Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 January 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 26 January 2021


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Topic : BHIMA KOREGAON

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने भारत सरकार से 2018 भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं को रिहा करने का आग्रह किया है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने 22 जनवरी को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा, “हम भारत में हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं की स्थिति को लेकर चिंतित हैं, जिसमें भीमा कोरेगांव की घटनाओं के संदर्भ में भी शामिल है.”

संबंधित प्रकरण

भीमा कोरेगांव मामले की शुरुआत 1 जनवरी, 2018 को हुई थी. इस दिन भीमा कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था.

  1. इस कार्यक्रम का आयोजन, पेशवा बाजी राव द्वितीय की सेना के खिलाफ ब्रिटिश सेना की जीत का जश्न मनाने के लिए किया गया था. इस लड़ाई में ब्रिटिश सेना की ओर से ‘महार’ सैनिकों ने युद्ध किया था.
  2. भीमा कोरेगांव मामले में जांच के दौरान सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और गौतम नवलखा सहित कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया

भीमा कोरेगाँव लड़ाई क्या थी?

जनवरी 1, 1818 को पेशवा और अंग्रेजों की सेना के बीच महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमा कोरेगाँव में एक लड़ाई लड़ी गयी थी. ब्रिटिश सेना ने इस युद्ध में पेशवा के सेना को पराजित किया था.

लड़ाई के परिणाम

ब्रिटिश सेना में बहुत से सैनिक महार जाति के थे. दूसरी ओर, पेशवा की सेना में उच्च जाति के सैनिकों का बोलबाला था. इसलिए भीमा कोरेगाँव की जीत को कुछ लोगों ने माना कि यह दलितों की जीत है. ऐसे लोगों में अम्बेडकर भी शामिल थे. उन्होंने 1 जनवरी, 1927 को भीमा कोरेगाँव में अंग्रेजों द्वारा स्थापित स्मारक स्तम्भ की यात्रा की थी. उस स्तम्भ में ब्रिटिश सेना के मारे गये सैनिकों का नाम लिखा हुआ है. इसको देखने से पता चलता है कि इन मारे गये सैनिकों में लगभग दो दर्जन महार जाति के थे. विदित हो कि महार कथित रूप से अस्पृश्य जाति हैं. अम्बेडकर भी इसी जाति के थे.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

जाति और जाति संघर्ष आधुनिक भारत की ऐसी सच्चाई है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता. संविधान ने जाति-व्यवस्था को नहीं माना है. आज जातिगत भेदभाव में पहले की तुलना में बहुत कमी आयी है, परन्तु अभी भी समाज इससे पूरी तरह से ऊपर उठ नहीं पाया है. हर जाति अपने को उच्च, वीर और सशक्त मानने के लिए उतावली है. भीमा कोरेगाँव की लड़ाई अंग्रेजों ने लड़ी थी और इस लड़ाई में अंग्रेजों के दुश्मन भारतीय ही थे, भले वे पेशवा, मराठा या कोई भी हों. इसलिए चाहिए यह था कि इस लड़ाई में भारतीयों की हार का शोक मनाया जाता, परन्तु इसमें भी कुछ लोगों ने अपनी जाति की संतुष्टि का साधन ढूँढ़ लिया और इसे दलित बहादुरी का एक प्रमाण मान लिया. यह स्थिति उपयुक्त नहीं है और समाज को बाँटने वाली अवधारणा है.


GS Paper 2 Source : Indian Express

UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Global Risks Report 2021

संदर्भ

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum: WEF) ने वैश्विक जोखिम प्रतिवेदन 2021 (Global Risks Reports 2021) निर्गत की है.

  • प्रतिवेदन में कोविड-19 सहित प्रमुख जोखिमों के विघटनकारी प्रभावों को रेखांकित किया गया है, जिनके कारण वर्ष 2021 में और आगामी दशक में हमें विश्व की व्यवस्था को नए सिरे विकसित करना पड़ेगा.
  • यह रिपोर्ट दर्शाती है कि देश और व्यवसाय इन जोखिमों के विरुद्ध कैसे कार्य कर सकते हैं.

