Submit Form for Hard Copy of DCA
बता कर हो कर हर्ष हो रहा है कि कई छात्रों ने Sansar DCA के हार्ड-कॉपी के लिए अप्लाई किया है. अब हम 1,000 की सीमा के बहुत ही नजदीक हैं और मात्र 1,000 छात्रों को हार्डकॉपी उनके घर तक भेजा जाएगा. जैसा पहले सूचित किया गया था कि हम लोग जनवरी, 2019 से Sansar DCA की हार्डकॉपी निकालने की सोच रहे हैं. केवल फॉर्म भरने वालों को ही संसार DCA मिलेगा. फॉर्म भरने की अंतिम तारीख को बढ़ाकार 30 जनवरी, 2018 कर दिया गया है. Submit Form Here
Sansar Daily Current Affairs, 25 December 2018
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Amendments to the Information Technology (IT) Act
संदर्भ
केन्द्रीय सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी [मध्यवर्ती मार्गनिर्देश (संशोधन) नियम], 2018 के प्रारूप के अनुभाग 79 में कठोर प्रावधान प्रस्तावित किये हैं जिनका उद्देश्य ऑनलाइन मंच, जैसे – व्हाट्सऐप, फेसबुक आदि में प्रचारित होने वाले फर्जी समाचारों और अफवाहों पर लगाम लगाना है.
निहितार्थ
प्रस्तावित संशोधनों का परिणाम यह होगा कि व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंच सावधान रहने को बाध्य हो जाएँगे और उनके उपयोगकर्ताओं को किसी भी गैर-कानूनी सूचना अथवा सामग्री को पोस्ट करने अथवा साझा करने के पहले सौ बार सोचना होगा. इन संशोधनों से फर्जी समाचारों और अफवाहों के कारण सामूहिक हिंसा (mob violence) की घटनाओं को काबू में रखने में सहायता मिलेगी.
प्रस्तावित नए नियम क्या हैं?
- कानून में किये गये परिवर्तन के फलस्वरूप अब ऑनलाइन मंचों को एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ना होगा जिससे कि संदेशों के मूल स्रोत का पता लगाया जा सके. इसके लिए उन्हें तकनीक पर आधारित स्वचालित साधनों अथवा समुचित नियंत्रणों से युक्त प्रणालियों का उपयोग करना होगा जिससे गैर-कानूनी सूचना अथवा सामग्री को पकड़ा जा सके अथवा हटाया जा सके अथवा उसकी पहुँच को काम के योग्य नहीं रहने दिया जा सके.
- संशोधन के अनुसार यदि केंद्र सरकार सोशल मीडिया मंचों से कुछ जानकारी लेनी चाहती है तो उनको 72 घंटे के अन्दर वह जानकारी देनी होगी.
- सरकार के निर्देश का पालन करने के लिए एक नोडल व्यक्ति होगा जिससे 24×7 सम्पर्क हो सके और कानून को लागू करने वाली एजेंसियों और अधिकारियों के साथ उनका समन्वय हो सके.
- सोशल मीडिया मंचों को अवैध गतिविधि विशेष पर 180 दिन की अवधि तक नजर रखनी होगी.
संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
आजकल देखा जा रहा है कि सोशल मीडिया मंचों का दुरूपयोग कर हिंसा और सामूहिक हत्या की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं. इसलिए अब यह आवश्यकता है कि ऑनलाइन मंच जिम्मेवारी लें और यह सुनिश्चित करें कि उनका उपयोग अशक्त बातों को समाचार बना कर प्रस्तुत करने और लोगों को अपराध करने हेतु प्रोत्साहित करने में नहीं किया जाए.
आलोचना
प्रस्तावित संशोधन के कारण अब इस बात पर फिर से विपक्षी दलों ने विवाद छेड़ दिया है कि सरकार व्यक्तियों की निजता में हस्तक्षेप कर रही है. इसी प्रकार की आशंकाएँ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनुभाग 66A को लेकर प्रकट की गई थी. उस अनुभाग में अधिकारियों को यह शक्ति दी गई थी कि वे अपमानजनक सामग्री पोस्ट वाले व्यक्ति को बंदी बना सकें. यह अलग बात है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 24, 2015 को इस कानून को निरस्त कर दिया था.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Review Of Aadhaar Verdict
संदर्भ
इम्तियाज अली पलसानिया नामक एक व्यक्ति ने सर्वोच्च न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर की है जिसमें अनुरोध किया गया है कि भारत सरकार की मूर्धन्य योजना आधार के बारे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सितम्बर 26 को पाँच न्यायाधीशों की सांविधानिक बेंच द्वारा दिए गये निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए.
