Sansar Daily Current Affairs, 24 April 2020
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : The Freedom Struggle – its various stages and important contributors /contributions from different parts of the country.
Topic : Khudai Khidmatgar
संदर्भ
किस्सा–ख्वानी बाज़ार नरसंहार के 90 साल पूरे हो चुके हैं. यह नरसंहार ब्रिटिश सैनिकों ने अप्रैल 23, 1930 को अहिंसक आन्दोलन कर रहे खुदाई खिदमतगारों के विरुद्ध किया था.
खुदाई खिदमतगार
- स्वतंत्रता आंदोलन के दिनो में अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान ने संयुक्त, स्वतन्त्र और धर्मनिरपेक्ष भारत बनाने के लिए सन् 1929 में ‘खुदाई खिदमतगार’ (लाल कुर्ती) संगठन बनाया.
- पश्तूनों के उत्थान में संघर्षरत अब्दुल खान एक ऐसे भारत की स्थापना चाहते थे जो आज़ाद और धर्मनिरपेक्ष हो. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने ‘खुदाई खिदमतगार’ नामक संगठन बनाया जिसे ‘सुर्ख पोश’ भी कहा गया.
- इसमें अधिकांश पठान, मुस्लिम और कुछ हिंदू लोग सम्मिलित थे. यह संगठन अहिंसा के माध्यम से अंग्रेजों से स्वतंत्रता की मांग कर रहा था. विचारों में एकता होने के कारण वे महात्मा गांधी के अभिन्न मित्र बन गए थे.
- खुदाई खिदमतगार एक फारसी शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ईश्वर की बनायी हुई दुनिया के सेवक.
- अंग्रेजों से लड़ने के साथ ही उन्होंने पठानी कबीलों के हितों की भी कई बड़ी लड़ाइयाँ लड़ी थीं.
अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान कौन थे?
- महात्मा गांधी के बारे में पूरा देश जानता है लेकिन गांधी जी के समकालीन ही एक व्य़क्ति को सीमान्त गांधी की उपाधि (Frontier Gandhi) दी गई थी.
- खान अब्दुल गफ्फार खान उन देशभक्तों में से एक थे जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश को समर्पित कर दिया.
- वर्ष 1919 में अंग्रेजों द्वारा लगाये गये रॉलेट एक्ट का विरोध करने वाले आंदोलन के दौरान सीमान्त गांधी की पहली भेंट महात्मा गांधी से हुई.
- वर्ष 1920 में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान खिलाफत आंदोलन में सम्मिलित हुए और वर्ष 1921 में वह अपने गृहनगर के खिलाफत समिति के जिलाध्यक्ष बनाए गये.
- वर्ष 1988 में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान को पाकिस्तान सरकार के द्वारा उनके पेशावर स्थित घर में नजरबंद कर दिया गय़ा. 20 जनवरी साल 1988 में ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान की मृत्यु हो गई.
किस्सा–ख्वानी बाज़ार नरसंहार
- पेशावर (वर्तमान पाकिस्तान) में एक स्थान है जिसे किस्सा–ख्वानी बाज़ार कहा जाता है. यह घटना 23 अप्रैल, 1930 की है.
- गांधी जी के नमक आंदोलन का हिस्सा बनने और सत्याग्रह करने के कारण अंग्रेजों ने अब्दुल खान को 1930 में गिरफ्तार कर लिया.
- अपने नेता का इस तरह से गिरफ्तार होना संगठन के सदस्यों को बर्दाश्त नहीं हुआ और ‘खुदाई खिदमतगार संगठन’ के सदस्य और पश्तून के पठानों ने पेशावर में शांतिपूर्ण मार्च निकालना प्रारम्भ किया जो पेशावर की गलियों से होता हुआ ‘किस्सा–ख्वानी बाज़ार’ के चौराहे पर पहुंचा.
- आंदोलन करने वालों के विरुद्ध सरकार ने कठोर कदम उठाना शुरू किया. जहां जो भी गफ्फार खान की रिहाई के लिए आंदोलन करता देखा गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
- सैनिकों ने जुलूस पर गोलियां बरसानी प्रारम्भ कर दीं. सबसे पहले मासूम बच्चे उनका शिकार हुए और फिर महिलाएं और बुजुर्ग.
