Sansar Daily Current Affairs, 24 August 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Salient features of World’s Physical Geography.
Topic : Panjshir Valley
संदर्भ
अफगानिस्तान में पंजशीर घाटी तालिबान के विरुद्ध प्रतिरोध का केंद्र बन गई हैं. यहाँ नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के लगभग 9 हजार लड़ाके अहमद मसूद (पूर्व ताज़िक कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे) और अमरुल्ला सालेह के नेतृत्व में तालिबानी आतंकियों के खिलाफ मोर्चा सम्भाले हुए हैं.
पंजशीर घाटी के बारे में
- “पंजशीर नदी घाटी” (Panjshir Valley) उत्तर-मध्य अफगानिस्तान में हिंदूकुश पर्वत शृंखला के निकट अवस्थित एक घाटी है.
- इस घाटी में अफ़ग़ानिस्तान में “ताज़िक समुदाय” की सर्वाधिक आबादी निवास करती है.
- पंजशीर घाटी अपने “पन्ना” (Emeralds) रत्न के लिए भी विख्यात है.
- वर्ष 1980 से 1985 तक चले सोवियत-अफगान युद्ध के दौरान मुजाहिदीन के खिलाफ स्थानीय कमांडर अहमद शाह मसूद ने सफलतापूर्वक घाटी को मुजाहिदीन कब्जे में जाने से बचाया था.
- वर्ष 1996 से 2001 तक तालिबानी शासन के दौरान भी मसूद ने पंजशीर घाटी को तालिबान के कब्ज़े में जाने से बचाया था.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : S-400
संदर्भ
S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली नवंबर 2021 से 5-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति प्रारम्भ होने की सम्भावना जताई जा रही है. इस प्रणाली के लिए भारतीय वायु सेना की एक टीम को रूस में प्रशिक्षित किया जा चुका है.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि भारत-रूस ने अक्टूबर 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर की लागत से पाँच S-400 मिसाइल रक्षा रेजिमेंट्स की खरीद की योजना पर समझौता किया था, यह मिसाइल प्रणाली जमीन से ही शत्रु के विमानों, मिसाइलों, जेट्स को 380 किमी रेंज तक मार गिराने में सक्षम है.
संबंधित प्रकरण
S-400 मिसाइल प्रणाली सौदे के कारण अमेरिका द्वारा CAATSA कानून अर्थात् ‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम’ (Countering America’s Adversaries through Sanctions Act- CAATSA) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है. इसी प्रकार के समान सौदों पर अमेरिका, चीन और तुर्की पर पहले से ही प्रतिबंध लगा चुका है.
भारत को S-400 क्यों चाहिए?
पड़ोस से भारत को सदैव खतरा रहता है. पाकिस्तान और चीन दोनों से हमें कभी भी सामना करना पड़ सकता है. पाकिस्तान के पास 20 लड़ाकू स्कवॉड्रन (fighter squadrons) हैं जिनके पास उत्क्रमित F-16 के साथ-साथ चीन से लिए गये कई J-17 विमान भी हैं. चीन के पास भी स्वयं 1,700 फाईटर हैं जिनमें 800 4-Gen फाइटर हैं. इसलिए S-400 का सौदा भारत के लिए आवश्यक हो गया था.
CAATSA क्या है?
- CAATSA का पूरा रूप है – Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act अर्थात् प्रतिबंधों के माध्यम से अमेरिका के शत्रुओं से निबटने से सम्बंधित अधिनियम.
- यह अमेरिका का एक संघीय अधिनियम है जिसके द्वारा ईरान उत्तरी कोरिया और रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. इस अधिनियम में यह प्रावधान भी है की रूस के साथ रक्षा और गुप्त सूचना प्रक्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण लेनदेन करने वाले देशों पर भी प्रतिबंध लागू किये जा सकते हैं.
- परन्तु भारत के साथ अमेरिका की रक्षा भागीदारी को देखते हुए अमेरिका ने भारत के विरुद्ध CAATSA लगाने नहीं जा रहा है, ऐसा रूस के साथ हुए सौदे पर उसकी नरम प्रतिक्रिया से ज्ञात हो रहा है.
S-400 क्या है?
- यह एक हवाई प्रतिरक्षा प्रणाली है जो आकाश में शत्रु के विमान को धरती पर से ही भेद सकती है.
- यह रूस की सर्वाधिक उन्नत प्रणाली है जो 380 km. दूर स्थित बमवर्षकों, जेटों, मिसाइलों और ड्रोनों को भी नष्ट कर सकती है.
- यह प्रणाली रूस में 2007 से काम कर रही है.
