Sansar Daily Current Affairs, 24 September 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Dakshina Bharat Hindi Prachar Sabha
संदर्भ
सितम्बर 22, 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की सौवीं वर्षगाँठ के समारोहों का उद्घाटन किया.
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा क्या है?
- यह संगठन एनी बेसेंट द्वारा महात्मा गाँधी के सहयोग से 1918 ई. में स्थापित किया गया था. महात्मा गाँधी इस संगठन के स्थापक अध्यक्ष बने और जीवन पर्यन्त इस पद पर रहे.
- 1964 ई. में इस संस्था को भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्त्व की संस्थाओं में से एक के रूप में मान्यता दी थी.
- इस संस्था का उद्देश्य था इन क्षेत्रों में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना -> मद्रास रेजीडेंसी तथा बंगनपल्ली, कोचीन, हैदराबाद, मैसूर, पुडुकोट्टई, संदूर और त्रावणकोर के रजवाड़ों की रियासतें.
- दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में हिंदी की पहली कक्षा गाँधी जी के बेटे देवदास गाँधी ने ली थी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Ayushman Bharat
संदर्भ
हाल ही में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने राँची, झारखंड में केंद्र की एक महत्त्वपूर्ण योजना – प्रधानमन्त्री जन आरोग्य अभियान – का अनावरण किया. इस अभियान को आयुष्मान भारत अथवा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (AB-NHPM) के नाम से भी जाना जाता है.
- यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना है जिसके लाभार्थियों की संख्या यूरोप के 27-28 देशों के बराबर अथवा कनाडा-मैक्सिको और अमेरिका के जनसंख्या के लगभग बराबर है.
- निर्धनों और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के लिए बनाई गई यह योजना 10.74 करोड़ परिवारों और लगभग 50 करोड़ भारतीय नागरिकों को लाभ पहुँचाएगी.
आयुष्मान भारत योजना
आयुष्मान भारत एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है जिसके अन्दर 10.74 करोड़ निर्धन और असुरक्षित परिवार आयेंगे जिनके सदस्यों की संख्या लगभग 50 crore हो सकती है. बजट 2018 में यह प्रावधान किया गया है कि इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपयों तक के अस्पताल खर्च का वहन करना होगा. इस प्रकार यह कार्यक्रम विश्व की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था को उत्तम बनाना है.
आयुष्मान भारत कार्यक्रम 2022 के न्यू इंडिया को बनाने में सहायक सिद्ध होगा और लाखों रोजगार, विशेषकर महिलाओं के लिए, सृजित कर सकेगा. बजट 2018 के भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भी घोषणा की थी कि 24 नए सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय और हॉस्पिटल बनाए जायेंगे. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक तीन लोक सभा क्षेत्रों पर एक चिकित्सा महाविद्यालय हो और देश के हर राज्य में कम-से-कम एक सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय हो.
इस योजना के तहत, प्रीमियम भुगतान में किए गए व्यय को केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के निर्दिष्ट अनुपात में साझा किया जाएगा.
आयुष्मान योजना को लागू करने के लिए भारत के स्वास्थ्य एवं कल्याणमंत्री की अध्यक्षता में आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान परिषद् (Ayushman Bharat National Health Protection Mission Council – AB-NHPMC) नामक निकाय बनाया जा रहा है जिसका कार्य योजना के विषय में नीतिगत निर्देश देना तथा केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना होगा.
योजना के लिए अर्हता
आयुष्मान भारत योजना एक अर्हता पर आधारित योजना है जिसके लिए निम्नलिखित श्रेणी के लोग योग्य होंगे –
- गाँवों में रहने वाले ऐसे परिवार जिनके पास केवल 1 कोठरी है जिसकी दीवार कच्ची है और छत भी कच्ची है.
- ऐसा परिवार जिसमें 16 वर्ष से 59 वर्ष के बीच का कोई वयस्क सदस्य नहीं हो.
- ऐसा परिवार जिसकी मुखिया स्त्री हो और जिसमें 16 वर्ष वर्ष से 59 वर्ष का कोई व्यस्क पुरुष सदस्य न हो.
- जिस परिवार में दिव्यांग सदस्य और कोई शारीरिक रूप से समर्थ व्यस्क असमर्थ सदस्य हो.
- सभी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति
- भूमिहीन परिवार जिसकी मुख्य आय दिहाड़ी मजदूरी से होती हो.
- ग्रामीण क्षेत्रों के ये परिवार स्वतः ही इस योजना के लिए योग्य माने जाएँगे – बिना आश्रय के परिवार, अति निर्धन परिवार, भीख पर निर्भर परिवार, हाथ से सफाई करने वाले परिवार, आदिम जनजाति परिवार, बंधुआ मजदूरी से छुड़ाए गये परिवार.
