Sansar Daily Current Affairs, 24 February 2021
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Related to Health.
Topic : Acute Encephalitis Syndrome
संदर्भ
उत्तरी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में, इस वर्ष का पहला ‘एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम’ (Acute Encephalitis Syndrome – AES) का संदेहास्पद मामला दर्ज किया गया है.
आम भाषा में ‘एक्यूट (तीव्र) इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम’ (AES), को ‘चमकी बुखार’ कहा जाता है, और यह प्रायः ग्रीष्म ऋतु के समय उत्तर बिहार के बाढ़-प्रवण जिलों में फैलता है.
पृष्ठभूमि
साल 2019 में, उत्तरी बिहार के पाँच जिलों से ‘एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम’ (AES) के मामले दर्ज किये गए थे और इस बीमारी से 150 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी. AES से ग्रसित 600 से अधिक बच्चों को SKMCH सहित अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया था और जिनमे से लगभग 450 बच्चे बचाए जा सके.
AES क्या है?
- एक ऐसा रोग है जिसमें बुखार के साथ-साथ कुछ मानसिक लक्षण भी उत्पन्न हो जाते हैं, जैसे – मानसिक सम्भ्रम, भ्रान्ति, प्रलाप अथवा सन्निपात आदि.
- कुछ मामलों में रोगी को मिर्गी भी हो जाती है. इस रोग के लिए कोई आयु अथवा ऋतु का बंधन नहीं होता. फिर भी अधिकतर यह रोग बच्चों और किशोरों को होता है. रोग के कारण या तो मृत्यु हो जाती है अथवा अच्छी-खासी शारीरिक क्षति पहुँचती है.
- AES मुख्य रूप से वायरसों के चलते होता है. इस रोग के अन्य स्रोत हैं – बैक्टीरिया, फफूंद, परजीवी, स्पाइरोशेट, रसायन, विषाक्त तत्त्व एवं कतिपय असंक्रामक एजेंट.
- भारत में AES के 5% से 35% तक मामले जापानी कपाल ज्वर वायरस (Japanese encephalitis virus – JEV) के कारण होता है.
- इस रोग को फैलाने वाले अन्य वायरस हैं –निपाह और जीका.
- यह रोग भारत में उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में होता है. बताया जाता है कि यह रोग तब होता है जब बच्चे खाली पेट कच्ची लीची खा लेते हैं. विदित हो कि कच्ची लीची में हाइपोग्लीसिन A और मेथिलीन साइक्लोप्रोपिल ग्लिसिन (MCPG) नामक विषाक्त तत्त्व होते हैं. इनमें हाइपोग्लीसिन A के कारण उल्टियाँ होने लगती हैं. ऐसी उल्टियों को जमैकन वमन रोग कहा जाता है. दूसरा विषाक्त तत्त्व MCPG लीची के बीजों में पाया जाता है.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential; citizens charters, transparency & accountability and institutional and other measures.
Topic : Right to Information – RTI
संदर्भ
सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI) संशोधन अधिनियम 2019 के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दर्ज की गई. केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार (RTI) संशोधन अधिनियम 2019 के विरुद्ध सांसद जयराम रमेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका का जवाब एक वर्ष के बाद भी नहीं दिया. इसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की आलोचना की है.
ज्ञातव्य है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने गत वर्ष सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) संशोधन अधिनियम 2019 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) को सरकार के अधीन लाकर, आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को अर्थहीन बना दिया गया है.
पृष्ठभूमि
भारत ने अक्टूबर 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम, RTI लागू किया था और इस प्रकार वह ऐसा करने वाला विश्व का 56वाँ देश बन गया था. समय-समय पर सरकार ने ऐसे कदम उठाये हैं जिन्हें अधिनियम को कमजोर करने वाला कहा जा सकता है. एक बार 2006 में फाइल की टिप्पणियों को इस अधिनियम के दायरे से मुक्त करने का प्रयास हुआ था. 2009 में भी यह प्रयास हुआ था कि मनगढ़ंत RTI प्रश्नों को बंद किया जाए. यह दोनों प्रयास असफल रहे थे. इसी क्रम में 2019 का RTI संशोधन विधेयक लाया गया.
सूचना अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019
- इस अधिनियम में केंद्र और राज्यों मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की सेवा शर्तों में बदलाव किया गया.
- RTI अधिनियम सूचना आयोगों को चुनाव आयोगों के बराबर का दर्जा दिया गया था. इस दर्जा को समाप्त किया गया.
- विधेयक में प्रस्ताव है कि केंद्र सरकार CIC (Central Information Commissioner) तथा IC (Information Commissioner) का वेतन आदि तय किया करेगी.
- अधिनियम में इन अधिकारियों का कार्यकाल 5 साल निर्धारित था परन्तु विधेयक में यह प्रस्ताव दिया जा रहा है इनके कार्यकाल का निर्धारण केन्द्रीय सरकार के इच्छानुसार होगा.
- मूल अधिनियम में राज्य सरकार को राज्य सूचना आयुक्तों को चुनने का अधिकार था. प्रस्तावित संशोधन में यह प्रावधान है कि राज्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल, दर्जा और वेतन केंद्र तय करेगा.
