उद्देश्य

  • विश्व वन दिवस का मुख्य उद्देश्य वन संरक्षण के प्रति‍ जागरूकता बढ़ाना तथा वर्तमान और भावी पीढ़ि‍यों के लाभ के लि‍ए सभी तरह के वनों के टि‍काऊ प्रबंध, संरक्षण और टि‍काऊ वि‍कास को सुदृढ़ बनाना है.
  • इसका लक्ष्य लोगों को यह अवसर उपलब्ध कराना भी है कि‍ वनों का प्रबंध कैसे कि‍या जाए तथा अनेक उद्देश्यों के लि‍ए टि‍काऊ रूप से उनका कैसे सदुपयोग कि‍या जाए.
  • इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा स्थानीय स्तर पर वनों के महत्त्व के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

वन की वर्तमान स्थिति

  • आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण पेड़ों की निरंतर कटाई की जा रही है.
  • एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में कुल 7.3 करोड़ एकड़ वन क्षेत्रों का सफाया हुआ है. पेड़-पौधों की दुर्लभ प्रजातियां विलुप्त: विश्व भर में तेजी से हो रही जंगलों की सफाई के कारण पेड़-पौधों की दुर्लभ प्रजातियां और जीव-जंतुओं की दुर्लभ प्रजातियां तेजी से विलुप्त हो रही हैं.
  • इसके अतिरिक्त पेड़ों की निरंतर घटती संख्या से एक ओर जहां ग्लोबल वार्मिंग की समस्या तेजी से बढ़ रही है तो वहीं पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ रहा है.
  • नदियां गर्मियों में सूखने लगी हैं और बारिश में कई जगहों पर बाढ़ की नौबत आ जाती है. कभी बेमौसम बारिश तो कभी भीषण अकाल का सामना करना पड़ रहा है.

पृष्ठभूमि

  • प्रतिवर्ष 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 28 नवम्बर, 2012 को की थी।
  • पहली बार 21 मार्च, 2013 को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाया गया था। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस की थीम “वन व शिक्षा” है।हर साल अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस जो जंगलों और पेड़ों को सुरक्षित रखने के लिए मनाया जाता है.
  • धरती का एक तिहाई भूभाग (विश्व का करीब 31 प्रतिशत भूभाग) वनों से आच्छादित है, जो दुनिया के चारों ओर महत्त्वपूर्ण कार्य करता है. ये वन क्षेत्र 80 प्रतिशत से ज्यादा पशुओं की प्रजाति, पौधों और कीटों के लिए एक घर है.
  • लगभग 1.6 बिलियन लोग, जिसमें लगभग 2000 सभ्यताएं शामिल हैं, वे अपने जीवन के लिए वनों पर निर्भर हैं. वन क्षेत्र आश्रय, रोजगार और इन पर निर्भर रहने वाले समुदायों को सुरक्षा प्रदान करते हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : World Water Day- 22 March

संदर्भ

22 मार्च, 2019 को विश्व जल दिवस मनाया गया.

पृष्ठभूमि

विदित हो कि 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 में अपने ‘एजेंडा 21’ में रियो डी जेनेरियो में इसका प्रस्ताव दिया था. विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है. यह जल संरक्षण के महत्त्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्त्व साफ पीने योग्य जल का महत्त्व आदि बताना है.

विश्व जल दिवस, 2019

वर्ष 2019 के विश्व जल दिवस की थीम है –  ‘किसी को पीछे नहीं छोड़ना’ (Leaving no one behind). इस विषय के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि साफ और स्वच्छ जल सभी का अधिकार है, इससे कोई भी वंचित नहीं रहना चाहिए. प्रत्येक वर्ष विश्व जल दिवस मनाने के लिए एक अलग विषय तय किया जाता है.

