Sansar Daily Current Affairs, 25 October 2018
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Institute of Chartered Accountants of India (ICAI)
संदर्भ
केन्द्रीय मंडल ने भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (ICAI) तथा सर्टिफाइड प्रोफेशनल एकाउंटेंट्स अफ़ग़ानिस्तान (CPA Afghanistan) के बीच एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने की स्वीकृति प्रदान की है. इस समझौता पत्र के माध्यम से दोनों देश इन क्षेत्रों में आपसी सहयोग करेंगे –
- अफ़ग़ानिस्तान एकाउंटेंसी बोर्ड के कौशल में वृद्धि में करना.
- ज्ञान हस्तांतरण के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान में सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बंधित क्षमता एवं गुणवत्ता को सुदृढ़ करना.
- छात्रों और सदस्यों के बीच में कार्यक्रमों का आदान-प्रदान करना.
- सेमीनार और सम्मलेन आयोजित करना.
- ऐसी संयुक्त गतिविधियाँ चलाना जो उभय पक्षों के लिए लाभप्रद हों.
ICAI क्या है?
भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया (ICAI) एक वैधानिक निकाय है जो चार्टर अकाउंटेंट एक्ट, 1949 के अंतर्गत स्थापित किया गया है. इसका प्रधान उद्देश्य भारत में चार्टर्ड एकाउंटेंसी के पेशे को विनियमित करना है.
- भारतीय चार्टर्ड लेखपाल संस्थान (ICAI) एक वैधानिक निकाय (statutory body) है जिसकी स्थापना “The Chartered Accountants अधिनियम, 1949” के तहत हुई है.
- ICAI अपने ढंग की विश्व की दूसरी सबसे बड़ी संस्था है.
- ICAI भारत में वित्तीय अंकेक्षण और लेखपाल पेशे के लिए लाइसेंस देने और उसे विनियमित करने वाला एकमात्र निकाय है.
- यह भारत में कंपनियों द्वारा अपनाए गये लेखपाल कार्य के लिए मानदंड के विषय में राष्ट्रीय सलाहकार लेखपाल मानक समिति (NACAS) को सलाह देती है.
- कंपनियों के वित्तीय विवरणों के अकेंक्षण के लिए मानक निर्धारित करने हेतु ICAI ही जवाबदेह होता है.
- ICAI अंतर्राष्ट्रीय लेखाकार संघ (IFAC), दक्षिण-एशियाई लेखाकार संघ (SAFA) और एशियाई एवं प्रशांत लेखाकार संघ (CAPA) के संस्थापक सदस्यों में से एक है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Appellate Tribunals against Benami Transactions
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने बेनामी लेन-देन से सम्बंधित वादों के शीघ्र निस्तार के लिए अपीलीय पंचाट (Appellate Tribunal) और न्यायिक प्राधिकरण (Adjudicating Authority) की स्थापना की स्वीकृति प्रदान की है.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि पूर्व में मंत्रीमंडल ने अधिसूचना निर्गत कर 34 राज्यों एवं केंद्र-शासित क्षेत्रों में सत्र न्यायालयों की स्थापना की थी. ये सभी न्यायालय बेनामी लेन-देन कानून के अधीन किये गये अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय के रूप में काम करेंगे. बेनामी संपत्ति लेन-देन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम के नियम और सभी प्रावधान नवम्बर 1, 2016 से लागू हो चुके हैं.
अधिनियम में सुनवाई से सम्बंधित प्रावधान
- बेनामी संपत्ति लेन-देन (प्रतिषेध) अधिनियम, 1988 के अनुसार सरकार न्यायिक प्राधिकरण और अपीलीय पंचाट की नियुक्ति करेगी.
- इन निकायों में जो अधिकारी नियुक्त होंगे वे आयकर विभाग और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के समान स्तर के पदों से आयेंगे.
- न्यायिक अधिकारी के कार्यालय और अपीलीय पंचाट के कार्यालय दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होंगे.
- न्यायिक प्राधिकारी कलकत्ता, मुंबई और चेन्नई में भी बैठ सकता है, परन्तु इसके लिए आवश्यक अधिसूचना प्रस्तावित न्यायिक प्राधिकरण के अध्यक्ष के परामर्श से निर्गत की जायेगी.
पंचाट के लाभ
मंत्रीमंडल स्वीकृति के फलस्वरूप न्यायिक प्राधिकरण को भेजे गये मामलों का कारगर और त्वरित निष्पादन सम्भव हो सकेगा. साथ ही न्यायिक प्राधिकरण के द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध अपीलीय पंचाट में तेजी से सुनवाई हो सकेगी.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : ‘Main Nahin Hum’ portal
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी पेशेवरों के लिए “मैं नहीं हम” नामक एक पोर्टल का अनावरण किया है.
मैं नहीं हम क्या है?
- यह सूचना प्रौद्योगिकी के कर्मियों के लिए एक मंच है जिसका निर्माण MyGov के द्वारा किया गया है.
- यह मंच ‘Self4Society’ की थीम पर काम करेगा.
