Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 July 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 26 July 2019


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Electronically transmitted Postal Ballot System (ETPBS)

संदर्भ

पिछले दिनों सरकार द्वारा बताया गया कि सात चरणों में सम्पन्न लोकसभा चुनावों में 18,02,646 अर्हता प्राप्त कर्मियों को पंजीकृत किया गया था और उनमें से 10,84,266 ने इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सम्प्रेषित डाक मतपत्र प्रणाली (Electronically Transmitted Postal Ballot System – ETPBS) अथवा ई-डाक मतपत्रों से मतदान किया. यह एक नया कीर्तिमान है.

ETPBS क्या है?

  • यह मतदान के लिए बनाई गई एक प्रणाली है जिसका निर्माण भारतीय निर्वाचन आयोग ने उन्नत कम्पयूटिंग विकास केंद्र (Development of Advanced Computing – C-DAC) की सहायता से उन मतदाताओं के लिए किया है जो रक्षा क्षेत्र में सेवारत हैं.
  • यह सुरक्षा की दो परतों वाली पूर्णतः सुरक्षित प्रणाली है. इसमें एककालिक कूटसंख्या (OTP) और पिन के माध्यम से गोपनीयता का प्रावधान किया जाता है और इसके अनूठे QR कोड के चलते डाले गये मतदान को दुबारा डाला जाना असंभव होता है.
  • इस प्रणाली का प्रयोग जिन सेवारत मतदाताओं के लिए है उनमें परासैन्य बलों, सैन्य बालों और भारत के बाहर कूटनीतिक मिशनों में तैनात सरकारी कर्मी आते हैं.

माहात्म्य और लाभ

  • इस प्रणाली का प्रयोग कर सेवाकर्मी अपने चुनाव क्षेत्र के बाहर कहीं से भी डाक मतपत्र का प्रयोग करते हुए मतदान कर सकते हैं.
  • जिन मतदाताओं ने इस प्रणाली का विकल्प चुना है वे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी विशेष चुनाव में प्रतिभागिता कर सकते हैं.
  • इस प्रणाली का कार्यान्वयन वर्तमान डाक मतपत्र प्रणाली के साहचर्य से किया जाता है. डाक मतपत्र मतदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सम्प्रेषित किये जाते हैं.
  • पूर्व में डाक मतपत्रों को सेवाकर्मियों को डाक से भेजा जाता था जिसमें बहुत समय लगता था. परन्तु अब इस नई प्रणाली के कारण ये मतपत्र इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से तुरंत मतदाता तक पहुँचा दिए जाते हैं जिससे समय की बचत हो जाती है.

ETPBS के लिए अर्हता प्राप्त निर्वाचकों की श्रेणी

  1. वे सेवा मतदाता जिन्होंने प्रॉक्सी मतदान का विकल्प नहीं चुना है.
  2. सेवा मतदाता की पत्नी जो सामान्यतः उसके साथ रहा करती है.
  3. विदेश में स्थित मतदाता.

GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Airports Economic Regulatory Authority of India (Amendment) Bill, 2019

संदर्भ

राज्य सभा ने पिछले दिनों भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित कर दिया. यह विधेयक भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 2008 में संशोधन करता है.

भूमिका

इसी अधिनियम के तहत भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (AERA) की स्थापना की गई थी. AERA प्रतिवर्ष 15 लाख से अधिक यात्रियों के आवागमन की क्षमता वाले नागरिक हवाई अड्डे पर प्रदान की जाने वाली वैमानिक सेवाओं के लिये टैरिफ तथा अन्य शुल्कों को विनियमित करता है. यह इन हवाई अड्डों में सेवाओं के मानक प्रदर्शन पर भी नज़र रखता है.

विधेयक में प्रस्तावित बदलाव

  • प्रमुख हवाई अड्डों की परिभाषा: प्रतिवर्ष 15 लाख से अधिक यात्रियों के आवागमन की क्षमता वाले नागरिक हवाई अड्डों या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किये गए किसी भी अन्य हवाई अड्डे को यह अधिनियम प्रमुख हवाई अड्डे के रूप में परिभाषित करता है. यह विधेयक अब प्रमुख हवाई अड्डों के लिये तय की गई यात्रियों की सीमा को 15 लाख प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 35 लाख प्रतिवर्ष करता है.
  • AERA द्वारा टैरिफ निर्धारण: अधिनियम के तहत AERA इन शुल्कों का निर्धारण करता है – (i) प्रत्येक पाँच वर्ष के अंतराल पर विभिन्न हवाई अड्डों पर वैमानिक सेवाओं के लिये शुल्क (ii) प्रमुख हवाई अड्डों का विकास शुल्क और (iii) यात्री सेवा शुल्क. यह अंतरिम अवधि में आवश्यक होने पर टैरिफ में संशोधन सहित टैरिफ निर्धारित करने तथा टैरिफ से संबंधित किसी अन्य कार्य को करने के लिये आवश्यक जानकारी की मांग भी कर सकता है.
  • इससंशोधन विधेयक के अनुसार AERA इन शुल्कों का निर्धारण नहीं करेगा –  (i) टैरिफ (ii) टैरिफ संरचना या (iii) कुछ मामलों में विकास शुल्क. इसमें ऐसे मामले को सम्मिलित किया जाएगा जिसमें टैरिफ की रकम नीलामी के दस्तावेज़ का हिस्सा थी और जिसके आधार पर हवाई अड्डे के संचालन का निर्णय लिया गया था. नीलामी के दस्तावेज़ में ऐसे टैरिफ को शामिल करने से पहले AERA से परामर्श लिया जाएगा, जो अधिसूचना के रूप में होगी. 

संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

विमानन क्षेत्र में अत्यंत तेजी से वृद्धि हो रही है जिस कारण AERA पर भयंकर दबाव पड़ रहा है जबकि उसके संसाधन सीमित हैं. यदि AERA के क्षेत्राधिकार में आवश्यकता से अधिक हवाई अड्डे आ जाएँगे तो वह कुशलता से अपने कार्य का निर्वाह नहीं कर पायेगा.

संशोधन का हवाई अड्डों के नियमन पर पड़ने वाला प्रभाव

वर्तमान में 32 ऐसे हवाई अड्डे हैं जहाँ वार्षिक आवागमन 15 लाख से ऊपर है. AERA इनमें से 27 के टैरिफ का नियमन करता है. संशोधन के बाद AERA 27 के स्थान पर 16 हवाई अड्डों का नियमन करेगा क्योंकि नई परिभाषा के अनुसार बड़े हवाई अड्डे वे होंगे जहाँ एक वर्ष में 35 लाख यात्रियों का आवागमन होता है. शेष 16 हवाई अड्डों का नियमन अब AAI करेगा.

आशा की जाती है कि 2030-31 तक देश में विमान यात्रा की वृद्धि 10-11% की वार्षिक दर पर होती जायेगी. इसका अभिप्राय यह हुआ कि इन शेष 16 हवाई अड्डों में भी 35 लाख लोग आने-जाने लगेंगे और इस प्रकार ये हवाई अड्डे AERA के क्षेत्राधिकार में चले जाएँगे.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Protection of Human Rights (Amendments) Bill, 2019

संदर्भ

लोकसभा में मानवाधिकार संरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 को पारित कर दिया गया.

पृष्ठभूमि

मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (अधिनियम) को, मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राज्य मानव अधिकार आयोगों और मानव अधिकार न्यायालयों के गठन हेतु उपबंध करने के लिए पारित किया गया था.

मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 में प्रस्तावित बदलाव

  • अब भारत के मुख्य न्यायाधीश अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश NHRC का अध्यक्ष हो सकता है.
  • मूल अधिनियम में मानवाधिकार का ज्ञान रखने वाले दो व्यक्तियों को NHRC का सदस्य बनाने का प्रावधान था. अब यह संख्या बढ़ाकर 3 कर दी गई है जिनमें से एक का महिला होना अनिवार्य कर दिया गया है.
  • मूल अधिनियम के अनुसार NHRC में विभिन्न आयोगों, जैसे राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष सदस्य होते हैं. अब संशोधन के अनुसार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण के अध्यक्ष एवं मुख्य दिव्यांग आयुक्त भी सदस्य होंगे.
  • आयोग और राज्य आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की पदावधि को पांच वर्ष से कम करके तीन वर्ष किया जा रहा है. कार्यकाल की अधिकतम आयु पहले की तरह 70 वर्ष रखी गई है. मूल अधिनियम में NHRC और राज्य मानवधिकार आयोगों के सदस्यों को पाँच वर्ष के लिए फिर से नियुक्ति का प्रावधान था. अब संशोधन के द्वारा पाँच वर्ष की इस सीमा हटा दिया गया है.
  • संशोधन में यह प्रावधान किया जा रहा है कि दिल्ली से सम्बंधित मानवाधिकार के मामलों को अब NHRC ही देखेगा.

माहात्म्य

एनएचआरसी ने कुछ वैश्विक प्लेटफार्मों पर उठाई गयी चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में ये संशोधन प्रस्तावित किए हैं. इसके अलावा, कुछ राज्य सरकारों ने अधिनियम में संशोधन के लिए भी प्रस्ताव दिया था, क्योंकि उन्हें संबंधित राज्य आयोगों के अध्यक्ष के पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों को खोजने में माजूदा नियुक्ति प्रावधानों के कारण कठिनाई हो रही थी.

