Sansar Daily Current Affairs, 22 May 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Major crops-cropping patterns in various parts of the country, – different types of irrigation and irrigation systems storage, transport and marketing of agricultural produce and issues and related constraints; e-technology in the aid of farmers.
Topic : Beema Bamboo
संदर्भ
हाल ही में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (Tamil Nadu Agricultural University – TNAU) ने कोयंबटूर में अपने परिसर के अन्दर बीमा बाँस (Beema Bamboo) का एक ‘ऑक्सीजन पार्क’ (oxygen park) डिजाइन किया है.
प्रमुख बिन्दु
- कोयंबटूर का यह पार्क करीब 1.45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है.
- इस पार्क में बीमा बाँस (Beema Bamboo) के विशेष किस्म के पौधे लगाए जाएँगे.
बीमा बाँस (Beema Bamboo)
- बीमा बाँस, बम्बुसा बालकोआ (Bambusa balcooa) से चयनित एक क्लोन है.
- यह एक उच्च बायोमास उपज देने वाली बांस की प्रजाति है. साथ ही ये सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है. यह एक दिन में डेढ़ फीट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है.
- इसके अतिरिक्त, वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने के लिए बीमा बाँस सबसे अच्छा कार्बन सिंक (carbon sink) है.
- ज्ञातव्य है कि एक बीमा बाँस विकसित होने पर लगभग 300 किलो ऑक्सीजन देता है तथा 80 टन कार्बनडाइऑक्साइड अवशोषित करता है.
बीमा बाँस की अन्य विशेषताएँ
- बीमा बाँस को हर फसल चक्र के बाद दोबारा उगाने की आवश्यकता नहीं होती है.
- वे ऊतक संस्कृति के माध्यम से उत्पन्न होते हैं जो इसे विभिन्न मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों के ढलने की सुविधा प्रदान करते हैं.
- बीमा बाँस का कैलोरी मान कोयले के करीब बराबर है. यही कारण है कि सीमेंट उद्योगों ने इस बांस को अपने बॉयलरों के लिए खरीदना प्रारम्भ कर दिया है.
राष्ट्रीय बाँस मिशन (National Bamboo Mission)
- यह मिशन बाँस क्षेत्र के पूर्ण विकास पर ध्यान देता है और इसके लिए किसानों और उद्योगों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है. इस प्रकार इस योजना का उद्देश्य किसानों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराना भी है.
- दो वर्षों में 1,05,000 हेक्टेयर में बाँस की खेती लगाना और इसके लिए उत्तम कोटि के पौधों को चुन-चुन कर उपलब्ध कराना.
- बाँस के विकास और उससे बनने वाले उत्पादों में विविधता को प्रोत्साहित करना एवं इसके लिए छोटे-बड़े प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करना.
- बाँस की बिक्री के लिए ऑनलाइन व्यापार की सुविधा देने के अतिरिक्त उसके लिए मंडी/बाजार/ग्रामीण हाट के तंत्र को सुदृढ़ करना.
- बाँस के बारे में अनुसंधान, सम्बंधित तकनीक उत्पादनों का विकास, आवश्यक मशीन, व्यापार से सम्बंधित सूचना और ज्ञान के वितरण लिए मंच का निर्माण आदि कार्यों से देश में, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों में, आपसी सहयोग की वृद्धि करना.
कार्यान्वयन
इस योजना का कार्यान्वयन उन राज्यों के खेतों और गैर-जंगली सरकारी भूमि में होगा जहाँ बाँस की अच्छी पैदावार होती है, जैसे – पूर्वोत्तर क्षेत्र, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और केरल.
वित्तीय सहायता
- जहाँ तक पूर्वोत्तर राज्यों का प्रश्न है वहाँ इस योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता का वहन केंद्र और राज्य सरकार क्रमशः 90:10 के अनुपात में करती है.
- अन्य राज्यों में केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली निधि का अनुपात 60:40 होगा.
- संघीय क्षेत्रों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, बाँस तकनीक सहयोग समूहों (BTSGs) और राष्ट्र-स्तरीय एजेंसियों के लिए निधि का 100% केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Pandit Deendayal Upadhyay National Welfare Fund for Sportspersons
संदर्भ
युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (MYAS) ने कर्नाटक की वी तेजस्विनी बाई के लिए 2 लाख रुपये की सहायता राशि को मंजूरी दी है, उन्होंने साल 2011 में अर्जुन पुरस्कार जीता था.
