Sansar Daily Current Affairs, 23 October 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Earth’s inner core is softer, a study reveals
संदर्भ
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (ANU) के शोधकर्ताओं ने हाल ही में यह पता लगाया है कि पृथ्वी का आंतरिक मूलभाग (core) ठोस तो है पर उतना कठोर नहीं है जितना कि समझा जाता है.
आंतरिक मूल भाग से सम्बंधित तथ्य
- यह निकल और लोहे की मिश्रधातु का बना हुआ है.
- इसकी त्रिज्या (radius) की लम्बाई 1,220 किलोमीटर है जो चंद्रमा की त्रिज्या के 70% के बराबर है.
- इसका तापमान 5,430 °C है जो सूर्य के तापमान के लगभग बराबर है.
- पृथ्वी के आंतरिक मूलभाग में दो परते हैं – एक बाहरी और एक अंदरूनी.
- बाहरी भाग की मोटाई 2,180 किमी. है.
- शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि पृथ्वी के आंतरिक मूलभाग में लचीलेपन का गुण है जो सोने और प्लैटिनम से मिलता-जुलता है.
- वैज्ञानिकों का मत है कि पृथ्वी के भू-चुम्बकीय क्षेत्र की उत्पत्ति और संधारण में पृथ्वी के मूलभाग की बहुत बड़ी भूमिका है. विदित हो कि भू-चुम्बकीय क्षेत्र के बिना पृथ्वी के बाहरी धरातल पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Large vacancies for judges in lower courts
संदर्भ
भारत में “उच्च न्यायिक सेवा” एवं “निम्न न्यायिक सेवा” में न्यायाधीशों की 5,133 रिक्तियों पर सर्वोच्च न्यायालय ने चिंता व्यक्त की है और राज्य सरकारों को कहा है कि वे बताएँ कि अभी 4,180 न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया को कैसे छोटी से छोटी की जा सकती है. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी पूछा है कि वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया के चालू हो जाने के पश्चात् कितनी नई रिक्तियाँ उत्पन्न हो गई हैं.
मलिक मजहर सुलतान वाद
ज्ञातव्य है कि वर्तमान में न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया मलिक मजहर सुलतान वाद में दिए गये निर्देशों के अनुसार चलती है. ऐसी नियुक्ति के लिए 7 महीने लग जाते हैं. यदि सात महीने से अधिक लगते हैं तो इस विलम्ब का कारण बतलाना पड़ता है.
नियुक्ति की प्रक्रिया बदली जाए?
केन्द्रीय विधि मंत्रालय सर्वोच्च न्यायालय से मिलकर एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसके अनुसार निम्न न्यायालयों में न्यायाधीशों के 6,000 रिक्त पदों में एककालिक भर्ती करने के लिए एक राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित करने की योजना है.
इस क्रम में प्रस्ताव है कि नियुक्ति के लिए ली जाने वाली परीक्षा का आयोजन एक केन्द्रीय एजेंसी करे. यदि कोई आवेदक किसी विशेष राज्य का विकल्प दे रहा है तो उसके लिए स्थानीय भाषा को भी परीक्षा में उचित महत्त्व दिया जाए. परीक्षा के बाद एक अखिल भारतीय मेधा सूची तैयार की जायेगी जिसके आधार पर राज्य सरकारें नियुक्ति करेंगी.
महत्त्व
न्यायाधीश के पदों में रिक्ति की विशाल संख्या को देखते हुए तथा न्यायालयों में अनेक लम्बित मामलों को ध्यान में रखते हुए इन पदों को शीर्घ-अतिशीघ्र भरना अत्यावश्यक है. सूचना है कि निम्न न्यायालयों में 2.78 करोड़ वाद लंबित चल रहे हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Sittwe Port
संदर्भ
भारत और म्यांमार ने हाल ही में एक समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके अनुसार सितवे बन्दरगाह, पलेतवा अंतरदेशीय जल टर्मिनल एवं कलादान बहु-आदर्श संक्रमण बंदरगाह परियोजना में सम्मिलित सम्बद्ध सुविधाओं के संचालन एवं संधारण के लिए एक निजी बंदरगाह संचालक की नियुक्ति की जाएगी.
सितवे कहाँ है?
सितवे (Sittwe) दक्षिणी-पश्चिमी म्यांमार में स्थित रखाइन राज्य की राजधानी है. यह कलादान नदी के मुहाने पर स्थित है, जो बहते हुए मिज़ोरम में प्रवेश कर जाती है.