- आंकड़ों के अनुसार लगभग 400 से अधिक लोग इस घटना में शहीद हुए. एक ही दिन में कितनी ही मासूम जानें चली गईं.
- ‘किस्सा ख्वानी बाजार’ हमारे गुलाम भारत का दूसरा ‘जालियांवाला बाग’ कहा जाता है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Appointment to various Constitutional posts, powers, functions and responsibilities of various Constitutional Bodies.
Topic : Article 164(4) of the Indian Constitution
संदर्भ
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर अपना पद छोड़ने का खतरा मंडरा रहा है क्योंकि 24 मई तक किसी भी दशा में राज्य की विधान परिषद् में चुन के जाना आवश्यक है.
ज्ञातव्य है कि जब नवम्बर 28, 2019 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली थी तो उस समय वे न तो राज विधान सभा और न ही विधान परिषद् के सदस्य थे.
संविधान का अनुच्छेद 164(4) के अनुसार, उनको राज्य के विधान सदनों में से किसी एक सदन के लिए शपथ ग्रहण के छह महीने के भीतर अर्थात् 24 मई तक निर्वाचित होना पड़ेगा.
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण निर्वाचन आयोग ने राज्य सभा चुनाव, उपचुनाव और यहाँ तक कि नागरिक निकाय चुनाव स्थगित कर रखे हैं.
संविधान क्या कहता है? – अनुच्छेद 164
संविधान के अनुच्छेद 164 में यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री पद समेत किसी पद पर नियुक्त होता है तो वह छह महीने तक इस पद पर रह सकता है अर्थात् यदि उसे पद पर बने रहना है तो उसको छह महीने के भीतर या तो विधान सभा सदस्य अथवा विधान परिषद् का सदस्य बनना होगा.
अब विकल्प क्या है?
संविधान के अनुच्छेद 171
संविधान के अनुच्छेद 171 के अनुसार, विधानपरिषद के कुल सदस्यों की संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई (1/3) से अधिक नहीं होगी, किंतु यह सदस्य संख्या 40 से कम नहीं होनी चाहिये.
राज्य विधान परिषद के कुल सदस्यों में से-
- 1/3 सदस्य राज्य की नगरपालिकाओं, ज़िला बोर्ड और अन्य स्थानीय संस्थाओं द्वारा निर्वाचित होते हैं.
- 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है.
- 1/12 सदस्य ऐसे व्यक्तियों द्वारा चुने जाते हैं जिन्होंने कम-से-कम तीन वर्ष पूर्व स्नातक की डिग्री प्राप्त कर लिया हो एवं उस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हों.
- 1/12 सदस्य उन अध्यापकों द्वारा निर्वाचित किया जाता है, जो 3 वर्ष से उच्च माध्यमिक (हायर सेकेंडरी) विद्यालय या उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन कर रहे हों.
- शेष 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते हैं. राज्यपाल केवल उन व्यक्तियों को मनोनीत करता है, जिनको विज्ञान, कला, साहित्य, सहकारिता आंदोलन या सामाजिक सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या अनुभव हो.
- सभी सदस्यों का चुनाव ‘अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ के आधार पर एकल संक्रमणीय गुप्त मतदान प्रक्रिया से किया जाता है.
राज्यपाल चाहे तो ठाकरे को “सामाजिक सेवा” श्रेणी के अंतर्गत विधान परिषद् के लिए नामित कर सकता है और इस नामांकन को न्यायालय में चुनौती भी नहीं दी जा सकती है. विदित हो कि महाराष्ट्र परिषद् अभी दो रिक्तियां हैं जिनके लिए राज्यपाल का नामांकन शेष है.
उद्धव ठाकरे के लिए एक और विकल्प है. वे चाहें तो मई 27 या 28 को त्यागपत्र दे दें और फिर से शपथ ग्रहण आर लें. ऐसा कर-कर के वे लम्बा खींच सकते हैं. ऐसा एक बार पंजाब में तेज प्रकाश सिंह नामक कांग्रेसी मंत्री के साथ 1995 में हुआ भी था, परन्तु बाद में यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में गया था जहाँ न्यायालय ने टिपण्णी की थी कि त्यागपात्र देकर फिर से नियुक्त होना अनुचित, अलोकतांत्रिक, अवैध और असंवैधानिक है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : Classical swine fever
संदर्भ
पिछले दिनों पूर्वी असम के पांच जिलों में 1,300 सूअरों के शास्त्रीय स्वाइन ज्वर (Classical Swine Fever – CSF) से मरने की सूचना आई है.
