One Week Special Offer - 23 जुलाई - 31 जुलाई
जो छात्र 23 जुलाई-31 जुलाई के भीतर Annual DCA सब्सक्राइब करेंगे, उनको पिछले महीने, यानी जनवरी से जून 2019 का भी DCA मेल कर के भेज दिया जाएगा. फिर पूरे साल यानी जुलाई 2019 से जुलाई 2020 तक का DCA तो मिलेगा ही. 12,179 लोगों ने अभी तक Annual DCA सब्सक्राइब किया है, उनको धन्यवाद और शुभकामनाएँ!
Sansar Daily Current Affairs, 25 July 2019
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : What is a whip?
संदर्भ
पिछले दिनों तीन तलाक विधेयक पर लोकसभा में मतदान हुआ. इस संदर्भ में भाजपा व्हिप निर्गत कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सांसदों को सदन में उपस्थित होकर विधेयक के पक्ष में मतदान देने के लिए निर्देश दिया. इस निर्देश को संसदीय भाषा में व्हिप कहा जाता है.
व्हिप क्या है?
संसदीय भाषा में व्हिप उस लिखित आदेश को कहा जाता है जिसके द्वारा कोई दल अपने सदस्यों को सदन में होने वाले मतदान के लिए उपस्थित होने और एक विशेष ढंग से मतदान करने का निर्देश दिया जाता है. व्हिप का शाब्दिक अर्थ “चाबुक” होता है. विदित हो कि ब्रिटेन में यह प्रथा बहुत पहले से चली आ रही है.
इसका प्रयोग कैसे होता है?
भारत में सभी दल अपने सदस्यों के लिए व्हिप निर्गत कर सकते हैं. इसके लिए दल के किसी वरिष्ठ सदस्य को प्राधिकृत किया जाता है. उस सदस्य को मुख्य व्हिप कहते हैं और उसकी सहायता के लिए कुछ अतिरिक्त व्हिप भी हो सकते हैं.
व्हिपों के प्रकार
व्हिप तीन प्रकार के होते हैं. पहला वह जो एक पंक्ति का होता है. इसके द्वारा दल के सदस्यों को दल के मन्तव्य के अनुसार मतदान करने अथवा अनुपस्थित होने को कहा जाता है.
दूसरा व्हिप दो पंक्तियों का होता है जिसमें सदस्यों को मतदान के समय उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाता है.
सबसे कड़ा व्हिप तीन पंक्तियों का होता है जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण अवसरों पर निर्गत किया जाता है. जैसे – विधेयक का द्वितीय वाचन अथवा अविश्वास प्रस्ताव. यह व्हिप सदस्यों को दलीय नीति के अनुसार चलने को बाध्य कर देता है.
व्हिप की अवहेलना
भारत में जो सदस्य तीन पंक्तियों के व्हिप की अवहेलना करता है तो सदन से उसकी सदस्यता समाप्त हो सकती है. दल-बदल विरोधी कानून में यह प्रावधान है कि अध्यक्ष/सभापति ऐसे सदस्य को अयोग्य घोषित कर सकता है. व्हिप की अवहेलना करने वाला तभी बच सकता है जब किसी दल का विभाजन करते हुए एक तिहाई से अधिक सदस्य अलग हो गये हों.
राजनीतिक प्रणाली में व्हिप का महत्त्व
व्हिप एक ऐसी अभिकल्पना है जो राजनीतिक दलों को अपना आंतरिक संगठन बचाए रखने में सहायता करती है. संसद अथवा राज्य के विधायी सदनों का सुचारू एवं कुशल प्रबंधन बहुत सीमा तक व्हिप पर निर्भर रहता है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Government e Marketplace (GeM)
संदर्भ
पिछले दिनों भारत सरकार ने गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस (GeM) मंच की प्रगति की समीक्षा की और वित्तीय वर्ष 2019-20 में इसके माध्यम से होने वाले क्रय की मात्रा को एक लाख करोड़ रु. तक पहुँचाने के लिए कार्ययोजना बनाने पर विचार किया.
GeM क्या है?
- सरकारी ई-बाजार (GeM) एक ऑनलाइन बाजार है जिसके माध्यम से सरकार के विभिन्न मंत्रालय एवं एजेंसियाँ वस्तुओं और सेवाओं का क्रय करती हैं.
- यह बाजार केन्द्र सरकार के विभागों, राज्य सरकार के विभागों, लोक उपक्रम प्रतिष्ठानों और सम्बद्ध निकायों के लिए है.
