Sansar Daily Current Affairs, 24 December 2020
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Sixth Schedule
संदर्भ
हाल ही में मेघालय के खासी छात्र संघ (Khasi Students’ Union-KSU) के सदस्यों ने मेघालय में बसे सभी बंगालियों को बांग्लादेशी घोषित किया है. इसके चलते कुछ विद्वानों ने मेघालय को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों को फिर से मूल्यांकित करने का सुझाव दिया है.
पृष्ठभूमि
- पहाड़ी राज्य मेघालय पिछले काफी समय से सांप्रदायिक हिंसा की लहरों और एक असहज शांति के बीच झूलता रहा है. जिसमें यहाँ के खासी छात्र संघ(Khasi Students’ Union-KSU) का भी हाथ रहा है. इस संगठन पर पिछले लंबे समय से राज्य में गैर-आदिवासियों के खिलाफ हिंसा के आरोप लगते रहें हैं.
- हाल ही में इस संगठन ने मेघालय में बसे सभी बंगालियों को बांग्लादेशी घोषित किया है. इसके अतिरिक्त, यह राज्य में आने वाले बाहरी लोगों को विनियमित करने के लिए इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit -ILP) के लिए एक आंदोलन की अगुवाई भी कर रहा है.
- कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मेघालय सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों में अशांति के चलते भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी (Act East Policy) पर गहरा धक्का लग सकता है.
- मेघालय जैसे राज्यों में इनर लाइन परमिट(ILP) की मांग पर्यटन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा सकता है. आईएलपी पर्यटकों को इस खूबसूरत पहाड़ी राज्य(मेघालय) से अलग कर सकती है, जहां पर्यटन उद्योग आय का एक प्रमुख स्रोत है. इसके साथ ही यह मांग निवेशकों में भी अरुचि पैदा कर सकती है. जबकि मेघालय के विकास हेतु इनकी अति अवश्यकता है.
- मेघालय राज्य में हजारों स्थानीय युवाओं को रोजगार देने वाला पर्यटन उद्योग महामारी की चपेट में आ चुका है. ऐसे में यदि खासी छात्र संघ जैसे संगठनों की वजह से राज्य में और अशांति पैदा होती है तो यह काफी चिंताजनक है, जो आगे चलकर यहाँ की अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंचाएगा.
भारतीय संविधान की छठी अनुसूची
संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244) देश के चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम – के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बंधित है.
छठी अनुसूची के मुख्य प्रावधान
- जनजातीय क्षेत्रों में राज्यपाल को स्वायत्त जिलों का गठन और पुनर्गठन करने का अधिकार है. राज्यपाल स्वशासी क्षेत्रों की सीमा घटा या बढ़ा सकता है तथा नाम भी परिवर्तित कर सकता है.
- यदि किसी स्वायत्त जिले में एक से अधिक जनजातियाँ हैं तो राज्यपाल इस जिले को अनेक स्वायत्त क्षेत्रों में बाँट सकता है.
- प्रत्येक स्वायत्त जिले में 30 सदस्यों की एक जिला परिषद् होती है जिसमें 4 जन राज्यपाल नामित करता है और शेष 26 व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं.
- जिला परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है और नामी सदस्य तब तक सदस्य बने रहते हैं जब तक राज्यपाल की इच्छा हो.
- प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र का अपनी एक अलग क्षेत्रीय परिषद् होती है.
- जिला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र का प्रशासन देखती हैं.
- जिला व क्षेत्रीय परिषदें अपने अधीन क्षेत्रों में जनजातियों के आपसी मामलों के निपटारे के लिये ग्राम परिषद या न्यायालयों का गठन कर सकती हैं. वे अपील सुन सकती हैं. इन मामलों में उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का निर्धारण राज्यपाल द्वारा किया जाता है.
- जिला परिषद अपने जिले में प्राथमिक विद्यालयों, औषधालय, बाजारों, फेरी, मत्स्य क्षेत्रों, सड़कों आदि को स्थापित कर सकती है या निर्माण कर सकती है. जिला परिषद साहूकारों पर नियन्त्रण और गैर-जनजातीय समुदायों के व्यापार पर विनियम बना सकती है, लेकिन ऐसे नियम के लिये राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है.
- जिला व प्रादेशिक परिषद को भू-राजस्व का आकलन व संग्रहण करने का अधिकार है. वह कुछ विनिर्दिष्ट कर भी लगा सकता है.
- संसद या राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्मित नियम को स्वशासी क्षेत्रों में लागू करने के लिये आवश्यक बदलाव किया जा सकता है.
- राज्यपाल, स्वशासी जिलों तथा परिषदों के प्रशासन की जांच और रिपोर्ट देने के लिये आयोग गठित कर सकता है. राज्यपाल, आयोग की सिफारिश पर जिला या परिषदों को विघटित कर सकता है.
