Sansar डेली करंट अफेयर्स, 23 July 2020

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 23 July 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : Madhubani Paintings

संदर्भ

बिहार के मधुबनी चित्रकला वाले मास्क (Madhubani Painting Mask) की माँग तेजी से बढ़ रही है. खूबसूरत पेंटिंग के साथ इन मास्क को कुछ लोक कलाकार नए अंदाज में पेश कर रहे हैं.

मधुबनी चित्रकला

मधुबनी चित्रकला को यह नाम बिहार के मधुबनी जिले से प्राप्त हुआ है जहाँ इस कला शैली को पारम्परिक रूप से चित्रित किया जाता था. इसकी उत्पत्ति रामायण काल से मानी जाती है.

मधुबनी चित्रकला की अभिलाक्षणिक विशेषताएँ निम्नवत् हैं –

  • चटख रंगों और विषम रंगों या पैटर्न से भरा रेखा चित्र.
  • प्रमुख विषय : ज्यामितीय निरूपण; कृष्ण, राम, तुलसी का पौधा, दुर्गा, सूर्य और चन्द्रमा जैसे हिन्दुओं के धार्मिक रूपों का अंकन; विवाह, जन्म आदि जैसे शुभ अवसरों का चित्रण किया जाता है.
  • पुष्प, पशु और पक्षी रूपोंका भी चित्रण किया जाता है और यह प्रतीकात्मक प्रकृति को दर्शाती है, उदाहरण के लिए – मछलियाँ सौभाग्य और उर्वरता को प्रदर्शित करती हैं.
  • सामान्यतः दोहरी रेखाओं युक्त किनारा, रंगों का स्पष्ट प्रयोग, अलंकृत पुष्प पैटर्न और अतिरंजित मुखमंडल की विशेषताएँ शामिल हैं.
  • बिना छायांकन के द्विआयामी चित्र.

इसमें चित्रों को गाय के गोबर और मिट्टी से लेपित दीवारों के ताजे प्लास्टर पर चावल के लेप और सब्जियों के रंगों का उपयोग करके चित्रित किया जाता है. वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए अब इसे कागज़, कपड़ा, कैनवास आदि पर भी बनाया जाता रहा है. महिलाओं के साथ पुरुष भी अब इस कला परम्परा में शामिल हो गए हैं. इसे भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिया गया है.

madhubani mask


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.

Topic : Appointment of Government Servants as Gram Panchayat Administrator

संदर्भ

हाल ही में, बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा एक अंतरिम आदेश में, महाराष्ट्र में स्थानीय प्राधिकरणों के सरकारी कर्मचारियों को ग्राम पंचायतों के प्रशासक के रूप नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है.

मामला क्या है?

कुछ समय पहले, महाराष्ट्र सरकार के राज्य ग्रामीण विकास विभाग ने ‘सरकारी प्रस्ताव’ (Government Resolutions– GRs) तथा महाराष्ट्र ग्रामीण पंचायत (संशोधन) अध्यादेश, 2020 जारी किया था जिसके विरोध में बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करने के दौरान उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश पारित कर दिया.

संशोधन में क्या था?

इस सशोधन में प्राकृतिक आपदामहामारी आपातकालवित्तीय आपातकाल या प्रशासकीय आपातकाल के कारण राज्य चुनाव आयोग चुनाव (State Election Commission– SEC) द्वारा चुनाव नहीं कराये जाने पर प्रशासकों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है.

याचिका में क्या था?

  1. ग्राम पंचायतों के प्रशासक के रूप में निजी व्यक्तियों की नियुक्ति से संबंधित ‘सरकारी प्रस्तावों’ (GRs) तथा अध्यादेश को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई है.
  2. याचिकाकर्ताओं ने महाराष्ट्र ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 151 में संशोधन करने वाले अध्यादेश को चुनौती दी है.
  3. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि निजी प्रशासकों की नियुक्तियां कानून द्वारा विधि-सम्मत नहीं है, तथा इस प्रकार की व्यापक नियुक्तियों से स्थानीय शासन पर स्थायी प्रभाव पड़ेगा.
  4. याचिकाकर्ताओं का मानना है कि, ग्राम पंचायतों में, राज्य तथा स्थानीय प्राधिकरणों के विभिन्न विभागों के अधिकारी प्रशासक के रूप में नियुक्त किये जा सकते हैं, मगर सरकार द्वारा यह निर्णय कुछ राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए लिया गया है.

 राज्य सरकार का क्या कहना है?

