Sansar Daily Current Affairs, 23 April 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Women related issues.
Topic : Gender Bias & Inclusion in Advertising in India
संदर्भ
हाल ही में, यूनिसेफ (UNICEF) तथा ‘जीना डेविस इंस्टिट्यूट ऑन जेंडर इन मीडिया’ (Gender in Media on Gender in Media) द्वारा ‘भारत में विज्ञापनों में लैंगिक पक्षपात और समावेशन’ (Gender bias and inclusion in advertising in India) शीर्षक से एक रिपोर्ट निर्गत किया है.
इस शोध अध्ययन में, वर्ष 2019 के दौरान पूरे भारत में प्रसारित किए गए 1,000 से अधिक टेलीविज़न और यूट्यूब (YouTube) विज्ञापनों का आकलन किया गया है. अध्ययन में, सर्वाधिक पहुँच प्राप्त करने वाले विज्ञापनों का विश्लेषण किया गया है.
प्रमुख निष्कर्ष (संक्षिप्त अवलोकन)
- यद्यपि, जहाँ तक कि स्क्रीन और बोलने के समय के संदर्भ में, लड़कियों और महिलाओं के प्रतिनिधित्व की समानता की बात की जाए तो ये विज्ञापन, वैश्विक मानदंडो से बेहतर हैं, परन्तु इनका चित्रण समस्यात्मक है, क्योंकि ये लैंगिक रूढ़िवादिताओं को प्रोत्साहन देते हैं.
- इन विज्ञापनों में, पुरुष पात्रों की तुलना में, महिला पात्रों को विवाहित के रूप में अधिक, किसी आय अर्जित करने वाले व्यवसाय में कम, तथा देखभाल करने वाले और ‘माता-पिता’ के रूप में संभवतः अधिक चित्रित किया जाता है.
- महिला पात्रों को पुरुष पात्रों की तुलना में निम्नलिखित गतिविधियाँ करते हुए दिखाने की अधिक संभावना है – खरीदारी (3% पुरुष पात्रों की तुलना में 4.1%); सफाई (2.2% के मुकाबले 4.8%); और भोजन के लिए खरीदारी या बनाने की तैयारी (3.9% के मुकाबले 5.4%).
- जिन पात्रों में, अधिक होशियार होने का गुण दिखाया जाता है, विज्ञापन में, उन पात्रों को अभिनीत करने के लिए पुरुष पात्रों को महिला पात्रों की तुलना में अधिक स्मार्ट दिखाया जाता है (2% महिला पात्रों की तुलना में 32.2%).
- भारतीय विज्ञापनों में दो-तिहाई महिला पात्रों (9%) की में त्वचा का रंग उजला अथवा मध्यम-उजला होता है, और इनमे स्त्री पात्र हमेशा पतले होते हैं.
संबंधित मुद्दे एवं चिंताएँ
यद्यपि हम भारतीय विज्ञापनों में महिला प्रतिनिधित्व को हावी देखते हैं, फिर भी इनको रंगवाद, अत्यधिक लैंगिकीकरण के कारण, घर के बाहर आजीविका अथवा आकांक्षाओं को पूरा करने में हाशिए पर रहना पड़ता है.
- विज्ञापनों में महिलाओं की की गई गलत व्याख्या और हानिकारक रूढ़िवादिता का, महिलाओं और युवा लड़कियों पर इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है- कि वे स्वयं को किस प्रकार देखती हैं, तथा समाज में उनका क्या महत्त्व है?
- एक समतामूलक समाज सुनिश्चित करने के लिए इस कठोर असमानता का समाधान किया जाने की आवश्यकता है.
मेरी राय – मेंस के लिए
- विज्ञापनों में महिलाओं की गलत व्याख्या और अन्य हानिकारक परंपराएँ महिलाओं और युवा लड़कियों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं. हालाँकि भारतीय विज्ञापनों में महिलाओं का उचित प्रतिनिधित्व है, फिर भी वे रंगभेद और घर से बाहर रोज़गार पाने की आकांक्षा के मुद्दे पर कमज़ोर स्थिति में हैं.
- इन विज्ञापनों में महिलाओं की भूमिका में स्पष्ट असमानता को ध्यान में रखकर समतामूलक समाज स्थापित किया जाना चाहिये.
- लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा का सामान्यीकरण एक चुनौती बनी हुई है. कई महिलाओं को सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और जाति संबंधी भेदभावों का सामना करना पड़ता है.
- किशोरियों को कमज़ोरियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें खराब पोषण की स्थिति, देखभाल का बढ़ता बोझ, जल्दी शादी, प्रारंभिक गर्भावस्था, प्रजनन स्वास्थ्य और सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दे शामिल हैं, जबकि 56% किशोरियाँ एनीमिया से ग्रसित हैं.