नागालैंड के संबंध में
अनुच्छेद 371 ए को संविधान में 13वें संशोधन के बाद 1962 में जोड़ा गया था. यह अनुच्छेद नागालैंड के लिए है. इसके अनुसार, संसद बिना नागालैंड की विधानसभा की स्वीकृति के नागा धर्म से जुड़ी हुई सामाजिक परंपराओं, पारंपरिक नियमों, कानूनों, नागा परंपराओं द्वारा किए जाने वाले न्यायों और नागाओं की जमीन के मामलों में कानून नहीं बना सकती है अथवा इस अनुच्छेद के अनुसार, नागालैंड विधानसभा द्वारा संकल्प प्रस्ताव पारित किये बिना संसद का कोई भी अधिनियम राज्य के कई क्षेत्रों में लागू नहीं होगा.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Seventh Schedule
संदर्भ
हाल ही में, पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने संविधान की सातवीं अनुसूची पर फिर से विचार किये जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया. है. सातवीं अनुसूची, केंद्र और राज्यों के मध्य विषयों के बंटवारे का आधार प्रदान करती है.
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा है, कि राज्यों के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करने और राजकोषीय संघवाद (fiscal federalism) में विश्वास को सुदृढ करने हेतु ‘सातवीं अनुसूची’ पर नए सिरे से विचार किया जाना आवश्यक है.
सातवीं अनुसूची
- संविधान के अनुच्छेद 246 के अंतर्गत सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के मध्य शक्तियों के विभाजन से संबंधित है.
- भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियाँ, यथा- संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची हैं. संघ सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के ऐसे विषय शामिल होते हैं जिनमें पूरे देश में एक ही नीति अपनाए जाने की ज़रूरत होती है. जैसे- रक्षा, विदेश, संचार, देशीकरण एवं नागरिकता, रेलवे, डाक सेवा इत्यादि. इसमें कुल 100 विषय शामिल हैं.
- राज्य सूची में मुख्यत: क्षेत्रीय महत्त्व के विषय शामिल होते हैं. इसके अंतर्गत 61 विषय आते हैं, जिसमें पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, परिवहन, स्वास्थ्य, कृषि, स्थानीय सरकार, पेयजल की सुविधा, साफ़-सफाई आदि शामिल हैं.
- समवर्ती सूची के अंतर्गत 52 विषय हैं, जिसमें शिक्षा, वन, जंगली जानवरों और पक्षियों की रक्षा, बिजली, श्रम कल्याण, आपराधिक कानून और प्रक्रिया, जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन, दवा आदि विषय शामिल हैं.
- इनमें से राज्य एवं समवर्ती सूचियों के विषय पर राज्य सरकार कानून बना सकती है किंतु संघ सूची के विषय पर केवल केंद्र सरकार ही कानून बना सकती है.
- यदि संघ सूची के किसी विषय पर केंद्र सरकार कोई विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित कर राष्ट्रपति से स्वीकृति प्राप्त कर लेती है तो यह राज्यों पर बाध्यकारी होता है कि वे इस अधिनियम को लागू करें.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Infrastructure- Railways.
Topic : National Rail Plan
संदर्भ
भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने राष्ट्रीय रेल योजना (National Rail Plan: NRP) का प्रारूप जारी किया है. NRP को रेलवे और व्यवसाय के आदर्श सहभाजन में सुधार और क्षमता बाध्यताओं के निवारण के लिए विनिर्मित किया गया है. इस दीर्घकालिक रणनीतिक योजना को बुनियादी ढांचा संबंधी क्षमता को बढ़ाने तथा रेलवे के भावी अवसंरचनात्मक, व्यावसायिक व वित्तीय नियोजन हेतु एक साझे मंच के रूप में तैयार किया गया है.
योजना का उद्देश्य
- वर्ष 203 तक मांग के अनुसार क्षमता निर्माण करना तथा वर्ष 2050 तक मांग में वृद्धि संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करना.
- कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के अंतर्गत वर्ष 2030 तक मालढुलाई में रेलवे की औसत हिस्सेदारी को वर्तमान में 27% से बढ़ाकर 45% तक करना.
- वर्ष 2030 तक निवल शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करना.
योजना की मुख्य विशेषताएं
- विजन 2024 को (NRP के हिस्से के रूप में) कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं यथा; वर्ष 2024 तक 100% विद्युतीकरण, भीड़भाड़ वाले मार्गों की मल्टी ट्रैकिंग, परिवहन गति का उन्नयन आदि के त्वरित कार्यान्वयन के लिए प्रारंभ किया गया है.
- वर्ष 2024 के उपरांत, ट्रैक और सिग्नलिंग में भावी परियोजनाओं की पहचान की गई है. साथ ही, इनके कार्यान्वयन के लिए निश्चित समय सीमा भी निर्धारित की गई है.
- तीन समर्पित मालवाहक गलियारे (Dedicated Freight Corridors) यथाः पूर्वी तट, पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण की पहचान की गई है.
- रोलिंग स्टॉक (रेल के डिब्बे और इंजन) आदि के संचालन एवं स्वामित्व जैसे विषयों में निजी क्षेत्र की सतत भागीदारी पर बल दिया गया है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Pollution and conservation related issues.