विदित हो कि उस निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने आधार योजना को संविधानिक रूप से वैध माना था.
सुप्रीम फैसला क्या था?
सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को संवैधानिक माना. न्यायालय का कहना था कि किसी कल्याणकारी राज्य में सुशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी एक आवश्यक साधन बन चुका है. इसलिए इस दृष्टि से आधार का महत्त्व है. न्यायालय का विचार था कि सरकार जनवितरण प्रणाली, छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन और LPG सब्सिडी जैसी कई योजनाएँ चला रही हैं जिनमें बहुत मात्रा में धन-राशि का आदान-प्रदान होता है. ऐसी स्थिति में एक त्रुटि-रहित प्रणाली बनाकार गरीबों तक योजनाओं का लाभ पहुँचाने में आधार मदद करता है. बेंच के अधिकांश न्यायाधीशों का मानना था कि आधार में निजता का उल्लंघन न हो इसके लिए आवश्यक उपाय रखे गये हैं. न्यायालय का कहना था कि आधार पूरी तरह सुरक्षित है क्योंकि इसका डुप्लीकेट नहीं बनाया जा सकता जबकि पैन, राशन कार्ड आदि का डुप्लीकेट बन सकता है. पर फिर भी न्यायालय ने सरकार को सावधानी बरतने को कहा है और निर्देश दिया है कि डाटा सुरक्षा के लिए नया कानून लाये. न्यायालय ने आधार अधिनियम को धन विधेयक के रूप में संसद से पारित कराने के सरकार के निर्णय को भी सही माना. गैर-कानूनी निवासियों को आधार कार्ड न मिले, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी सरकार को ध्यान देने के लिए कहा.
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड कहाँ अनिवार्य होगा और कहाँ नहीं –
- पैन कार्ड बनवाने में आधार कार्ड अनिवार्य होगा.
- इनकम टैक्स भरने के लिए इसका होना जरुरी है.
- बैंक से आधार लिंक करना जरुरी नहीं.
- स्कूल में एडमिशन के समय आधार कार्ड जरुरी नहीं होगा.
- UGC, NEET और CBSE में आधार देना अनिवार्य नहीं.
- निजी कंपनी आधार कार्ड नहीं माँग सकती (इस विषय से सम्बंधित आधार एक्ट के अनुच्छेद/अनुभाग 57 को सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है).
- मोबाइल नंबर/नए मोबाइल सिम लेने में आधार जरुरी नहीं.
पुनर्विचार के लिए दिए गये तर्क
- याचिका में दावा किया गया है कि आधार के माध्यम से संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा हस्तांतरित हो सकता है. भारतीय नागरिकों से सम्बंधित निजी विवरण उन विदेशी प्रतिष्ठानों को प्राप्त हो सकता है जिन्होंने बायो-मेट्रिक सेवा उपलब्ध कराया है.
- याचिका में यह दावा किया गया है कि प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) के एक अधिसूचना के अनुसार 100 करोड़ आधार अप्रैल 4, 2016 तक बन चुके हैं. इस प्रकार राष्ट्र की सुरक्षा ही संकटग्रस्त हो गयी है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Chabahar port
संदर्भ
हाल ही में ईरान की राजधानी तेहरान में ईरान, अफगानिस्तान और भारत के बीच हुए चाबहार समझौते के कार्यान्वयन के लिए गठित समिति की पहली बैठक में ईरान ने ईरान ने भारत को चाबहार बंदरगाह को औपचारिक रूप से सौंप दिया.
विदित हो कि चाबहार समझौते पर जून, 2015 में हस्ताक्षर हुए थे और इसका अनुमोदन ईरान की गार्डियन कौंसिल ने नवम्बर, 2016 में किया था.
चाबहार बंदरगाह
- भारत ने ही चाबहार बंदरगाह बनाया है.