भारत के लिए सितवे का महत्त्व
भारत की वर्षों से यह चेष्टा रही है कि उसे अपने चारों ओर से भूमि से घिरे हुए पूर्वोत्तर राज्यों तक माल पहुँचाने के लिए बांग्लादेश से होकर कोई रास्ता मिल जाए. अभी तो यह स्थिति है कि वहाँ माल पहुँचाने के लिए पश्चिम बंगाल के उस उत्तरी भाग से होकर जाना पड़ता है जो भूटान और बांग्लादेश के बीच स्थित है और जिसे “मुर्गी की गर्दन” भी कहते हैं. यदि सितवे होकर रास्ता मिल जाए तो कलकत्ता से मिजोरम एवं आगे की दूरी और खर्च दोनों में पर्याप्त कमी आ जायेगी.
कलादान परियोजना क्या है?
- कलादान परियोजना म्यांमार के सितवे बंदरगाह को भारत-म्यांमार सीमा से जोड़ती है.
- यह परियोजना भारत और म्यांमार दोनों के द्वारा संयुक्त रूप से आरम्भ की गई थी. इसका उद्देश्य भारत के पूर्वी बंदरगाहों से म्यांमार तक और उसके पश्चात् म्यांमार होते हुए भारत के पूर्वोत्तर भागों तक माल-ढुलाई का प्रबंधन करना है.
- इस परियोजना से आशा है कि नए समुद्री मार्ग खुलेंगे तथा पूर्वोत्तर राज्यों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही भारत और म्यांमार के बीच में आर्थिक, वाणिज्यिक एवं सामरिक सम्बन्ध प्रगाढ़ होंगे.
- यह परियोजना कलकत्ता से सितवे तक की दूरी को 1,328 किमी. तक घटा देगी और “मुर्गी की गर्दन” की ओर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Tea Board
संदर्भ
भारतीय चाय बोर्ड एक ऐसा app आरम्भ करने जा रहा है जिसके द्वारा छोटे-छोटे चाय उत्पादकों को मार्गनिर्देश दिया जा सकेगा. इस app का नाम होगा – “चाय-सहाय“. ज्ञातव्य है कि छोटे-छोटे चाय उत्पादकों का कुल चाय उत्पादन में हिस्सा बढ़ता ही जा रहा है.
मुख्य तथ्य
- यह ऐप छोटे चाय उत्पादकों और विभिन्न अधिकारियों के लिए यूजर इंटरफ़ेस सुविधा प्रदान करेगा.
- इसमें चाय बोर्ड के अधिकारियों की विभिन्न गतिविधियों के विषय में सूचना अंकित होगी.
- इस app में छोटे-छोटे चाय उत्पादकों के बारे में एक database होगा. साथ ही में इसमें पंजीकरण प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी जायेगी.
- इस app में चाय की खेती में प्रयोग होने वाली वस्तुएँ और कीटनाशकों के बारे में सलाह अंकित होगी.
- कीड़ों को नियंत्रित करने के विषय में चाय उत्पादक सलाह माँगने के लिए इस app में अपने प्रश्न डाल सकते हैं.
भारतीय चाय बोर्ड क्या है?
- भारतीय चाय बोर्ड की स्थापना 1953 में चाय अधिनियम के तहत हुई थी.
- यह बोर्ड भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय के रूप में कार्य करता है.
- बोर्ड में अध्यक्ष सहित 31 सदस्य होते हैं जो इन वर्गों से आते हैं – सांसद, चाय उत्पादक, चाय व्यापारी, चाय दलाल, उपभोक्ता, चाय उपजाने वाले प्रमुख राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधि तथा मजदूर संघ.
- इस बोर्ड को हर तीसरे वर्ष नए सिरे से गठित किया जाता है.
भारतीय चाय बोर्ड के कार्य
- यह बोर्ड चाय निर्यात करने वाले व्यापारियों को अभिप्रमाणन संख्या देता है. इस अभिप्रमाणन का उद्देश्य चाय की उत्पत्ति के स्थान के बारे में प्रामाणिक जानकारी देना है जिससे उत्कृष्टतम चाय उत्पादों पर गलत लेबल नहीं लगाया जा सके.
- यह बोर्ड अनुसंधान संगठनों को आर्थिक सहायता देता है.
- बोर्ड चाय को डिब्बाबंद करने की विधि की भी निगरानी करता है क्योंकि इसका स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध होता है.