Topic : Commission for Air Quality Management: CAQM
संदर्भ
उच्चतम न्यायालय (SC) ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management: CAQM) द्वारा अब तक निष्पादित कार्यों के प्रति ‘असंतुष्टि” व्यक्त की है. चूँकि CAQM द्वारा दिल्ली में वायु प्रदूषण की निगरानी की जाती है, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा वर्तमान तक निष्यादित कार्यों की जानकारी मांगी है.
सर्वोच्च न्यायालय ने CAQM (नवंबर 2020 में स्थापित) द्वारा किए गए कार्यों पर नाराजगी प्रकट की है, जिनमें निम्नलिखित कार्य भी शामिल हैं:
- वैज्ञानिक संस्थानों के विशेषज्ञ व्यक्तियों को शामिल करने वाली वायु गुणवत्ता आपातकालीन प्रतिक्रिया गतिविधियों के लिए एक निर्णय समर्थन प्रणाली का विकास करना.
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को एक तंत्र के विकसित होने तक क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (Graded Response Action Plan: GRAP) के संचालन और निगरानी का कार्य प्रत्यायोजित किया गया था.
- GRAP वायु की गुणवत्ता के विकृत होने पर चरणों में आरम्भ होने वाला नियंत्रणों का एक समुच्चय है. ज्ञातव्य है राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में यह गुणवत्ता गिरावट अक्टूबर से नवंबर माह तक सर्वाधिक होती है.
क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना क्या है?
- क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना को वर्ष 2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकृति दी थी तथा यह 2017 में पहली बार लागू हुई थी.
- यह केवल उस समय आपातकालीन उपाय के रूप में कार्य करती है जब वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो जाती है. इस प्रकार, इस योजना में औद्योगिक, वाहन और दहन उत्सर्जन से निपटने के लिये विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा वर्ष भर की जाने वाली कार्रवाई शामिल नहीं है.
- जब प्रदूषण “ठीक-ठाक” और “खराब” के बीच की श्रेणी में होता है तो पराली जलाने पर रोक लगा दी जाती है.
- यदि वायु प्रदूषण “बहुत खराब” श्रेणी में पहुँच जाता है तो ये उपाय किये जाते हैं – डीजल जनरेटर बंद कराना, पार्किंग शुल्क को बढ़ाना और मेट्रो तथा बसों की पारियों में वृद्धि लाना.
- जब वायु की गुणवत्ता “भीषण” हो जाति है तो ये कदम उठाने पड़ते हैं – मशीन से सड़कों को बार-बार साफ़ करना और पानी का छिड़काव करना, शहर में ट्रकों के आने पर रोक लगाना, निर्माण के कार्यों की रोकथाम करना और स्कूल बंद कराना आदि.
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण क्या है?
राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्राधिकृत एक संस्था है, जिसका नाम पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (Environment Pollution Control Authority – EPCA) है. यह प्राधिकरण प्रदूषण के विभिन्न स्तरों के लिए एक क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (Graded Response Action Plan – GRAP) पर काम करता है.
CAQM के बारे में
- इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (air quality index) में उल्लिखित समस्याओं का समाधान और पहचान, अनुसंधान व बेहतर समन्वय के लिए राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित अध्यादेश के तहत स्थापित किया गया था.
- इसने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण {Environment Pollution (Prevention and Control) Authority- EPCA} को प्रतिस्थापित किया है.
- 18 सदस्यीय इस आयोग की अध्यक्षता केंद्र द्वारा नियुक्त अध्यक्ष द्वारा की जाती है. इस आयोग का मुख्यालय दिल्ली में स्थापित किया जाएगा.
Prelims Vishesh
Justice Jain committee :-
- सितंबर 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित.
- इस समिति का कार्य वर्ष 1994 में इसरो (ISRO) से संबंधित एक कुख्यात ‘झूठे आरोपों’ के मामले के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारी को स्पष्ट करना था. इस प्रकरण ने देश के प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिकों में से एक, नांबी नारायणन के जीवन और प्रतिष्ठा को नष्ट कर दिया था.
- श्री नारायणन के लिए 30 नवंबर, 1994 को जासूसी के एक झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया था. उस समय नारायणन प्रमुख भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में क्रायोजेनिक इंजन तकनीक पर काम कर रहे थे.
- पुलिस जांचकर्ताओं द्वारा उन पर वाइकिंग (Viking) / विकास इंजन प्रौद्योगिकी (Vikas engine technology), क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी और पीएसएलवी उड़ान डेटा/ड्राइंग से संबंधित इसरो के दस्तावेजों और चित्रों को पाकिस्तान के लिए भेजने का आरोप लगाया गया था.
Plasmodium ovale and other types of malaria :-
- हाल ही में, केरल में ‘सूडान’ से वापस लौटे एक सैनिक को मलेरिया की एक नई प्रजाति ‘प्लास्मोडियम ओवले’ (Plasmodium ovale)से ग्रसित पाया गया है.
- यह मलेरिया की एक विरल प्रजाति है.
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