Sansar Daily Current Affairs, 27 August 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Foreigners’ Tribunals
संदर्भ
असम सरकार के एक आदेश के अनुसार, गोरखाओं को विदेशी के रूप में संबोधित नहीं किया जाएगा. असम सरकार ने राज्य पुलिस की सीमा शाखा को गोरखाओं के खिलाफ किसी भी मामले को विदेशी अधिकरणों (Foreigners’ Tribunals: FT) के समक्ष प्रस्तुत नहीं करने का आदेश दिया है.
पुलिस की सीमा शाखा को संदिग्ध नागरिकता वाले लोगों की पहचान करने और संबंधित विदेशी अधिकरण (FT) में संदिग्ध व्यक्ति के विरुद्ध एक “संदर्भ” वाद दायर करवाने के लिए अधिदेशित किया गया है.
विदेशी अधिकरण (Foreigners’ Tribunals: FT)
- विदेशी अधिकरण (FTs) अर्ध-न्यायिक निकाय हैं.
- इनकी स्थापना विदेशी विषयक (अधिकरण) आदेश (Foreigners’ Tribunal Order), 1964 तथा विदेशियों विषयक अधिनियम (Foreigners Act), 1946 के अनुसार की गई है.
- ये यह पता लगाने के लिए अधिदेशित हैं कि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक है अथवा नहीं.
- विदित हो कि विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 केंद्र सरकार को विदेशियों के प्रवेश या प्रस्थान के संबंध में प्रावधान करने का अधिकार प्रदान करता है.
मुख्य बिंदु
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में 5 लाख से अधिक गोरखा अधिवासित हैं. इनमें से अधिकांश गोरखा सैन्य दलों में सैनिकों के रूप में और चाय बागानों में श्रमिकों के रूप में भारत आए थे.
- वर्ष 2018 में जब असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens: NRC) को अद्यतित किया गया था, तब गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी.
- यह अधिसूचना विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946 तथा वर्ष 1950 की भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि का उद्धरण देते हुए निर्गत की गई थी. इसमें निर्दिष्ट किया गया था कि भारत में अधिवासित गोरखाओं (भारतीय और नेपाली नागरिक दोनों) को असम में FTs को संदर्भित नहीं किया जा सकता है.
- हालांकि नेपाली नागरिक NRC में सम्मिलित होने के पात्र नहीं हैं, क्योंकि वे विधिक प्रवासी हैं. इसके अतिरिक्त, वर्ष 1950 की संधि FT को संदर्भित किए जाने से उनकी रक्षा करती है.
NRC की प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?
असम में विदेशियों के निष्कासन के लिए 1979 से 1985 तक एक बड़ा आन्दोलन चला था. 1985 में सरकार और आन्दोलनकारियों के बीच एक समझौता हुआ जिसके बाद आन्दोलन समाप्त कर दिया गया. समझौते में यह आश्वासन दिया गया था कि NRC का नवीकरण किया जायेगा. इस समझौते (Assam Accord) में 24 मार्च, 1971 को विदेशियों के पहचान के लिए cut-off तिथि निर्धारित की गई थी. इस आधार पर NRC ने अपना नवीनतम प्रारूप प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि राज्य के 40 लाख लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि वे इस cut-off तिथि के पहले से वहाँ रह रहे हैं.
GS Paper 2 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.
Topic : Greater Male Connectivity Project–GMCP
संदर्भ
हाल ही में, मालदीव सरकार द्वारा ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट’ (Greater Malé Connectivity Project – GMCP) के निर्माण हेतु आधिकारिक तौर पर मुंबई स्थित कंपनी ‘अफ्कांस’ (AFCONS) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
पृष्ठभूमि
सितंबर 2019 में भारत के विदेश मंत्री की माले यात्रा के दौरान इस परियोजना पर विचार प्रारम्भ किया गया था.
ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GREATER MALE CONNECTIVITY PROJECT – GMCP)
- इस परियोजना के अंतर्गत मालदीव में बुनियादी ढाँचा दृढ़ किया जाएगा. इसके माध्यम से मालदीव की राजधानी माले (Malé) को पड़ोस के तीन द्वीपों विलिंगिली (Villingili), गुल्हीफाहू (Gulhifalhu) और थिलाफूसी (Thilafushi) से जोड़ा जाएगा; अर्थात् मालदीव की राजधानी माले को उसके तीनों पड़ोसी द्वीपों से जोड़ने के लिये लगभग 6.7 किलोमीटर लंबे पुल/सेतु का निर्माण किया जाएगा ताकि इन द्वीपों के मध्य कनेक्टिविटी को बढ़ाया जा सके .
