Sansar Daily Current Affairs, 23 February 2019
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Financial Action Task Force (FATF)
संदर्भ
पेरिस में सप्ताह-भर चलने वाली अपनी सार्वजनिक बैठक के अंत में वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (Financial Action Task Force – FATF) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट अर्थात् संदेहास्पद सूची में रखने का निर्णय लिया है. यद्यपि भारत ने बहुत चेष्टा की थी कि आतंकवादियों को वित्तीय सहायता देने के कारण पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जाए अर्थात् काली सूची में डाला जाए.
पृष्ठभूमि
14 फरवरी, 2019 को कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों द्वारा केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के 40 से अधिक सैनकों को आत्मघाती हमले में मार दिया गया था जिसकी जिम्मेवारी पाकिस्तान-स्थित संगठन जैश-ए-मुहम्मद ने ली थी. भारत ने इस घटना से सम्बंधित एक डोसियर भी तैयार किया था.
ग्रे लिस्ट में डालने का निहितार्थ
- विश्लेषकों का कहना है कि FATF की निगरानी सूची में पाकिस्तान को डाले जाने से उसकी अर्थव्यवस्था को घातक क्षति होगी और विदेशी निवेशकों और कंपनियों को उस देश में व्यवसाय करने में और भी कठिनाई होगी.
- कुछ वित्तीय संस्थाएँ पाकिस्तान के बैंकों के साथ लेन-देन करने से बचना चाहेंगी.
- FATF की निगरानी सूची में डाले जाने का कोई प्रत्यक्ष कानूनी निहितार्थ नहीं होता, किन्तु इससे यह होता है कि नियामक निकाय और वित्तीय संस्थाएँ कुछ अधिक ही जाँच-पड़ताल करती हैं जिसके फलस्वरूप व्यापार और निवेश ठंडा पड़ सकता है और लेन-देन की लागत बढ़ सकती है.
FATF क्या है?
- FATF एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो 1989 में G7 की पहल पर स्थापित किया गया है.
- यह एक नीति-निर्माता निकाय है जिसका काम विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय विधायी एवं नियामक सुधार लाने के लिए राजनैतिक इच्छाशक्ति तैयार करना है.
- FATF का सचिवालयपेरिस के OECD मुख्यालय भवन में स्थित है.
FATF के उद्देश्य
FATF का उद्देश्य मनी लौन्डरिंग, आतंकवादियों को धनराशि मुहैया करने और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को खतरे में डालने जैसी अन्य कार्रवाइयों को रोकने हेतु कानूनी, नियामक और संचालन से सम्बंधित उपायों के लिए मानक निर्धारित करना तथा उनको बढ़ावा देना है.
ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट क्या हैं?
FATF देशों के लिए दो अलग-अलग सूचियाँ संधारित करता है. पहली सूची में वे देश आते हैं जहाँ मनी लौंडरिंग जैसी कुप्रथाएँ तो हैं परन्तु वे उसे दूर करने के लिए एक कार्योजना के प्रति वचनबद्ध होते हैं. दूसरे प्रकार की सूची में वे देश हैं जो इस कुरीति को दूर करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं. इनमें से पहली सूची को ग्रे लिस्ट और दूसरी को ब्लैक लिस्ट कहते हैं.
एक बार जब कोई देश ब्लैक लिस्ट में आ जाता है तो FATF अन्य देशों को आह्वान कर उनसे कहता है कि ब्लैक लिस्ट में आये हुए देश के साथ व्यवसाय में अधिक सतर्कता बरतें और यदि आवश्यक हो तो उसके साथ लेन-देन समाप्त ही कर दें.
आज की तिथि में दो ही देश ब्लैक लिस्ट में आते हैं – ईरान और उत्तरी कोरिया. सात देश ग्रे लिस्ट में हैं, जिनके नाम हैं – पाकिस्तान, श्रीलंका, सीरिया और यमन.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : Why Bangladesh sees golden rice as a threat
संदर्भ
बांग्लादेश की सरकार ने विवादास्पद परिवर्तित-जीन (genetically modified – GM) वाले चावल (सुनहला चावल) की वाणिज्यिक खेती की अनुमति दे दी है. इससे वहाँ के किसान और पर्यावरणवादी समूह क्रुद्ध हैं.
क्या विवाद है?
