Sansar Daily Current Affairs, 26 November 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions.
Topic : Chhattisgarh panchayats to have disabled quota
संदर्भ
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल ने राज्य पंचायती राज अधिनियम, 1993 में संशोधन को मंजूरी देकर राज्य के सभी पंचायतों में एक दिव्यांगजन की उपस्थिति को अनिवार्य बना दिया है. ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य हो गया है.
मुख्य तथ्य
- अब प्रत्येक पंचायत में निर्वाचित अथवा नामांकित दिव्यांगजन सदस्य के रूप में होंगे.
- यदि निर्वाचन प्रक्रिया से कोई दिव्यन्ग जन नहीं चुन कर आता तो पंच किसी स्त्री अथवा पुरुष को एक सदस्य के रूप में नामांकित कर सकता है.
- जिला पंचायतों में राज्य सरकार एक पुरुष और एक महिला दिव्यांग जन को नामांकित करेगी.
दिव्यान्गों के संवैधानिक अधिकार
- दिव्यान्गों को नागरिक के रूप में संविधान ने वे सभी अधिकार दिए हैं जो अन्य नागरिकों को मिले हुए हैं.
- अनुच्छेद 15(1) धर्म, नस्ल, जात, लिंग अथवा जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव को निषिद्ध करता है. यह लाभ दिव्यान्गों को भी नागरिक के रूप में प्राप्त है.
- अनुच्छेद 15(2) कई आधारों पर किसी नागरिक को प्रवेश आदि के लिए प्रतिबंधित करने और उसके लिए शर्त लगाने पर प्रतिबंध लगाता है, जैसे – दुकानों, होटलों, रेस्त्राओं, कुँओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़क आदि. नागरिक के रूप में दिव्यांग जन भी ऐसे प्रतिबंधों से वंचित हैं.
- संविधान कहता है कि सभी नागरिकों को रोजगार और नियुक्ति में समान अवसर मिले. दिव्यांग जन इस प्रावधान का लाभ उठा सकते हैं.
- अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को प्रतिबंधित करता है और इसके लिए दंड का प्रावधान करता है. इसलिए दिव्यांगजन अस्पृश्यता का शिकार कानूनी रूप से नहीं हो सकते हैं.
- संविधान का अनुच्छेद 21 सभी व्यक्तियों के लिए जीवन और स्वतंत्रता की गारंटी देता है. इनमें अन्य नागरिकों की भाँति दिव्यांग भी शामिल हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.
Topic : Maharashtra floor test plea and Supreme Court’s demands
संदर्भ
न्यायमूर्ति एन वी रमना ने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के खिलाफ शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा, ’27 नवंबर को शाम पांच बजे से पहले एक फ्लोर टेस्ट आयोजित किया जाना चाहिए’. शीर्ष अदालत ने फ्लोर टेस्ट का सीधा प्रसारण करने का भी आदेश दिया. न्यायमूर्ति रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने शनिवार को तड़के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजित पवार को उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने के फैसले को चुनौती देने वाली तीन पक्षों की संयुक्त याचिका पर यह आदेश पारित किया.
पृष्ठभूमि
बीते शनिवार को बिना कैबिनेट की बैठक महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया था और भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने राज्य के मुख्यमंत्री व एनसीपी नेता अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. शपथ ग्रहण कराने के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की.
किस नियम के तहत राष्ट्रपति शासन निरस्त किया गया?
इस मामले में सरकार ने ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस नियम 1961 के नियम संख्या 12 का प्रयोग किया. इसके अंतर्गत किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए कैबिनेट की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं. इस नियम के आधार पर राष्ट्रपति ने बिना कैबिनेट मंजूरी के इस फैसले पर हस्ताक्षर कर दिया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित राजपत्र के अनुसार, ‘संविधान के अनुच्छेद 356 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार, मैं भारत का राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, मेरे द्वारा 12 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र राज्य के संबंध में की गई घोषणा को निरस्त करता हूं, जो 23 नवंबर 2019 से प्रभावी है.’
नियम 12 का उपयोग किन परिस्थितियों में किया जाता है?
आदर्श रूप से सरकार किसी महत्वपूर्ण मामले में फैसले के लिए इस नियम का प्रयोग नहीं करती है. हालांकि, पूर्व में इसका इस्तेमाल ऑफिस मेमोरंडम या समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर के लिए सरकार करती रही है. नियम 12 का इस्तेमाल करके जो आखिरी फैसला लिया गया था वह 31 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर राज्य के पुनर्गठन को जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के लिए किया गया था. उस दिन राष्ट्रपति ने नियम 12 का प्रयोग विभिन्न जिलों को दो केंद्र शासित प्रदेशों के बीच बाँटने में किया था.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : What is AGR?
संदर्भ
प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर ब्याज और जुर्माने की अदायगी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.
याचिका में क्या है?