CSF क्या है?
- सूअर को होने वाले हैजे को शास्त्रीय स्वाइन ज्वर कहा जाता है.
- यह एक संक्रामक विषाणुजन्य रोग है जो जंगली और घरेलू सूअरों में होता है.
- इससे सूअरों में अतिसार हो जाता है और भेड़ भी बीमार पड़ जाते हैं.
- यह रोग मनुष्य को हानि नहीं पहुंचाता है, परन्तु इसमें मनुष्य को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.
भारत के लिए चिंता का विषय
- क्लासिकल स्वाइन फ्लू भारत में सूअरों को होने वाले बड़े रोगों में से एक है.
- इसके चलते भारत में प्रतिवर्ष 4 अरब रु. की क्षति होती है और इसके कारण सूअरों की गिनती घटी है.
- CSF का उपचार एक टीके से होता है. भारत को इस टीके की 22 मिलियन खुराकें प्रतिवर्ष चाहिए होती हैं. परन्तु यहाँ मात्र 1.2 मिलियन खुराकें ही उत्पादित होती हैं. इसका कारण यह है कि यह टीका खरगोश के तिल्ली से तैयार होती है और एक खरगोश की तिल्ली से मात्र 50 खुराकें ही बन पाती हैं.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Major crops cropping patterns in various parts of the country, different types of irrigation and irrigation systems storage, transport and marketing of agricultural produce and issues and related constraints; e-technology in the aid of farmers
Topic : Krishi Kalyan Abhiyaan
संदर्भ
कृषि कल्याण अभियान योजना देश के 112 आकांक्षी जिलों में चल रही है.
कृषि कल्याण अभियान क्या है?
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए 1 जून, 2018 से 31 जुलाई, 2018 के बीच कृषि कल्याण अभियान की शुरूआत की थी.
- वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने के लिए इस अभियान के तहत किसानों को खेती करने के आधुनिक तरीकों से रूबरू करवाया जा रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो और उनके जीवन स्तर में सुधार आये.
- यह अभियान देश के 27 राज्यों के 112 आकांक्षी जिलों में से प्रत्येक के 25 गांवों में चलाया जा रहा है. इन गांवो का चयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा – निर्देशों के अनुसार किया गया है.
- इस योजना के तहत प्रत्येक आकांक्षी जिले के 25 ऐसे गावों को चयनित किया गया है जिनकी जनसंख्या 1000 से अधिक है.
- इस अभियान के अंतर्गत चयनित जिलों में कृषि और संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों को उत्तम तकनीक एवं आय बढ़ाने के बारे में सहायता और सलाह भी दी जा रही है. इस कार्य में प्रत्येक जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र अहम भूमिका निभा रहे हैं.
योजना का उद्देश्य
- “कृषि कल्याण अभियान” का मुख्य उद्देश्य किसानों तक आधुनिक कृषि पद्धति व कृषि से जुड़े अन्य व्यवसायों की जानकारी पहुंचाना है, इसी के मद्देनजर अभियान के द्वितीय चरण में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें खेती सहित बागवानी, पशुपालन, मछली पालन, मुर्गीपालन के गुर सिखाये जा रहे हैंI
- इसके लिए चयनित जगहों पर प्रशिक्षण शिविरों की व्यवस्था की गयी है, जिनमें किसानों को सूक्ष्म सिंचाई और एकीकृत फसल के तौर – तरीकों के बारे में जानकारी देने के साथ ही किसानों को खेती की नवीनतम तकनीकों से भी आत्मसात करवाया जा रहा है. अभियान के दौरान अब तक सभी 112 आकांक्षी जिलों में विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अब तक 4,51,375 किसानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है.