- इन परिवर्तनों के लिए सरकार ने यह तर्क दिया है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है जबकि केन्द्रीय एवं राज्य सूचना आयोग वैधानिक निकाय हैं जिनकी स्थापना RTI अधिनियम, 2005 के तहत हुई है.
RTI ACT क्या है?
- नागरिकों को सशक्त बनाने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने, सरकारी काम में उत्तरदायित्व तय करने, भ्रष्टाचार को रोकने तथा लोकतन्त्र को सही मायने में लोगों का तन्त्र बनाने के मूल उद्देश्य से सूचना अधिकार अधिनियम पारित हुआ था.
- इस अधिनियम के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक किसी लोक अधिकारी से सूचना का अनुरोध कर सकता है और उसके अनुरोध पर तीस दिनों के अन्दर विचार कर पूछने वाले को उत्तर देना अनिवार्य होगा.
- लोक अधिकारी के दायरे में सरकारी निकाय आते हैं.
- इस अधिनियम के अनुसार सभी लोक अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने कार्यालय से सम्बन्धित दस्तावेजों को कंप्यूटर में डालकर उनका सम्यक रूप से प्रचार-प्रसार करें जिससे नागरिकों को सूचना के लिए कम-से-कम अनुरोध करना पड़े.
उद्देश्य
- सूचना की उपलब्धता को सुचारू बनाना.
- राज्य सूचना आयोग के यहाँ लंबित अपीलों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना.
- सूचना न दिए जाने और रोक दिए जाने के वृतांतों पर नज़र रखना.
CIC क्या है? सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुभाग 12 यह प्रावधान करता है कि भारत सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना देकर केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन करेगी जिसमें 1 मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 10 केन्द्रीय सूचना आयुक्त होंगे. अधिनियम के अनुभाग 12 (3) में आगे कहा गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और केन्द्रीय सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की अनुशंसा पर होगी. इस समिति का स्वरूप निम्नवत् होगा – GS Paper 2 Source : PIB UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations. संदर्भ चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा पिछले पंचांग वर्ष में कम हुआ है, क्योंकि भारत से चीन को किया गया निर्यात 16.15% बढ़कर 20.25 बिलियन डॉलर हो गया, जिसमें लोहा और इस्पात, एल्यूमीनियम और तांबा प्रमुख थे, जबकि आयात 10.87% घटकर $66.78 बिलियन हो गया. हालाँकि भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा अभी भी $45.9 बिलियन डॉलर है, जो कि वर्ष 2019 में $56.95 बिलियन था. इसके अतिरिक्त अप्रैल-दिसंबर वित्त वर्ष 21 के लिए भारत के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था. सरकार द्वारा चीन के व्यापारिक प्रभुत्व को कम करने के लिए कई कदम उठाये गये हैं, जैसे- भारत सरकार द्वारा चीनी ऐप पर प्रतिबंध लगाया गया है, चीनी निवेश को दी जाने वाली स्वीकृति को धीमा कर दिया गया है, इसके अलावा घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना चलाई है. किन्तु भारत अभी भी चीन द्वारा निर्मित भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और घरेलू उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर है. एक अनुमान से पता चलता है कि चीनी आयात का 1/3 भाग, कम तकनीकी आधारित वस्तुओं का है, जो या तो भारतीयों द्वारा पहले बनाए गए थे या अभी भी बनाए जा रहे हैं. इसलिए इन्हें स्थानीय वस्तुओं द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है. इस प्रकार के प्रयास सैकड़ों छोटी और मध्यम कंपनियों के लिए संजीवनी सिद्ध होंगे, जो माँग में कमी के कारण कम हो गई हैं. यदि सूक्ष्म एवं लघु औद्योगिक क्षेत्र आगे बढ़ता है तो, इससे समग्र विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ योजना को लाभ मिलेगा. जैसे-जैसे स्थानीय बिक्री बढ़ेगी, भारतीय उत्पादक प्रतिस्पर्धी बनेंगे. वे उत्पादों के निर्यातकों के रूप में भी उभर सकते हैं, और चीन के साथ विश्व स्तर पर टक्कर ले सकते हैं. दीर्घकालिक उपायों के रूप में भारत को वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी बढ़ाने पर ज़ोर देना होगा. इसके लिए घरेलू बाधाओं (कमज़ोर आधारभूत ढाँचे, अनिश्चित विद्युत आपूर्ति, परिवहन, नियामक बाधाएँ आदि) को दूर करना होगा. हाल के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार “मेक इन इंडिया’ के साथ “असेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड” को भी सम्मिलित करना होगा. इससे साल 2025 तक 4 करोड़ नये रोजगार सृजन करने में भी सहायता मिलेगी. GS Paper 3 Source : PIB UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment. संदर्भ हाल ही में शहरी शासन व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के उद्देश्य से राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (National Urban Digital Mission – NUDM.) सहित कई अन्य डिजिटल कार्यक्रमों की प्रारम्भ किया गया है. Prelims Vishesh Mawsynram, Meghalaya :- Kandla forests :- Einsteinium :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA January, 2020 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : India’s trade deficit with China narrows to $45.9 billion in 2020
आगे की राह
Topic : National Urban Digital Mission : NUDM
मुख्य तथ्य
राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (NUDM)