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : World History.
Topic : Armenian Genocide
संदर्भ
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, अर्मेनियाई नरसंहार (Armenian Genocide) को औपचारिक रूप से ‘नरसंहार’ मानने की तैयारी कर रहे हैं.
प्रतिवर्ष, 24 अप्रैल को ‘अर्मेनियाई नरसंहार स्मृति दिवस’ के रूप में आयोजित किया जाएगा.
अर्मेनियाई नरसंहार
- अर्मेनियाई नरसंहार को 20वीं सदी का पहला नरसंहार कहा जाता है.
- यह वर्ष 1915 से 1917 तक तुर्क साम्राज्य में हुए अर्मेनियाई लोगों के व्यवस्थित विनाश को उल्लेखित करता है.
- नवंबर 1914 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के बाद, ऑटोमन तुर्कों ने जर्मनी और ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के साथ युद्ध में भाग लिया.
- ऑटोमन तुर्कों का विश्वास था कि अर्मेनियाई लोग युद्ध में रूस का साथ देगे, इसके परिणामस्वरूप ऑटोमन तुर्क पूर्वी सीमा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अर्मेनियाई लोगों को हटाने के अभियान में सम्मिलित हो गए.
- 24 अप्रैल, 1915 को ऑटोमन तुर्की सरकार के हज़ारों अर्मेनियाई बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया और उन्हें मार डाला. यही ‘अर्मेनियाई नरसंहार’ की शुरुआत थी.
- आर्मीनियाई परिवारों और छोटे बच्चों को सीरिया और अरब के रेगिस्तानों में बिना भोजन, पानी और आश्रय के कई दिनों चलने के लिये विवश किया गया.
- एक अनुमान के अनुसार, उपचार के अभाव, दुर्व्यवहार, भुखमरी और नरसंहार के कारण इस दौरान करीब 1.5 लाख आर्मीनियाई लोगों की मृत्यु हुई थी.
इस स्वीकृति का महत्त्व
शोधकर्ताओं का कहना है कि अमेरिकी सरकार द्वारा इस स्वीकृति का तुर्की पर बहुत कम कानूनी प्रभाव पड़ेगा, इससे तुर्की के लिए मात्र शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है. फिर भी अमेरिका के इस कदम से, अन्य देश इस ‘नरसंहार’ को स्वीकार करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं.
तथापि, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में यह स्वीकृति, तुर्की के लिए अवांछनीय और अरुचिकर हो सकती है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Functions and responsibilities of the Union and the States, issues and challenges pertaining to the federal structure, devolution of powers and finances up to local levels and challenges therein.
Topic : 12th National Panchayati Raj Day
संदर्भ
हाल ही में 24 अप्रैल, 2021 को 12वाँ राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (12th National Panchayati Raj Day) मनाया गया है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021(National Panchayat Awards-2021) भी प्रदान किए.
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021(National Panchayat Awards-2021)
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस(24 अप्रैल, 2021) के अवसर पर राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021(National Panchayat Awards-2021) प्रदान किए हैं.
- राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 निम्नलिखित श्रेणियों के अंतर्गत दिए जा रहे हैं :-
- दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार (224 पंचायतों को)
- नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार (30 ग्राम पंचायतों को)
- ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार (29 ग्राम पंचायतों को)
- बच्चों के अनुकूल ग्राम पंचायत पुरस्कार (30 ग्राम पंचायतों को)
- ई-पंचायत पुरस्कार (12 राज्यों को)
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार-2021 के तहत विभिन्न श्रेणियों में 5 लाख रुपये से लेकर 50 लाख रुपये तक पुरस्कार धनराशि (अनुदान सहायता के रूप में) हस्तांतरित की है. उल्लेखनीय है कि यह धनराशि रियल टाइम आधार पर पंचायतों के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित हुई है.
राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस
पंचायती राज स्थापित करने वाले संविधान का 73वाँ संशोधन 24 अप्रैल, 1993 को लागू हुआ था. इसलिए इस दिन प्रत्येक वर्ष पंचायती राज मंत्रालय राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाता है.
73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम
- 73वें संविधान संशोधनएवं 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के अधीन प्रत्येक राज्य में पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों के चुनाव निष्पक्ष व समय पर करवाने के लिए अलग से राज्य चुनाव आयोग की व्यवस्था की गई है.
- यती राजव्यवस्था लाने के लिए संसद ने 24 अप्रैल, 1992 को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम को पारित किया . हालांकि यह अधिनियम 1993 से लागू हुआ.