- इसका उद्देश्य है कि चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) तक पहुँचने के लिए एक ऐसा यातायात गलियारा मिले जो पाकिस्तान होकर नहीं गुजरे क्योंकि पाकिस्तान से इसकी अक्सर ठनी रहती है.
- आशा है कि इस गलियारे के चालू हो जाने से अरबों रुपयों का व्यापार हो सकता है.
- ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित उस देश का एकमात्र बन्दरगाह है.
- चाबहार के बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में व्यापार करने में सुविधा तो होगी ही, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे (International North-South Transport Corridor) तक उसकी पहुँच भी हो जाएगी.
- चाबहार बंदरगाह चालू होने के बाद भारत में लौह अयस्क, चीनी और चावल के आयात में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी.
- इसके अतिरिक्त खनिज तेल के आयात की लागत भी बहुत कुछ घट जायेगी.
- ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा ईरान से लेकर रूस तक जाता है और इसमें यह एक भूमि मार्ग है जिसमें समुद्र, रेल, सड़क यातायात का सहारा लिया जायेगा.
- विदित हो कि चीन ने खाड़ी तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पाकिस्तान को ग्वादर नामक बंदरगाह बनाने में मदद की है जिससे उसका क्षेत्र में दबदबा हो जाए.
- चाबहार बंदरगाह भारत को चीन के इस दबदबे का प्रतिकार करने में सक्षम बनाएगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Polavaram multi-purpose project
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आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल ही में पोलावरम परियोजना स्थल पर उसके पहले रेडियल गेट को लगाने का काम आरम्भ कर दिया है. आशा की जाती है कि यह परियोजना मई, 2019 तक पूरी कर ली जायेगी और दिसम्बर, 2019 तक इससे जुड़ी हुई नहरों में पानी छोड़ने का काम आरम्भ हो जायेगा.
विदित हो कि आंध्र प्रदेश विभाजन अधिनियम में पोलावरम परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा दिया गया था और उसकी रूपरेखा को बदल दिया गया था.
पोलावरम परियोजना क्या है?
- पोलावरम परियोजना एक बहु-उद्देशीय सिंचाई परियोजना है. यह बाँध गोदावरी नदी पर बनाया जा रहा है और यह आंध्र प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी गोदावरी जिलों में अवस्थित है.
- इस परियोजना के अंतर्गत आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले एवं पूर्वी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर एक बाँध का निर्माण चल रहा है.
- इस बाँध के लिए बनाया गए विशाल जलाशय के कुछ अंश छतीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में भी पड़ते हैं.
- इस प्रयोजना के अधीन सिंचाई, पनबिजली एवं पेय-जल की सुविधा आंध्र प्रदेश के पूर्वी-गोदावरी, पश्चिमी-गोदावरी एवं कृष्णा जिले के अतिरिक्त विशाखापत्तनम को मुहैया की जायेगी.
- इस परियोजना के चलते 222 गाँवों के 1 लाख 88 हजार लोग विस्थापित हो गये हैं. इनमें से 1,730 लोगों का पुनर्वास किया जा चुका है.
परियोजना से सम्बंधित विवाद
पोलावरम बहु-उद्देशीय परियोजना की स्थिति से सम्बंधित एक याचिका की सुनवाई के क्रम में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को आदेश दिया था कि परियोजना से प्रभावित ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में जाकर जन-सुनवाई करे. केंद्र सरकार ने भी अपने उत्तर में कहा था कि वह इस प्रकार की सुनवाई करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी नियुक्त करने के लिए तैयार है.
पोलावरम परियोजना पर आपत्ति क्यों?
जब 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ तो पोलावरम परियोजना को राष्ट्रीय दर्जा देते हुए उसकी रुपरेखा में परिवर्तन किया गया था. याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया था कि क्योंकि बाँध की रूपरेखा बदल दी गई है और इसमें नए-नए अवयव जोड़े गये हैं इसलिए इसको इसके लिए नई पर्यावरणीय अनुमति लेनी चाहिए.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Bullet Train
संदर्भ
सूचना अधिकार के तहत एक कार्यकर्ता के द्वारा प्राप्त सूचना से पता चलता है कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन की परियोजना घाटे का सौदा हो सकती है और यह महाराष्ट्र की पहले से जर्जर वित्तीय स्थिति पर भार-स्वरूप हो सकती है.