- आईसीएआर/ केवीके द्वारा प्रत्येक गांव में मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती और किचन गार्डन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. जिनमें काफी संख्या में किसान बढ़- चढ़ का भाग ले रहे हैं.
- इन कार्यक्रमों में महिला किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है.
- एक तरफ जहाँ वैज्ञानिकों द्वारा भूमिहीन एवं घरेलू महिलाओं को ऑयस्टर मशरूम से जीविकोपार्जन के तरीकों के साथ अपनी जरूरत की पौष्टिक सब्जियों को किचन गार्डेन में लगाने की विधियाँ बताई जा रही हैं. वहीँ दूसरी तरफ पशुपालन वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को वैज्ञानिक विधि से पशुपालन और दुग्ध उत्पादन करने के तरीकोंव गोबर से वर्मी कम्पोस्ट और जैविक खाद बनाने की प्रक्रियामें दक्ष किया जा रहा है.
- कृषि एवं सहकारिता विभाग के तत्वाधान में आयोजित प्रशिक्षण शिविरों में किसान भाइयों को बेहतर पैदावार उपाय भी सुझाये जा रहे हैं. उन्हें बताया जा रहा है कि खेती करने से पहले मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच करना बेहद जरुरी है,जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति के अनुरुप उर्वरकों खाद का प्रयोग हो सके. साथ ही किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड के फायदे बताने के साथ वितरण भी किया जा रहा है. प्राप्त आकड़ों के अनुसार अब तक अभियान के दौरान अब तक कुल 6,35,841 सॉयल हेल्थ कार्ड का वितरण किया जा चुका है.
- वैज्ञानिकों के अनुसार खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाये रखने के लिए किसानों को केंचुआ खाद का प्रयोग करना चाहिए. जिला कृषि पदाधिकारियों द्वारा भी किसानों को मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के लिए कंपोस्ट खाद के प्रयोग पर विशेष बल दिया जा रहा है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indigenization and development of new technology, Biotechnology related issues.
Topic : Reverse Vaccinology
संदर्भ
पिछले दिनों तमिलनाडु के शोधकर्ता रिवर्स वैक्सीनॉलजी के माध्यम से कोविड-19 के लिए एक टीका बनाने में सफल हुए हैं. ज्ञातव्य है कि इस तकनीक से अब तक मेनिंगोकोकल और स्टेफिलोकोकल संक्रमणों के लिए टीके बनाए जाते रहे हैं.
रिवर्स वैक्सीनॉलजी क्या है?
- इस तकनीक में एंटीजेन पता लगाने की प्रक्रिया जीनोम सूचना के स्तर से आरम्भ होती है.
- इसमें सूक्ष्माणुओं को कल्चर नहीं किया जाता है, अपितु कंप्यूटर की सहायता ली जाती है.
- इस तकनीक में ट्रांसक्रिप्टोमिक और प्रोटियोमिक आँकड़ा समुच्चयों को समेकित करते हुए एंटीजेनों की एक सूची का चयन किया जाता है और उनका परीक्षण पशुओं पर होता है. इस प्रकार विश्लेषण पर होने वाली लागत और समयावधि कम हो जाती है.
तकनीक का सकारात्मक पक्ष
रिवर्स वैक्सीनॉलजी तकनीक से टीके के लिए लक्षित प्रोटीनों की पहचान तेजी से और कारगर ढंग से होती है.
नकारात्मक पक्ष
यह प्रक्रिया मात्र प्रोटीनों को लक्षित करती है जबकि पारम्परिक वैक्सीनॉलजी में पोलिसैक्रिड (polysaccharides) जैसे अन्य बायोमोलेकुलर लक्ष्य भी पाए जा सकते हैं.
Prelims Vishesh
Kisan rath mobile app :-
- तालेबंदी के समय अनाजों और नष्ट होने वाली सामग्रियों के परिवहन को सुविधाजनक बनाने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने किसान रथ नामक एक मोबाइल ऐप का अनावरण किया है.
- राष्ट्रीय इन्फोर्मेटिक्स केंद्र (NIC) द्वारा तैयार किये गये इस ऐप से किसान और व्यापारी अपने उत्पादों और सामग्रियों के लिए परिवहन वाहनों को ढूँढ़ सकते हैं.
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