Sansar Daily Current Affairs, 22 May 2020
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Konark Sun Temple
संदर्भ
20 मई, 2020 को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोणार्क शहर और कोणार्क सूर्य मंदिर को पूर्ण रूप से सोलराइज करने की योजना शुरू की.
मुख्य तथ्य
कोणार्क शहर में ऐतिहासिक सूर्य मंदिर को विकसित करने के लिए यह योजना शुरू की गई है. साथ ही, यह योजना कोणार्क शहर को सूर्य नगरी में विकसित करेगी. यह कार्य सूर्य मंदिर और सौर ऊर्जा के आधुनिक उपयोग के बीच तालमेल का संदेश देगा. इस योजना का मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है.
योजना की मुख्य विशेषताएँ
- इस योजना में 10 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड सौर परियोजना स्थापित की जाएगी.
- यह बैटरी भंडारण के साथ सौर पेयजल कियोस्क, सोलर ट्री और ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा संयंत्रों जैसे अनुप्रयोगों को भी आनावृत करेगा.
- इस परियोजना का कार्यान्वयन ओडिशा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी द्वारा किया जाएगा.
कोणार्क सूर्य मंदिर से सम्बंधित जानकारियाँ
- यह मंदिर 13वीं शताब्दी में गंग वंश के महान राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनाया था.
- इसकी आकृति विशाल सूर्य देवता के विशाल रथ के समान है जिसमें अतिशय कलात्मकता के साथ बने पहियों के 12 जोड़े हैं. इस रथ को सात घोड़ों द्वारा खींचते हुए दिखाया गया है.
- कोणार्क सूर्य मंदिर कलिंग स्थापत्य का एक सटीक उदाहरण है.
- यह समुद्र तट के पास है. यहाँ समुद्र तट की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है.
- ओडिशा राज्य तीन महान मंदिरों के लिए जाना जाता है. इन मंदिरों को स्वर्णिम त्रिभुज कहा जाता है. इस त्रिभुज के अन्दर आने वाले दो अन्य मंदिर हैं – पुरी का जगन्नाथ मंदिर और भुबनेश्वर का लिंगराज मंदिर.
- कोणार्क मंदिर का रंग काला है. अतः इसे Black Pagoda भी कहते हैं. विदित हो कि जगन्नाथ मंदिर का एक अन्य नाम White Pagoda भी है.
- शतियों से ओडिशा आने वाले नाविकों के लिए कोणार्क मंदिर एक लैंडमार्क रहा है.
- कोणार्क हिन्दुओं के लिए एक बड़ा तीर्थ भी है जहाँ प्रतिवर्ष लोग फ़रवरी में आकर चन्द्रभागा मेले में आते हैं.
- यह मंदिर 1984 में अपने महान स्थापत्य, सूक्ष्म कलाकृतियों एवं प्रचुर मूर्ति शिल्पों के लिए UNESCO के द्वारा विश्व धरोहर स्थल की सूची में सम्मिलित किया गया था.
- प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 (Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains (AMASR) Act) और इसकी नियमावली (1959) के द्वारा यह मंदिर भारतीय राष्ट्रीय संरचना (National Framework of India) के रूप में संरक्षित है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Schemes for the vulnerable sections of the society.
Topic : Emergency Credit Line Guarantee Scheme (ECLGS)
संदर्भ
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने निम्नलिखित स्वीकृति दी है :-
- मंत्रिमंडल ने योग्य MSME और इच्छुक मुद्रा कर्जदारों को तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग के लिए ‘आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना’ को स्वीकृति दी. योजना के अंतर्गत, राष्ट्रीय क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा योग्य MSME और इच्छुक कर्जदारों को गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन (जीईसीएल) सुविधा के रुप में तीन लाख रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग के लिए 100% गारंटी कवरेज उपलब्ध कराई जाएगी.
- इस उद्देश्य के लिए भारत सरकार द्वारा वर्तमान और आगामी तीन वित्तीय वर्षों के लिए 41,600 करोड़ रुपय की राशि उपलब्ध कराई जाएगी.
- मंत्रिमंडल ने यह भी स्वीकृति दी कि यह योजना जीईसीएल सुविधा के अंतर्गत इस योजना की घोषणा की तारीख से लेकर 31.10.2020 की अवधि में स्वीकृत सभी कर्जों या जीईसीएल के तहत 3,00,000 करोड़ रुपये तक की कर्ज राशि की स्वीकृति, इनमें से जो पहले हो, पर लागू होगी.
