Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 August 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 26 August 2021


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Urbanization, their problems and their remedies.

Topic : Sujalam Campaign

संदर्भ 

हाल ही में, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा “आजादी का अमृत महोत्सव” समारोह के दौरान (25 अगस्त से) 100 दिवसीय “सुजलमअभियान का प्रारम्भ किया गया है. मंत्रालय के अनुसार, गंदे पानी के प्रबंधन में यह अभियान महत्त्वपूर्ण होगा. यह सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण – 2 गतिविधियों के उद्देश्यों को प्रोत्साहन प्रदान करेगा. यह ODF+ गतिविधियों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाएगा.

प्रमुख बिंदु

  • यह अभियान भारत के सभी गाँवों में अपशिष्ट जल प्रबंधन के माध्यम से अधिक से अधिक ODF+ गाँवों का निर्माण करेगा.
  • इस अभियान को विशेष रूप से 10 लाख अवशोषक / सोख-गड़ढों (soak-pits) का निर्माण एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन / ग्रेवॉटर प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से पूरा किया जाएगा.

ODF के तहत मानदंड

  • मार्च 2016 में निर्गत किये गए मूल ODF प्रोटोकॉल में कहा गया है कि “एक शहर / वार्ड को ODF शहर / वार्ड के रूप में अधिसूचित किया जाता है, यदि दिन के किसी भी समय, एक भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता हुआ नहीं पाया जाता है.”
  • ODF + और ODF++ को अगस्त 2018 में प्रारम्भ किया गया था.

ODF+ के अंतर्गत मानदंड

  • ODF + प्रोटोकॉल में कहा गया है – “एक शहर, वार्ड या कार्यक्षेत्र को ODF+ घोषित किया जा सकता है, यदि किसी दिन किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच और/या पेशाब करते हुए नहीं पाया जाता है और सभी सामुदायिक तथा सार्वजनिक शौचालय कार्यात्मक अवस्था में एवं सुव्यवस्थित हैं.”
  • उन शहर और कस्बों को ODF+ के अंतर्गत रखा जाता है, जो पहले ही आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs- MoHUA) द्वारा निर्धारित ODF प्रोटोकॉल के अनुसार ODF स्थिति प्राप्त कर चुके हैं और शौचालय सुविधाओं के उचित रख-रखाव के लिये ODF स्थिति की निरंतरता सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

ODF++ के अंतर्गत मानदंड

  • ODF ++ प्रोटोकॉल इस शर्त को जोड़ता है कि “मल कीचड़/सेप्टेज (Faecal sludge/Septage) और नालियों का सुरक्षित रूप से प्रबंधन और उपचार किया जाए, जिसमें किसी प्रकार के अनुपचारित कीचड़/सेप्टेज (Sludge/Septage) और नालियों की निकासी जल निकायों या खुले क्षेत्रों के नालों में नहीं होती है.”
  • ODF ++ में सभी के लिये सुरक्षित स्थायी स्वच्छता प्राप्त करने हेतु ODF+ के प्रोटोकॉल के अलावा सभी संग्रहणीय मल और सीवेज के सुरक्षित संग्रहण, परिवहन, उपचार और निपटान शामिल हैं. यह शहरों में स्वच्छता की निरंतर स्थिरता के लिये प्रशंसनीय कदम है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Chagos Islands

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र की विशेषीकृत एजेंसी, यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन ने हाल ही में हिन्द महासागर में स्थित चागोस द्वीपसमूह में ब्रिटिश स्टाम्प पर प्रतिबंध लगा दिया है.

ज्ञातव्य है कि चागोस द्वीपसमूह को लेकर मॉरीशस और ब्रिटेन के बीच विवाद रहा है. आज की तिथि में ब्रिटेन की सरकार चागोस द्वीपसमूह को ब्रिटिश हिंद महासागरीय क्षेत्र (British Indian Ocean Territory – BIOT) मानती है तथा यहाँ ब्रिटेन और अमरीका द्वारा संयुक्त सैन्य अड्डे का संचालन किया जा रहा है.

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विवाद क्या है?