  1. महामारी के कारण राज्य में ग्राम-पंचायतों की निर्वाचन प्रक्रिया बाधित हुई है, तथा पंचायतों के परिचालन के लिए प्रशासकों की तत्काल जरूरत है.
  2. राज्य में ग्राम पंचायतों की पर्याप्त संख्या है, तथा सरकारी कर्मचारियों पर पहले से ही काफी अधिक कार्यभार है. अतः, इन्हें प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाना कठिन है.

न्यायालय का निर्णय

  1. अंतरिम उपाय के रूप में, अध्यादेश एवं सरकारी प्रस्तावों के अंतर्गत नियुक्त किया जाने वाले प्रशासक, सरकारी कर्मचारी या स्थानीय प्राधिकरण के अधिकारी होने चाहिए.
  2. सरकारी कर्मचारी के उपलब्ध नहीं होने तथा निजी व्यक्ति की नियुक्ति किये जाने परप्रत्येक आदेश में सरकारी कर्मचारी की अनुपलब्धता के कारणों को दर्ज किया जायेगा.
  3. प्रशासकों के लिए, मापदंड के रूप में “गाँव का निवासी तथा मतदाता सूची में सम्मिलित होना” अनिवार्य नहीं है.
  4. प्रशासक के रूप में नियुक्ति के लिए, स्थानीय प्राधिकारी को प्राथमिकतादी जानी चाहिए.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government Policies and Interventions for Development in various sectors and Issues arising out of their Design and Implementation.

Topic : Kumhar Sashaktikaran Yojana

संदर्भ

गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने वंचित कुम्हार समुदाय के सशक्तीकरण और उसे ‘आत्‍मनिर्भर भारत’ अभियान से जोड़ने के लिए आज खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा चलाई जा रही ‘कुम्‍हार शक्तिकरण योजना’ के एक सौ प्रशिक्षित कारीगरों को 100 विद्युत चाक वितरित किए.

योजना का महत्त्व

  • ‘कुम्हार सशक्तीकरण योजना’ कुम्हार समुदाय को “आत्मनिर्भर” बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है.
  • यह पहल हाशिए पर पहुंच चुके कुम्हार समुदाय को मजबूत बनाने में मदद करेगी और मिट्टी के बर्तनों की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने में सहायक होगी.
  • इस संदर्भ में केवीआईसी(KVIC) द्वारा गांधीनगर जिले में 14 गांवों के 100 कुम्हारों को प्रशिक्षित किया है और 100 इलेक्ट्रिक पहिये तथा 10 ब्लेंजर मशीनें वितरित की गयी हैं.

कुंभकार सशक्तीकरण योजना क्या है?

  • नीति आयोग द्वारा चिन्हित आकांक्षा जिलों में मिट्टी के बर्तन बनाने की परम्परा को जीवंत रखने के लिए खादी एवं ग्राम उद्योग आयोग (KVIC) ने एक बड़ी योजना बनाई है जिसका नाम कुम्हार सशक्तीकरण योजना है.
  • इस योजना के अंतर्गत पोखरण में सदियों से रहते आये 80 कुम्हार परिवारों को बिजली का एक-एक चाक (potter wheels) बाँटा जाता है.
  • ज्ञातव्य है कि यह कार्यक्रम इन राज्यों में चलाया जा रहा है – राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, J & K, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा, तेलंगाना और बिहार.
  • ‘कुम्हार सशक्तीकरण योजना’ के तहत कुम्हारों की औसत आय लगभग 3000 रुपये प्रति माह से बढ़कर लगभग 12,000 रुपये प्रति माह हो गई है.

इस कार्यक्रम कुम्हारों को निम्नलिखित सहायता प्रदान की जाती है –

  1. उन्नत मिट्टी के बर्तनों उत्पादों के लिए प्रशिक्षण
  2. नई तकनीक पॉटरी उपकरण जैसे इलेक्ट्रिक चाक
  3. बाजार संपर्क तथा KVIC प्रदर्शनियों के माध्यम से दृश्यता

GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important institutions.

Topic : World Class State of the Art Honey Testing Lab inaugurated at Anand, Gujarat

संदर्भ

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के सहयोग से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा आणंद (गुजरात) में स्थापित ‘भारत की विश्वस्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशाला’ का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुभारंभ किया.

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़ी संख्या में किसानों को शहद के उत्पादन और विपणन के लिए प्रोत्साहन देकर देश में मीठी क्रांति लाने और कृषि में ज्यादा आय के उनके विजन का उल्लेख करते हुए उनका आभार प्रकट किया.