विवरण
- आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) को कोविड-19 और इसके बाद लॉकडाउन के कारण बनी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के एक निर्दिष्ट उपाय के रुप में बनाया गया है. इससे MSME क्षेत्र में विनिर्माण और अन्य गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
- इस योजना का उद्देश्य आर्थिक परेशानी झेल रही MSME को पूरी गारंटी युक्त आपातकालीन क्रेडिट लाइन के रुप में तीन लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त फंडिंग उपलब्ध कराते हुए उन्हें राहत दिलाना है.
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं यानी बैंकों, वित्तीय संस्थानों (FI), और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) को कोविड-19 संकट की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे MSME कर्जदारों को देने के लिए उनके पास अतिरिक्त फंडिंग सुविधा की उपलब्धता बढ़ाना है. उन्हें कर्जदारों द्वारा जीईसीएल फंडिंग का पुनर्भुगतान नहीं किए जाने की वजह से होने वाले किसी नुकसान के लिए 100% गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी.
इस योजना में शामिल प्रमुख विशेषताएँ
- योजना के अंतर्गत जीईसीएल फंडिंग के लिए वे सभी MSME योग्य होंगे जिनका बकाया ऋण 29.02.2020 को 25 करोड़ रुपये तक जो इस तारीख तक पिछले 60 दिनों तक या उससे कम दिनों तक बकाया यानी नियमित एसएमए 0 और एसएमए 1 खातों या जिनका एक करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार हो.
- योग्य MSME कर्जदारों को जीईसीएल फंडिंग की राशि या तो अतिरिक्त सक्रिय पूंजी मियादी ऋण (बैंकों और वित्तीय संस्थानों के मामले में) या मियादी ऋण (एनबीएफसी के मामले में) के रुप में उनके 29 फरवरी, 2020 को 25 करोड़ रुपये तक की कुल बकाया राशि का 20 फीसदी ही होगी.
- ईसीएलजीएस के अंतर्गत जीईसीएल के जरिए की जाने वाली पूरी फंडिंग एनसीजीटीसी द्वारा सदस्य ऋणदात्री संस्थाओं को 100 फीसदी क्रेडिट गारंटी के साथ होगी.
- योजना के अंतर्गत ऋण की अवधि 4 साल होगी और इसकी अधिस्थगन अवधि मूलधन पर एक साल होगी.
- योजना के अंतर्गत एनसीजीटीसी द्वारा सदस्य ऋणदाता संस्थानों से कोई भी गारंटी राशि नहीं ली जाएगी.
- योजना के अंतर्गत ब्याज दर बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के लिए अधिकतम 9.25 फीसदी और गैर- वित्तीय संस्थाओं के लिए अधिकतम 14 फीसदी होगी.
क्रियान्वयन कार्यक्रम
यह योजना जीईसीएल सुविधा के अंतर्गत इस योजना की घोषणा की तारीख से लेकर 31.10.2020 की अवधि में स्वीकृत सभी कर्जों या जीईसीएल के अंतर्गत 3,00,000 करोड़ रुपये तक की कर्ज राशि की स्वीकृति, इनमें से जो पहले हो, पर लागू होगी.
प्रभाव
योजना को कोविड-19 और इसके बाद लॉकडाउन की वजह से बनी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के एक निर्दिष्ट उपाय के रुप में बनाया गया है. इससे MSME सेक्टर में विनिर्माण और अन्य गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन में MSME की अहम भूमिका को देखते हुए, प्रस्तावित योजना से MSME क्षेत्र को सदस्य ऋणदाता संस्थानों के जरिए कम ब्याज दर पर 3 लाख करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त ऋण मुहैया कराने से काफी राहत मिलेगी और इस तरह MSME को अपनी संचालन उत्तरदायित्वों को पूरा करने और व्यापार को फिर से शुरू करने में मदद मिलेगी. मौजूदा अप्रत्याशित माहौल में अपना कामकाज जारी रखने में योजना के तहत MSME को मदद देने से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा और इसे पुनर्जीवित करने में सहायता मिलेगी.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes.
Topic : Pradhan Mantri Vaya Vandan Yojana (PMVVY)
संदर्भ
देश के वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) के लेकर मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. सरकार ने इस योजना की अवधि बढ़ा दी है और इसमें निवेश पर मिलने वाले ब्याज की दर में कटौती कर दी है.
मुख्य संशोधन
- वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और वृद्धावस्था आय सुरक्षा से जुड़ी प्रधानमंत्री वय वंदना योजना की अवधि को अगले 3 साल के लिए बढ़ा दी गई है. यह योजना अब 31 मार्च, 2023 तक जारी रहेगी.