भारत में जल की स्थिति

भारत में सालाना लाखों लोगों की मौत दूषित पानी और खराब साफ-सफाई की वजह से होती है. दूषित जल के सेवन की चपेट में आने वाले लोगों के चलते हर साल देश की अर्थव्यवस्था को अरबों रूपये का नुकसान उठाना पड़ता है. छत्तीसगढ़, बुंदेलखंड, बिहार, उड़ीसा के कई हिस्सों से लगातार खबरें आती हैं कि आमलोग दूषित जल के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर हैं.

भारत में दैनिक रूप से वाहन धोने में ही करोड़ों लीटर पानी खर्च हो जाता है. दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है. भारत में महिलाएं पानी के लिए औसतन प्रतिदिन लगभग 6 किलोमीटर का सफर करती हैं.

पृथ्वी पर जल की स्थिति

  • पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग जल से घिरा हुआ है, जबकि 29% भाग पर स्थल है जहाँ मनुष्य और दूसरे प्राणी रहते हैं.
  • पृथ्वी की सतह में सबसे ज्यादा पानी समुद्र में फैला हुआ है. पृथ्वी पर कुल पानी का लगभग 97% पानी समुद्र में पाया जाता है, लेकिन खारा होने के वजह इस पानी को पीने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता.
  • पृथ्वी पर तीन प्रतिशत हिस्से में मौजूद पानी पीने के लायक है जो नदी, तालाबों और ग्लेशियर में पाया जाता है. हालांकि, इस तीन प्रतिशत पानी में भी 2.4 प्रतिशत हिस्सा ग्लेशियर, दक्षिणी ध्रुव पर जमा है, जबकि बचा हुआ 0.6 प्रतिशत पानी नदी, तालाबों, झीलों और कुओं में मौजूद है.

GS Paper 3 Source: Down to Earth

down to earth

Topic : India’s first forest-certification scheme gets global recognition

संदर्भ

भारत के लाभ-रहित संगठन NCCF (Network for Certification and Conservation of Forests) के द्वारा निर्मित सतत वन प्रबंधन प्रणाली को हाल ही में जेनेवा में स्थित लाभरहित संस्था PEFC (Programme for Endorsement of Forest Certification) ने अभिप्रमाणन मानक देने का निर्णय किया है.

विदित हो कि PEFC सतत वन प्रबन्धन के लिए स्वतंत्र तृतीय-पक्षीय अभिप्रमाणन प्रदान करता है.

India’s-first-forest-certification-scheme-gets-global-recognition.jpgNCCF से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • NCCF की स्थापना वन-आधारित उद्योगों, लाभ-रहित संगठनों, वन अंकेक्षकों और सरकारी वन विभागों के प्रतिनिधियों द्वारा इस उद्देश्य से की गई थी कि भारत के वनों, वहाँ के उत्पादों तथा उनके सतत प्रबंधन के अभिप्रमाणन हेतु मानक निर्धारित किये जा सकें.
  • NCCF की वन अभिप्रमाणन योजना का लक्ष्य भारत के वन प्रबन्धन में सुधार लाना है. ज्ञातव्य है कि भारत में वन प्रबन्धन कई समस्याओं से जूझता रहा है, जैसे – वन अधिकार, वन क्षरण, जैव विविधता की हानि, अतिक्रमण, कार्यबल का अभाव आदि.

वन अभिप्रमाणन का महत्त्व

आज सकल विश्व में वन अभिप्रमाणन को वन प्रबन्धन के एक अत्यंत कारगर साधन के रूप में मान्यता मिली हुई है. भारत के वन पर्यावरणिक, आर्थिक एवं सामाजिक उद्देश्यों को पूरा करते हैं और साथ ही 275 मिलियन वन-निर्भर लोगों को जीविका भी प्रदान करते हैं. अतः वन की इस महती भूमिका को और विस्तारित करने के लिए अभिप्रमाणन की आवश्यकता है.

वन अभिप्रमाणन क्या है?

