Sansar Daily Current Affairs, 24 July 2018
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : National Culture Fund
- भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय संस्कृति कोष (National Culture Fund – NCM) 1996 के नवम्बर में धर्मार्थ दान अधिनियम, 1890 (Charitable Endowment Act, 1890) के तहत स्थापित किया गया था.
- इसका उद्देश्य था सावर्जनिक निजी साझीदारियों (Public Private Partnerships – PPP) के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन जुटाना.
- राष्ट्रीय संस्कृति कोष (NCF) का प्रबंधन और प्रशासन केंद्रीय संस्कृति मंत्री की अध्यक्षता में गठित एक परिषद् करती है.
- यह परिषद् नीतियों का निर्धारण करती है और इन नीतियों के कार्यान्वयन का दायित्व संस्कृति सचिव की अध्यक्षता में गठित एक कार्यकारिणी समिति किया करती है.
- यह कोष भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए निगमों, गैर-सरकारी संगठनों, निजी/सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ व्यक्तियों से भी सहयोग प्राप्त करता है.
- नवीनतम आँकड़ों के अनुसार नैगम सामाजिक दायित्व (Corporate Social Responsibility – CSR) योजना के तहत इस कोष को पिछले तीन वर्षों में ऐतिहासिक भवनों के विकास हेतु 904.80 लाख रु. प्राप्त हो चुके हैं.
- राष्ट्रीय संस्कृति कोष द्वारा क्रियान्वित परियोजनाएँ सम्बंधित दाता संगठन से हुए समझौते के अनुसार एक निर्धारित अवधि में पूरी कर ली जाती है.
- इस कोष में धन देने वालों को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत 100% कर की कटौती मिलती है.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : National mission for manuscripts (NMM)
- राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन ( National mission for manuscripts – NMM) ने अब तक 2.96 लाख पांडुलिपियों के 2.83 लाख पृष्ठों को डिजिटल रूप दे दिया है.
- विदित हो कि राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन का आरम्भ संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2003 में पांडुलिपियों का विवरण तैयार करने तथा उनके संरक्षण और डिजिटीकरण के उद्देश्य से किया गया था.
- NMM द्वारा डिजिटीकृत पांडुलिपियाँ एक विश्वस्त डिजिटल संग्रह (Trusted Digital Repository) के माध्यम से विद्वानों और शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराई जायेंगी.
पाण्डुलिपि क्या है?
- पांडुलिपि वह हस्तलिखित रचना होती है जो कागज़, पेड़ की छाल, कपड़े, धातु, ताड़पत्र और एसे किसी भी पदार्थ पर लिखी होती है जो कम-से-कम 75 वर्ष पुरानी हो और जिसका महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक, ऐतिहासिक अथवा सौन्दर्यगत मूल्य हो.
- लिथोग्राफ और मुद्रित पुस्तकें पाण्डुलिपि नहीं कहलाती हैं.
- विदित हो कि भारत में सैंकड़ों विभिन्न भाषाओं और लिपियों में पांडुलिपियाँ मिलती हैं. एक अनुमान के अनुसार, ऐसी पांडुलिपियों की संख्या एक करोड़ है, जोकि संभवतः विश्व का सबसे बड़ा संग्रह है.
- बहुधा कोई भाषा अलग-अलग लिपियों में लिखी जाती हैं, उदाहरण के लिए संस्कृत देवनागिरी लिपि के अतिरिक्त उड़िया लिपि, ग्रन्थ लिपि एवं अन्य कई लिपियों में लिखी जाती हैं.
- पाण्डुलिपियाँ इतिहास की साहित्यिक स्रोत होती हैं. इस प्रकार ये अन्य प्रत्यक्ष स्रोतों, जैसे – शिलालेख, राजस्व अभिलेख, आदेश आदि से भिन्न हैं.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Sukanya Samriddhi Yojana
- हाल ही में केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि खाता नियम, 2016 (Sukanya Samriddhi Account Rules, 2016) में संशोधन करके न्यूनतम अपेक्षित जमा-राशि को 1000 रु. से घटाकर 250 रु. कर दिया है.
- इससे अधिक लोग इस लोकप्रिय बालिका बचत योजना का लाभ उठा सकेंगे.
सुकन्या समृद्धि योजना क्या है?
- सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) बालिकाओं के लिए एक लघु-बचत योजना है जिसका आरम्भ बेटो बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत किया गया है.
- महत्त्वपूर्ण तत्त्व
- इस योजना में जमा-राशि पर आयकर अधिनियम, 1961 के अनुभाग 80 C के तहत छूट मिलती है.
- सुकन्या समृद्धि खाता बालिका के जन्म के बाद उसके 10 वर्ष के होने तक कभी भी न्यूनतम राशि 250 रु. जमा करके खोला जा सकता है.
- अभिभावक चाहे तो इस खाते डेढ़ लाख रूपए तक जमा कर सकता है.
- सुकन्या समृद्धि खाता किसी भी डाकघर अथवा प्राधिकृत व्यावसायिक बैंक की शाखा में खोला जा सकता है.
- यह खाता खुलने के बाद 21 वर्ष तक अथवा लड़की के 18 वर्ष होने तक चालू रहेगा.
- लड़की की उच्चतर शिक्षा के खर्चे के लिए इस खाते में से 50% उपलब्ध राशि को लड़की के 18 वर्ष की हो जाने के बाद निकाला जा सकता है.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP)
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) जनवरी 2015 में आरम्भ की गई थी.