- यह एक सर्वसमावेशी अभियान है जिसमें सभी प्रकार के विक्रेताओं और सेवा-प्रदाताओं को सशक्त किया जाएगा, जैसे – MSMEs, स्टार्ट-अप, स्वदेशी निर्माता, महिला उद्यमी, स्वयं सहायता समूह (SHGs).
- इस बाजार का उद्देश्य सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार दूर करना तथा उसमें पारदर्शिता, सक्षमता और गति लाना है.
- सरकारी ई-बाजार एक 100% सरकारी कम्पनी है जिसकी स्थापना केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन हुई है.
GEM से फायदे
- विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा के चलते उत्पाद की कीमतों में कमी (15-20% ↓)
- अवैध रूप से सरकारी खरीददारी पर रोक लगेगी.
- इस अभियान का एक उद्देश्य नकद रहित, सम्पर्क रहित और कागज़ रहित लेन-देन को बढ़ावा देना है जिससे कि डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को पाया जा सके.
GEM पोर्टल में आने वाली दिक्कतें
- GeM के माध्यम से खरीददारी कर रहे लोगों की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि GeM किसी भी तरह की खरीद-बिक्री की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेता.
- इस पोर्टल पर उपलब्ध सामान की कीमत और उपलब्धता पर इसे चलाने वाले विभाग DGS&D का कोई नियंत्रण नहीं होता.
- उत्पादों की रेट एक समान नहीं है और हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता है जिससे एक ही विभाग एक ही सामान के अलग-अलग समय पर अलग-अलग दाम चुकाता है.
- GeM के जरिये खरीददारी करते वक़्त कई अलग-अलग ID देनी पड़ती है. इसे लेकर अधिकृत अधिकारी एतराज जताते हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Right to Information (Amendment) Bill, 2019
संदर्भ
पिछले दिनों लोक सभा में सूचना अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित हुआ. इस विधेयक के माध्यम से 2005 के सूचना अधिकार अधिनियम में कतिपय संशोधन किये गये हैं.
क्या बदला जा रहा है?
- इस विधेयक में केंद्र और राज्यों मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की सेवा शर्तों में बदलाव किया जा रहा है.
- RTI अधिनियम सूचना आयोगों को चुनाव आयोगों के बराबर का दर्जा दिया गया था. इस दर्जा को समाप्त किया जा रहा है.
- विधेयक में प्रस्ताव है कि केंद्र सरकार CIC (Central Information Commissioner) तथा IC (Information Commissioner) का वेतन आदि तय किया करेगी.
- अधिनियम में इन अधिकारियों का कार्यकाल 5 साल निर्धारित था परन्तु विधेयक में यह प्रस्ताव दिया जा रहा है इनके कार्यकाल का निर्धारण केन्द्रीय सरकार के इच्छानुसार होगा.
- मूल अधिनियम में राज्य सरकार को राज्य सूचना आयुक्तों को चुनने का अधिकार था. प्रस्तावित संशोधन में यह प्रावधान है कि राज्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल, दर्जा और वेतन केंद्र तय करेगा.
- इन परिवर्तनों के लिए सरकार ने यह तर्क दिया है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है जबकि केन्द्रीय एवं राज्य सूचना आयोग वैधानिक निकाय हैं जिनकी स्थापना RTI अधिनियम, 2005 के तहत हुई है.
पृष्ठभूमि
भारत ने अक्टूबर 2005 में सूचना अधिकार अधिनियम, RTI लागू किया था और इस प्रकार वह ऐसा करने वाला विश्व का 56वाँ देश बन गया था. समय-समय पर सरकार ने ऐसे कदम उठाये हैं जिन्हें अधिनियम को कमजोर करने वाला कहा जा सकता है. एक बार 2006 में फाइल की टिप्पणियों को इस अधिनियम के दायरे से मुक्त करने का प्रयास हुआ था. 2009 में भी यह प्रयास हुआ था कि मनगढ़ंत RTI प्रश्नों को बंद किया जाए. यह दोनों प्रयास असफल रहे थे. इसी क्रम में 2019 का RTI संशोधन विधेयक लाया गया.
RTI Act क्या है?
- नागरिकों को सशक्त बनाने, पारदर्शिता को बढ़ावा देने, सरकारी काम में उत्तरदायित्व तय करने, भ्रष्टाचार को रोकने तथा लोकतन्त्र को सही मायने में लोगों का तन्त्र बनाने के मूल उद्देश्य से सूचना अधिकार अधिनियम पारित हुआ था.