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • जलवायु कार्रवाई की विफलताओं के उपरांत होने वाले संक्रामक रोग आगामी दशक के लिए सबसे बड़ा वैश्विक जोखिम हैं.
  • स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय स्थिरता और प्रौद्योगिकी में अंतर्निहित असमानताओं ने आर्थिक मंदी और सामाजिक विभाजन को बढ़ावा दिया है. इससे कुछ समूहों और देशों पर विषमतापूर्वक प्रभाव उत्पन्न होने के संकट की संभावना बढ़ने लगी है.
  • वर्धित डिजिटल अंतराल तथा प्रौद्योगिकी अंगीकरण चिंताएं सृजित कर रहे हैं, जो कोविड-19 द्वारा और अधिक बढ़ गई हैं.
  • कोविड-19 महामारी के कारण होने वाली आर्थिक बदहाली और दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों के विनाशकारी परिणाम जारी रहेंगे.

कोविड-19 के विरुद्ध प्रतिक्रिया देशों, व्यवसायों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की समग्र प्रत्यास्थता (resilience) को दृढ़ करने के लिए अभिशासन संबंधी निम्नलिखित चार अवसर प्रदान करती है यथा:

  • विश्लेषणात्मक फ्रेमवर्क तैयार करना, जो जोखिम प्रभावों के समग्र और तंत्र-आधारित दृष्टिकोण को शामिल करते हैं.
  • राष्ट्रीय नेतृत्व और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए हाई-प्रोफाइल रिस्क चैंपियंस में निवेश करना.
  • जोखिम की सूचना युक्त संचार में सुधार करना और अनुचित सूचनाओं से निपटना.
  • जोखिम से निपटने की तैयारियों पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के नए रूपों का अन्वेषण करना.

वैश्विक जोखिम प्रतिवेदन का माहात्म्य

  • यह प्रतिवेदन वर्षानुवर्ष विश्व-भर में जोखिम के परिदृश्य में होने वाले परिवर्तनों को बताता है और वैश्विक विध्वंसकारी जोखिमों (catastrophic risks) की जानकारी देता है.
  • यह प्रतिवेदन यह भी पता लगाता है कि कौन-सा जोखिम किस दूसरे जोखिम से जुड़ा हुआ है.
  • प्रतिवेदन का उद्देश्य वैश्विक जोखिम को कम करने के लिए अनेक हितधारकों का सहयोग लेने की आवश्यकता के प्रति जागरूकता फैलाना है.

विश्व आर्थिक मंच

  • विश्व आर्थिक मंच एक गैर-लाभकारी वैश्विक संस्था है जिसका गठन 1971 में हुआ था.
  • इसकी स्थापना यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्लॉस एम. श्वाब (Klaus Schwab) ने की थी.
  • 1987 में इसका नाम बदलकर World Economic Forum कर दिया गया.
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में है.
  • इसके अलावा टोकियो, न्यूयॉर्क, बीजिंग में इसका कार्यालय है.
  • इसकी बैठक हर साल जनवरी महीने में होती है.
  • फाउंडेशन बोर्ड फोरम, अतर्राष्ट्रीय बिज़नेस कौंसिल और मैनेजिंग बोर्ड इसका सामान्य कामकाज और प्रशासन संभालते हैं.
  • 2015 में इसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन के तौर पर मान्यता दी गई.
  • शुरूआती दौर में इस बैठक में सिर्फ व्यापार पर ही बात होती थी पर अब इस बैठक में दुनिया-भर के बड़े नेता, अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी, बुद्धिजीवी और पत्रकार शामिल होते हैं.
  • इस दौरान औपचारिक बैठक और अनौपचारिक बातचीत के जरिये दुनिया भर की समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की जाती है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

स्टेट ऑफ इंडियाज़ एन्वायरमेंट रिपोर्ट (State of India’s Environment Report)

  • यह रिपोर्ट सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (Centre for Science and Environment – CSE) एवं डाउन टू अर्थ द्वारा जारी की जाती है.
  • इस रिपोर्ट में वनों, वन्य जीवन, कृषि, ग्रामीण विकास, जल एवं स्वच्छता और जलवायु परिवर्तन से संबंधित पहलू शामिल होते हैं.

GS Paper 3 Source : Indian Express

UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : Small Finance Banks

संदर्भ

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट में लघु वित्त बैंकों (Small Finance Banks: SFB) के प्रदर्शन का विश्लेषण किया गया है.