- तेजस्विनी, वर्ष 2010 तथा 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली महिला कबड्डी टीम की सदस्य थीं.
- मंत्रालय द्वारा, पूर्व अंतर्राष्ट्रीय एथलीटों एवं कोचों की मदद करने हेतु ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष’ (PDUNWFS) से इस वित्तीय सहायता के लिए मंजूरी दी गई है.
फंड के बारे में
- खेल में देश को गौरवान्वित करने वाले और वर्तमान में दयनीय परिस्थितियों में रहने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों की सहायता करने के उद्देश्य से इस कोष की स्थापना मार्च 1982 में की गई थी.
- पूर्व उत्कृष्ट खिलाड़ियों को एकमुश्त अनुग्रह सहायता प्रदान करने हेतु सितंबर 2017 में योजना को संशोधित किया गया था.
- इस संशोधन में पेंशन का प्रावधान समाप्त कर दिया गया था, क्योंकि मेधावी खिलाड़ियों के लिए पहले से ही एक पेंशन योजना विद्यमान है.
इस फंड का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाएगा
- गरीबी में रह रहे उत्कृष्ट खिलाड़ियों को उपयुक्त सहायता प्रदान करना.
- प्रतियोगिताओं की तैयारी हेतु प्रशिक्षण के दौरान तथा प्रतियोगिताओं के दौरान घायल होने पर, चोट की प्रकृति के अनुसार, उत्कृष्ट खिलाड़ियों को उपयुक्त सहायता प्रदान करना.
- अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का नाम रोशन करने वाले उत्कृष्ट खिलाड़ियों को, कठिन प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप या किसी अन्य कारणवश विकलांग होने पर उपयुक्त सहायता प्रदान करना तथा चिकित्सा उपचार में मदद करना है.
- दयनीय परिस्थितियों में रहने वाले खिलाड़ियों और उनके आश्रितों की परेशानियों को कम करने के लिए खिलाड़ियों के कल्याण हेतु निधि की धनराशि का उपयोग करना.
- किसी खिलाड़ी के लिए व्यक्तिगत रूप से या किसी समूह को ‘सक्रिय खिलाड़ी कोष’ की धनराशि का आवंटन एवं उपयोग करना.
- उपरोक्त उद्देश्यों के आनुषंगिक अन्य सभी कार्य करना.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Indian Bankruptcy and Insolvency Code
संदर्भ
नवंबर 2019 में जारी एक सरकारी अधिसूचना के द्वारा ऋणदाताओं, सामान्यतः वित्तीय संस्थानों और बैंकों को ‘भारतीय दिवालियापन और दिवाला संहिता’ (Indian Bankruptcy and Insolvency Code- IBC) के अंतर्गत निजी तौर पर गारंटी देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी गई थी.
- हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना को बरकरार रखा है.
- अदालत ने कहा है, कि निजी तौर पर गारंटी देने वालों और उनके कॉर्पोरेट देनदारों के बीच एक ‘आंतरिक संबंध’ होता है.
निहितार्थ
शीर्ष अदालत का यह निर्णय, ऋणदाताओं को ‘वैयक्तिक गारंटरों’, जोकि आमतौर पर बड़े व्यापारिक घरानों के प्रमोटर या सहायक होते हैं, के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने हेतु सक्षम बनाएगा. इसके साथ ही, ऋणदाता, जिन तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए गारंटी दी गई थी, उन पर भी कार्यवाही कर सकेंगे.
दिवालियापन संहिता विधेयक 2016
- संसद ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम उठाते हुए एक नया दिवालियापन संहिता विधेयक 2016 में पारित किया था.
- भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड (IBC), 2016 लाने तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (Non Performing Assets) चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुका था. इन चिंताओं को दूर करने के लिये यह कानून बनाया गया और इसे लागू करके इसके तहत कार्रवाई भी की गई.
- दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 1909 के ‘प्रेसीडेंसी टाउन इन्सॉल्वेन्सी एक्ट’ और ‘प्रोवेंशियल इन्सॉल्वेन्सी एक्ट 1920’को रद्द करती है तथा कंपनी एक्ट, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट और ‘सेक्यूटाईज़ेशन एक्ट’ समेत कई कानूनों में संशोधन करती है.
- इस कोड ने देश में कर्ज़दाताओं और कर्ज़ लेने वालों के संबंधों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है. अब देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्या में ऐसे कर्ज़दार, जिन्हें यह डर होता है कि वे रेड लाइन के निकट पहुँचने वाले हैं और जल्दी ही वे NCLT में होंगे, अब दिवालिया घोषित होने से परहेज कर रहे हैं.
- इस कोड के कार्यान्वयन की प्रक्रिया कुछ निश्चित शर्तों और नियमों द्वारा संचालित है. कुछ मामलों में अपीलों और उसके विरोध में अपीलों तथा मुकदमेबाज़ी के चलते अनेक बार यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात् यह बाधा दूर हो गई है.
दिवाला प्रकिया निस्तारण सुविधा हेतु संहिता के अंतर्गत गठित संस्थाएँ
- ‘दिवाला पेशेवर’ (Insolvency Professionals): लाइसेंस प्राप्त दिवाला पेशेवरों का एक विशेष कैडर बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है. ये पेशेवर निस्तारण प्रक्रिया का प्रबंधन करेंगे, देनदार की संपत्ति का प्रबंधन करेंगे, और लेनदारों को निर्णय लेने में सहायता करने हेतु जानकारी प्रदान करेंगे.
- ‘पेशेवर दिवाला एजेंसियां’ (Insolvency Professional Agencies): दिवाला पेशेवरों को दिवाला पेशेवर एजेंसियों के साथ पंजीकृत किया जाएगा. एजेंसियां इन्सॉल्वेंसी पेशेवरों को प्रमाणित करने और उनके प्रदर्शन के लिए आचार संहिता लागू करने के लिए परीक्षाएं आयोजित करती हैं.
- सूचना सुविधाएँ (Information Utilities): लेनदार, अपने ऋण की वित्तीय जानकरी की रिपोर्ट करेंगे. इस तरह की जानकारी में ऋण, देयताओं तथा डिफ़ॉल्ट के रिकॉर्ड सम्मिलित होंगे.
- निर्णायक प्राधिकरण (Adjudicating authorities): कंपनियों के लिए निस्तारण प्रक्रिया की कार्यवाही पर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) द्वारा न्यायनिर्णय किया जायेगा; तथा व्यक्तियों के लिए न्यायनिर्णय ऋण वसूली अधिकरण (DRT) द्वारा किया जायेगा.
- दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board): यह बोर्ड, संहिता के अंतर्गत इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स, इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल एजेंसियों और सूचना सुविधाएँ को विनियमित करेगा. बोर्ड में भारतीय रिज़र्व बैंक, वित्त, कॉर्पोरेट मामलों तथा कानून मंत्रालय के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे.
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय पंचाट GS Paper 3 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment. संदर्भ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 31 मार्च को समाप्त हुए नौ महीने की लेखा अवधि के अधिशेष (सरप्लस) 99,122 करोड़ रुपयों का सरकार के लिए अंतरण (transfer) किया जाएगा. केंद्रीय बैंक ने आकस्मिक जोखिम बफर को 5.5 प्रतिशत प्रति वर्ष पर बनाए रखने का भी निर्णय लिया है. इस निर्णय का महत्त्व वर्तमान में देश कोरोनोवायरस की तीव्र दूसरी लहर से जूझ रहा है, जिसमे प्रतिदिन रिकॉर्ड स्तर पर संक्रमण और मौतों के मामले देखे जा रहे हैं. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस राशि के अंतरण से सरकार को वित्तीय मदद मिलेगी. वायरस संक्रमण की श्रंखला को तोड़ने के लिए लगाई गई पाबंदियों ने देश की आर्थिक रिकवरी पर भी सवालिया निशान लगा दिया है. Mount Nyiragongo :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi February, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : RBI To Transfer Rs. 99,122-Crore Surplus To Government
भारतीय रिजर्व बैंक के बारे में
भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य
Prelims Vishesh