- PMVVY योजना के अंतर्गत प्रतिमाह 1000 रुपए की न्यूनतम पेंशन (सालभर के लिए) धनराशि प्राप्त करने के लिए 1,62,162 रुपए तक के न्यूनतम निवेश को संशोधित किया गया है.
- इसमें मिलने वाली वार्षिक प्रतिफल की दर 8% से घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दी गई है.
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना क्या है?
- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना का वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा 21 July, 2017 को आधिकारिक रूप से सूत्रपात किया गया. इस योजना से 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के नागरिक लाभान्वित होंगे.
- इस योजना को 4 मई, 2017 को खोला गया था और अब तक कई लोग इससे जुड़ चुके हैं.
- इस पॉलिसी की अवधि 10 वर्ष की होगी.
- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के अंतर्गत 10 वर्ष तक प्रतिवर्ष 7.4% का प्रतिलाभ सुनिश्चित किया गया है, जो हर माह दिया जायेगा.
- प्रतिलाभ पाने के लिए पेंशनधारी अपना समय चुन सकता है अर्थात् वह चाहे तो मासिक/त्रैमासिक/अर्धवार्षिक अथवा वार्षिक अवधि पर प्रतिलाभ पाने का विकल्प दे सकता है.
- यह योजना Service Tax/GST से मुक्त है.
- यदि पॉलिसी के 10 वर्ष पूरे हो गए और पेंशनर जीवित रह गया तो उसको क्रय-राशि के साथ-साथ अंतिम पेंशन क़िस्त प्राप्त हो जायेगा.
- इस पालिसी पर ऋण भी उठाया जाया सकता है. किन्तु इसके लिए पॉलिसी के तीन वर्ष पूरा हो जाना आवश्यक है.
- इस बीमा योजना से पेंशनधारी बीच में ही हट सकता है यदि वह या उसकी पत्नी किसी प्राणान्तक रोग से ग्रस्त हो गए हों. ऐसी दशा में उसको क्रय-राशि का 98% लौटा दिया जायेगा.
- यदि पेंशनधारी 10 वर्ष के अन्दर मृत्यु को प्राप्त हो गया तो क्रय राशि उसके nominee को मिलेगा.
- Life Insurance Coorporation से इस प्लान को ऑफलाइन या ऑनलाइन ख़रीदा जा सकता है >> https://eterm.licindia.in/Jaonline/pages/fpagevarishta.jsp
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Food processing.
Topic : Scheme for formalization of Micro Food Processing Enterprises (FME)
संदर्भ
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 10,000 हजार करोड़ रूपए के परिव्यय के साथ अखिल भारतीय स्तर पर असंगठित क्षेत्र के लिए एक नई केन्द्र प्रायोजित “सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक रूप देने की योजना (एफएमई)” को स्वीकृति दे दी है. इस व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा.
योजना का उद्देश्य
- सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों के द्वारा वित्त अधिगम्यता में वृद्धि
- लक्ष्य उद्यमों के राजस्व में वृद्धि
- खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का अनुपालन
- समर्थन प्रणालियों की क्षमता को सुदृढ़ बनाना
- असंगठित क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में पारगमन
- महिला उद्यमियों और आकांक्षापूर्ण जिलों पर विशेष ध्यान
- अपशिष्ट से धन अर्जन गतिविधियों को प्रोत्साहन
- जनजातीय जिलों लघु वन उत्पाद पर ध्यान
मुख्य विशेषताएँ
- केन्द्र प्रायोजित योजना. व्यय को 60:40 के अनुपात में भारत सरकार और राज्यों के द्वारा साझा किया जाएगा.
- 2,00,000 सूक्ष्म-उद्यमों को ऋण से जुड़ी सब्सिडी के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी.
- योजना को 2020-21 से 2024-25 तक के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु कार्यान्वित किया जाएगा.
- समूह दृष्टिकोण
- खराब होने वाली वस्तुओं पर विशेष ध्यान
व्यक्तिगत सूक्ष्म इकाईयों को सहायता
- 10 लाख तक के लागत वाली वैध परियोजना के सूक्ष्म उद्यमों को 35 प्रतिशत की दर से ऋण से जुड़ी सब्सिडी मिलेगी.
- लाभार्थी का योगदान न्यनतम 10 प्रतिशत और ऋण का शेष होगा.