- इस प्रणाली का निर्माण Almaz-Antey ने किया है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Cooperative Banks
संदर्भ
शहरी सहकारी बैंकों के लिये एक चार स्तरीय संरचना का सुझाव भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जमा के आधार पर शहरी सहकारी बैंकों (UCB) की संरचना पर सुझाव देने के लिए गठित एन.एस. विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली समिति के अनुसार, शहरी सहकारी बैंकों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
- टियर 1: सभी यूनिट यूसीबी और वेतन पाने वाले यूसीबी (जमा आकार के बावजूद) तथा अन्य सभी यूसीबी जिनके पास 100 करोड़ रुपए तक जमा हैं.
- टियर 2: ₹100 करोड़ – ₹1,000 करोड़ के बीच जमा राशि वाले यूसीबी.
- टियर 3: ₹1,000 करोड़ से ₹10,000 करोड़ के बीच जमा राशि वाले यूसीबी.
- टियर 4: ₹10,000 करोड़ से अधिक की जमा राशि वाले यूसीबी.
मुख्य सुझाव
- इसके साथ ही समिति ने टियर 4 वाले सहकारी बैंकों के लिए “न्यूनतम पूँजी-जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात” 9 से 15% के बीच रखने का सुझाव दिया है.
- इसके अतिरिक्त विभिन्न श्रेणियों के लिए गोल्ड, होम लोन एवं अन्य असुरक्षित ऋणों के लिए ऊपरी सीमाएँ भी निर्धारित की हैं.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि इससे पहले जून 2020 में जारी बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकारों के दायरे में सहकारी बैंकों को भी लाया जाएगा, ताकि प्रोफेशनल रुख अपनाकर सुव्यवस्थित बैंकिंग नियमन सुनिश्चित किया जा सके और इसके साथ ही पूंजी तक उनकी पहुंच को भी संभव किया जा सके.
अध्यादेश के माध्यम से बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 में भी संशोधन किया गया था जिससे आम जनता. जमाकर्ताओं एवं बैंकिंग प्रणाली के हितों की रक्षा करने और उचित प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किसी बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या विलय की योजना बनाई जा सके.
सहकारी बैंक
सहकारी बैंक, राज्य सहकारी समिति अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत होते हैं. वे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दो कानूनों, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949, और बैंकिंग कानून (सहकारी समितियाँ) अधिनियम, 1955 के तहत विनियामक दायरे में आते हैं.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Awareness in Space.
Topic : Yuktdhara Webportal
संदर्भ
हाल ही में केंद्र सरकार ने भुवन वेब पोर्टल के तहत “युक्तधारा” नामक एक नया भूस्थानिक नियोजन पोर्टल का अनावरण किया है.
प्रमुख तथ्य
‘भुवन’ (Bhuvan), इसरो द्वारा विकसित और संचालित किया जाने वाला ‘राष्ट्रीय भू-पोर्टल’ (national geo-portal) है. इसमें भू-स्थानिक आँकड़े, सेवाएँ और विश्लेषण करने हेतु उपकरण, सम्मिलित होते हैं. इसने कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में सहायता की है.
‘वेदास’ (Visualisation of Earth observation Data and Archival System– VEDAS), अर्थात् पृथ्वी अवलोकन डेटा का मानसिक चित्रण और अभिलेखीय प्रणाली, एक ऑनलाइन जियोप्रोसेसिंग मंच है जो विशेष रूप से शिक्षा, अनुसंधान और समस्या समाधानों हेतु अनुप्रयोगों के लिए ऑप्टिकल, माइक्रोवेव, थर्मल और हाइपरस्पेक्ट्रल पृथ्वी अवलोकन (Earth observation- EO) डेटा का उपयोग करता है.
युक्तधारा पोर्टल
- इस नए पोर्टल से रिमोट सेंसिंग और जीआईएस आधारित सूचनाओं का उपयोग करते हुए नई मनरेगा परिसंपत्तियों की योजना बनाने में सुविधा प्राप्त होगी.
- यह मंच विभिन्न राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कार्यक्रमों यानी मनरेगा, एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम, पर ड्रॉप मोर क्रॉप और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आदि के अंतर्गत बनाई गई परिसंपत्तियों (जियोटैग) के भंडार के रूप में कार्य करेगा, जिसमें फील्ड फोटोग्राफी भी शामिल है.
- यह पोर्टल विभिन्न प्रकार की थीमेटिक परतों, मल्टी-टेम्पोरल हाई रेजोल्यूशन अर्थ ऑब्जर्वेशन डेटा को, विश्लेषण उपकरणों के साथ एकीकृत करता है.
- योजनाकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पिछली परिसंपत्तियों का विश्लेषण किया जाएगा और वे ऑनलाइन उपकरणों के माध्यम से नए कार्यों की पहचान करने के लिए सुविधा प्रदान करेंगे.