- इस अधिनियम के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक किसी लोक अधिकारी से सूचना का अनुरोध कर सकता है और उसके अनुरोध पर तीस दिनों के अन्दर विचार कर पूछने वाले को उत्तर देना अनिवार्य होगा.
- लोक अधिकारी के दायरे में सरकारी निकाय आते हैं.
- इस अधिनियम के अनुसार सभी लोक अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने कार्यालय से सम्बन्धित दस्तावेजों को कंप्यूटर में डालकर उनका सम्यक रूप से प्रचार-प्रसार करें जिससे नागरिकों को सूचना के लिए कम-से-कम अनुरोध करना पड़े.
उद्देश्य
- सूचना की उपलब्धता को सुचारू बनाना.
- राज्य सूचना आयोग के यहाँ लंबित अपीलों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना.
- सूचना न दिए जाने और रोक दिए जाने के वृतांतों पर नज़र रखना.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Chandipura virus
संदर्भ
पिछले दिनों गुजरात में चाँदीपुरा वायरस का पता चला है.
चाँदीपुरा वायरस क्या होता है?
यह एक वायरस है जिसका पता सबसे पहले महाराष्ट्र के गाँव चाँदीपुरा में चला था. इस वायरस की वाहक मादा phlebotomine sandfly होती है. भारत के अतिरिक्त यह वायरस सेनिगल और नाइजीरिया की सैंड फ्लाई मक्खियों में पाया गया है. इस वायरस से मस्तिष्क में जलन हो जाती है जो तेजी से इन्फ्लुएंजा जैसी बिमारी में बदल जाता है. रोगी कई बार कोमा में चला जाता है और अंततः उसकी मृत्यु हो जाती है.
चाँदीपुरा वायरस वेसीकुलो वायरस (Vesiculovirus) प्रजाति के अन्दर आने वाली मोनोनेगावाइरल्स (Mononegavirales) श्रेणी के राब्डोविरीडे (Rhabdoviridae) परिवार का वायरस होता है.
चिंता की बात है कि यह वायरस अपना रूपांतरण करता रहता है और इस प्रकार मनुष्य के लिए इसकी घातकता बढ़ती ही जाती है. जबकि इसी प्रजाति के वायरस वेसीकुलर स्टोमेटाइटिस (vesicular stomatitis virus – VSV) के साथ ऐसा नहीं होता है.
रोग के लक्षण
- अचानक तेज ज्वर और साथ में सिर दर्द और बार-बार निश्चेत होना
- कँपकँपी
- उल्टी और मितली
- बेहोशी
मुख्य तथ्य
यह वायरस अधिकतर 2 से 16 वर्ष के बच्चों में होता है. जैसा कि ऊपर बताया गया है कि यह सैंड फ्लाई मक्खी के काटने से फैलता है. परन्तु बरसात में या उससे ठीक पहले मच्छर से भी इसका प्रसार होते हुए देखा गया है. चाँदीपुरा वायरस रेबीज उत्पन्न करने वाले वायरस का दूर का रिश्तेदार है. इस रोग में मृत्यु होने की संभावना 55-75% होती है.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Schemes to support organic farming in the country
संदर्भ
भारत सरकार जैव कृषि को प्रोत्साहन देती रही है. इसके लिए उसने 2015 से दो एकनिष्ठ योजनाएँ चला रखी हैं – MOVCDNER और PKVY.
इसके अतिरिक्त अन्य कई योजनाएँ भी जैव कृषि के समर्थन में चल रही हैं. उदाहरणार्थ – राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), समेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH), ICAR के अंतर्गत जैव कृषि नेटवर्क परियोजना.
जैव कृषि के लिए अभिप्रमाणन का कार्य वाणिज्य मंत्रालय के अन्दर आने वाला कृषि प्रसंस्कृत खाद्य एवं निर्यात विकास प्राधिकरण (Agriculture Processed Food and Export Development Authority – APEDA) करता है.
- भारत सरकार 2015-16 सेपरम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय कृषि विकास योजनाओं (RKVY) जैसी समर्पित योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को देश में बढ़ावा देती आई है.
- 2018 में PKVY से सम्बंधित मार्गनिर्देशों में सुधार करते हुए कई प्रकार की प्राकृतिक कृषि के मॉडल बताये गए हैं, जैसे – प्राकृतिक कृषि, ऋषि कृषि, वैदिक कृषि, गो कृषि, होम कृषि, शून्य बजट प्राकृतिक कृषि इत्यादि. राज्यों को कहा गया है कि वे इनमें से किसी भी कृषि को किसान की पसंद के अनुसार अपना सकती हैं.