शहद परीक्षण प्रयोगशाला 

  • एनडीडीबी ने एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानदंडों पर आधारित इस विश्वस्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना की है, जिसमें सभी सुविधाएं हैं और परीक्षण विधियां/प्रोटोकॉल विकसित किए गए हैं. इसे राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त है.
  • इस शहद परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना से शहद के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और दूसरे देशों को निर्यात में सहायता मिलेगी.

मधुमक्खी पालन

मैदानी भाग में इस कार्य को शुरू करने का उपयुक्त समय अक्टूबर और फरवरी में होता है. इस समय एक स्थापित मौन वंशों से प्रथम वर्ष में 20 से 25 किलोग्राम दूसरे वर्ष से 35-40 किलोग्राम मधु का उत्पादन हो जाता है. स्थापना का प्रथम वर्ष ही कुछ महंगा पड़ता है. इसके बाद केवल प्रतिवर्ष 8 या 10 किलोग्राम चीनी एवं 0.500 किलोग्राम मोमी छत्ताधर का रिकरिंग खर्च रहता है. प्रति मौन वंश स्थापित करने में लगभग 2450 रूपये व्यय करना पड़ता है. उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी सलाह मुफ्त दी जाती है. मधुमक्खी पालकों की मधुमक्खियों का प्रत्येक 10वें दिन निरीक्षण जो अत्यन्त आवश्यक है, विभाग में उपलब्ध मौन पालन में तकनीकी कर्मचारी से कराया जाता है.

आगे की राह

 किसानों की आय दुगनी करने के अपने लक्ष्‍य के तहत सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है.  भारत विश्व में शहद के 5 सबसे बड़े उत्पादकों में शुमार है. भारत में वर्ष 2005-06 की तुलना में अब शहद उत्पादन 242 प्रतिशत बढ़ गया है, वहीं इसके निर्यात में 265 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. बढ़ता शहद निर्यात इस बात का प्रमाण है कि मधुमक्‍खी पालन 2024 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्‍य हासिल करने की दिशा में महत्‍वपूर्ण कारक रहेगा. राष्‍ट्रीय मधुमक्‍खी बोर्ड ने राष्‍ट्रीय मधुमक्‍खी पालन एवं मधु मिशन (एनबीएचएम) के लिए मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के लिए चार माड्यूल बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है. इन्हें सरकार द्वारा वित्‍तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है. सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए गठित की गई समिति  की सिफारिशों का कार्यान्‍वयन कर रही है. मधुमक्खी पालन का काम गरीब व्यक्ति भी कम पूंजी में अधिक मुनाफा प्राप्त करने के लिए कर सकता है. 


GS Paper 2 Source : Times of India

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UPSC Syllabus : Role of external state and non-state actors in creating challenges to internal security.

Topic : Kuwait expat quota bill

संदर्भ

कुवैत की नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने अप्रवासी कोटा मसौदा विधेयक (draft expat quota billको स्वीकृति दे दी है, जिसमें यह कहा गया है कि भारतीयों की आबादी वहाँ की कुल जनसंख्या से 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. अब इस विधेयक को संबंधित समिति में भेजा जाएगा ताकि एक व्यापक योजना बनाई जाए. नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने निर्धारित किया है कि अप्रवासी कोटा विधेयक मसौदा संवैधानिक है. कुवैत में अगर अप्रवासियों के लिए निर्मित यह नया कानून लागू हो जाता है तो 7-8 लाख भारतीय जो कुवैत में रह रहे हैं, उन्हें उस देश से बाहर किया जा सकता है.

गल्फ न्यूज ने बताया कि विधेयक के कानून बन जाने पर 8 लाख भारतीय श्रमिक कुवैत छोड़ने पर विवश हो सकते हैं. विदित हो कि भारतीय समुदाय कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिसकी कुल संख्या 14.5 लाख है. कुवैत की 43 लाख की आबादी में से, 30 लाख अप्रवासी ही रहते हैं. कुवैत भारत के लिए धन प्रेषण का एक शीर्ष स्रोत भी है. 2018 में, भारत ने कुवैत से प्रेषण के रूप में $4.8 बिलियन के करीब प्राप्त किया था.