मुख्य निष्कर्ष

  • लघु वित्त बैंकों में वित्तीय क्षेत्र के कुल ऋण का एक अल्प भाग सम्मिलित होता है (मार्च 2019 में कुल परिसंपत्ति में हिस्सा 0.4% था).
  • विषम भौगोलिक विस्तार: लघु वित्त बैंक अधिकांशत: दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्रों (अपेक्षाकृत बेहतर बैंकिंग पहुँच क्षेत्र में) में केंद्रित हैं. पूर्वोत्तर क्षेत्र (सबसे कम बैंकिंग पहुँच क्षेत्र) में उनकी उपस्थिति सबसे कम है.
  • परिसंपत्ति सकेंद्रण: मार्च 2020 में सभी लघु वित्त बैंक की कुल संपत्ति का 60% भाग शीर्ष तीन लघु वित्त बैंक के पास था.
  • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (Priority sector lending: PSL ) का विशेष रूप से अल्प आकार के ऋण पर केंद्रित होनाः प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (PSL), SFBs के कुल ऋण का लगभग 75% है. उनके कुल ऋण खातों में लगभग 96% की ऋण सीमा 2 लाख रुपये थी.

Small Finance Banks: SFBs :-

  • ये वैसे बैंक हैं जिनका प्रमुख कार्य छोटे व्यवसायों, लघु एवं सीमान्त किसानों, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों तथा असंगठित कारोबारों को सामान्य बैंकिंग सुविधाएँ देना है, जैसे – जमा लेना और ऋण देना.
  • SFBs, बैंकिंग का एक विशिष्ट खंड है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा गठित किया गया है. इनका उद्देश्य मुख्य रूप से असेवित और अल्प सेवित वर्गों के लिए बुनियादी बैंकिंग गतिविधियों को आरंभ करके वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाना है.
  • वे व्यावसायिक इकाइयों, लघु और सीमांत किसानों एवं असंगठित क्षेत्र की संस्थाओं को सेवाएं प्रदान करते हैं. लघु वित्त बैंक का उद्देश्य उच्च प्रौद्योगिकी-निम्न लागत परिचालनों के माध्यम से बचत के प्रावधान तथा लघु व्यवसाय इकाइयों, लघु और सीमांत किसानों, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों व अन्य असंगठित क्षेत्र की इकाइयों को ऋण की आपूर्ति द्वारा वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाना है.

ये बैंक (SMALL FINANCE BANKS) क्या नहीं कर सकते हैं? – i) बड़े निगमों और समूहों को उधार नहीं दे सकते ii) अपनी स्थापना के पहले पाँच वर्षों में आरबीआई के अनुमोदन के बिना ये अपनी शाखाएँ नहीं खोल सकते हैं iii) यह बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं के लिए अलग से सहायक कार्यालय की स्थापना नहीं कर सकता है iv) यह किसी भी बैंक के व्यवसायिक सहायक नहीं बनेंगे.


GS Paper 3 Source : The Hindu

UPSC Syllabus : Conservation and biodiversity related issues.

Topic : Birds of the Sundarban Biosphere Reserve- a publication by ZSI

संदर्भ

हाल ही में, भारतीय प्राणी-विज्ञान सर्वेक्षण (Zoological Survey of India- ZSI) द्वारा ‘सुंदरबन जैवमंडल रिजर्व के पक्षी’ (Birds of the Sundarban Biosphere Reserve) शीर्षक से एक प्रतिवेदन प्रकाशित किया गया है.

यह प्रतिवेदन, सुंदरबन के पक्षी-जगत का विवरण देने के अतिरिक्त इस क्षेत्र की सभी प्रजातियों के विस्तृत वितरण और स्थानीयता संबंधी आँकड़ों सहित एक व्यापक फोटोग्राफिक फील्ड गाइड के रूप में भी कार्य करता है.