- इस योजना में शहरी क्षेत्र के उन परिवारों को लिया जाएगा जो 11 विशेष पेशों में कार्यरत हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Country Partnership Framework
संदर्भ
विश्व बैंक समूह (World Bank Group – WBG) के कार्यकारी निदेशक बोर्ड ने भारत के लिए एक नए देश भागीदारी ढाँचे (Country Partnership Framework – India CPF) की अनुशंसा की है.
India CPF क्या है?
India CPF विश्व बैंक समूह का किसी देश के लिए अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम है. इससे पता चलता है कि भारत और विश्व बैंक समूह की विभिन्न संस्थाओं के बीच कितना प्रबल सहयोग है. विश्व बैंक समूह की संस्थाएँ हैं –
- अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (The International Bank for Reconstruction and Development – IBRD)
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation – IFC)
- बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (Multilateral Investment Guarantee Agency – MIGA)
विश्व बैंक समूह इस CPF के FY22 में खत्म होने वाले कार्यकाल के दौरान $25-30 billion की सहायता मुहैया करने वाला है.
CPF विश्व बैंक समूह द्वारा किसी सदस्य देश को दी जाने वाली सहायता का मार्गदर्शन करता है. इसके लिए यह (Systematic Country Diagnostic – SCD) का सहयोग लेता है. SCD का काम यह पता लगाना है कि किसी देश में सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं जो उस देश में अतिनिर्धनता को समाप्त करने और सब के लिए खुशहाली लाने के काम में आड़े आ रही हैं. इसके लिए SCD विश्लेषण करती है और अनेक हितधारकों के साथ परमार्श कर आवश्यक जानकारियाँ एकत्र करती हैं.
WBG की नई CPF के मुख्य उद्देश्य
- विकास के, विशेषकर भूमि और जल के उपयोग से सम्बंधित विकास के, एक ऐसे राजस्व की दृष्टि से कारगर नीति को प्रोत्साहित करना जो साथ-साथ टिकाऊ है.
- प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना.
- रोजगार का सृजन करना.
- मानव पूँजी अर्थात् स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल में निवेश करना जिससे कि गुणवत्ता के साथ-साथ सेवा की क्षमता भी बढ़े.
- वायु प्रदर्शन की समस्या का समाधान करना.
- महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना.
- बच्चों के विकास के प्रारम्भिक वर्षों में निवेश.
- नई-नई तकनीकों का प्रयोग करना.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Total expense ratio
संदर्भ
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में म्यूच्यूअल फंडों के लिए टोटल एक्सपेंस रेश्यो (TER) अर्थात् सम्पूर्ण व्यय अनुपात में बदलाव घोषित किये हैं.
SEBI ने TER में क्या परिवर्तन किया है?
SEBI ने सम्पूर्ण व्यय अनुपात (TER) की दर को घटा दिया है. बड़े फंडों के लिए घटाई हुई दर अधिक और छोटे फंडों के लिए कम है.
TER क्या है?
ज्ञातव्य है कि म्यूच्यूअल फण्ड ऐसे निवेश हैं जिनमें निवेशक अपना पैसा किसी asset management company के निवेश प्रबन्धक को इस आशा से सौंप देता है कि वह उस धन का चतुराई से और कारगर ढंग से प्रबन्धन करेगा. इसके लिए निवेश प्रबन्धक पैसा लेता है.
म्यूच्यूअल फंडों के औपचारिक नियंत्रक ने इस विषय में नियम बनाये हैं कि इन फंडों के प्रबंधन के लिए किसी निवेशक से कोई asset management company कितना पैसा ले सकती है. यह निवेशक के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उसके निवेश पर ही यह पैसा (TER) लिया जायेगा और उसके निवेश से जो पैसा उसको मिलेगा, उसमें से TER को घटा दिया जाएगा.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : NASA’s MAVEN spacecraft
संदर्भ
हाल ही में NASA के द्वारा प्रक्षेपित MAVEN नामक अन्तरिक्षयान ने मंगल ग्रह की कक्षा में अपने चार वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक सेल्फी खींच कर भेजी है. ज्ञातव्य है कि यह अन्तरिक्ष यान उस लाल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल का अध्य्यन करने गया है. MAVEN ने नवम्बर 2015 में अपना मुख्य अभियान पूरा कर लिया था. अब यह अन्य कार्यों में भी संग्लन है. वह अभी भी मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल की जाँच कर रहा है और विज्ञान के लिए नए-नए अवसरों का पता लगा रहा है.
उपलब्धियाँ
- MAVEN अन्तरिक्षयान नवम्बर 18, 2013 को ATLAS V लौंच व्हेकिल के द्वारा छोड़ा गया था और यह मंगल की कक्षा में सितम्बर 21, 2014 को स्थापित हो गया था.
- इस अन्तरिक्षयान ने जो जानकारियाँ दी हैं उनसे यह भली-भाँति सिद्ध हो गया है कि मंगल ग्रह में जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण यह है कि उसके वायुमंडल का एक बड़ा भाग विलुप्त हो गया है और उसकी जगह अन्तरिक्ष ने ले ली है.