एफपीओ/एसएचजी/क़ोओपरेटिव को सहायता
- कार्यशील पूँजी और छोटे उपकरणों के लिए सदस्यों हेतु ऋण के लिए एसएचजी को प्रारंभिक पूँजी
- अगले/पिछले लिकेंज, सामान्य बुनियादी ढ़ाचे, पैकेजिंग, विपणन और ब्रांडिंग के लिए अनुदान
- कौशल प्रशिक्षण एवं हैंडहोल्डिंग समर्थन
- ऋण से जुड़ी पूँजी सब्सिडी
कार्यान्वयन कार्यक्रम
- योजना को अखिल भारतीय स्तर पर प्रारंभ किया जाएगा.
- ऋण से जुड़ी सहायता सब्सिडी 2,00,000 इकाईयों को प्रदान की जाएगी.
- कार्यशील पूँजी और छोटे उपकरणों के लिए सदस्यों हेतु ऋण के लिए एसएचजी को (4 लाख रूपए प्रति एसएचजी) की प्रारंभिक पूँजी दी जाएगी.
- अगले/पिछले लिकेंज, सामान्य बुनियादी ढ़ाचे, पैकेजिंग, विपणन और ब्रांडिंग के लिए एफपीओ को अनुदान प्रदान किया जाएगा.
प्रशासनिक और कार्यान्वयन तंत्र
- इस योजना की निगरानी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (आईएमईसी) के द्वारा केन्द के स्तर पर की जाएगी.
- मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य/संघ शासित प्रदेशों की एक समिति एसएचजी/ एफपीओ/क़ोओपरेटिव के द्वारा नई इकाईयों की स्थापना और सूक्ष्म इकाईयों के विस्तार के लिए प्रस्तावों की निगरानी और अनुमति/अनुमोदन करेगी.
- राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करते हुए वार्षिक कार्ययोजना तैयार करेंगे.
- इस कार्यक्रम में तीसरे पक्ष का एक मूल्याँकन और मध्यावधि समीक्षा तंत्र भी बनाया जाएगा.
राज्य/संघ शासित प्रदेश नोडल विभाग और एजेन्सी
- राज्य/संघ शासित प्रदेश इस योजना के कार्यान्वयन के लिए एक नोडल विभाग और एजेन्सी को अधिसूचित करेगें.
- राज्य/संघ शासित प्रदेश नोडल एजेंसी (एसएनए) राज्य/संघ शासित प्रदेशों में इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए उत्तरदायी होने के साथ-साथ राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर उन्नयन योजना की तैयारी और प्रमाणीकरण, समूह विकास योजना, इकाईयों और समूहों आदि को सहायता प्रदान करते हुए जिला, क्षेत्रीय स्तर पर स्रोत समूह के कार्य की निगरानी करेगी.
राष्ट्रीय पोर्टल और एमआईएस
- एक राष्ट्रीय पोर्टल की स्थापना की जाएगी जहाँ आवेदक/ व्यक्तिगत उद्यमी इस योजना में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
- योजना की सभी गतिविधियों को राष्ट्रीय पोर्टल पर संचालित किया जाएगा.
समरूपता प्रारूप
- भारत सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा कार्यान्वयन के अंतर्गत मौजूदा योजनाओं से सहायता भी इस योजना के अंतर्गत ली जा सकेगी.
- यह योजना उन अंतरालों को भरने का कार्य करेगी जहाँ अन्य स्रोतों विशेषतः पूँजी निवेश, हैंडहोल्डिंग सहायता, प्रशिक्षण और सामान्य बुनियादी ढ़ांचे के लिए सहायता उपलब्ध नहीं है.
प्रभाव और रोजगार सृजन
- लगभग आठ लाख सूक्ष्म-उद्यम सूचना, बेहतर विवरण और औपचारिक पहुँच के माध्यम से लाभान्वित होंगे.
- विस्तार और उन्नयन के लिए 2,00,000 सूक्ष्म उद्यमों तक ऋण से जुड़ी सब्सिडी और हैंडहोल्डिंग सहायता को बढ़ाया जाएगा.
- यह उन्हें गठित, विकसित और प्रतिस्पर्धी बनने में समर्थ बनाएगा.
- इस परियोजना से नौ लाख कुशल और अल्प-कुशल रोजगारों के सृजन की संभावना है.
- इस योजना में आकांक्षापूर्ण जिलों में मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों, महिला उद्यमियों और उद्यमियों को ऋण तक पहुँच बढ़ाया जाना शामिल है.
- संगठित बाजार के साथ बेहतर समेकन.
