Sansar Daily Current Affairs, 25 June 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : National Anti-Profiteering Authority (NAA)
संदर्भ
राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण (National Anti-Profiteering Authority – NAA) का कार्यकाल दो वर्ष और बढ़ा दिया गया है.
NAA क्या है?
राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के अनुभाग 171 के अंतर्गत किया गया है. इस निकाय का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर की दर में कटौती अथवा इनपुट कर साख का लाभ अंतिम उपभोक्ता तक पहुँच जाए क्योंकि यह संभावना बनी रहती है कि आपूर्तिकर्ता कर की दर में कटौती के अनुसार मूल्य में कटौती न करें.
प्राधिकरण का स्वरूप
इस प्राधिकरण का प्रमुख भारत सरकार के सचिव के स्तर का एक वरिष्ठ अधिकारी होगा. साथ ही इसमें केंद्र और राज्यों से आने वाली चार अन्य तकनीकी सदस्य भी होंगे.
शक्तियाँ और कार्य
- प्राधिकरण को यह शक्ति है कि वह सम्बंधित व्यवसाय को यह आदेश दे कि वह GST में की गई कटौती के अनुसार वस्तुओं अथवा सेवाओं के मूल्य में कटौती करे और यदि उसने मूल्य में कटौती किये बिना मुनाफाखोरी की है तो वह ब्याज सहित उस राशि को उपभोक्ता को सौंप दे.
- यदि किसी व्यवसायी के द्वारा कमाया गया अवैध मुनाफा उपभोक्ता तक पहुँचाया नहीं जा सकता है तो प्राधिकरण उसे यह आदेश देगा कि वह विषयगत राशि को उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा कर दे.
- कुछ अपवाद-स्वरूप मामलों में राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण दोषी व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर दंड लगा सकता है और GST के अन्दर उसके पंजीयन को रद्द भी कर सकता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : International Civil Aviation Organization (ICAO)
संदर्भ
कनाडा के मोंट्रियल नगर में स्थित अंतर्राष्ट्रीय नगर विमानन संगठन (ICAO) की परिषद् में भारत के प्रतिनिधि के रूप में वरिष्ठ नौकरशाह शेफाली जुनेजा की नियुक्ति की गई है.
ICAO क्या है?
- यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेज्ञता-प्राप्त एजेंसी है जिसकी स्थापना 1944 में शिकागो संधि के प्रशासन के प्रबंधन के लिए हुई थी. शिकागो संधि का वास्तविक नाम अन्तर्राष्ट्रीय नगर विमानन संधि है.
- ICAO शिकागो संधि के 193 सदस्य देशों और औद्योगिक समूहों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय नगर विमानन से सम्बंधित मानकों एवं अनुसंशित प्रचलनों (Standards and Recommended Practices – SARPs) के विषय में सर्वानुमति सुनिश्चित करने का कार्य करता है. साथ ही यह संगठन सदस्य देशों को ऐसी नीतियाँ बनाने में सहयोग करता है जिससे कि नगर विमानन क्षेत्र को निरापद, कार्यकुशल, सुरक्षित, आर्थिक रूप से टिकाऊ और पर्यावरण की दृष्टि से उत्तरदाई बनाया जा सके.
शिकागो संधि क्या है?
शिकागो संधि अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय नगर विमानन संधि पर मूलतः 52 देशों ने 7 दिसम्बर, 1944 को हस्ताक्षर किये थे. इसके अधीन ICAO 4 अप्रैल, 1947 में अस्तित्व में आया. 1947 के अक्टूबर महीने में ICAO को संयुक्त राष्ट्र से सम्बद्ध आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् (United Nations linked to Economic and Social Council (ECOSOC) की एक विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसी के रूप में मान्यता मिली.
शिकागो संधि ही वायु क्षेत्र, विमान पंजीकरण एवं सुरक्षा तथा वायु यात्रा से सम्बंधित अधिकारों के बारे में नियम बनाती है. यही वह संधि है जो वायु यात्रा के समय उपयोग किए गये ईंधन को दोहरे कराधान से छूट प्रदान करती है.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : E-2020 initiative
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2018 में कुछ देशों में मलेरिया का कोई भी स्वदेश-जनित मामला नहीं आया. इन देशों में चार देश एशिया के हैं, यथा – चीन, ईरान, मलेशिया और तिमोर-लेस्त और एक देश – एल सेल्वाडोर – मध्य अमेरिका का है. वस्तुतः ये देश विश्व स्वास्थ्य संगठन की E-2020 पहल के अन्दर आते थे. इस पहल का आरम्भ 2016 में 21 देशों में 2020 तक मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने किये लिए किया गया है.