व्यक्त की गई आशंकाएँ
- बुलेट परियोजना के लिए समुचित फ्रेमवर्क का अभाव है जिसके कारण संभव है कि फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) बिगड़ जाए और ऋण को चुकाने में देरी हो जाए.
- बांद्र कुर्ला संकुल (BKC) में प्रस्तावित स्टेशन को बनाने में वहाँ पर लागू ऊँचाई से सम्बन्धित प्रतिबंध आड़े आ जाए और राजस्व की हानि हो.
- इस परियोजना से राज्य को कोई व्यवहारिक लाभ नहीं होगा, अपितु उसका वित्तीय भार बढ़ जाएगा.
- मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिस्तरीय समिति को जापान की अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी के रिपोर्ट और परियोजना की संभाव्यता को लेकर गहराई से अध्ययन करने का काम दिया गया था, पर यह काम अभी तक नहीं हुआ है.
- योजना निर्माण एवं वित्त दोनों विभागों ने कहा था कि भारत में बुलेट ट्रेन के बारे में निर्णय लेने के पहले यह जरुरी है कि यह पता लगाया जाए कि अन्य देशों में ऐसी ट्रेन पर कितना व्यय आता है.
- इन दोनों विभागों ने केंद्र को यह स्पष्ट करने को कहा था कि यदि यह परियोजना लम्बे समय तक हानि में चली तो ऋण के भार का बँटवारा किस समीकरण से वहन किया जाएगा.
बुलेट परियोजना क्या है?
यह बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद और फिर वापस जाया करेगी. इसमें 750 यात्री बैठ सकेंगे. यह गाड़ी 320-350 किमी. प्रति घंटे की गति से चलेगी. इस प्रकार अभी इन दो स्टेशनों की रेल यात्रा में लगने वाले आठ घंटे का समय घटकर साढ़े तीन घंटे हो जायेगा. यह परियोजना सात वर्षों में पूरी होगी.
बुलेट ट्रेन से भारत को लाभ
- इससे आर्थिक विकास होगा क्योंकि मुंबई और अहमदाबाद जैसे आर्थिक केन्द्रों से छोटे-छोटे शहर भी जुड़ जाएँगे और इन्हें इस गाड़ी की तेज गति का लाभ मिलेगा.
- बुलेट ट्रेन से 4,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार का अवसर मिलेगा. अप्रत्यक्ष रूप से 20,000 लोगों को नौकरी मिल सकती है. इसके अतिरिक्त बुलेट ट्रेन की पटरी के निर्माण में 20,000 श्रमिक लगाये जाएँगे.
- बुलेट ट्रेन के रास्ते में आने वाले स्टेशन वाले शहरों में शहरी विकास की संभावना होगी और साथ ही मुंबई और अहमदाबाद पर शहरीकरण का बोझ कम जाएगा.
- बुलेट ट्रेन परियोजना के पूरे हो जाने पर उच्च गति वाले ट्रेनों से सम्बंधित प्रौद्योगिकी के लिए यह एक आकर्षक केंद्र बन जाएगा.
Prelims Vishesh
India’s Longest Railroad Bridge :-
- 25 दिसम्बर, 2018 को प्रधानमंत्री ने ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बने भारत के सबसे लम्बे रेलवे पुल “बोगीबील पुल” का उद्घाटन किया.
- इस पुल की लम्बाई 4.94 किलोमीटर है. यह एक डबल-डेकर पुल है अर्थात् इसमें रेल और सड़क दोनों यातायात की व्यवस्था है.
- ब्रह्मपुत्र पर स्थित इस पुल से असम के तिनसुकिया से अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन नगर तक पहुँचने की रेल यात्रा का समय पहले की तुलना में 10 घंटे घट जाएगा.
- यह पुल भारतीय रेलवे ने बनाया है.
- यह पुल इतना बलवान है कि इससे होकर भारी-भरकम सैन्य टैंक भी सरलता से गुजर सकते हैं.
- बोगीबील पुल से असम के डिब्रूगढ़ जिले में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी का दक्षिणी तट अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित धेमाजी जिले के सिलापथर से जुड़ जाएगा.
- इस परियोजना के कारण धेमाजी और डिब्रूगढ़ की दूरी को रेलवे ने 500 किमी. से घटाकर 100 किमी. कर दिया है.
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