पेरिस सिद्धांत के आधार पर लाये गये इस प्रस्तावित संशोधन से आयोग और साथ ही राज्य आयोगों को भी, उनकी स्वायत्तता, स्वतंत्रता, बहुलतावाद और मानव अधिकारों के प्रभावी संरक्षण तथा उनका संवर्धन करने हेतु बल मिलेगा.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : IUCN Red List of Threatened Species

संदर्भ

पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature – IUCN) की नवीनतम लाल सूची प्रकाशित हुई जिसमें संकटग्रस्त प्रजातियों का वर्णन होता है. इस सूची को देख कर पता चलता है कि नित्य नई-नई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर पहुँच रही हैं.

  • नवीनतम लाल सूची में इस प्रकार की प्रजातियों की संख्या 28,338 बताई गई है.
  • उल्लेखनीय है कि इस सूची में 1,05,732 प्रजातियों का आकलन हुआ है. ऐसा पहली बार हुआ है कि IUCN ने एक लाख से अधिक प्रजातियों के बारे में प्रतिवेदन दिया है.

मुख्य निष्कर्ष

  • प्रकृति पूरे विश्व में अभूतपूर्व गति से पतन की ओर बढ़ रही है. साथ ही साथ प्रजातियों की विलुप्ति की गति भी बढ़ती जा रही है.
  • अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान में एक लाख से अधिक पशु और पौधे विलुप्ति के मार्ग पर हैं और आगामी कुछ दशकों में इनमें से हजारों इतिहास बन जाएँगे.
  • नई सूची बताती है कि मीठे जल और समुद्र के तल में पाई जाने वाली प्रजातियों में खतरनाक ढंग से कमी आ रही है. उदाहरण के लिए जापान में मीठे जल में बहुतायत से पाई जाने वाली मछलियों में से आधे विलुप्ति का खतरा झेल रही हैं. ऐसा नदियों के मुक्त प्रवाह में कमी और कृषिगत तथा शहरी प्रदूषण के बढ़ने के कारण हो रहा है.

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IUCN की लाल सूची क्या है?

  • IUCN की लाल सूची संकटग्रस्त प्रजातियों की एक ऐसी सूची है जिसमें किसी भी पौधे अथवा प्राणी के वैश्विक संरक्षण की स्थिति दर्शाई जाती है.
  • यह सूची हजारों प्रजातियों के विलुप्त होने के संकट का मूल्यांकन कतिपय मानदंडों के आधार पर करती है. ये मानदंड अधिकांश प्रजातियों और विश्व के समस्त क्षेत्रों के लिए प्रासंगित होते हैं. इसका वैज्ञानिक आधार अत्यंत प्रबल होता है. अतः IUCN की लाल सूची को जैव विविधता की स्थिति से अवगत होने के लिए सर्वाधिक प्रमाणिक दस्तावेज माना जाता है.

लाल सूची की श्रेणियाँ

  • इसमें समस्त प्रजातियों की विलुप्ति से सम्बंधित 9 श्रेणियाँ होती हैं, जो NE (अमूल्यांकित) से लेकर EX (विलुप्त) तक होती हैं.
  • जिन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है उन्हें अत्यंत सकंटग्रस्त (Critically Endangered), संकटग्रस्त (Endangered) और संकटापन्न (Vulnerable) श्रेणियाँ दी जाती हैं.

विलुप्ति के खतरे की जाँच के आधार

  1. प्रजाति विशेष की संख्या में गिरावट की दर
  2. भौगोलिक प्रसार क्षेत्र
  3. प्रजाति विशेष की संख्या पहले से भी कम है
  4. प्रजाति बहुत छोटी है अथवा एक सीमित क्षेत्र में ही रहती है
  5. क्या संख्यात्मक विश्लेषण यह इंगित करता है कि प्रजाति विशेष पर विलुप्ति का बड़ा खतरा है.

IUCN

  • आईयूसीएन की स्थापना अक्टूबर, 1948 में फ्रांस के फॉन्टेनबेलाऊ शहर में आयोजित हुए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रकृति के संरक्षण के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संघ ( International Union for the Protection of Nature or IUPN) के रूप में की गई थी.
  • 1956 में इस संघ का नाम IUPN से बदलकर IUCN कर दिया गया है अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources)
  • आईयूसीएन दुनिया का पहला वैश्विक पर्यावरण संगठन है और आज के दिन में यह सबसे बड़ा वैश्विक संरक्षण नेटवर्क है.
  • इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड में जेनेवा के निकट Gland में है.
  • IUCN मानव का प्रकृति के साथ जो व्यवहार है उसका अध्ययन करता है और दोनों के बीच संतुलन को संरक्षित करता है.
  • यह जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ टिकाऊ विकास और खाद्य सुरक्षा जैसी चुनौतियों पर विचार करता है.