प्रतिवेदन के प्रमुख निष्कर्ष

  1. भारतीय सुंदरबन, विश्व के सबसे बड़े मैंग्रोव वनों का एक भाग हैं तथा पक्षियों की 428 प्रजातियों का वास स्थल है. इसका तात्पर्य है कि देश में पाए जाने वाले प्रत्येक तीन में से एक पक्षी इस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र में पाया जाता है.
  2. नकाबपोश फिनफुट (masked finfoot) तथा बफी फिश आउल (Buffy fish owl) जैसे कुछ पक्षी मात्र सुंदरबन में पाए जाते हैं.
  3. यह क्षेत्र, देश में पाई जाने वाले किंगफिशर की 12 प्रजातियों में से नौ प्रजातियों के साथ-साथ गोलियत बगुला (Goliath heron) तथा चम्मच जैसी चोंच वाली टिटहरी (spoon-billed sandpiperजैसी दुर्लभ प्रजातियों का वास-स्थल है.

सुंदरबन क्या है?

  • सुंदरबन 10,000 हजार वर्ग किलोमीटर की वह दलदली भूमि है जो बांग्लादेश और भारत दोनों में स्थित है. यहाँ विश्व का सबसे बड़ा मैन्ग्रोव जंगल है जहाँ के समृद्ध जैव तंत्र में सैंकड़ों पशु प्रजातियाँ फलती-फूलती हैं. बंगाल टाइगर भी इन प्रजातियों में से एक है.
  • सुंदरबन में सैंकड़ों द्वीप हैं. साथ ही यहाँ गंगा के डेल्टा और ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर नदियों, सहायक नदियों और नालों का एक जाल बिछा हुआ है.
  • भारत के दक्षिण-पश्चिम डेल्टा क्षेत्र में अवस्थित भारतीय सुंदरबन देश में पाए जाने वाले सम्पूर्ण मैन्ग्रोव जंगल क्षेत्र का 60% है.
  • सुंदरबन भारत का 27वाँ रामसर साईट है जो अपने 4 लाख 23 हजार हेक्टर क्षेत्र के कारण देश की सर्वाधिक बड़ी सुरक्षित आर्द्र भूमि है.
  • भारतीय सुंदरबन UNESCO का एक वैश्विक धरोहल स्थल भी है जो रॉयल बंगाल टाइगर की निवास भूमि है. इसके अतिरिक्त यहाँ अनेक विरले और वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त प्राणी भी रहते हैं, जैसे – विकट रूप से संकटग्रस्त बाटागुर बस्का (northern river terrapin), संकटग्रस्त इरावदी सूँस (Orcaella brevirostris), संकटप्रवण मछलीमार बिल्ली (Prionailurus viverrinus).
  • विश्व में पाए जाने वाले घोड़े के नाल के आकार वाले केंकड़ों की दो प्रजातियाँ और भारत में पाए जाने वाले 12 प्रकार के किंगफिशरों में आठ यहाँ पाए जाते हैं. हाल के अध्ययनों में दावा किया गया है कि भारतीय सुंदरबन में 2,626 प्रकार की पशुप्रजातियाँ रहती हैं.

रामसर क्या है?

  • रामसर आर्द्रभूमि समझौते (Ramsar Convention on Wetlands) को 1971 में इरान के शहर रामसर में अंगीकार किया गया.
  • यह एक अंतर-सरकारी संधि है जो आर्द्रभूमि के संरक्षण और समुचित उपयोग के सम्बन्ध में मार्गदर्शन प्रदान करती है.
  • भारत ने 1982 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए.
  • भारत में आर्द्रभूमि के संरक्षण के मामलों के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु-परवर्तन मंत्रालय नोडल मंत्रालय घोषित है.
  • विदित हो कि भारत में सम्पूर्ण भूमि के 4.7% पर आर्द्रभूमि फैली हुई है.

Prelims Vishesh

Subhash Chandra Bose Aapda Prabandhan Puraskar :-

  • सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की घोषणा 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती के अवसर पर की.
  • सभी भारतीय नागरिक और संगठन जिन्होंने आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान दिया है, वे सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार के योग्य हैं.
  • पुरस्कार के अंतर्गत 51 लाख रुपये की नगद धनराशि तथा एक प्रमाण-पत्र प्रदान की गई.
  • सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार (2021) के लिए, सस्टेनेबल एनवायरमेंट एंड इकोलॉजिकल डेवलपमेंट सोसायटी (संस्थागत श्रेणी में) तथा डॉ. राजेंद्र कुमार भंडारी (व्यक्तिगत श्रेणी में) को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य हेतु चुना गया है.

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