वन अभिप्रमाणन वनों एवं वनों के बाहर स्थित जंगलों के सतत प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रदान किया जाता है. यह बाजार पर आधारित और गैर-नियामक संरक्षण का साधन है. इसके लिए रियो अर्थ समिट के पश्चात् 1990 के दशक में एक वैश्विक आंदोलन का सूत्रपात हुआ था. कई विकसित देश बिना अभिप्रमाणित इमारती, गैर-इमारती वन उत्पादों एवं काष्ठ-आधारित वस्तुओं को अपने यहाँ घुसने नहीं देते. इसलिए यदि इन वस्तुओं का निर्यात करना है तो यह आवश्यक हो गया है कि उन पर सतत वन प्रबन्धन प्रमाणपत्र लगे हुए हों.


GS Paper 3 Source: Economic Times

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Topic : Voluntary retention route for foreign portfolio investors

संदर्भ

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए एक स्वैच्छिक संधारण मार्ग बनाया गया है जिसे स्वैच्छिक संधारण मार्ग (Voluntary Retention Route –VRR) का नाम दिया गया है. इसका उद्देश्य FPI (foreign portfolio investors) निवेशकों को भारत के ऋण बाजार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन देना है. यह मार्ग उनके प्रयोग में आ रहे वर्तमान नियमित मार्ग के अतिरिक्त होगा.

इससे ऋण बाजार में FPI के दीर्घकालिक और स्थिर निवेश प्राप्त होंगे तथा उनके निवेशों के संचालन में लचीलापन भी आएगा.

पृष्ठभूमि

विदित हो कि स्वैच्छिक संधारण मार्ग की परिकल्पना अक्टूबर 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने उस समय किया था जब डॉलर की तुलना में रूपया बहुत तेजी से कमजोर हो रहा था. उस समय अर्थव्यस्था में अधिक डॉलर लाने और रुपये को स्थिर करने के लिए विशेष NRI बांड योजना की चर्चा चल रही थी.

निवेश का यह मार्ग नियमित मार्ग से अलग कैसे?

FPI द्वारा ऋण बाजार में नियमित मार्ग से जो निवेश किया जाता है इसके लिए कई शर्तों का पालन करना आवश्यक होता है. इन शर्तों को मैक्रो-प्रूडेंशियल और नियामक प्रिस्क्रिप्शन कहा जाता है. VRR के माध्यम से निवेश करने पर निवेशक को इन सब से मुक्ति मिल जाती है बशर्ते कि वह इस बात के लिए स्वैच्छिक रूप से तैयार हो जाए कि वह अपनी पसंद की अवधि के लिए भारत में अपने निवेश का एक अपेक्षित न्यूनतम प्रतिशत अंश बनाए रखे. विदित हो कि यह संधारण समय न्यूनतम तीन वर्ष का होगा अथवा उस अवधि के लिए होगा जिसका निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक करे.

VRR मार्ग से कितनी राशि का निवेश हो सकता है?

VRR मार्ग दो प्रकार के होते हैं – VRR गवर्नमेंट और VRR CORP. VRR गवर्नमेंट मार्ग चुनने वाला निवेशक 40,000 करोड़ रू. का तथा VRR CORP मार्ग का चयन करने वाला निवेश 35,000 करोड़ रू. प्रतिवर्ष तक निवेश कर सकता है. मैक्रो-प्रुडेंशियल कारणों से एवं निवेश की माँग के मूल्यांकन के आधार पर ये सीमाएँ समय-समय पर बदली भी जा सकती हैं.

VRR निवेशकों के लिए अन्य सुविधाएँ

इस मार्ग से निवेश करने वाले FPI अपने नकद प्रबंधन करने के लिए रेपो में भागीदार हो सकते हैं बशर्ते कि रेपो के अन्दर उधारी में ली और दी गई राशि कुल निवेश के 10% से अधिक न हो. ये निवेशक किसी नकद अथवा ब्याज दर के डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट, OTC अर्थात् विनिमय व्यापार के इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से अपनी ब्याज दर अथवा नकद के जोखिम को सम्भालने के लिए भागीदारी कर सकते हैं.


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