- छंटाई, श्रेणी निर्धारण, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, भंडारण आदि जैसी समान सेवाओं को पहुँच में वृद्धि.
पृष्ठभूमि
लगभग 25 लाख अपंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण उद्यम है जो इस क्षेत्र का 98 प्रतिशत है और ये असंगठित और अनियमित हैं. इन इकाईयों का करीब 68 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है और इनमें से 80 प्रतिशत परिवार आधारित उद्यम हैं. यह क्षेत्र बहुत सी चुनौतियों जैसे ऋण तक पहुँच न होना, संस्थागत ऋणों की ऊँची लागत, अत्याधुनिक तकनीक की कमी, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के साथ जुड़ने की असक्षमता और स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों के साथ अनुपालन का सामना करता है.इस क्षेत्र को मजबूत करने से व्यर्थ नुकसान में कमी, खेती से इतर रोजगार सृजन अवसर और किसानों की आय को दुगना करने के सरकार के लक्ष्य तक पहुँचने में बड़ी सहायता मिलेगी.
GS Paper 3 Source : PIB
Topic : Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana (PMMSY)
संदर्भ
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के कार्यान्वयन के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है.
प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना की प्रमुख विशेषताएँ
- PMMSY भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने के बनाई गई है. इसके दो अवयव हैं – केंद्रीय क्षेत्र योजना (CS) और केंद्र प्रायोजित योजना (CSS).
- यह योजना वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के दौरान लागू की जाएगी.
- इस योजना का नोडल मंत्रालय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय है.
कार्यान्वयन
केंद्रीय क्षेत्र योजना (CS) : संपूर्ण परियोजना / इकाई लागत केंद्र सरकार (अर्थात् 100% केंद्रीय वित्त पोषण) द्वारा वहन की जाएगी.
इस योजना के केन्द्रीय प्रायोजित योजना अवयव के दो भाग हैं – i) पहला, जिसमें लाभार्थी नहीं होंगे ii) और दूसरा, जो लाभार्थियों के लिए होंगे.
इसके अंतर्गत जो काम होगा वे हैं –
- उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि.
- अवसंरचना एवं फसल कटने के बाद का प्रबंधन.
- मत्स्यपालन और नियामक ढांचा.
PMMSY के मुख्य लाभ
- मत्स्यपालन क्षेत्र में जो महत्त्वपूर्ण कमियाँ हैं उनपर ध्यान देना और इसकी पूर्ण क्षमता को साकार करना.
- निरंतर औसत वार्षिक विकास दर पर मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता में बढ़ोतरी.
- प्रमाणित गुणवत्ता वाले मछली के बीज और दाने की उपलब्धता, मछली कहाँ-कहाँ उपलब्ध हैं यह पता लगाने की प्रक्रिया के साथ-साथ समुद्र आदि में मछुआरों के स्वास्थ्य के कुशल प्रबंधन में सुधार लाना.
- आधुनिकीकरण और मूल्य शृंखला के सुदृढीकरण समेत महत्त्वपूर्ण अवसंरचना का सृजन.
- 15 लाख मछुआरों, मत्स्य पालकों, मत्स्यकर्मियों, मत्स्य विक्रेताओं एवं मत्स्यपालन एवं सम्बद्ध गतिविधियों में लगे हुए ग्रामीण और शहरी लोगों के लिए प्रत्यक्ष लाभदायी रोजगार के अवसरों का सृजन.
- मत्स्यपालन क्षेत्र में निवेश बढ़ाना तथा मछली और मत्स्य उत्पादों में प्रतिस्पर्धा में वृद्धि करना.
- मछुआरों और मत्स्यकर्मियों के लिए सामाजिक, शारीरिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना.
Prelims Vishesh
National Migrant Information System (NMIS) :-
- विभिन्न राज्यों से होकर प्रवासी मजदूर बिना बाधा के जाएँ इसके लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने एक ऑनलाइन ऐप तैयार किया है जिसे राष्ट्रीय प्रवासी सूचना प्रणाली का नाम दिया गया है.
- इस प्रणाली से प्रवासी मजदूर कहाँ पर हैं, इसका पता लग सकता है.
Troglomyces twitteri :-
- पिछले दिनों एक परजीवी फंफूद का पता चला है. यह एक ट्विटर इमेज का प्रयोग करके पता लगाया गया है इसलिए इसका नाम Troglomyces twitteri पड़ा है.
- यह फंफूद कीड़ों और कनगोजर पर आक्रमण करता है. यह परजीव Laboulbeniales परिवार का है.
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