Sansar Daily Current Affairs, 25 February 2019
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : Permanent Residence Certificate
संदर्भ
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के नामसाई और चान्गलांग जिलों में रहने वाली छह गैर-अरुणाचलप्रदेशी अनुसूचित प्रजातियों तथा विजयनगर में रहने वाले गोरखों को स्थाई निवास प्रमाण-पत्र (Permanent Residence Certificate) निर्गत करने को लेकर उस राज्य में हिंसा भड़क गई है. राज्य सरकार आश्वासन दे रही है कि उसने इस योजना को टाल दिया है, तथापि इसके विरोध में प्रदर्शन जारी हैं.
भूमिका
अरुणाचल प्रदेश में छह ऐसी अनुसूची प्रजातियाँ हैं जो गैर-अरुणाचलप्रदेशी हैं, ये हैं – देवरी, सोनोवल, काचरी, मोरान, आदिवासी और मिशिंग. ये सभी राज्य में स्थाई निवास प्रमाण-पत्र की माँग कर रहे हैं. इनकी यह माँग पुरानी है पर राज्य के कुछ शक्तिशाली समूह इसका विरोध करते रहे हैं.
स्थाई निवास प्रमाण-पत्र क्या है?
- स्थाई निवास प्रमाण-पत्र अरुणाचल प्रदेश की सरकार द्वारा राज्य में रहने वाले उन लोगों को निर्गत किया जाता है जो राज्य में किसी विशेष अवधि से रह रहे हैं. जो नागरिक राज्य में अभी नहीं रह रहे हैं पर उन्हें विश्वास है कि यहीं स्थाई रूप से रहेंगे, वे भी इस प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन दे सकते हैं.
- स्थाई निवास प्रमाण-पत्र के अतिरिक्त राज्य सरकार तात्कालिक निवास प्रमाण-पत्र उन लोगों को देती है जो राज्य में तात्कालिक रूप से रह रहे हैं.
प्रमाण-पत्र देने का उद्देश्य
- स्थाई निवास प्रमाण-पत्र एक कानूनी दस्तावेज है जो निवास के पते के साक्ष्य के रूप में प्रयोग होता है.
- इस प्रमाण-पत्र को कई मामलों में प्रस्तुत करना आवश्यक होता है, जैसे – किसी शिक्षण संस्थानों में नाम लिखाने के समय, नौकरियों में, विशेषकर सरकारी नौकरियों में, आरक्षण की छूट लेने के समय, स्थानीय वरीयता पाने के समय आदि.
- राशन कार्ड के लिए आवेदन भरते समय स्थाई निवास प्रमाण-पत्र अनिवार्य होता है.
- राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने और छात्रवृत्ति का दावा करने के लिए स्थाई निवास प्रमाण-पत्र एक अनिवार्य दस्तावेज होता है.
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Islamic Cooperation countries (OIC)
संदर्भ
ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) ने अपनी आगामी बैठक में भारत को सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है.
भूमिका
भारत को पहले कभी भी OIC की बैठक में बुलाया नहीं गया था. अभी पाकिस्तान के साथ भारत का तनाव चरम पर है. ऐसी स्थिति में भी भारत को OIC में बुलाया जाना एक कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है.
इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) क्या है?
- यह विश्व के सभी इस्लामी देशों का एक संगठन है.
- संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है.
- इस संगठन की स्थापना 1969 में हुई थी.
- आज इसमें सदस्य देशों की संख्या 57 है.
- इसका मुख्यालय जेद्दा, सऊदी अरब में है.
- OIC का एक-एक प्रतिनिधिमंडल स्थाई रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ और यूरोपियन यूनियन में प्रतिनियुक्त है.
- इस संगठन का उद्देश्य इस्लामी विश्व की सामूहिक आवाज के रूप में काम करना तथा मुसलमानों के हितों की रक्षा करना है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Afghanistan opens new export route to India through Iran’s Chabahar port
संदर्भ
हाल ही में ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान ने भारत को निर्यात करना आरम्भ कर दिया. ज्ञातव्य है कि अफगानिस्तान एक ऐसा देश जो चारों ओर से जमीन से घिरा हुआ है और वर्तमान में वह युद्ध का शिकार है. वह उम्मीद करता है कि चाबहार का रास्ता खुल जाने से उसे अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी.