ICUN का माहात्म्य

ICUN की लाल सूची पृथ्वी की जैव विविधता के पतन की ओर ध्यान खींचती है और साथ ही यह दर्शाती है कि मानव के चलते धरती किस सीमा तक प्रभावित हो रही है. यह सूची विश्व-भर में स्वीकृत मानदंड पर आधारित होती है जिसके माध्यम से प्रजातियों के संरक्षण की स्थिति मापी जाती है.

इस सूची के आधार पर वैज्ञानिक किसी श्रेणी विशेष की प्रजातियों के प्रतिशत का विश्लेषण करते हैं और पता लगाते हैं कि समय के साथ यह प्रतिशत कैसे बदलता है. वे प्रजातियों पर मंडराते संकट का विश्लेषण कर सकते हैं और संरक्षण के उन उपायों पर विमर्श कर सकते हैं जो विलुप्ति को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं.


GS Paper  2 Source: Indian Express

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Topic : Regional Air Connectivity- UDAN

संदर्भ

भारत सरकार ने देश में क्षेत्रीय सम्पर्कशीलता को बढ़ावा देने के लिए नगर विमानन मंत्रालय की उड़ान योजना के अंतर्गत आठ नए मार्ग खोल दिए हैं जिनमें दो मार्ग पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए हैं.

उड़ान योजना क्या है?

UDAN भारत सरकार की एक मूर्धन्य योजना है जिसका अनावरण अप्रैल, 2017 में किया गया था. यह योजना जून, 2016 में लागू राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (National Civil Aviation Policy – NCAP) का एक प्रमुख अवयव है. UDAN क्षेत्रीय विमानन बाजार को विकसित करने के लिए एक नवोन्मेषी योजना (innovative scheme) है. यह योजना बाजार तंत्र पर आधारित है जिसके अंतर्गत वायुयान सेवादाताओं के द्वारा सीटों के लिए सब्सिडी हेतु बोली लगाई जाएगी. यह योजना इस प्रकार की अभी तक की पहली योजना है जो आर्थिक रूप से आम नागरिकों के लिए व्यवहार्य और लाभदायक है. इससे विश्व स्तर पर क्षेत्रीय मार्गों पर सस्ती उड़ानें भरी जा सकेंगी.

चुने गए एयरलाइन ऑपरेटरों को सामान्य जहाज़ों में न्यूनतम 9 और अधिकतम 40 उड़ान सीटें रियायती दरों पर देनी होंगी तथा हेलीकाप्टरों में न्यूनतम 5 और अधिकतम 13 सीटों का प्रावधान करना होगा. सामान्य जहाज़ों और हेलिकोप्टरों में क्रमशः लगभग एक घंटे और आधे घंटे की यात्रा के लिए आरक्षित सीटों का अधिकतम किराया 2,500 रु. तय किया गया है.

उड़ान योजना के लाभ

  • इस योजना के द्वारा नागरिकों को वायुयात्रा की कनेक्टिविटी मिलेगी
  • यह सभी हितधारकों के लिए एक स्पर्द्धा की स्थिति प्रदान करेगा
  • रोजगार के अवसर प्रदान करेगा
  • क्षेत्रीय हवाई संपर्क और बाजार का विस्तार होगा
  • राज्य सरकारों को दूरदराज के क्षेत्रों के विकास, व्यापार और वाणिज्य के विस्तार और पर्यटन की वृद्धि का लाभ प्राप्त होगा.

Prelims Vishesh

Nag- Anti-Tank Guided Missile (ATGM) :-

  • भारतीय सेना ने पिछले दिनों नाग नामक तीसरी पीढ़ी के टैंक विरोधक निर्देशित मिसाइल का परीक्षण सफलतापूर्वक किया.
  • DRDO द्वारा निर्मित यह मिसाइल न्यूनतम 500 मीटर और अधिकतम 4 किलोमीटर तक दिन और रात दोनों समय शत्रु के टैंकों को नष्ट कर सकती है.

Tiangong 2 :-

  • 2022 तक अन्तरिक्ष में मानव युक्त अन्तरिक्ष केंद्र स्थापित करने की अपनी योजना के अंतर्गत चीन ने पिछले दिनों Tiangong 2 नामक अन्तरिक्ष केंद्र को प्रक्षेपित कर उसे पृथ्वी से 380 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थापित किया.
  • इस अन्तरिक्ष केंद्र में दो अन्तरिक्षयात्री बैठे हुए हैं जो अंतरीक्षीय तकनीक का परीक्षण करेंगे और साथ ही कुछ चिकित्सकीय और अन्तरिक्षीय प्रयोग भी करेंगे.

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