जैव कृषि क्या है?
जैव कृषि वह कृषि है जिसमें रासायनिक कीटनाशक और खादों का प्रयोग नहीं होता और इस प्रकार यह विभिन्न संकुल पारिस्थितिकी तंत्रों में एक समरस संतुलन बनाये रखने में सहायता पहुंचाती है. साथ ही यह मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाती है जिस कारण भूमि में उपजाई गई फसलों का स्तर भी सुधर जाता है.
आगे चलकर जैव कृषि से जैव विविधता का संरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा होती है तथा खेतीबाड़ी हानि का सौदा नहीं होती क्योंकि इसमें जो खाद और कीटनाशकों का प्रयोग होता है, वे मुफ्त में मिल जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि ये खाद केंचुओं, गोबर, गोमूत्र, सड़े हुए पौधों और मलमूत्र से बनाए जाते हैं जो सर्वसुलभ होते हैं. इससे न केवल किसान का खर्च बचता है अपितु मिट्टी भी खराब होने से बच जाती है.
MOVCDNER क्या है?
- यह एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका पूरा नाम है – Mission Organic Value Chain Development for North Eastern Region.
- इस योजना को कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय कुछ चुने हुए राज्यों में कार्यान्वित कर रहा है, ये हैं – अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा.
- इस योजना का उद्देश्य अभिप्रमाणित जैव कृषि उत्पादन का विकास करना है. इसके अंतर्गत कृषकों और ग्राहकों के बीच सम्पर्क स्थापित किया जाता है. इसमें जैव कृषि उत्पादन को प्रत्येक चरण में सहारा दिया जाता है, जैसे – बीज, खाद, अभिप्रमाणन, उठाव की सुविधा, संग्रहण, प्रसंस्करण, विपणन और ब्रांड का निर्माण.
जैव अभिप्रमाणन में प्रगति
अभी तक जितने भी खेत जैव अभिप्रमाणन के अन्दर आ चुके हैं, उनका क्षेत्रफल 27.70 लाख हेक्टेयर (19.38+5.98+0.639+1.70) है. इनका अलग-अलग विवरण निम्नवत है :-
- परम्परागत कृषि विकास योजना – 98 लाख हेक्टेयर
- MOVCDNER – 639 लाख हेक्टेयर
- APEDA के अंतर्गत राष्ट्रीय जैव उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) – 38 लाख हेक्टेयर
- विविध कार्यक्रम – 70 लाख हेक्टेयर
Prelims Vishesh
Sagar Maitri Mission -2 :-
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) का अनुसंधान पोत INS सागरध्वनि सागर मैत्री मिशन – 2 पर पिछले दिनों निकल चला.
- भारत का INS अनुसंधान पोत INS Kistna जहाँ-जहाँ भूतकाल में जाया करता था, यह पोत वहाँ-वहाँ जाएगा और हिन्द महासागर के अन्य तटवर्ती देशों के सामुद्रिक शोधकर्ताओं के साथ निकटवर्ती सम्बन्ध बनाने में सहयोग करेगा.
Urban Haats :-
- यह भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय की एक योजना है जिसका उद्देश्य हस्तशिल्पकारों और खादी बुनकरों के लिए बड़े-बड़े शहरों में बाजार का स्थायी प्रबंध करना है.
- प्रत्येक शहरी हाट में अधिकतम 300 लाख रु. का खर्च बैठता है जिसमें 80% खर्च विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्यालय और 20% खर्च कार्यान्वयन एजेंसी करता है.
What does Ploonet mean? :-
- वैज्ञानिकों ने गैस से बने सौरमंडल के बाहर स्थित विशाल exoplanet के चारों ओर घूमने वाले exomoon के निर्माण के विषय में कुछ सिद्धांत रखे हैं जिनके अनुसार विशालकाय उपग्रह अपने चंद्रमाओं को परिक्रमा पथ से विलगा देते हैं और उनका रास्ता बदल देते हैं.
- ये चंद्रमा उस उपग्रह के गुरुत्वाकर्षण से दूर हो जाते हैं और प्लूटो के समान एक अस्थिर और टेढ़े-मेढ़े परिक्रमा पथ पर निकल जाते हैं. ऐसे चंद्रमाओं को वैज्ञानिको ने प्लूनेट (ploonet) नाम दिया है.
Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA
June, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Download