- यह अनुसंधान संस्थानों, चाय व्यापार और सरकारी निकायों के बीच समन्वय का काम करता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Harit Diwali-Swasth Diwali campaign
संदर्भ
भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में हरित दिवाली – स्वस्थ दिवाली नामक अभियान का अनावरण किया है. मंत्रालय ने इस वर्ष के अभियान को “Green Good Deed” आन्दोलन से जोड़ दिया है जो पर्यावरण के संरक्षण एवं सुरक्षा से जुड़े सामाजिक जन-जागरण के लिए आरम्भ किया गया था.
हरित दिवाली – स्वस्थ दिवाली का उद्देश्य दिवाली में पटाखों के अत्यधिक जलाने के कारण होने वाले वायु तथा ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव को कम करना है.
हरित दिवाली – स्वस्थ दिवाली अभियान
- यह अभियान 2017-18 में आरम्भ किया गया था. इसका लक्ष्य था बच्चों को पटाखों से होने वाली हानियों के बारे में बताना और उन्हें पर्यावरण-अनुकूल विधि से दिवाली मानने के लिए प्रेरित करना था. बच्चों को कहा गया था कि वे पटाखे नहीं खरीदे, अपितु उनके स्थान पर उपहार, खाने की वस्तुएँ अथवा मिठाइयाँ खरीदें जो उनके मुहल्ले में रहने वाले गरीब और वंचित बच्चों को दिए जाएँ.
- यह अभियान अत्यंत ही सफल रहा था क्योंकि 2016 की तुलना में 2017 में दिवाली के बाद वायु की गुणवत्ता में ह्रास नहीं हुआ था.
वायु प्रदूषण की समस्या
- देश में, विशेषकर उत्तर भारत में, जाड़ों के समय वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य-समस्या होता है. यह प्रदूषण धूली, कुछ राज्यों में पराली जलाने, कचरा जलाने, निर्माण कार्य तथा जलवायविक दशाओं के कारण होता है.
- वायु प्रदूषण का बच्चों, बूढ़ों और स्वास-समस्या से ग्रसित लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसी समय दिवाली का त्यौहार भी आता है.
- दिवाली में पटाखे जलाने की परम्परा है. इन पटाखों में ज्वलनशील रसायन होते हैं, जैसे – पोटेशियम क्लोरेट, अलमुनियम चूर्ण, मैग्नीशियम, बेरियम लवण, तांबा, सोडियम, लिथियम, स्ट्रानटियम इत्यादि.
- ये पदार्थ जलने पर धुआँ छोड़ते हैं और आवाज पैदा करते हैं. इस धुएँ और आवाज का न केवल बच्चों और बूढ़ों के ही अपितु पशुओं और पक्षियों के भी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
- इसके अतिरिक्त पटाखों के जलने से बहुत सारा मलबा भी बनता है.
Prelims Vishesh
‘Gaming Garage’:–
- आंध्र प्रदेश सरकार ने विजयवाड़ा में शीघ्र ही एक “गेमिंग गैराज” की स्थापना करने का निर्णय लिया है.
- इस गैराज में कोई भी आकर अपनी पसंद का गेम विकसित कर सकता है जिसके लिए यहाँ आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी.
- विदित हो कि आजकल गेमिंग एक बहुत बड़ा उद्योग बन चुका है जिसमें करोड़ों रुपये लगे हुए हैं.
Migingo Island :-
- मिगिंगो एक बहुत छोटा पथरीला द्वीप है जो अफ्रीका की सबसे बड़ी झील Lake Victoria में स्थित है.
- यह हाल में समाचार में इसलिए आया क्योंकि यूगांडा और केन्या दोनों ही इस पर दावा करते हैं और इसके लिए विवाद होता रहता है.
World’s longest sea crossing: Hong Kong-Zhuhai bridge :-
- हाल ही में चीन के राष्ट्रपति जी जिनपिंग ने विश्व के सबसे लम्बे समुद्री पुल का उद्घाटन किया है.
- यह पुल भूस्थलीय पथ को जोड़कर 55 किमी. लम्बा है और यह हांगकांग को मकाऊ और मुख्य चीन के जुहाई (Zhuhai) शहर से जोड़ता है.
- इस पुल को बनाने में 9 वर्ष लगे और इसमें 20 बिलियन डॉलर का खर्च आया.
- इसमें 4 लाख टन इस्पात लगा जिससे 60 Eiffel Tower बन सकते थे.
- यह पुल ऐसा बनाया गया है कि यह भूकम्प और तूफ़ान को झेल सकता है.
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