- 2017 में बांग्लादेश चावल अनुसंधान संस्थान, गाजीपुर में सुनहले चावल (golden rice) की सीमित खेती का परीक्षण पूरा कर लिया था. विदित हो कि पहले वहाँ की सरकार ने BT बैंगन के वाणिज्यिक उत्पादन की अनुमति दे दी थी.
- स्थानीय लोगों को डर है कि सुनहले चावल के आने से उनकी पारम्परिक खेती पर दुष्प्रभाव पड़ेगा.
- यह आरोप भी लगता आया है कि सुनहले चावल पर जो प्रयोग किये गये हैं उसमें पारदर्शिता का अभाव रहा और सुरक्षात्मक अध्ययन विश्वसनीय और स्वतंत्र नहीं रहे. इसलिए इन प्रयोगों के प्रतिफल पर विश्वास करना उचित नहीं होगा.
- पर्यावरणवादियों का कहना है कि सुनहले चावल की वाणिज्यिक खेती के चलते बांग्लादेश की समृद्ध जैव-विविधता को क्षति पहुँचेगी. उनका डर है कि धीरे-धीरे लोग परिवर्तित-जीन वाली फसलों को अपनाने लगेंगे और इस प्रकार देश की खाद्य विविधता को हानि पहुँचेगी. इससे स्थानीय और पारम्परिक बीज नष्ट हो जाएँगे और खेती पर निगमों का नियंत्रण बढ़ जाएगा.
सुनहला चावल क्या है?
- 1999 में डॉ. इंगो पोट्रीकस के नेतृत्व में कुछ यूरोपीय वैज्ञानिकों ने पारम्परिक चावल में जीन-आधारित अंतर लाकर ऐसा चावल बनाने की चेष्टा की थी जिसमें बेटा-कैरोटीन का समावेश हो जाये. इसके लिए उन्होंने चावल में बैक्टीरिया और डेफोडिल तथा मकई के जीन डाल दिए थे. इस प्रकार का सुनहले रंग का एक नया चावल बना जिसे सुनहला चावल कहा जाने लगा.
- 2000 ई. में इस चावल का अनावरण किया और यह बताया गया कि विश्व की कुपोषण की समस्या के लिए यह रामबाण सिद्ध होगा. यह दावा किया गया कि यह चावल बायो-फोर्टीफाइड है और इसमें विटामिन A, लोहे और जस्ते की अच्छी-खासी मात्रा है.
GM फसल क्या है?
संशोधित अथवा परिवर्तित फसल (genetically modified – GM Modified crop) उस फसल को कहते हैं जिसमें आधुनिक जैव-तकनीक के सहारे जीनों का एक नया मिश्रण तैयार हो जाता है.
ज्ञातव्य है कि पौधे बहुधा परागण के द्वारा जीन प्राप्त करते हैं. यदि इनमें कृत्रिम ढंग से बाहरी जीन प्रविष्ट करा दिए जाते हैं तो उन पौधों को GM पौधा कहते हैं. यहाँ पर यह ध्यान देने योग्य है कि वैसे भी प्राकृतिक रूप से जीनों का मिश्रण होता रहता है. यह परिवर्तन कालांतर में पौधों की खेती, चयन और नियंत्रित सम्वर्धन द्वारा होता है. परन्तु GM फसल में यही काम प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से किया जाता है.
GM फसल की चाहत क्यों?
- अधिक उत्पादन के लिए.
- खेती में कम लागत के लिए.
- किसानी में लाभ बढ़ाने के लिए.
- स्वास्थ्य एवं पर्यावरण में सुधार के लिए.
GM फसल का विरोध क्यों?
- यह स्पष्ट नहीं है कि GM फसलों (GM crops) का मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर कैसा प्रभाव पड़ेगा. स्वयं वैज्ञानिक लोग भी इसको लेकर पक्के नहीं हैं. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी फसलों से लाभ से अधिक हानि है. कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि एक बार GM crop तैयार की जायेगी तो फिर उस पर नियंत्रण रखना संभव नहीं हो पायेगा. इसलिए उनका सुझाव है कि कोई भी GM पौधा तैयार किया जाए तो उसमें सावधानी बरतनी चाहिए.