E-2020 पहल क्या है?
विश्व स्वास्थ्य सभा ने मई, 2015 में मलेरिया के लिए वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030 लागू करने का निर्णय लिया था. इस रणनीति का उद्देश्य 15 वर्षों के अन्दर विश्व-भर में मलेरिया के बोझ को नाटकीय रूप से घटाना था. इस कार्यक्रम में इन 15 वर्षों के बीच-बीच में कुछ मील के पत्थर तय किये गये थे अर्थात् लक्ष्य-प्राप्ति के कुछ चरणों का निर्धारण किया गया था. इन्हीं चरणों में से एक E-2020 है जिसके अंतर्गत कम से कम 10 ऐसे देशों में मलरिया का उन्मूलन करना था जहाँ 2015 में यह रोग अस्तित्व में था. यह लक्ष्य तभी सिद्ध माना जाएगा जब इन देशों में 2020 तक स्वदेश-जनित मलेरिया का कोई मामला सामने नहीं आएगा.
2016 में WHO के द्वारा प्रकाशित एक विश्लेषण के अनुसार 2020 तक 21 देशों में समाप्त किया जा सकता है.
मलेरिया उन्मूलन के लिए किये गये प्रयास
- भारत को मलेरिया हटाने में सफलता इसलिए मिल रही है कि एक ओर जहाँ वह विश्व-भर में अपनाई गई रणनीतियों के अनुरूप चल रहा है तो दूसरी ओर अपना स्वदेशी मलेरिया-विरोधी कार्यक्रम भी चला रहा है.
- 2015 में पूर्व एशिया शिखर सम्मलेन में 2030 तक मलेरिया समाप्त करने का वचन देने के उपरान्त भारत ने इसके लिए एक पंचवर्षीय राष्ट्रीय रणनीतिक योजना का अनावरण किया था. इसमें मलेरिया को नियंत्रित करने के स्थान पर उसे समाप्त करने पर बल दिया गया था. इस योजना का उद्देश्य है कि भारत के 678 जिलों में से 571 जिलों में2022 तक मलेरिया का उन्मूलन कर दिया जाए.
- इस योजना में 10,000 करोड़ रू. का खर्च है. इस खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त निवेश तो चाहिए ही, साथ ही इसके लिए सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और परोपकारी दाताओं का सहयोग भी अपेक्षित होगा क्योंकिस्वास्थ्य राज्य का विषय होता है इसलिए मलेरिया से निटपने में राज्य सरकारों को विशेष दायित्व निभाना होगा.
- विदित हो किओडिशा राज्य एक मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम चला रहा है जिसका नाम दुर्गम अंचलेर मलेरिया निराकरण (DAMaN) रखा गया है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Commom Service Centres
संदर्भ
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (National Small Industries Corporation – NSIC) MSME क्षेत्र के लाभ के लिए सामान्य सेवा केन्द्रों – ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया के साथ एक समझौता किया है.
सामान्य सेवा केंद्र क्या होते हैं?
- सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) डिजिटल इंडिया का मुख्य रणनीतिक अंग है. सामान्य सेवा केंद्र वे केंद्र हैं जहाँ एक ही जगह पर सरकार की ई-सेवाओं से सम्बंधित सुविधा जनता को दूरस्थ क्षेत्रों में उपलब्ध कराई जाती है.
- इन केन्द्रों के माध्यम से भारत के गाँवों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को उपलब्ध कराया जाता है.
- डिजिटल इंडिया के तीन विज़न एरिया हैं – प्रत्येक नागरिक को डिजिटल सुविधा की आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना, माँग के अनुसार प्रशासन और सेवा उपलब्ध कराना, नागरिकों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना. CSCs इन तीनों विजनों को साकार करने के लिए सहायता प्रदान करती है.
- साथ ही ये केंद्र ग्रामीण उद्यमिता, क्षमता निर्माण एवं आजीविका सृजन में भी सहायक है.
- ये केंद्र सामाजिक परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए सरकारों के प्रयासों में सामुदायिक प्रतिभागिता एवं सामूहिक कर्तृत्व को बढ़ावा देते हैं.
मुख्य तथ्य
- सामान्य सेवा केंद्र परियोजना राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना का एक अंग रणनीतिक अवयव है. इसे सरकार ने मई 2006 में राष्ट्रीय सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम के लिए अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने के लिए अनुमोदित किया था. विदित हो कि राष्ट्रीय सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम का उद्देश्य देश में विशाल पैमाने पर ई-गवर्नेंस की व्यवस्था करना है.
- सामान्य सेवा केंद्र इसके साथ-साथ राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना की समेकित मिशन मोड परियोजनाओं में से एक हैं.