चाबहार बंदरगाह
- भारत ने ही चाबहार बंदरगाह बनाया है.
- इसका उद्देश्य है कि चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) तक पहुँचने के लिए एक ऐसा यातायात गलियारा मिले जो पाकिस्तान होकर नहीं गुजरे क्योंकि पाकिस्तान से इसकी अक्सर ठनी रहती है.
- आशा है कि इस गलियारे के चालू हो जाने से अरबों रुपयों का व्यापार हो सकता है.
- ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित उस देश का एकमात्र बन्दरगाह है.
- चाबहार के बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में व्यापार करने में सुविधा तो होगी ही, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे (International North-South Transport Corridor) तक उसकी पहुँच भी हो जाएगी.
- चाबहार बंदरगाह चालू होने के बाद भारत में लौह अयस्क, चीनी और चावल के आयात में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी.
- इसके अतिरिक्त खनिज तेल के आयात की लागत भी बहुत कुछ घट जायेगी.
- ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा ईरान से लेकर रूस तक जाता है और इसमें यह एक भूमि मार्ग है जिसमें समुद्र, रेल, सड़क यातायात का सहारा लिया जायेगा.
- विदित हो कि चीन ने खाड़ी तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पाकिस्तान को ग्वादर नामक बंदरगाह बनाने में मदद की है जिससे उसका क्षेत्र में दबदबा हो जाए.
- चाबहार बंदरगाह भारत को चीन के इस दबदबे का प्रतिकार करने में सक्षम बनाएगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : EVM is ‘information’ under Right to Information Act
केन्द्रीय सूचना आयोग (CIC) ने हाल ही में घोषित किया है कि इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीन अर्थात् EVM को सूचना अधिकार अधिनियम के तहत “सूचना” माना जाएगा और इस प्रकार कोई भी व्यक्ति 10 रु. भुगतान कर चुनाव आयोग से EVM की माँग कर सकता है.
निहितार्थ
EVM के “सूचना” घोषित हो जाने पर जनसूचना अधिकारी किसी आवेदक को EVM देने से अब मना नहीं कर पायेगा. ज्ञातव्य है कि सूचना अधिकार अधिनियम के अनुभाग 8(1)(d) में कुछ सूचनाओं को सूचनाधिकार से बाहर रखा गया है. ये सूचनाएँ मुख्य रूप से हैं – वाणिज्यिक गोपनीयता, व्यापार रहस्य, बौद्धिक सम्पदा आदि.
CIC क्या है?
सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुभाग 12 यह प्रावधान करता है कि भारत सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना देकर केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन करेगी जिसमें 1 मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 10 केन्द्रीय सूचना आयुक्त होंगे.
अधिनियम के अनुभाग 12 (3) में आगे कहा गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त और केन्द्रीय सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की अनुशंसा पर होगी. इस समिति का स्वरूप निम्नवत् होगा –
- प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होंगे.
- लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एक सदस्य होंगे.
- तीसरे सदस्य कोई केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री होंगे जो प्रधानमंत्री द्वारा नामांकित किए जायेंगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi
संदर्भ
प्रधानमंत्री ने हाल ही में 24 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के पात्र किसानों के बैंक खातों में 2,021 रुपये की पहली किस्त का सीधे इलेक्ट्रॉनिक अंतरण करने के लिए उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हाल ही में पीएम-किसान योजना का शुभारंभ किया.
पीएम-किसान योजना
- इस योजना के तहत दो हेक्टेयर तक के मिश्रित जोतों/स्वामित्व वाले पात्र छोटे और मध्यम किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की राशि प्रदान की जाएगी.
- यह धनराशि प्रति 2000 रुपये की तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी.