- भारत में GM विरोधियों का यह कहना है कि बहुत सारी प्रमुख फसलें, जैसे – धान, बैंगन, सरसों आदि की उत्पत्ति भारत में ही हुई है और इसलिए यदि इन फसलों के संशोधित जीन वाले संस्करण लाए जाएँगे तो इन फसलों की घरेलू और जंगली किस्मों पर बहुत बड़ा खतरा उपस्थित हो जाएगा.
- वास्तव में आज पूरे विश्व में यह स्पष्ट रूप से माना जा रहा है कि GM crops वहाँ नहीं अपनाए जाएँ जहाँ किसी फसल की उत्पत्ति हुई हो और जहाँ उसकी विविध किस्में पाई जाती हों. विदित हो कि भारत में कई बड़े-बड़े जैव-विविधता वाले स्थल हैं, जैसे – पूर्वी हिमालय और पश्चिमी घाट – जहाँ समृद्ध जैव-विविधता है और साथ ही जो पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है. अतः बुद्धिमानी इस बात में होगी कि हम लोग किसी भी नई तकनीक के भेड़िया-धसान में कूदने से पहले सावधानी बरतें.
- यह भी डर है कि GM फसलों के द्वारा उत्पन्न विषाक्तता के प्रति कीड़ों में प्रतिरक्षा पैदा हो जाए जिनसे पौधों के अतिरिक्त अन्य जीवों को भी खतरा हो सकता है. यह भी डर है कि इनके कारण हमारे खाद्य पदार्थो में एलर्जी लाने वाले तत्त्व (allergen) और अन्य पोषण विरोधी तत्त्व प्रवेश कर जाएँ.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : Global Health Expenditure Database (GHED)
संदर्भ
विश्व-भर में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च के विषय में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में एक नया प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है जिसका नाम वैश्विक स्वास्थ्य व्यय डेटाबेस (GHED) है. इस डेटाबेस में 2000 से प्रतिवर्ष 194 देशों में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च का तुलनात्मक आँकड़ा दिया जाता है.
यहाँ पर स्वास्थ्य पर खर्च का अभिप्राय होता है, इन मदों में खर्च – सरकारी व्यय, लोगों द्वारा अपनी जेब से किया गया खर्च, स्वैच्छिक स्वास्थ्य बीमा, नियोजनकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गये स्वास्थ्य कार्यक्रम, लाभ-रहित संगठनों द्वारा किये गये स्वास्थ्य पर खर्च आदि.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- प्रतिवेदन के अनुसार निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य के ऊपर किया गया खर्च 6% और उच्च वाले देशों में 4% बढ़ा है.
- चिंता की बात है कि अभी भी लोगों को अपनी जेब से बहुत अधिक खर्च करना पड़ रहा है.
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च का रूप बदल रहा है. अब लोग सार्वजनिक निधि पर ज्यादा निर्भर हो रहे हैं.
- मध्यम आय वाले देश को मिलने वाली सहायता बढ़ी तो है परन्तु प्रति व्यक्ति के हिसाब से इसमें कमी आई है.
- प्रतिवेदन के अनुसार बाहरी और घरेलू निधियों की भूमिका विकसित हो रही है, परन्तु बाहरी निधि का अनुपात मध्यम आय वाले देशों में घटता जा रहा है.
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले सरकारी खर्च अलग-अलग देशों में अलग-अलग हैं.
- दिए गये डाटा के अनुसार स्वास्थ्य के लिए उपलब्ध कराई गई दातव्य राशियों का आधा तथा सरकारी व्यय का लगभग 20% HIV/AIDS, मलेरिया और टीबी के रोकथाम में जाता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : RUCO (Repurpose Used Cooking Oil) initiative
संदर्भ
देहरादून में स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने सफलतापूर्वक एक प्रायोगिक परीक्षण पूरा किया है जिसमें उपयोग में लाये गये खाद्य तेल को बायो-एविएशन टेर्माइन फ्यूल (Bio-ATF) में बदल दिया गया जिसको पारम्परिक ATF में मिलाकर हवाई जहाज के ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने RUCO (Repurpose Used Cooking Oil) पहल का शुभारम्भ किया था जिसका उद्देश्य खाना पकाने के तेल को बायोडीज़ल में बदलणा है. दरअसल, बहुत सारे रेस्त्रा और होटलों में खाद्य तेल, एक बार इस्तेमाल के बाद इस्तेमाल करने योग्य नहीं होता है. आम भाषा में कहें तो तेल जल जाता है. ऐसे तेल को फेंकना पड़ता है.