याचिका में कंपनियों ने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह लाइसेंस फीस संबंधी अपने फैसले में एजीआर के बारे में जारी कुछ निर्देशों पर पुनर्विचार करे. न्यायालय ने 24 अक्टूबर के फैसले में सरकार के इस दृष्टिकोण को सही ठहराया था कि गैर-टेलीकॉम सेवाओं से संबंधित राजस्व को भी एजीआर का हिस्सा माना जाएगा.
एजीआर की इस परिभाषा के अनुसार, न्यायालय ने टेलीकॉम कंपनियों पर करीब 92,000 करोड़ रुपये की देनदारियों के दूरसंचार विभाग के आकलन को उचित ठहराया था. भारती एयरटेल ने अपनी याचिका में कोर्ट से एजीआर से संबंधित ब्याज और जुर्माने तथा ब्याज पर जुर्माने के बारे में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है और इस विषय पर खुली अदालत में सुनवाई की अपील की है.
विवाद क्या है?
दूरसंचार विभाग कहता है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.
एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू क्या है?
- एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला उपयोग एवं लाइसेंसिग शुल्क है.
- इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम उपयोग चार्ज और लाइसेंसिंग शुल्क, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.
पृष्ठभूमि
साल 2005 में सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने एजीआर की गणना के सरकारी परिभाषा को चुनौती दी थी, लेकिन तब दूरसंचार विवाद समाधान और अपील न्यायाधिकरण (TDSAT) ने सरकार के रुख को वैध मानते हुए कंपनियों की आय में सभी तरह की प्राप्तियों को शामिल माना था.
इसके बाद टेलीकॉम कंपनियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में दूरसंचार विभाग के रुख को सही ठहराया और सरकार को यह अधिकार दिया कि वह करीब 94,000 करोड़ रुपये की बकाया समायोजित ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) टेलीकॉम कंपनियों से वसूलें. ब्याज और जुर्माने के साथ यह करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये हो जाता है.
कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों से तीन महीने के भीतर यह बकाया राशि जमा करने को कहा. इसका सबसे ज्यादा मार वोडाफोन आइडिया पर पड़ रही है और जानकारों का कहना है कि यदि सरकार ने इन्हें कुछ राहत नहीं दी तो यह कंपनियां दिवालिया भी हो सकती है.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Reverse osmosis (RO)
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) के निर्माताओं को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ उनकी शिकायत पर संबंधित सामग्री के साथ दस दिनों के भीतर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से संपर्क करने के लिए कहा है.
न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय मंत्रालय को एनजीटी के आदेश के अनुसार कोई भी अधिसूचना जारी करने से पहले आरओ प्यूरीफायर के निर्माताओं की सामग्री पर विचार करने का भी निर्देश दिया है.
पृष्ठभूमि
- यह निर्देश वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन (डब्ल्यूक्यूआईए) द्वारा दायर एक याचिका में पारित किया गया जिसमें एनजीटी के आदेश के विरुद्ध राजधानी के कुछ हिस्सों में आरओ के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के विरुद्ध शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
- मई में एनजीटी ने अपने आदेश में पर्यावरण मंत्रालय को आरओ फिल्टर के निर्माण और बिक्री के लिए नियम तय करने का निर्देश दिया था और उन क्षेत्रों में आरओ के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था जहाँ जल में टोटल डिसॉल्व सॉलिड (टीडीएस) 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे है.
- ट्रिब्यूनल ने यह भी आदेश दिया था कि निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 60 प्रतिशत से अधिक पानी प्रयोग किया जाए. मौजूदा प्रणाली में लगभग 80 फीसदी पानी खत्म हो जाता है जिससे भारी बर्बादी होती है, एनजीटी ने कहा था.
- 4 नवंबर को एनजीटी ने पाया था कि उसके आदेश लागू नहीं किए गए हैं. एनजीटी ने आरओ विनिर्माण को विनियमित करने के लिए नियमों को बनाने करने के लिए MoEF और सीपीसीबी को 31 दिसंबर तक की समय सीमा दी है. NGT ने आदेश पारित किया कि इसके द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने आरओ प्रौद्योगिकी के उपयोग पर रोक लगाने की सिफारिश की थी, खासकर नगरपालिका क्षेत्रों में जहां पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति की जाती है.
- पेयजल के डब्ल्यूएचओ मानक : विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 300 मिग्रा टीडीएस तक का पानी पीने के लिए अच्छा है. 900 मिग्रा का पानी खराब और 1200 से अधिक मिग्रा टीडीएस का पीने योग्य नहीं है.
आगे की राह
आरओ तकनीक मुख्य रूप से नदियों, झीलों और तालाबों जैसे सतही जल स्रोतों से नगर पालिकाओं द्वारा आपूर्ति की जाने वाली पाइप से आपूर्ति वाले स्थानों के लिए आवश्यक नहीं है. इन स्रोतों में भूजल स्रोतों की तुलना मेंटीडीएस का स्तर कम है.