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा संविधान में भाग-9 जोड़ा गया है. इसके अलावा, इस संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा भारतीय संविधान में 11वीं अनुसूची भी जोड़ी गई है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : African Swine Fever
संदर्भ
मिजोरम के चार जिलों में कुछ क्षेत्रों को अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African swine fever- ASF) के उत्केंद्रों (Epicenters) के रूप में घोषित कर दिया गया है. इस बीमारी से एक महीने में अब तक 1,119 सुअरों की मौत हो चुकी है.
ASF क्या है?
- ASF बहुत तेजी से फैलने वाला और पशुओं के लिए घातक रोग है जो पालतू और जंगली दोनों सूअरों को संक्रमित करके उनमें रक्तस्रावी बुखार ला देता है.
- यह ज्वर पहली बार 1920 में अफ्रीका महादेश में पकड़ा गया था.
- इस बुखार का कोई उपचार नहीं है और जिस पशु को यह बुखार हो गया तो उसका मरना शत प्रतिशत तय है. अतः यह नहीं फ़ैल जाए इसके लिए रोगग्रस्त पशुओं को जान से मार देना पड़ता है.
- ASF की विशेषता है कि यह पशु से पशु में फैलता है और मनुष्य पर इससे कोई खतरा नहीं होता.
- संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का कहना है कि ASF बहुत तेजी से एक महादेश से दूसरे महादेश तक फैलने की शक्ति रखता है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology.
Topic : RBI is thinking about its own blockchain platform
संदर्भ
RBI ने अब संकेत दिया है कि वह अपनी डिजिटल मुद्रा अर्थात् सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) अनावृत करेगा. सरकार ने भी इसके लिए RBI का समर्थन किया है.
प्रस्तावित “क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021” सभी गैर-सरकारी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करेगा और “आधिकारिक डिजिटल मुद्रा” प्रारम्भ करने के लिए एक विनियामक ढाँचा स्थापित करेगा.
पृष्ठभूमि
वर्ष 2018 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टो लेन-देन का समर्थन करने से बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, RBI के उस आदेश परिपत्र पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी थी.
डिजिटल मुद्रा
डिजिटल मुद्रा किसी भी प्रकार का धन या भुगतान है, जो केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप से अस्तित्व में होता है. डिजिटल मुद्रा में बिल, चेक या सिक्कों जैसे मूर्त रूपों का अभाव होता है. एक क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या आभासी मुद्रा होती है, जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित होती है. यह जालसाजी या डबल स्पेंड (दोहरे व्यय) को लगभग असंभव बना देती है.
यह ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी पर आधारित विकेंद्रीकृत नेटवर्क के माध्यम से अस्तित्व में होती है.
यद्यपि डिजिटल/क्रिप्टो मुद्राएँ विनियमित नहीं हैं, तथापि भारत में अभी तक इन्हें अवैध घोषित नहीं किया गया है.
लाभ: तीव्र, किफायती लेन-देन और उच्च सुरक्षा.
चिताएँ: डिजिटल मुद्रा का उपयोग अवैध गतिविधियों के लिए किया जा सकता है, जिससे वित्तीय स्थिरता के समक्ष खतरा उत्पन्न हो सकता है.
Prelims Vishesh
European Climate Law :-
- यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य देशों ने यूरोपीय जलवायु कानून पर एक समझौता किया है.
- यह कानून वर्ष 2050 तक जलवायु तटस्थता तक पहुंचने के लिए यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता को प्रतिष्ठापित करेगा.
- पक्षकार शुद्ध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को वर्ष 1990 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक कम से कम 55% तक न्यून करने के लिए एक समझौते पर पहुंच गए हैं.
- इस कानून के माध्यम से जलवायु लक्ष्य यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों के लिए एक कानूनी दायित्व बन जाएगा.
NASA’s Perserverance makes oxygen on another planet :-
- मंगल ग्रह के लिए अपने नवीनतम मिशन में नासा को एक और परग्रही उपलब्धि प्राप्त हुई है.
- मंगल के वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को शुद्ध, श्वास लेने योग्य ऑक्सीजन में परिवर्तित किया गया है.
- इसे पर्सीवरेंस (एक रोवर) में मार्स ऑक्सीजन इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट (MOXIE) नामक एक प्रायोगिक उपकरण द्वारा संपादित किया गया है.
- MOXIE विद्युत-अपघटन (electrolysis) के जरिये काम करता है. यह कार्बन डाइऑक्साइड के अणुओं से ऑक्सीजन परमाणुओं को अलग करने के लिए अत्यधिक ऊष्मा का उपयोग करता है. मंगल ग्रह के वायुमंडल का लगभग 95% हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड से निर्मित है.
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