FSSAI नियमों के अनुसार, कुल ध्रुवीय यौगिकों (TPC) के लिए अधिकतम स्वीकार्य सीमा 25% पर निर्धारित की गई है, इसके बाद कुकिंग आयल की खपत असुरक्षित मानी गई है.
RUCO क्या है?
- RUCO FSSAI द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है जिसका पूरा नाम Repurpose Used Cooking Oil है.
- इसका उद्देश्य प्रयोग में लाये गये खाद्य तेल को जमाकर उसे बायो-डीजल में बदलना है.
- इस पहल के तहत, प्रयोग किए गए खाना पकाने के तेल को संग्रह करने के लिए 101 स्थानों पर 64 कंपनियों को कार्यभार सौंपा है.मैकडॉनल्ड्स ने मुंबई और पुणे में 100 आउटलेटों में प्रयुक्त कुकिंग आयल को बायोडीज़ल में परिवर्तित करना आरम्भ भी कर दिया है.
मुख्य बिंदु
- FSSAI यह सुनिश्चित करने के लिये नियमों को पेश करने पर भी विचार कर सकता है कि विशाल मात्रा में खाद्य तेल का उपयोग करने वाली निजी कंपनियाँ इसे पंजीकृत संग्रहण एजेंसियों को जैव ईंधन में परिवर्तित करने के लिये सौंपें.
- नियामक का अनुमान है कि भारत में 2022 तक 220 करोड़ लीटर प्रयुक्त कुकिंग आयल कोबायोडीजल में बदला जा सकता है.
- यद्यपि प्रयुक्त कुकिंग आयल से उत्पादित बायोडीज़ल की मात्रा फिलहाल बहुत कम है, लेकिन भारत में रूपांतरण और संग्रह के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र तेज़ी से विकसित हो रहा है और शीघ्र ही यह बड़ा आकार ले लेगा.
- FSSAI कारोबार हेतु एक स्टॉक रजिस्टर तैयार करने को इच्छुक है जिसमें 100 लीटर से अधिक तेल के उपयोग संबंधी समस्त जानकारी उपलब्ध होगी. ऐसी संभावना है कि इन बिंदुओं पर एक विनियमन प्रणाली भी विकसित की जा सकती है.
TPC क्या है?
कई देशों में तेल की गुणवत्ता को मापने के लिए Total Polar Compounds – TPC का उपयोग किया जाता है. ज्ञातव्य है कि बार-बार तेल को गरम किये जाने से TPC का स्तर बढ़ जाता है. कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि भोजन के बिना तेल को गर्म करने के दौरान TPC का स्तर कम होता है जबकि यदि भोजन के साथ तेल को गर्म या फ्राई किया जाए तो TPC का स्तर बढ़ जाता है.
विदित हो कि यदि दैनिक प्रयोग में लाये जाने वाले तेल में TPC का स्तर ऊँचा हो तो इससे उच्च रक्तचाप, धमनी से सम्बंधित रोग, अल्जाइमर रोग और जिगर की बीमारी जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं.
भागीदारी
FSSAI भारत के बायोडीजल एसोसिएशन और खाद्य उद्योग के साथ साझेदारी भी कर रहा है जिससे इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल से सम्बद्ध नियमों के प्रभावी अनुपालन को सुनिश्चित किया जा सके. इस संबंध में एक मार्गदर्शन दस्तावेज़ प्रकाशित करने का प्रयास किया जा रहा है. यह अपने ई-चैनलों के जरिये अनेक जागरूकता अभियान भी चला रहा है. FSSAI ने बायोडीज़ल में प्रयुक्त cooking oil के संग्रह और रूपांतरण की प्रगति की निगरानी हेतु अतिरिक्त रूप से एक माइक्रो साइट लॉन्च की है.
FSSAI
- भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India – FSSAI) की स्थापना खाद्य सुरक्षा तथा मानक अधिनियम, 2006 के अन्तर्गत की गई है.
- इसका उद्देश्य खाद्य सामग्री के लिये विज्ञान पर आधारित मानकों का निर्माण करना तथा खाद्य पदार्थों के विनिर्माण, भण्डारण, वितरण, बिक्री तथा आयात आदि को नियन्त्रित करना है जिससे मानव-उपभोग के लिये सुरक्षित तथा सम्पूर्ण आहार की उपलब्धि सुनिश्चित की जा सके.
- खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं.
- अध्यक्ष भारत सरकार के सचिव के पद का होता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : India to launch a public DNS server
संदर्भ
भारत सरकार शीघ्र ही एक सार्वजनिक डोमेन नाम प्रणाली (DNS) सर्वर का अनावरण करने जा रही है जिसमें अधिक उन्नत सुरक्षात्मक प्रावधान होंगे जिससे कि उसके उपयोग करने वालों को किसी मैलवेयर अथवा फिशिंग का शिकार न होना पड़े और साथ ही साथ प्रतिक्रिया के समय अधिक तेजी आवे.
मुख्य बिंदु
- यह नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर (NIC) द्वारा बनाए गये सर्वर की तुलना में अधिक उन्नत और सुरक्षित है.
- यह पांच मिलियन उपयोगकर्ताओं को होस्ट करने की क्षमता रखता है और आवश्यकता पड़ने पर यह क्षमता और भी बढ़ाई जा सकती है.
- यदि अनजाने में कोई उपयोगकर्ता किसी मेलीशस अथवा फिशिंग साईट पर जा पहुँचता है तो यह प्रणाली तुरंत ही एक पेज अथवा पॉप-अप खोल देता है जिससे कि उपयोगकर्ता सावधान हो जाए और संदिग्ध स्रोत से बच जाए.
- नए DNS को पूरे देश में लाया जाएगा जिससे कि आउटेज कम से कम हो सके और यह 24 घंटे उपलब्ध रहे. कोई भी व्यक्ति इन्टरनेट ब्राउज़र में IP नंबर डालकर इस सर्वर का उपयोग कर सकता है.
DNS की आवश्यकता
DNS एक महत्त्वपूर्ण साधन है जिसकी इन्टरनेट ब्राउज़िंग में बहुत बड़ी भूमिका है. इसका त्रुटिहीन होना आवश्यक है. आज देश में कई महत्त्वपूर्ण सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसको देखते हुए साइबर आक्रमणों को हतोत्साह करने के लिए और साईट-लोडिंग समय को घटाने के लिए देश का अपना एक सुदृढ़ सर्वर होना अत्यावश्यक प्रतीत होता है.
DNS क्या है?
- DNS वह प्रणाली है जो डोमेन नामों को IP (Internet Protocol) में बदल देती है जिससे ब्राउज़र वांछित वेबसाइट को लोड करने में समर्थ हो जाते हैं.
- यह एक डाटाबेस है जो सभी डोमेन नामों तथा सम्बन्धित IP नम्बरों को विशेष उच्च-स्तरीय डोमेनों में जमा करता है, जैसे – .com, .net आदि.
Prelims Vishesh
Seoul Peace Prize :-
2018 का प्रतिष्ठित सोल शान्ति पुरस्कार प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग तथा वैश्विक-आर्थिक वृद्धि के संपोषण में उनके योगदान के लिए मिला है.
Velayat 97:-
- ईरान द्वारा चलाये जा रहे नौ-सैनिक अभ्यास को विलायत 97 कहा जाता है.
- इसमें नौसेना के हथियारों, उनके चलाने की क्षमता और वास्तविक युद्ध के लिए नौसेना तैयारी का अभ्यास किया जाता है.
World’s largest bee spotted for the first time since 1981 :-
- 40 वर्षों के बाद विश्व के सबसे बड़े मधुमक्खी, जो मनुष्य के अंगूठे के बराबर होता है, फिर से इंडोनेशिया के एक सुदूर स्थान में देखा गया है.
- इस मधुमक्खी का नाम वॉलेस जायंट बी (Megachile pluto) है और यह इंडोनेशिया के उत्तर मोलूकास क्षेत्र में पाया जाता है.
- IUCN लाल सूची में इसे संकटापन्न प्रजाति में रखा गया है.
Beresheet- Israel’s First Lunar Lander Launched :–
- हाल ही में फौल्कन 9 प्रक्षेपास्त्र से इजराइल के पहले चाँद पर उतने वाले अन्तरिक्षयान – बेरेशीट – को छोड़ा गया.
- यह चंद्रमा पर उतरने वाला इजराइल का पहला अन्तरिक्षयान होगा.
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