- “मैं नहीं हम” पोर्टल सूचना प्रौद्योगिकी कर्मियों और संगठनों को उनके द्वारा सामाजिक हित में किये जा रहे प्रयासों को एक मंच प्रदान करेगा.
- इस पोर्टल की सहायता से IT कर्मियों को इस बात की जानकारी मिल सकेगी कि वे किन सामाजिक विषयों में अपना स्वैच्छिक सहयोग कर सकते हैं. इससे यह होगा कि वे अपनी परियोजनाओं में दूसरे कर्मियों के साथ मिल जुलकर काम कर पाएँगे.
- इस प्रकार IT कर्मियों और संगठनों के द्वारा किये गये सामाजिक हित के कामों से समाज के कमजोर वर्गों की स्थिति में तकनीक के माध्यम से सुधार आएगा.
- समाज के लाभ के लिए जो लोग कुछ करना चाहते हैं उनको इस मंच के माध्यम से अपना योगदान करने की सुविधा मिलेगी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Chabahar Port
संदर्भ
हाल ही में भारत, अफगानिस्तान और ईरान ने चाबहार बंदरगाह परियोजना के विषय में अपनी पहली तीन पक्षीय बैठक की. इस बैठक में परियोजना के कार्यान्वयन के बारे में समीक्षा की गई. इस बैठक का एक विशेष महत्त्व है क्योंकि ऊर्जा-सम्पन्न ईरान का यह बंदरगाह सामरिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण स्थान पर अवस्थित है और यह अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के दायरे में आता है.
बैठक के परिणाम
बैठक में एक ऐसी अनुपालना समिति को गठित करने का निर्णय लिया गया जो आने वाले दो महीनों के भीतर चाबहार बन्दरगाह में अपनी पहली बैठक करेगी. उस बैठक में समिति आवागमन, मार्ग, चुंगी तथा कौंसुल विषयक मामलों पर चर्चा करेगी और नियमों को अंतिम रूप देगी जिससे यह मार्ग आकर्षक हो जाए और साथ ही ढुलाई का खर्च घट जाए.
चाबहार बंदरगाह
- भारत ने ही चाबहार बंदरगाह बनाया है.
- इसका उद्देश्य है कि चारों तरफ जमीन से घिरे अफगानिस्तान को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) तक पहुँचने के लिए एक ऐसा यातायात गलियारा मिले जो पाकिस्तान होकर नहीं गुजरे क्योंकि पाकिस्तान से इसकी अक्सर ठनी रहती है.
- आशा है कि इस गलियारे के चालू हो जाने से अरबों रुपयों का व्यापार हो सकता है.
- ईरान का चाबहार बंदरगाह ओमान की खाड़ी पर स्थित उस देश का एकमात्र बन्दरगाह है.
- चाबहार के बंदरगाह से भारत को मध्य एशिया में व्यापार करने में सुविधा तो होगी ही, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे (International North-South Transport Corridor) तक उसकी पहुँच भी हो जाएगी.
- चाबहार बंदरगाह चालू होने के बाद भारत में लौह अयस्क, चीनी और चावल के आयात में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी.
- इसके अतिरिक्त खनिज तेल के आयात की लागत भी बहुत कुछ घट जायेगी.
- ज्ञातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारा ईरान से लेकर रूस तक जाता है और इसमें यह एक भूमि मार्ग है जिसमें समुद्र, रेल, सड़क यातायात का सहारा लिया जायेगा.
- विदित हो कि चीन ने खाड़ी तक अपनी पहुँच बनाने के लिए पाकिस्तान को ग्वादर नामक बंदरगाह बनाने में मदद की है जिससे उसका क्षेत्र में दबदबा हो जाए.
- चाबहार बंदरगाह भारत को चीन के इस दबदबे का प्रतिकार करने में सक्षम बनाएगा.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : MoU amongst BRICS nations regarding cooperation in the social and labour sphere
संदर्भ
सामाजिक एवं श्रम-सम्बंधित क्षेत्र में आपसी सहयोग के विषय में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ एक समझौता पत्र पर केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने हाल ही में अपनी घटनोत्तर स्वीकृति प्रदान की है. इस समझौता पत्र पर BRICS के श्रम एवं नियोजन मंत्रियों की बैठक में 3 अगस्त, 2018 को हस्ताक्षर किये गये थे.
समझौता पत्र की मुख्य बातें
- इसके अनुसार भारत-समेत सभी पक्षों ने इन विषयों में सहयोग करने तथा पारस्परिक आयोजन करने पर सहमति प्रकट की है – श्रम कानून बनाना, उन्हें लागू करना, कमजोर वर्गों को ध्यान में रखते हुए श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना, नियोजन एवं श्रम बाजार की नीतियों का निर्माण करना, व्यावसायिक शिक्षा का प्रबंध करना, कौशल एवं प्रशिक्षण प्रदान करना, सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करना.
- इन विषयों पर कार्य करते समय सदस्य देश चाहें तो BRICS के श्रम अनुसंधान संस्थानों (Network of Labour Research Institutes) तथा सामजिक सुरक्षा सहयोग ढाँचे (Social Security Cooperation Framework) की सहायता ले सकते हैं.
