Sansar Daily Current Affairs, 26 March 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Sharda Peeth Corridor
संदर्भ
पाकिस्तान ने हाल ही में शारदा पीठ गलियारे पर अपनी सहमति दे दी है. स्मरण रहे कि हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच में करतारपुर गलियारे पर भी सहमति बनी थी.
शारदा पीठ क्या है?
- शारदा पीठ गुलाम कश्मीर में स्थित एक मन्दिर है जिसमें कश्मीरी पंडितों और सभी हिन्दुओं की बड़ी आस्था है.
- शारदा मंदिर नियंत्रण रेखा के उस पार नीलम घाटी में स्थित है जो मुजफ्फराबाद से 160 किमी. दूर शरडी गाँव में है जहाँ नीलम नदी मधुमती एवं सर्गुण धाराओं से मिलती है.
- यह मन्दिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है.
- इसमें हिन्दू देवी सरस्वती का आवास बताया जाता है.
- स्थापत्य, रूपरेखा और निर्माण शैली की दृष्टि से यह मन्दिर अनंतनाग में स्थित मार्तण्ड मन्दिर के समान है.
- 1947 से यह मन्दिर वीरान पड़ा हुआ है.
- प्राचीनकाल में यह मन्दिर वैदिक साहित्य एवं अन्य शास्त्रों-टीकाओं को सीखने के लिए एक बड़ा केंद्र हुआ करता था. इसके लिए यहाँ शारदा नामक एक विश्वविद्यालय भी था.
यह मंदिर कब बना था?
- कुछ विवरणों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण प्रथम शताब्दी के पूर्वार्ध में हुआ था जबकि यहाँ कुषाणों का शासन था.
- कुछ विद्वानों का कहना है कि शारदा पीठ का निर्माण राजा ललितादित्य ने किया था. इसके पीछे उद्देश्य था बौद्ध धर्म के बढ़ते हुए धार्मिक एवं राजनैतिक प्रभाव को रोकना. वैसे भी ललितादित्य बड़े-बड़े मंदिरों के निर्माण में निपुण था.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Hambantota oil refinery project
संदर्भ
श्रीलंका के हंबनटोटा में भारत के Accord Group और ओमान के तेल और गैस मंत्रालय ने एक तेलशोधक कारखाने का निर्माण आरम्भ कर दिया है.
हम्बनटोटा बंदरगाह का माहात्म्य
- हंबनटोटा हिन्द महासागर में मध्य-पूर्व और पूर्वी एशिया को जोड़ने वाली प्रधान ऊर्जा आपूर्ति लाइनों के ठीक बीच में स्थित है.
- हंबनटोटा श्रीलंका के दक्षिणी प्रान्त के अन्दर हंबनटोटा जिले का मुख्यालय शहर है.
- यह एक अल्प-विकसित क्षेत्र है जहाँ 2004 में हिन्द महासागर की सुनामी का भयंकर प्रकोप हुआ था. इसलिए यहाँ कई बड़ी-बड़ी विकास की योजनाएँ चलाई गईं, जैसे – नया बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाना.
- 150 करोड़ डॉलर से बने हंबनटोटा बंदरगाह दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है.
- इस बंदरगाह को चीन की सरकारी संस्था चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स ने बनाया था. इसमें 85 फीसदी हिस्सेदारी चीन के एक्सिम बैंक ने की थी.
- निर्माण के वक्त से ही ये बंदरगाह विवादों में रहा और इसका विरोध हुआ.
- तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में बने इस बंदरगाह में चीन से आने वाले माल को उतारकर देश के अन्य भागों तक पहुंचाने की योजना थी.
- समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार नए क़ानून के ज़रिए श्रीलंका चीन की व्यवसायिक गतिविधियों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है और सुरक्षा का नियंत्रण भी अपने पास रख रहा है.
क्यों हो रहा है विरोध?
- हम्बनटोटा को चीन का आधुनिक युग का ‘सिल्क रूट’ का कहा जाता है. चीन बंदरगाह के नज़दीक ही व्यवसायिक केंद्र बनाने के लिए इसके आसपास की 15000 एकड़ की ज़मीन लेना चाहता था. चीन की इस कोशिश से आशंका जताई जाने लगी कि चीन इसका इस्तेमाल अपनी सेना के लिए कर सकता है.
- श्रीलंका में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए. एक तरफ़ लोगों को अपनी ज़मीन छीने जाने का डर था जबकि राजनेताओं ने चीन को इतनी बड़ी ज़मीन दिए जाने से देश की संप्रभुता में ख़तरा बताया.
- जापान और अमरीका समेत श्रीलंका के पड़ोसी देशों ने चिंता जताई थी कि इस बंदरगाह की इस्तेमाल चीनी सेना कर सकती है.
भारत के लिए चिंता क्यों?
- चीन के श्रीलंका में बढ़ते प्रभाव के बारे में भारत चिंतित है क्योंकि चीन एक रणनीति के तहत श्रीलंका में निवेश कर रहा है. इसी सिलसिले में हंबनटोटा में ही चीन ने पट्टी और सड़क पहल के अंतर्गत एक बंदरगाह बनाया है. भारत को चिंता है कि इस बंदरगाह को चीन अपनी नौसैनिक जहाज़ों के लिए उपयोग में ला सकता है.