- राज्य के विभागों के अंतर्गत आने वाले उपयुक्त प्राधिकारियों द्वारा तैयार की गई योजनाओं का मूल्यांकन किया जाएगा. इस प्रकार से, युक्तधारा आधारित योजनाएं निचले स्तर के पदाधिकारी द्वारा तैयार की जाएंगी और प्रासंगिकता और संसाधन आवंटन के लिए इसे उपयुक्त प्राधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाएगा. इसके माध्यम से योजना की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकेगी और वर्षों से सृजित किए गए परिसंपत्तियों की दीर्घकालिक निगरानी संभव हो सकेगी.
NAVIC क्या है?
- इसका पूरा नाम Navigation with Indian Constellation है.
- यह एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है जो भारत की मुख्य भूमि के चारों ओर 1,500 किमी. तक के क्षेत्र के विषय में स्थिति से सम्बंधित सूचना देने के लिए तैयार की गई है.
- NAVIC दो प्रकार की सेवाएँ देता है – मानक स्थिति सेवाएँ (Standard Positioning Services) जो सभी उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध होंगी. सीमित सेवाएँ (Restricted Services) जो केवल प्राधिकृत उपयोगकर्ताओं को मिलेंगी.
NAVIC का प्रयोग किन-किन कार्यों के लिए हो सकता है?
- धरती, वायु और समुद्र में नेविगेशन
- आपदा प्रबंधन
- वाहनों और पानी के जहाज़ों का पता लगाना
- मोबाइल फोन पर स्थिति की सूचना देना
- सटीक समय बताना
- मानचित्र बनाने और भूमि संरक्षण के लिए आँकड़े इकठ्ठा करना.
- हाइकर और पर्यटकों को धरती से सम्बंधित नेविगेशन में सहायता पहुँचाना.
- चालकों को दृश्य एवं श्रव्य नेविगेशन की सुविधा देना.
NAVIC में कितने उपग्रह लगे हैं?
NAVIC एक क्षेत्रीय प्रणाली है और इसलिए इसके लिए सात उपग्रह काम करेंगे. इन उपग्रहों में से तीन हिन्द महासागर के ऊपर भूस्थैतिक दशा में रहेंगे और चार ऐसे होंगे जो भूसमकालिक होंगे अर्थात् प्रत्येक दिन आकाश में एक ही समय और एक ही बिंदु पर दिखेंगे. धरती पर इस प्रणाली के लिए 14 स्टेशन कार्य करेंगे.
स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली आवश्यक क्यों?
स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली होने से देश की सुरक्षा के विषय में सटीक जानकारी मिलती है. इसके प्रयोग से राहत का कार्य भी अच्छे ढंग से किया जा सकता है.
Prelims Vishesh
Who are Chakmas and Hajongs? :-
- चकमा और हाजोंग शरणार्थी मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (Chittagong Hill Tracts) के निवासी थे. पर कर्नाफुली (Karnaphuli) नदी पर बनाए गए कैपटाई बांध (Kaptai dam) के चलते जब वर्ष 1960 में उनका क्षेत्र जलमग्न हो गया तो उन्होंने अपने मूल स्थान को त्यागकर भारत में शरण लिया.
- चकमा बौद्ध सम्प्रदाय के हैं, जबकि हाजोंग हिन्दू हैं.
- इन दोनों जनजातियों ने बांग्लादेश में कथित तौर पर धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया तथा असम की लुशाई पहाड़ी (जिसे अब मिज़ोरम कहा जाता है) के जरिये भारत में प्रवेश किया.
- इसके बाद भारत सरकार द्वारा अधिकांश शरणार्थियों को उत्तर-पूर्व सीमान्त एजेंसी (जिसे अब अरुणाचल प्रदेश कहा जाता है) में निर्रामित राहत शिविरों में भेज दिया गया.
- विदित हो कि वर्ष 1964-69 में इनकी संख्या मात्र 5,000 के करीब थी, जबकि वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर एक लाख हो चुकी है.
A ‘mermaid’ species of algae discovered :-
- लगभग चार दशकों के बाद, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर शैवाल की एक नई प्रजाति की खोज की गई है.
- शोधकर्ताओं ने इस प्रजाति का नाम ‘एसिटाबुलरिया जलकन्याका’ (Acetabularia jalakanyakae) रखा है.
- इस प्रजाति के पादप में नाभिक सहित एक विशाल कोशिका होती है, जोकि इसकी मुख्य विशेषता है.
- यह भारत में खोजी जाने वाली ‘जीनस एसिटाबुलरिया’ की पहली प्रजाति है.
- ‘एसिटाबुलरिया’ वर्ग की एक अन्य विशेषता उनकी पुनर्योजी क्षमता (Regenerative Potential) होती है.
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