- यह समझौता पत्र एक अंतर्राष्ट्रीय संधि नहीं है. इसलिए अंतर्राष्ट्रीय कानून से चलने वाले पक्षों के लिए यह कोई अधिकार एवं दायित्व नहीं गढ़ता है.
समझौता पत्र का महत्त्व
- इस समझौता पत्र के माध्यम से BRICS देशों के बीच सहयोग और समन्वय का एक तंत्र उपलब्ध होता है जिसका लाभ ये देश समावेशी वृद्धि और नई औद्योगिक क्रांति से उत्पन्न होने वाली समृद्धि में सब की सहभागिता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं.
- एक और लाभ यह होगा कि सदस्य देश आपस में जानकारियाँ साझा कर सकेंगे और साथ ही श्रम एवं नियोजन, सामजिक सुरक्षा, सामाजिक संवाद जैसे विषयों पर संयुक्त कार्यक्रम कार्यान्वित कर सकेंगे.
BRICS क्या है?
- BRICS विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले पाँच बड़े देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका – का संघ है. इसका नाम इन देशों के पहले अक्षरों को मिला कर बना है.
- BRICS की पहली बैठक जून 2009 रूस के Yekaterinburg शहर में हुई थी.
- 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे “BRIC” के नाम से जाना जाता था.
- यह नाम 2001 में Goldman Sachs संस्था के अर्थशास्त्री Jim O’Neill द्वारा सुझाया गया था.
- इसकी बैठक हर वर्ष होती है जिसमें राजनीतिक एवं सामाजिक-आर्थिक सहयोग के क्षेत्र के विषय में चर्चा होती है.
- BRICS की अध्यक्षता एक देश के पास न होकर प्रतिवर्ष बदलती रहती है और बदलने का एक क्रम भी BRICS के नाम के अनुसार ही होता है अर्थात् पहले B=Brazil, R=Russia आदि आदि…
- BRICS में सम्बंधित देशों के प्रमुखों की बैठक तो होती है, साथ ही कई क्षेत्रीय (sectoral) बैठकें भी होती हैं जिनकी संख्या पिछले दस वर्षों में 100 पहुँच चुकी है.
- BRICS देशों के बीच में सहयोग का कार्यक्रम तीन स्तरों अथवा ट्रैकों (TRACKS) पर चलता है. ये ट्रैक हैं –
- Track I = सम्बंधित देशों के बीच में औपचारिक कूटनीतिक कार्यकलाप,
- Track II = सरकार से सम्बद्ध संस्थानों, यथा – सरकारी उपक्रम एवं व्यवसाय परिषदों के माध्यम से किये गये कार्यकलाप,
- Track III = सिविल सोसाइटी के साथ और “जन से जन” स्तर पर किये गए कार्यकलाप.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : BS Norms
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने भारत स्टेज – IV के उत्सर्जन मापदंड वाली गाड़ियों के विक्रय और पंजीकरण पर पूरे देश में 1 अप्रैल, 2020 से प्रतिबंध लगा दिया है.
BS मानक (BS Norms) क्या है?
- BS का full-form है – Bharat Stage
- Bharat Stage (BS) कारों के अन्दर प्रयोग होने वाले ईंजन के द्वारा मुक्त किये गये प्रदूषक तत्त्वों के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार के द्वारा बनाया गया मानक है.
- विदित हो कि भारत प्रदूषण के विषय में यूरो (European) प्रदूषण मानकों का अनुसरण करता रहा है पर इस मामले में वह पाँच साल पीछे चल रहा है.
BS IV और BS VI में क्या अंतर है?
- वर्तमान बीएस -4 और नए बीएस -6 मानकों में जो मुख्य अंतर है वह गंधक (sulfur) की मात्रा से सम्बंधित है.
- BS VI प्रमाणित ईंजन 80% कम सल्फर छोड़ता है.
- विश्लेषकों का कहना है कि BS VI प्रमाणित ईंजन लगाने से डीजल की गाड़ियों में 70% कम NOx (nitrogen oxides) निकलेगा तथा पेट्रोल की गाड़ियों में 25% कम NOx निकलने की आशा है.
प्रतिबंध को लागू करने में समस्याएँ
- इस प्रतिबंध का आशय यह हुआ कि अब तेल कंपनियों को BS-VI के मानक वाला ईंधन शीघ्र ही तैयार करना होगा. इसमें उन्हें 40,000 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है. इतनी जल्दी यह सब संभव हो सकेगा, इसमें संदेह है.
- दूसरी और अधिक बड़ी चुनौती यह है कि गाड़ी निर्माता प्रतिष्ठान क्या 2020 तक अपनी गाड़ियों की डिजाईन बदल सकेंगे? इन प्रतिष्ठानों ने पहले ही कह रखा है कि सीधे BS VI तक पहुंचना कठिन होगा क्योंकि इसके लिए diesel particulate filter और catalytic reduction module में ऐसा बदलाव लाना होगा जो भारत की विशेष परिस्थितियों के अनुकूल हो. ज्ञातव्य है कि भारत में गाड़ियाँ यूरोप तथा अमेरिका की तुलना में बहुत कम गति से चलती है.
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