पीएम-किसान योजना के लाभ
- योजना के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) की प्रक्रिया मानवीय हस्तक्षेप के बिना लाभार्थियों के बैंक खातों में पारदर्शी रूप से बिना किसी देर के डिजिटली प्रमाणिक भुगतान सुनिश्चित करती है.
- भारत सरकार की योजनाओं के लिए समस्त भुगतान डीबीटी के जरिये किये जा रहे हैं.
- पीएम-किसान योजना के अंतर्गत पब्लिक फाइनेंशियल मैंनेजमेंट सिस्टम (PFMS) द्वारा इतने कम अर्से में लाभार्थियों की विशाल संख्या के खातों में धनराशि के इलेक्ट्रॉनिक अंतरण का सफल परिचालन, पीएफएमएस की ऐतिहासिक उपलब्घि है, जिसने भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल को और ज्यादा मजबूती प्रदान की है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Monkey Declared Vermin in Himachal Pradesh
संदर्भ
हिमाचल प्रदेश के 11 जिलों में स्थित 91 तहसीलों और उप-तहसीलों में अगले एक वर्ष के लिए बंदरों को मारे जाने योग्य प्राणी घोषित किया गया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से बंदरों को मारे जाने योग्य प्राणी घोषित करने का अनुरोध किया है क्योंकि ये फसलों को क्षति पहुँचा रहे हैं और मनुष्यों को भी हानि पहुँचा रहे हैं.
इस विषय में कानून क्या है?
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवों के अवैध शिकार, उनकी खाल/माँस के व्यापार को रोकना है. यह अधिनियम जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों को संरक्षण देता है. इस अधिनियम में कुल 6 अनुसूचियाँ हैं जो अलग-अलग तरह से वन्यजीव को सुरक्षा प्रदान करती हैं.
अनुसूचियाँ
- अधिनियम की अनुसूची 1 और अनुसूची 2 के दूसरे भाग वन्य जीवन को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं. इसलिए इसमें कठोरतम सजा का प्रावधान है. अनुसूची 1 में आने वाले जानवरों को highly endangered माना जाता है. बाघ, चिंकारा, ब्लैक बक आदि इसी श्रेणी में आते हैं. इसलिए अनुसूची 1 में आने वाले जीवों को नुकसान पहुँचाने की सजा भी सबसे अधिक होती है
- अनुसूची 3 और अनुसूची 4 भी वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान करती हैं किन्तु इनके लिए निर्धारित सजा बहुत कम है.
- वहीं अनुसूची 5 में वे जानवर शामिल हैं जिनका शिकार हो सकता है.
- जबकि अनुसूची 6 में संरक्षित पौधों की खेती और रोपण पर रोक है.
- अधिनियम के अनुभाग 62 में केंद्र सरकार को यह शक्ति दी गई है कि वह अनुसूची 1 और 2 को छोड़कर अन्य अनुसूचियों में वर्णित वन्यजीवों को किसी निश्चित क्षेत्र और अवधि के लिए शिकार योग्य घोषित कर सकती है.
इस अधिनियम के तहत वन्यजीव को पकड़ने की कोशिश करना, उन्हें नुकसान पहुँचाना पूरी तरह गैर-कानूनी है. इसके अलावा वन्य जीवों के लिए बने अभयारण्य में आग लगाने, हथियारों के साथ प्रवेश करने पर रोक है. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत जंगल के पेड़-पौधों को तोड़ना या काटना मना है. इसके साथ ही वन्यजीवों के शरीर, अंग और चमड़ों का व्यापार करना, सजावट के तौर पर इस्तेमाल करना पूरी तरह प्रतिबंधित है.