- इसके अतिरिक्त चीन ने पास में ही एक औद्योगिक क्षेत्र बनाने के लिए 15,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने की योजना भी बनाई है.
- साल 2014 में चीन की एक पनडुब्बी कोलंबो के पास हम्बनटोटा बंदरगाह के पास आ गई थी. इस पर भारत सरकार ने चिंता जताई थी.
- भारत श्रीलंका को अपना करीबी पड़ोसी मानता है और इस इलाके में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी का विरोध करता आया है.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : World Meteorological Organisation (WMO)
संदर्भ
प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी मार्च 23 को विश्व ऋतु विज्ञान दिवस मनाया गया. यह 69वाँ विश्व ऋतु विज्ञान दिवस था. यह दिवस विश्व ऋतु विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation – WMO) की स्थापना के स्मरण में मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम है – “सूर्य, पृथ्वी और मौसम.” थीम में सूर्य का उल्लेख इसलिए किया गया है कि अगले वर्ष से सूर्य का 25वाँ चक्र आरम्भ होने वाला है.
विश्व ऋतु विज्ञान संगठन क्या है?
- यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषज्ञ एजेंसी है.
- यह संगठन 1873 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय ऋतु विज्ञान सन्गठन (International Meteorological Organization – IMO) की उत्तराधिकारी संस्था है.
- यह संगठन दो प्रतिवेदन प्रकाशित करता है – ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन और स्टेटस ऑफ़ द वर्ल्ड क्लाइमेट.
कार्य
- इस संगठन के काम इन क्षेत्रों से सम्बंधित हैं – मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान, समुद्र विज्ञान एवं पर्यावरणिक रसायनशास्त्र.
- WMO विश्व के 191 देशों और क्षेत्रों में कार्यरत राष्ट्रीय ऋतु विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं की गतिविधियों का समन्वयन करता है जिससे कि मौसम, जलवायु और जल से सम्बंधित मूलभूत सेवाएँ सब को समय पर मिल सकें.
- WMO अपनी ओर से मन्तव्य और आँकड़े प्रकाशित करता रहता है.
- यह विमानन, जहाजरानी, जल प्रबंधन और कृषि जैसी मानवीय गतिविधियों के लिए ऋतु विज्ञान और जल विज्ञान के अनुप्रयोग को आगे बढ़ाता है. इसके लिए अन्य कार्यों के अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन और ओजोन की स्थिति पर नज़र रखता है और भविष्यवाणी भी करता है.
- WMO ऋतु विज्ञान और जल विज्ञान में शोध और प्रशिक्षण तथा उनके अनुप्रयोग को प्रोत्साहन देता है और इस प्रकार मौसम और जलवायु से सम्बन्धित खतरों के दुष्प्रभाव को घटाने में सहायता करता है. इसके लिए वह नियमित रूप से विश्वसनीय भविष्यवाणियाँ करता रहता है और साथ ही इन मामलों के लिए पहले से चेतावनी देता रहता है, जैसे – बाढ़, सूखा, ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात, टोर्नेडो और अन्य विषम घटनाएँ.
- WMO टिड्डी दलों से सम्बंधित पूर्वानुमान भी देता है और साथ ही यह बतलाता है कि प्रदूषक तत्त्व जैसे आणविक पदार्थ, विषाक्त पदार्थ, ज्वालामुखीय राख किस भूभाग की ओर बह कर जा रहे हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : WEF Energy Transition Index
संदर्भ
विश्व आर्थिक मंच ने हाल ही में अपना वैश्विक ऊर्जा रूपांतरण सूचकांक प्रकाशित किया है. यह सूचकांक प्रत्येक वर्ष प्रकाशित होता है और इसमें 115 अर्थव्यवस्थाओं को रैंकिंग इस आधार पर दी जाती है कि वे ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण सततता एवं सुलभता को कितना संतुलित रखती हैं.
इस सूचकांक में किसी देश की ऊर्जा प्रणाली की वर्तमान स्थिति के साथ-साथ भविष्य की ऊर्जा विषयक आवश्यकताओं को अंगीकृत करने के लिए उनकी अवसंरचनात्मक तैयारी पर विचार किया जाता है.
विभिन्न देशों का प्रदर्शन
- पिछले वर्ष की भाँति इस वर्ष भी स्वीडन सूचकांक में शीर्षस्थ रहा है तथा दूसरे और तीसरे स्थान पर स्विट्ज़रलैंड और नॉर्वे के नाम हैं.
- अमेरिका का स्थान इस सूची में 27वाँ है जो पिछले वर्ष की तुलना में दो स्थान नीचे है. किन्तु कोयले से बिजली उत्पन्न करने के मामले में उसने प्रगति की है अर्थात् कोयले पर निर्भरता कम की है.
- भारत (76), इंडोनेशिया (63) और बांग्लादेश (90) ने बिजली की सार्वभौम उपलब्धता के मामले में अच्छी-खासी प्रगति की है.