- अन्तरिक्ष यान ने मंगल ग्रह के दो नए प्रकार के ज्योतिपुंजों (aurora) की भी खोज की है – diffuse aurora और proton aurora. इस प्रकार के ज्योतिपुंज धरती पर भी होते हैं पर वे स्थानीय अथवा वैश्विक चुम्बकीय क्षेत्र अथवा चुम्बकीय सिरों (cusps) को प्रभावित करते हैं. परन्तु मंगल ग्रह के ज्योतिपुंज ऐसा कोई प्रभाव नहीं छोड़ते हैं.
- MAVEN ने यह दिखा दिया है कि मंगल ग्रह का अधिकांश कार्बन डाइऑक्साइड अन्तरिक्ष में खो गया है.
MAVEN के चार प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य
- यह पता लगाना कि मंगल ग्रह के वायुमंडल के क्षरण का क्या प्रभाव उस ग्रह पर पड़ा है.
- मंगल ग्रह के ऊपरी वायुमंडल (ionosphere) की वर्तमान स्थिति तथा सौर पवन से उस पर होने वाले प्रभाव का पता लगाना.
- यह जानना कि न्यूट्रल गैसों और आयनों के अन्तरिक्ष में लुप्त होने की वर्तमान दर क्या है और इसको रोकने के लिए क्या उपाय किये जा सकते हैं.
- मंगल ग्रह के वायुमंडल में स्थिर आइसोटोपों (isotopes) के अनुपात का पता लगाना.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Eco-sensitive area (ESA)
संदर्भ
भारत सरकार पश्चिमी घाटों के 37% क्षेत्र अर्थात् 60,000 वर्ग किलोमीटर भूभाग को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (ESA) घोषित करने के लिए एक नई अधिसूचना निर्गत करने वाली है. इसके प्रारूप पर पश्चिमी घाटों से सम्बंधित पाँच राज्य सहमत हैं, परन्तु कर्नाटक ऐसी घोषणा के विरुद्ध है. उसका कहना है कि ऐसा करने से उसकी अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार का पर्यावरण वन्य एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 2014 से ही पश्चिमी घाटों को पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र घोषित करना चाह रहा है पर इस विषय में अभी तक अधिसूचना निर्गत नहीं हो पाई है क्योंकि सम्बंधित सभी छह राज्यों की सहमति इस पर नहीं मिल पाई है.
पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (ESA) किसे कहते हैं?
पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (ESA) उस क्षेत्र को कहते हैं जहाँ स्थानीय प्रजातियों, वृक्षों और पशुओं की संख्या बहुत अधिक होती है. पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 [Environment (Protection) Act, 1986] के अनुसार भारत सरकार इस क्षेत्र को संवेदनशील घोषित करते हुए वहाँ औद्योगिक गतिविधियों पर रोक लगा सकती है, यथा – खनन, बालू निकालना और संवेदनशील क्षेत्रों में तापीय बिजली के संयंत्र लगाना.
किसी क्षेत्र को पर्वारण की दृष्टि से संवेदनशील श्रेणी में रखने के पहले सरकार इन वस्तुओं पर ध्यान देती है –
- धरातल की बनावट (topography)
- जलवायु और वृष्टिपात
- भूमि का उपयोग
- धरातल
- सडकें
- बस्तियाँ
- जनसंख्या
- जैव-विवधता तथा पेड़ों और पशुओं की प्रजातियों से सम्बंधित आँकड़ें
कस्तूरीरंगन समिति का प्रतिवेदन
भारत सरकार की प्रस्तावित अधिसूचना का आधार कस्तूरीरंगन समिति की अनुशंसाएँ हैं. इस समिति ने सुझाव दिया था कि खनन के जो काम चल रहे हैं, उनको धीरे-धीरे पाँच वर्षों में बंद कर देना चाहिए. समिति की यह भी अनुशंसा थी कि यहाँ जो भी निर्माण कार्य हों, उनके लिए पर्यावरण विषयक अनुमति अनिवार्य होनी चाहिए. समिति का यह भी कहना था कि भविष्य में यहाँ जो भी परियोजनाएँ लागू की जाएँ उनके बारे में निर्णय लेते समय क्षेत्र के गाँवों की राय भी ली जाए.
Prelims Vishesh
Neelakurinji plants :-
- नीलकुरुंजी (Strobilanthus kunthianus) पश्चिमी घाटों के शोला जंगलों में पाया जाने वाला एक पौधा है जो 12 वर्ष में केवल एक बार फूल देता है.
- ये फूल नीले-बैंगनी रंग के होते हैं और नीलगिरी पहाड़ियों का नाम इसी पौधे पर पड़ा है.
- तमिलनाडु सरकार नीलकुरुंजी पौधों की सुरक्षा के लिए एक नई योजना बनाई है.
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