- इस योजना का उद्देश्य लैंगिक समानता तथा लड़कियों की पढ़ाई के महत्त्व को बढ़ावा देना है.
- इस योजना में केंद्र सरकार के कार्यान्वयन में तीन मंत्रालय सहयोग (tri-ministerial effort) करते हैं. ये मंत्रालय हैं – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय.
योजना की महत्ता और आवश्यकता
1961 से भारत में लगातार शिशु लिंग अनुपात (child sex ratio) गिरता जा रहा है. 1991 में यह अनुपात 945 था जो घटकर 2001 में 927 हो गया और आगे चल कर 2011 में 918 हो गया. यह गिरावट खतरनाक है. लिंग अनुपात की इस गिरावट के कई मूलभूत कारण हैं, जैसे – समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव की परम्परा, लिंग के निर्धारण के लिए उपकरणों का सरलता से उपलब्ध होना, उनका सस्ता होना और उनका दुरूपयोग किया जाना.
शिशु लिंग अनुपात
शिशु लिंग अनुपात (Child Sex Ratio – CSR) 0 से 6 वर्ष के बच्चों में प्रत्येक एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या को कहते हैं. इसलिए इस अनुपात में गिरावट को स्त्रियों की अशक्तता का एक बहुत बड़ा संकेत माना जाता है. यह अनुपात इस सच्चाई को भी प्रतिबिम्बित करता है कि लिंग निर्णय के द्वारा गर्भ में ही बच्चियों के साथ भेद-भाव होता है और उनके जन्म के उपरान्त भी वे भेद-भाव की शिकार होती हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Aspirational Districts
हाल ही में नीति आयोग और Lupin Foundation ने एक संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके अनुसार दोनों पक्ष आकांक्षी जिलों (Aspirational Districts) में मिलकर अग्रलिखित क्षेत्रों में कार्य करेंगे – शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास, कृषि, जल-संसाधन तथा आधारभूत संरचना.
आकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme)
- नव भारत निर्माण के उद्देश्य को पाने के लिए भारत के सबसे पिछड़े जिलों के उन्नयन का कार्यक्रम बनाया गया है. इन जिलों को आकांक्षी जिले अर्थात् Aspirational Districts की संज्ञा दी गई है.
- Tansformation of aspirational जिला कार्यक्रम भारत सरकार के द्वारा जनवरी, 2018 में घोषित किया गया.
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के सबसे अल्प-विकसित जिलों में तेजी से बदलाव लाना है.
- इस कार्यक्रम का मुख्य नारा है – Convergence (समागम – केन्द्रीय और राज्य योजनाओं का), Collaboration (सहयोग – केंद्र स्तरीय एवं राज्य स्तरीय अधिकारीयों एवं जिला समहर्ताओं के बीच, Competition (प्रतिस्पर्द्धा -जिलों के बीच).
- इस कार्यक्रम के अंतर्गत पूरे देश के 115 जिले चुने गए हैं जिनमें 35 जिले नक्सल-प्रभावित हैं.
ADP की जरुरत
यदि सभी आकांक्षी जिलों में बदलाव आ जायेगा तो देश की आंतरिक सुरक्षा के परिदृश्य में भी सुधार हो जायेगा. साथ ही देश में विकास की गति में तेजी भी हो जाएगी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : NCTE amendment Bill passed
- हाल ही में लोक सभा में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् (संशोधन) विधेयक/National Council for Teacher Education (Amendment) Bill को पारित कर दिया है.
- इस विधेयक का उद्देश्य उन केन्द्रीय/राज्यीय संस्थानों को पिछली तिथि से मान्यता प्रदान करना है जो NCTE (National Council for Teacher Education) के अनुमोदन के बिना शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम (teacher education courses) चला रहे हैं.
- ऐसा मात्र एक बार के लिए इसलिए किया जा रहा है कि इन संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में न पड़ जाए.
विधेयक के मुख्य तत्त्व
- विधेयक में प्रस्ताव है कि उन संस्थानों को पिछली तिथि से मान्यता दी जाए जिन्हें केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार से निधि प्राप्त होती है पर जो अभी तक मान्यता प्राप्त नहीं हुए हैं.
- एक शर्त यह भी है कि ये संस्थान 2017-18 शैक्षणिक वर्ष तक शिक्षा शिक्षक पाठ्यक्रम चला चुके हैं.
- विधेयक में ऐसी संस्थानों को नए पाठ्यक्रम अथवा शिक्षक प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलाने की अनुमति दी गई है.
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् (NCTE)
- NCTE केंद्र सरकार का एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना NCTE अधिनियम, 1993 के तहत 1995 में की गई थी.
- NCTE पूरे देश की शिक्षक शिक्षा प्रणाली (केन्द्रीय तथा राज्यीय दोनों) के लिए योजना बनाती है और विकास का समन्वयन करती है.
- इसका एक काम शिक्षक शिक्षा प्रणाली (teacher education system) के लिए मापदंड को लागू करना भी है.
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
Prelims Vishesh
Shekatkar Committee :-
- सरकार ने हाल ही में लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी.बी. शेकटकर की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर भारतीय सेना में अपेक्षित सुधार की समीक्षा की है.
- शेकटकर समिति को सशस्त्र बलों की क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपयुक्त कदमों का सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है.
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