भारत के संदर्भ में सूचकांक के निष्कर्ष
- भारत ऐसे देशों में एक पाया गया जहाँ प्रदूषण का स्तर ऊँचा है और बिजली बनाने में कार्बन डाइऑक्साइड का बहुत अधिक उत्सर्जन होता है. फिर भी हाल के वर्षों में भारत ने बिजली की उपलब्धता में अच्छी प्रगति की है तथा ऊर्जा रूपांतरण से सम्बंधित विनियमन और राजनैतिक प्रतिबद्धता में इसका प्रदर्शन अच्छा है.
- प्रणालीगत प्रदर्शन में भारत का स्थान नीचे है, परन्तु भविष्य की ऊर्जा विषयक आवश्यकताओं को अपनाने हेतु तत्परता के मामले में इसका स्थान बहुत ही ऊँचा है.
- पिछले वर्ष भारत का स्थान 78वाँ था. इस प्रकार भारत ने दो स्थान आगे बढ़ा है.
- भारत उन पाँच अर्थव्यस्थाओं में से एक है जिसकी रैंकिंग में पिछले वर्ष की तुलना में सुधार हुआ है.
- यदि BRICS की दृष्टि से देखें तो उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में ब्राजील के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन भारत का रहा.
GS Paper 3 Source: Times of India
Topic : PSLV-C45/ Emisat Mission
संदर्भ
भारत के ध्रुवीय अंतरिक्षयान प्रक्षेपण वाहन (Polar Satellite Launch Vehicle – PSLV) अपने 47वें अभियान PSLV-C45 में श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र (SDSC) SHAR से EMISAT नामक उपग्रह तथा विभिन्न देशों के 28 अन्य उपग्रहों को प्रक्षेपित करने जा रहा है.
इस अभियान में उपग्रहों को तीन अलग-अलग कक्षाओं में छोड़ा जाएगा जोकि ISRO के लिए इस प्रकार का पहला प्रयास होगा.
EMISAT अभियान और इसका महत्त्व
- EMISAT का काम विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम को मापना है.
- इसको 749 किमी. ऊपर की कक्षा में डाला जाएगा.
- EMISAT मुख्य रूप से SARAL (Satellite with ARgos and ALtika) नामक प्रसिद्ध इजराइली जासूसी उपग्रह पर आधारित है.
- भारत की लम्बाई और चौड़ाई पर तीक्ष्ण इलेक्ट्रॉनिक दृष्टि रखने के लिए इसमें SSB-2 बस प्रोटोकॉल का प्रयोग होगा.
- यह अंतरिक्षयान पूरे विश्व की ध्रुव से लेकर ध्रुव तक की परिक्रमा प्रत्येक 90 मिनट में पूरा करेगा.
- यह उपग्रह शत्रु के इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस को पकड़ेगा और उसका संग्रह करेगा.
अन्य सह-प्रक्षेपित विदेशी उपग्रह
- इस अभियान में 28 छोटे-छोटे विदेशी उपग्रह भी छोड़े जाएँगे, परन्तु वे 504 किमी. ऊपर निम्न कक्षा में रहेंगे.
- विदेशी उपग्रहों में 24 अमेरिका के हैं और अन्य 4 लिथुएनिया, स्पेन और स्विट्ज़रलैंड के हैं.
Prelims Vishesh
Chinook Helicopters :–
- अमेरिका से चार चिनूक हेलिकॉप्टरों का दस्ता भारत पहुँच चुका है और उसे भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है.
- विदित हो कि चिनूक हॉस्पिटल एक उन्नत बहु-धंधी हेलिकॉप्टर है जिसमें दस टन का बोझ उठाने की क्षमता है. इसका उपयोग हथियार, वाहनों, युद्ध में सामान पहुँचाने, सड़क निर्माण से सम्बंधित उपकरणों तथा सैनिकों को युद्ध स्थल पर पहुँचाने में किया जाएगा.
ABHEDYA :–
- हाल ही में लोनावला में INS शिवाजी पर भारतीय नौसेना के आधुनिकतम आणविक, जैविक तथा रासायनिक प्रशिक्षण केंद्र (NBCTF) का उद्घाटन हुआ.
- इस केंद्र में दिए गये प्रशिक्षण से नौसैनिकों को आणविक, जैविक और रासायनिक पदार्थों का पता लगाने और उनसे सुरक्षा प्रदान करने वाली प्रणालियों के बारे में जानकारी मिलेगी.
Lose to Win programme :–
संयुक्त अरब अमीरात के सरकार ने “”जीतने के लिए हारो नामक एक कार्यक्रम चलाया है जिसमें भारी शरीर वाले कर्मियों को अपना वजन कम करने और स्वस्थ जीवन-शैली अपनाने में सहायता की जायेगी.
India pride project :–
इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट (IPP) कला के प्रेमियों का एक समूह है जो सोशल मीडिया का प्रयोग करते हुए भारत के मंदिरों से चुराई गई धार्मिक कलाकृतियों का पता लगाता है और उनके वापस लौटने का प्रबंध करता है.
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