घरों में सुरक्षित पानी का उपयोग किया जा रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में उपलब्ध / उपलब्ध पानी के टीडीएस स्तर के आधार पर जल शोधक बाजार को वर्गीकृत किया जा सकता है और पानी अनावश्यक रूप से बर्बाद नहीं होगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation and pollution related issues.
Topic : Stubble burning
संदर्भ
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को पंजाब में खेतों में आग जलने की 6668 घटनाएँ रिकॉर्ड की गई. ये इस सीजन में एक दिन में पराली जलाने का सबसे बड़ा आँकड़ा है.
पराली जलाना क्या होता है?
नवम्बर महीने में धान की फसल कट जाने पर उसी खेत में गेहूँ बोने की जल्दबाजी होती है जिस कारण किसान फसल कटाई से बची हुई पराली को जलाकर गेहूँ की तैयारी झट-पट करने लगते हैं. ऐसा करने से न केवल वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का ही, अपितु पार्टिकुलेट पदार्थ का भी उत्सर्जन होता है.
किसान पराली जलाना क्यों चाहते हैं?
- किसान पराली जलने से होने वाले स्वास्थ्य के खतरे को समझते हैं, परन्तु उनके पास खेत को दुबारा झट-पट खेती के योग्य बनाने का और कोई दूसरा उपाय नहीं होता.
- फसल कटाई से बची हुई पराली के निस्तारण के लिए नई तकनीक उपलब्ध है, परन्तु उनके लिए ये तकनीक सुलभ नहीं होती.
- विशेषज्ञों का कहना है कि नई तकनीक के खर्चीले होने के कारण किसान पराली को जला देने में ही अपनी भलाई समझते हैं.
ऐसा नहीं है कि पराली जलाने से क्षति ही क्षति होती है. इसके कुछ लाभ भी हैं, जैसे –
- इससे खेत झट-पट तैयार हो जाता है.
- यह सबसे सस्ता उपाय है.
- यह खरपतवार को समाप्त कर देता है. इन खरपतवारों में कुछ ऐसे भी होते हैं जिनको कीटनाशक दवाओं से मारना कठिन होता है.
- यह कीड़े-मकौडों को मार देता है.
- इससे नाइट्रोजन टाई-अप में कमी आती है.
पराली जलाने से बचने के वैकल्पिक उपाय
- धान के डंठलों से बिजली बनाई जा सकती है. ऐसा करने से किसान पराली को नहीं जलाएंगे और उन्हें रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.
- पराली को मिट्टी में ही दबा देने से मिट्टी की नमी में सुधार आएगा और इसके भीतर मृदा सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ेगी जो अंततः पौधों के बेहतर विकास में काम आएगी.
- पराली को कम्पोस्ट करके जैव-खाद में बदला जा सकता है.
- पराली से खमीर प्रोटीन भी निकल सकता है जिसका उद्योगों में उपयोग हो सकता है.
Prelims Vishesh
Haryana’s Johads :-
- हरियाणा में सामुदायिक वर्षा जल तालाबों को जोहड़ कहते हैं.
- हरियाणा राज्य सरकार ने पिछले दिनों एक योजना बनाई है जिसमें गाँवों के 16,400 तालाबों के जल का विश्लेषण करके सिंचाई और अन्य उपयोगों के लिए इसकी उपादेयता का विश्लेषण किया जाएगा और इन तालाबों का पुनुरुद्धार किया जाएगा.
What is Golden rice?
- 1999 में डॉ. इंगो पोट्रीकस के नेतृत्व में कुछ यूरोपीय वैज्ञानिकों ने पारम्परिक चावल में जीन-आधारित अंतर लाकर ऐसा चावल बनाने की चेष्टा की थी जिसमें बेटा-कैरोटीन का समावेश हो जाये. इसके लिए उन्होंने चावल में बैक्टीरिया और डेफोडिल तथा मकई के जीन डाल दिए थे. इस प्रकार का सुनहले रंग का एक नया चावल बना जिसे सुनहला चावल कहा जाने लगा.
- 2000 ई. में इस चावल का अनावरण किया और यह बताया गया कि विश्व की कुपोषण की समस्या के लिए यह रामबाण सिद्ध होगा. यह दावा किया गया कि यह चावल बायो-फोर्टीफाइड है और इसमें विटामिन A, लोहे और जस्ते की अच्छी-खासी मात्रा है.
Sumatran rhino :-
- सुमात्राई गैंडा अब मलेशिया में विलुप्त हो चुका है.
- इंडोनेशिया में भी अब मात्र 80 ऐसे गैंडे बचे हुए हैं.
- ये गैंडे सुमात्रा और इंडोनेशियाई बोर्नियो में पाए जाते हैं.
- विदित हो कि विश्व में जो पाँच प्रकार के गैंडे बचे हुए हैं उनमें यह सबसे छोटा गैंडा होता है.
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