  • कुवैत सरकार द्वारा तेल की कीमतों में गिरावट और कोरोनोवायरस महामारी के कारण खाड़ी देश की प्रवासी आबादी का कुल 30% भाग आधा करने का फैसला करने के साथ, लगभग 8 लाख भारतीयों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
  • कुवैत नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति ने अप्रवासी कोटा विधेयक मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसके अनुसार भारतीयों की आबादी 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए.
  • रिपोर्ट के अनुसार, बिल अब संबंधित समिति को स्थानांतरित कर दिया जाएगा, ताकि एक व्यापक योजना बनाई जाए.

भारत-कुवैत संबंध

  1. इन दोनों देशों के संबंधों में हमेशा एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक और व्यापार आयाम रहा है. हाल के वर्षों में भारत और कुवैत ने परस्पर अपनी नीतियों में संस्कृति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, नागरिक उड्डयन और युवा मामलों पर प्रमुख रूप से ध्यान दिया है.
  2. भारत लगातार कुवैत के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में से रहा है. कुवैत भारत को कच्चे तेल का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता रहा है. 2017-18 के दौरान, कुवैत भारत का नौवां सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता था, और यह भारत की ऊर्जा जरूरतों का लगभग 4.63 प्रतिशत पूरा करता है.
  3. 2016-17 के दौरान कुवैत के साथ द्विपक्षीय व्यापार $ 5.9 बिलियन था, और 2017-18 में यह 8.53 बिलियन डॉलर हो गया.
  4. FY19 में यह 2.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 8.76 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि भारतीय निर्यात 1.33 बिलियन डॉलर था, आयात 7.43 बिलियन डॉलर था.
  5. भारत के निर्यात में खाद्य पदार्थ, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल और इंजीनियरिंग उपकरण, सिरेमिक, ऑटोमोबाइल, रसायन, आभूषण, धातु उत्पाद, आदि शामिल हैं.
  6. कुवैत भारत के लिए धन प्रेषण के शीर्ष स्रोतों में से एक है. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में, भारत को कुवैत से प्रेषण के रूप में 4.8 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, कुल प्रेषण का 58.7 प्रतिशत चार राज्यों: केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु द्वारा प्राप्त किया गया था.
  7. प्रेषणों का प्रवाह मोटे तौर पर विदेशी प्रवासियों की राज्यवार रचना को दर्शाता है. ऐसा पाया गया कि दक्षिण राज्य के लोग कुवैत में बहुत ही अधिक संख्या में कार्यरत हैं और कुवैत से भारत में धन प्रेषण में 46 प्रतिशत के लगभग उन्हीं का योगदान है.

जनसांख्यिकी असंतुलन

  • बताया जा रहा है कि नया मसौदा विधेयक इस प्रकार बनाया गया है जिससे कुवैत में विद्यमान वर्तमान “जनसांख्यिकीय असंतुलन” को ठीक किया जा सके. विदित हो कि कुवैत विधि निर्माताओं की धारणा है कि देश में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ चुका है. न केवल भारतीय, राष्ट्र में रहने वाले मिस्र के लोगों को भी इस गंभीर अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है.
  • यद्यपि कानून के कार्यान्वयन के विषय में कोई औपचारिक योजना अभी तक तैयार नहीं की गई है, लेकिन ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि देश अगले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे अपनी प्रवासी आबादी में कटौती कर सकता है. फिर भी, देश में कार्यरत भारतीय श्रमिकों के लिए इसके बड़े निहितार्थ होंगे, जिनमें से कई पहले से ही COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न बेरोजगारी से पीड़ित हैं.

भारतीय समुदाय

  • भारतीय दूतावास के अनुसार, कुवैत में दस लाख से अधिक भारतीय जो कानूनी कार्यबल के रूप में हैं, के अलावा, लगभग 10,000 भारतीय नागरिक हैं जिन्होंने अपने वीजा को खत्म कर लिया है.
  • कुवैत में भारतीय समुदाय प्रति वर्ष 5-6% की दर से बढ़ रहा है. अब कुवैत ने COVID-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट के चलते देश के आव्रजन में अचानक रोक लगाने का निर्णय ले लिया है.
  • भारतीय सबसे बड़े प्रवासी समुदाय हैं और मिस्रवासी दूसरे सबसे बड़े हैं. वहाँ कार्यरत भारतीयों में 2.5 लाख महिलाएँ और तीन चौथाई या लगभग 7.5 लाख भारतीय पुरुष हैं.
  • यह अनुमान है कि 5.23 लाख भारतीय निजी क्षेत्र में तैनात हैं, जैसे कि निर्माण श्रमिक, तकनीशियन, इंजीनियर, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आईटी विशेषज्ञ, आदि और 1.16 लाख लोग आश्रित हैं. कुवैत के 23 भारतीय स्कूलों में लगभग 60,000 भारतीय छात्र पढ़ते हैं. लगभग 3.27 लाख घरेलू कामगार (यानी ड्राइवर, माली, सफाईकर्मी, नानी, रसोइया और गृहिणी) हैं जिन्हें अपने पति / बच्चों को देश में लाने की अनुमति नहीं है. लगभग 28,000 भारतीय विभिन्न नौकरियों जैसे नर्सों, राष्ट्रीय तेल कंपनियों में इंजीनियरों और कुछ वैज्ञानिकों के रूप में कुवैती सरकार के लिए काम करते हैं.