मॉरिशस के स्वतंत्र होने के तीन वर्ष पूर्व ब्रिटेन ने चागोस द्वीपों को 1965 में मॉरिशस से अलग कर दिया था. 1967 से 1973 तक इन द्वीपों के 1,500 निवासियों को धीरे-धीरे अपना घर छोड़ने के लिए विवश कर दिया गया था जिससे कि इनमें सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया को अमेरिका को सामरिक हवाई अड्डा बनाने के लिए लीज पर दिया जा सके. विदित हो कि आज डिएगो गार्सिया अमेरिका का एक प्रमुख सैन्य अड्डा है.

2016 में कई मुकदमों के बाद डिएगो गार्सिया की लीज को 2036 तक बढ़ा दिया और यह घोषणा की कि जो द्वीपवासी बाहर कर दिए गये हैं, उनको वापस नहीं आने दिया जाएगा. 2017 में मॉरिशस ने संयुक्त राष्ट्र को प्रार्थना पत्र देकर इस बात में सफलता पाई कि मॉरिशस से चागोस द्वीपों को अलग करने के कार्य की वैधता पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से परमर्श मन्तव्य माँगा जाए.

मॉरिशस का दावा है कि ब्रिटेन ने चागोस द्वीपों को छोड़ने के लिए उसे इस शर्त पर विवश किया था कि वह मॉरिशस को स्वतंत्रता दे देगा.

मॉरिशस के दावे का आधार

मॉरिशस का चागोस द्वीपों पर दावा मूलत: आत्म निर्धारण के अधिकार से सम्बंधित है. उसने न्यायालय को स्पष्ट कहा है कि इन द्वीपों का पृथक्करण 1960 में पारित संयुक्त राष्ट्र संकल्प संख्या 1514 (औपनिवेशक घोषणा) का सीधा उल्लंघन है क्योंकि इसमें कहा गया है कि औपनिवेशिक लोगों को आत्म-निर्धारण का अधिकार है और किसी भी स्थिति में स्वतंत्रता देने के पहले किसी उपनिवेश को बाँटा नहीं जा सकता है.

निर्णय का निहितार्थ

यह सच है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के द्वारा दिए गये परामर्श मंतव्य बाध्यकारी नहीं होते हैं, परन्तु ऐसे मन्तव्य के कई मायने भी होते हैं. इस मन्तव्य से भविष्य में होने वाले समझौतों के समय मॉरिशस की स्थिति सशक्त होगी और साथ ही ब्रिटेन पर चागोस द्वीपों को छोड़ने का अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनेगा.

यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन

  • वैश्विक डाक संघ की स्थापना 1874 में पोस्टल कांग्रेस (बर्न) में हस्ताक्षरित संधि ( 1875 से लागू) के उपरांत सामान्य डाक संघ के रूप में हुई थी. 1878 में वैश्विक डाक संघ नाम को स्वीकार किया गया. 1948 में यूपीयू संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण बन गया. यूपीयू का संविधान 1964 की विएना पोस्टल कांग्रेस में अंगीकार किया गया, जो 1966 से लागू हुआ.
  • यूपीयू का मुख्यालय बर्न, स्विट्जरलैण्ड में है. इसके सदस्यों की संख्या 2013 के अनुसार192 है. यूपीयू का उद्देश्य विश्व डाक सेवाओं में सुधार लाना व उन्हें संगठित करना तथा अंतरराष्ट्रीय डाक सहयेाग के विकास को प्रोत्साहित करना है.
  • वैश्विक डाक संघ के सदस्य देशों से यह आशा की जाती है कि वे पत्राचार के पारस्परिक विनिमय हेतु एकमात्र प्रदेश का निर्माण करें, जिससे निकट सहयोग एवं मानकीकरण के विचार को फलीभूत किया जा सके. वैश्विक डाक समझौते द्वारा डाक दरों, अधिकतम व निम्नतम आकार व वजन सीमा इत्यादि के लिए दिशा-निर्देशों तथा विनियमों का निर्माण किया गया है. इसी के तहत अंतर्देशीय डाक विनियमों के लिए मानक एवं सिद्धांत तय किए जाते हैं. इसके अलावा यूपीयू संयुक्त राष्ट्र के तकनीकी सहयोग कार्यक्रमों में भागीदारी करते हुए विकासशील देशों में विशेषज्ञों की भर्ती करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु छात्रवृत्ति प्रदान करने जैसे कार्य भी करता है. यह अन्य विशिष्ट अभिकरणों के साथ निकट संपर्क भी स्थापित करता है, जैसे- वायु डाक यातायात के विकास हेतु आईसीएओ के साथ, रेडियोधर्मी तत्वों के डाक संचरण हेतु आईएईए के साथ तथा वियोजनीय जैविक तत्वों के यातायात हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ.
  • वैश्विक पोस्टल कांग्रेस प्रति पांच वर्ष बाद आयोजित होती है, जिसमें सभी सदस्य देश शामिल होते हैं. यह यूपीयू की नीतियों का निर्धारण, कार्यक्रमों की समीक्षा तथा महानिदेशक व उप-महानिदेशक का चुनाव करती है. प्रशासनिक परिषद में 41 सदस्य होते हैं, जो कांग्रेस द्वारा चुने जाते हैं. इस परिषद का अध्यक्ष पिछली कांग्रेस के मेजबान देश से संबद्ध होता है. परिषद कांग्रेसन के मध्य निरंतरता को सुनिश्चित करती है, तकनीकी डाक अध्ययन संचालित करती है तथा संघ के बजट व खातों का अनुमोदन करती है. यह आपदा मामलों से निबटने हेतु आवश्यक विनियमों को स्वीकार करती है. डाक कार्यचालन परिषद में 40 निर्वाचित सदस्य एवं एक अध्यक्ष होता है. यह परिषद अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं के कार्यात्मक, वाणिज्यिक एवं आर्थिक पहलुओं से संबद्ध मामलों पर विचार करती है.
  • यूपीयू संयुक्त राष्ट्र का दूसरा सबसे पुराना विशिष्ट अभिकरण है, जो वैश्विक पोस्टल कांग्रेस, प्रशासनिक परिषद, डाक कार्यसंचालन परिषद एवं अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो द्वारा संघटित है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : India and its neighborhood- relations.

Topic : Malabar Exercise

संदर्भ

भारत की नौसेना अमेरिकी नौसेना (यूएसएन), जापान के समुद्री आत्मरक्षा बल (जेएमएसडीएफ) और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन) के साथ 26 से 29 अगस्त 2021 तक मालाबार अभ्यास 2021 के समुद्री चरण में भाग ले रही है. इस वर्ष मालाबार नौसैन्य अभ्यास का 25वाँ संस्करण है, जिसकी मेजबानी अमेरिकी नौसेना (यूएसएन) द्वारा पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में की जा रही है.

पृष्ठभूमि

गत वर्ष ही भारत सरकार ने घोषणा की थी कि ऑस्ट्रेलियाई नौसेना, नवंबर 2020 में होने वाले मालाबार अभ्यास में सम्मिलित होगी. इस प्रकार अब सभी चार क्वाड देश (भारत- अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया) इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं. विदित हो कि इससे पहले वर्ष 2018 में, भारत ने अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी को अस्वीकार कर दिया था.

मालाबार नौसैनिक अभ्यास

  • भारत-अमेरिका-जापान की नौसेनाओं के बीच वार्षिक रूप से आयोजित किया जाने वाला एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास है.
  • मालाबार नौसैनिक अभ्यास की शुरुआत भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 1992 में एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में हुई थी.
  • वर्ष 2015 में इस अभ्यास में जापान के सम्मिलित होने के पश्चात् से यह एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास बन गया.
  • वर्ष 2020 के अभ्यास संस्करण में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना ने भी इसमें हिस्सा लिया.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : IP related issues.

Topic : India records 572% growth in grant of Patents in last 7 yrs

संदर्भ

भारत द्वारा विगत 7 वर्षों में पेटेंट स्वीकृति में 572% की वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2013-14 के दौरान 4,227 पेटेंट-स्वीकृतियों की तुलना में वर्ष 2020-21 में कुल 28,391 पेटेंट स्वीकृत किए गए.  

वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index) में भारत की रैंकिंग वर्ष 2020 में 48वें स्थान पर पहुंच गई थी. ज्ञातव्य है कि इसमें वर्ष 2015-16 के 81वें स्थान से +33 स्थानों का सुधार हुआ है.

नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार द्वारा हाल ही में किए गए उपाय

  • पेटेंट के लिए आवेदन करने वाले सभी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों (सरकारी/सहायता प्राप्त/निजी) को शुल्क में 80% तक की छूट प्रदान की गई है, चाहे वे भारत में स्थित हों अथवा विदेशों में.
  • पूर्व में, यह छूट केवल सरकार के स्वामित्वाधीन मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के लिए ही उपलब्ध थी. किसी संस्थान के लिए कुल देय शुल्क (फाइलिंग + प्रकाशन + नवीनीकरण शुल्क) वर्तमान के 4,24,500/- रुपये से घटाकर 84,900/- रुपये कर दिया गया है.
  • महानियंत्रक एकस्व, अभिकल्प एवं व्यापार चिन्ह (Controller General of Patents, Designs and TradeMarks: CGPDTM) कार्यालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव (15 अगस्त, 2021 से 15 अगस्त, 2022) के दौरान 10 लाख छात्रों को पेटेंट संबंधी मामलों में प्रशिक्षित तथा जागरूक किया जाएगा .

अन्य पहलें

  • सरलीकृत और सुव्यवस्थित बौद्धिक संपदा (Intellectual Property: IP) प्रक्रिया: पंजीकरण प्रक्रिया को पुनर्संचित किया गया है. साथ ही, पेटेंट आवेदन दाखिल करने की सुगमता तथा अन्य सेवाएं प्राप्त करने के लिए डिजिटल विकल्पों को अंगीकृत किया गया है.
  • पेटेंट की परीक्षण प्रणाली को भी तेज किया गया है.
  • IP आवेदनों की वास्तविक समय (रियल टाइम) आधारित स्थिति, भारतीय पेटेंट उन्‍नत खोज प्रणाली (Indian Patent Advanced Search System: InPASS), एस.एम.एस अलर्ट आदि के माध्यम से सूचना तक बेहतर पहुँच और उसका पारदर्शी प्रसार सुनिश्चित किया गया है.

Prelims Vishesh

TAPAS – Training for Augmenting Productivity and Services :-

  • यह, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (NISD) द्वारा संचालित एक पहल है.
  • यह विषय से संबंधित विशेषज्ञों, अध्ययन सामग्रियों और व्याख्यान तक लोगों को एक पहुंच प्रदान करता है, परन्तु इस रीति से जिससे शिक्षण की गुणवत्ता से समझौता किए बिना उन्हें भौतिक कक्षा का विकल्प प्रदान किया जा सके.
  • तपस MOOC (मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स) के लिए एक मानक मंच है. इसके तहत कोर्स सामग्री के रूप में फिल्माए गए व्याख्यानों और ई-अध्ययन सामग्रियों को लोगों तक उपलब्ध कराया जाता है.
  • साथ ही, इसके अंतर्गत मादक द्रव्यों के दुरुपयोग की रोकथाम, जराचिकित्सा / बुजुर्ग लोगों की देख-भाल, जड़बुद्धिता वाले लोगों की देख-भाल एवं प्रबंधन, ट्रांसजेंडर कल्याण और सामाजिक रक्षा जैसे विषयों पर पांच प्रकार के पाठ्यक्रमों को निःशुल्क रूप से उपलब्ध कराया गया है.

SAMVAD (Support Advocacy & Mental health interventions for children in Vulnerable circumstances And Distress) :-

  • संवाद कार्यक्रम के दूसरे चरण को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आरंभ किया गया है.
  • प्रथम चरण के दौरान, संवाद कार्यक्रम ने संकटग्रस्त बच्चों के लिए बाल संरक्षण कार्यकर्ताओं, टेली-परामर्शदाताओं, शिक्षकों व कानून पेशेवरों सहित लगभग 1 लाख हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करते हुए उन बच्चों हेतु एक सरंक्षण तंत्र प्रदान करने में सहयोग किया है.
  • संवाद एक राष्ट्रीय पहल और एकीकृत संसाधन है.
  • यह बाल संरक्षण, मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक देखभाल के लिए कार्य करता है.
  • यह राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और स्नायु विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के बाल और किशोर मनश्चिकित्सा विभाग के अधीन तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा समर्थित है.

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