अन्य कानून
इस अधिनियम के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों ने समय-समय पर वन्य जीव की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कई नियम और कानून पारित किये हैं. जैसे –
- मद्रास वाइल्ड एलीफैंट प्रिजर्वेशन एक्ट, 1873
- ऑल इंडिया एलीफैंट प्रिजर्वेशन एक्ट, 1879
- द वाइल्ड बर्ड एंड एनिमल्स प्रोटेक्शन एक्ट, 1912
- बंगाल राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट, 1932
- असम राइनोसेरस प्रिजर्वेशन एक्ट, 1954
- इंडियन बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ (IBWL), 1952
सरकार ने वन्यप्राणियों से जुड़े कानून को मजबूत और कड़ा बनाने के उद्देश्य से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में जनवरी 2003 में संशोधन किया. इसके तहत सजा और जुर्माने को और अधिक कठोर बना दिया गया.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : Sujalam Sufalam Jal Sanchay Abhiyan
संदर्भ
गुजरात सरकार ने जल संरक्षण योजना – सुजलाम सुफलाम जल संचय अभियान – का दूसरा संस्करण आरम्भ किया है.
यह योजना क्या है?
- सुजलाम सुफलाम जल संचय योजना का उद्देश्य वर्षा ऋतु के आने के पहले राज्य के जलाशयों को गहरा करना है जिससे कि उनमें अधिक से अधिक वर्षा जल जमा हो सके और जल के अभाव के समय उनका उपयोग हो सके.
- इस योजना के अंतर्गत नदी तटों को साफ़ किया जाता है और गाद हटाया जाता है. साथ ही सिंचाई की नहरों की साफ़-सफाई की जाती है.
पृष्ठभूमि
इस योजना के प्रथम संस्करण में 16,616 तालाबों और झीलों को गहरा करने का लक्ष्य रखा गया था जबकि 18,220 जलाशय गहरे किये गये अर्थात् लक्ष्य से अधिक कार्य हुआ. इन प्रयासों से राज्य के तालाबों, जलभंडारों, चेक डैमों, बोरीबंधों आदि जलाशयों में वर्षा जल जमा होने की क्षमता 11 हजार लाख घन फुट तक बढ़ गई.
योजना के अंतर्गत गाद निकालने के कारण मिट्टी का विशाल भंडार जमा हुआ है जिसका प्रयोग किसान खेती की उपज बढ़ाने में कर सकते हैं.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Cheetah reintroduction project
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के समय राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority – NTCA) ने हाल ही में न्यायालय को बताया कि नामीबिया से अफ्रीकी चीते लाकर उन्हें राज्य के नौरादेही अभयारण्य में रखा जाएगा. यह भी सूचित किया गया कि इस योजना के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature – IUCN) ने अपनी अनापत्ति दे दी है.
पृष्ठभूमि
भारत में अब चीते नहीं पाए जाते हैं. अंतिम बार 1947 में छत्तीसगढ़ में एक चीता देखा गया था. 1952 में इसको भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था. चीते के विलुप्त होने के मुख्य कारण उनके निवास-स्थल का नष्ट होना और उनका अँधाधुंध शिकार होना है.
भारत में चीता को फिर से लाने की योजना (Cheetah reintroduction programme) क्या है?
देहरादून में स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान ने आज से छह वर्ष पहले यह योजना बनाई थी और कहा था कि इसमें 260 करोड़ रु. खर्च होंगे. उस योजना के अनुसार मध्य प्रदेश के नौरादेही में 150 वर्ग किलोमीटर का एक बाड़ा बनाया जाएगा जिसको बनाने में ही 25 से 30 करोड़ लग जाएँगे. ये बाड़े बहुत ही ऊँचे होंगे.
नौरादेही ही क्यों?
- मध्य प्रदेश के नौरादेही अभयारण्य (Nauradehi sanctuary) को चीताओं के लिए एक उपयुक्त अभयारण्य माना गया है क्योंकि यहाँ के जंगल उतने घने नहीं है कि उनके आने-जाने में रुकावट हो.
- साथ ही ये जिन जीवों का शिकार करते हैं वे यहाँ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसलिए पूर्व में यह योजना बनी थी कि अफ्रीका के नामीबिया से 20 चीते लाकर यहाँ रखे जाएँ पर यह योजना वर्षों से लंबित पड़ी है.
- हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण को इस योजना को फिर से लागू करने के लिए अनुरोध किया था.
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