अब क्या होगा?

गल्फ़ कोपरेशन काउंसिल (GCC) देशों में लगभग आठ मिलियन भारतीय काम करते हैं. उनमें से लगभग 2.1 मिलियन लोग केरल से हैं. जीसीसी देशों में भारतीय प्रवासी समुदायों के अन्य प्रमुख योगदानकर्ता उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और राजस्थान हैं.

भले ही कुवैत सरकार नौकरियों का राष्ट्रीयकरण कर दे और अप्रवासियों को काम से निकाल-बाहर कर दे पर ऐसी बहुत संभावना है कि निजी कंपनियां फिलहाल तो ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी. GCC देशों में उच्च-स्तरीय कार्य वर्ग में सबसे अधिक दबदबा वहां के स्थानीय लोगों का है और उसके बाद अमेरिका, यूरोप के निवासियों का स्थान आता है. उसके बाद भारतीय या अन्य एशियाई देश के श्रमिक आते हैं. इसलिए हम ऐसा कह सकते हैं कि वहां की नौकरियों में, या यूँ कहे कि नौकरियों की श्रेणियों में जनसांख्यिकीय विविधता देखी जा सकती है जिसे इतनी आसानी से अचानक तोड़ देना असंभव है. वैसे भी, भारतीय मजदूर वर्ग के लोग इन खाड़ी देशों में जाकर जो काम करते हैं, वे अरब लोग करना पसंद नहीं करेंगे.


Prelims Vishesh

Eosinophil count :-

  • कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि COVID-19 को पकड़ने के लिए रोगी के शरीर में  Eosinophil की गिनती सहायक हो सकती है.
  • ज्ञातव्य है कि रक्त की जाँच से Eosinophil का पता चलता है. यह एक प्रकार का श्वेत रक्त कोष है जो कतिपय एलर्जी वाले रोगों, संक्रमणों आदि में सक्रिय हो उठता है.

National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories (NABL) :-

  • NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) भारतीय गुणवत्ता परिषद् के अंतर्गत एक अंगीभूत स्वायत्त बोर्ड है जो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग प्रोत्साहन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के अन्दर आता है.
  • यह बोर्ड विज्ञान एवं आभियांत्रिकी (Science and Engineering) के सभी प्रमुख क्षेत्रों के लिए अभिप्रमाणन प्रदान करता है, जैसे – जीव विज्ञान, रसायनशास्त्र, विद्युत, इलेक्ट्रोनिक्स, यांत्रिकी, द्रव प्रवाह, अविध्वंसात्मक आदि आदि.
  • इस बोर्ड की सेवाएँ भारत और विदेश में स्थित सभी परीक्षण और केलिब्रेशन प्रयोगशालाओं के लिए उपलब्ध होती हैं, चाहे उनका स्वामी कोई भी हो अथवा उनकी वैधानिक स्थिति, आकार तथा स्वतंत्रता का परिमाण कुछ भी हो.
  • इस बोर्ड का APLAC और ILAC के साथ पारस्परिक मान्यता व्यवस्था (Mutual Recognition Arrangement – MRA) है.

Case Fatality Rate (CFR) :-

एक निश्चित समायावधि में जितने भी लोग रोग विशेष से पीड़ित पाए जाते हैं उनमें से मरने वालों की संख्या को केस मृत्यु दर (CFR) कहा जाता है.

Godhan Nyay Yojana :-

छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय नामक एक योजना चलाने वाली है जिसके अन्दर सरकार गोपालकों से 2 रु. प्रति किलो की दर से गोबर खरीदेगी और उस गोबर को कृमि कम्पोस्ट में बदलकर फिर उसे किसानों को 8 रु. प्रति किलो की दर से बेच देगी जिससे कि जैविक खेती को बढ़ावा मिल सके.


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