CSC 2.0 योजना क्या है?
- सामान्य सेवा केंद्र योजना का मूल्यांकन करने के पश्चात् सरकार ने 2015 में CSC 2.0 योजना का अनावरण किया था जिसका उद्देश्य इन केन्द्रों की पहुँच को देश के सभी ग्राम पंचायतों तक विस्तारित करना था.
- CSC 2.0 योजना के अन्दर लक्ष्य था कि 2019 तक देश के 5 लाख ग्राम पंचायतों में सभी में कम-से-कम एक सामान्य सेवा केंद्र हो.
GS Paper 3 Source : Indian Express
Topic : Superconductivity
संदर्भ
भारतीय विज्ञान संधि (IISc) के शोधकर्ताओं ने कमरे के तापमान पर अति-सुचालकता होना प्रतिवेदित किया है. उनके इस आविष्कार पर समीक्षा चल रही है और यदि उनके दावे को सच पाया जाता है तो यह अपने-आप में एक क्रांतिकारी खोज होगी.
पृष्ठभूमि
अति-सुचालकता अभी तक मात्र अत्यंत निम्न तापमान पर देखी गई है. यह तापमान 0 से 100 डिग्री सेल्सियस तक होता है. वर्षों से वैज्ञानिक ऐसे पदार्थ की खोज में लगे हुए हैं जो कमरे के तापमान पर अति-सुचालकता दिखलाए, परन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली है. यदि भारतीय वैज्ञानिक संस्थान के वैज्ञानिकों का यह दावा सत्यापित हो जाता है तो इसे इस शताब्दी के सबसे बड़े भौतिक शास्त्रीय आविष्कारों में से एक माना जाएगा.
अति-सुचालकता की है?
अति-सुचालकता वह दशा है जिसमें कोई पदार्थ शून्य विद्युतीय प्रतिरोध प्रदर्शित करता है. प्रत्येक पदार्थ में प्रतिरोधकता होती है जो विद्युत के प्रवाह को बाधित करती है, परन्तु अधिक सुचालकता होने पर विद्युत प्रवाह में कोई भी बाधा नहीं पहुँचती. दूसरे शब्दों में, सम्बंधित पदार्थ विद्युत का कुछ भी प्रतिरोध नहीं करता है. इसके सभी इलेक्ट्रान एक विशेष दिशा में अपने-आप को सुसज्जित कर लेते हैं और बिना बाधा के सामंजस्य के साथ प्रवाहित होने लगते हैं.
शून्य प्रतिरोध के कारण अति-सुचालकता वाले पदार्थ ऊर्जा की विशाल मात्रा बचा सकते हैं और इनका उपयोग अत्यंत कार्यकुशल बिजली के उपकरणों में हो सकता है.
Prelims Vishesh
Trichophyton rubrum :-
- शोधकर्ताओं ने एक ऐसा पॉलिमर तैयार किया है जो BNL नामक एक फंफूद निरोधी दवा से युक्त होगी. BNL का पूरा नाम है – Bilayer Nail Lacquer.
- इस पॉलिमर का प्रयोग नेल-पॉलिश के रूप में किया जा सकता है क्योंकि यह शीघ्र ही सूख भी जाता है.
- ज्ञातव्य है कि BNL दवा Trichophyton rubrum नामक फंफूद को नष्ट कर देता है. इस फफूंद से Onychomycosis नामक संक्रमण हो जाता है जो नाखून से सम्बंधित आधे से अधिक रोगों का कारण होता है. इसमें नाखून भुरभुरे, रंगहीन और विकृत हो जाते हैं.
Bihar bans tree-felling :-
- पिछले दिनों बिहार सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम के एक आदेश निर्गत कर के पेड़ों को गिराने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
- इसके लिए कारण यह बताया गया है कि पेड़ों के गिरने से गर्मी बढ़ रही है जो हाल में हुए लू के प्रकोप का प्रधान कारण है.
- यह प्रतिबंध निजी-स्वामित्व की भूमि पर लगे पेड़ों पर लागू नहीं होगा.
Trafficking in Persons (TIP) report :-
- अमेरिका के विदेश विभाग ने 2019 से सम्बंधित मानव तस्करी प्रतिवेदन प्रकाशित कर दिया है जिसमें भारत को पहले की तरह टियर-2 में रखा गया है.
- विदित हो कि टियर-2 के देश वे देश हैं जहाँ की सरकारें अंतर्राष्ट्रीय मानकों को लागू करने में अच्छा-ख़ासा काम कर रही हैं, परन्तु उनका पूर्ण पालन नहीं कर सकी हैं.
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