- उपर्युक्त चारों द्वीपों के मध्य कनेक्टिविटी बढ़ने से इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, रोज़गार सृजन में सहायता मिलेगी और माले क्षेत्र में समग्र शहरी विकास को प्रोत्साहन मिलेगा.
महत्त्व
- हिंद महासागर 40 देशों को स्पर्श करता है, और इसके तटों पर विश्व की 40% जनसंख्या बसती है. संसार के समस्त तेल व्यापार का 2/3 हिस्सा और सम्पूर्ण माल-वहन का 1/3 हिस्सा केवल हिन्द महासागर से गुजरता है. संक्षेप में कहा जाए तो यह क्षेत्र सी लाइन कम्युनिकेशन का हृदय है. इसमें स्थित कई सारे देश भविष्य और सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारत की ओर देखते हैं. भारत के लिए भी हिंद महासागर का बड़ा ही महत्त्व है क्योंकि एक तो यहाँ पर मिलने वाले समुद्री संसाधन और अनन्य आर्थिक से संसाधनों के दोहन की व्यापक संभावना है.
- भारत के लिए मालदीव रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है. मालदीव, हिन्द महासागर में करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है.
- मालदीव की जलसीमा से सबसे नजदीक स्थित भारतीय द्वीप मिनीकॉय की दूरी मात्र 100 किलोमीटर है जो कि लक्षद्वीप की राजधानी कावरत्ती से करीब 400 किलोमीटर दूर है.
- हालांकि भारत की दूरगामी समुद्री दृष्टिकोण बहुत ही संकुचित रहा है जिसके कारण भारत इस क्षेत्र में रणनीतिक रूप से काफी पिछड़ गया था. हिन्द महासागर चीन और अमेरिका की प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र बनता गया. चीन नेस्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति के अंतर्गत भारत को घेरने की कार्य योजना पर बढ़ते हुए पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर से लेकर श्रीलंका (हंबनटोटा पोर्ट), मालदीव (मराओ पोर्ट), बांग्लादेश (चटगांव पोर्ट), समेत म्यांमार तक अपने समुद्री प्रभाव का विस्तार किया. इसके साथ ही चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती में अपनी पहली सैन्य चौकी बनाई.
- हालांकि गत कुछ सालों से समुद्री कूटनीति को प्राथमिकता देते हुए भारत सरकार के द्वारा कई नीतियां चलाई गई हैं. भारत सरकार द्वारा सागर (Security And Growth for All in the Region- SAGAR) कार्यक्रम की शुरुआत की गई. सागर नीति के तहत भारत हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि भी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है.
लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC)
- लाइन ऑफ क्रेडिट (Line of Credit-LOC) एक प्रकार का ‘सुलभ ऋण’ (Soft Loan) होता है जो एक देश की सरकार द्वारा किसी अन्य देश की सरकार को रियायती ब्याज दरों पर दिया जाता है.
- सामान्यतः LOC इस प्रकार की शर्तों से जुड़ा हुआ होता है कि उधार लेने वाला देश उधार देने वाले देश से कुल LOC का निश्चित हिस्सा आयात करेगा. इस प्रकार दोनों देशों को अपने व्यापार और निवेश संबंधों को मज़बूत करने का मौका मिलता है.
- भारत ने अब तक SAARC सदस्यों को लाइन ऑफ क्रेडिट दिया है, जिनमें बांग्लादेश को 8 बिलियन डॉलर, श्रीलंका को 2 बिलियन डॉलर और अफगानिस्तान को 1.2 बिलियन डॉलर का ऋण शामिल है, मगर अभी तक भारत ने किसी विकसित अर्थव्यवस्था को लाइन ऑफ क्रेडिट नहीं दिया था.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Biodiversity.
Topic : Pollinator Decline
संदर्भ
“परागणकों की संख्या में गिरावट से खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है” – यह निष्कर्ष वैश्विक स्तर पर अपनी तरह के प्रथम अध्ययन का हिस्सा है. इस अध्ययन में परागणकर्ता प्रजातियों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में गिरावट के कारणों और प्रभावों को सूचीबद्ध किया गया है.
अन्य प्रमुख निष्कर्ष
- परागणकों की क्षति के शीर्ष तीन वैश्विक कारणों में उनके पर्यावासों का विनाश, अनुधित भूमि प्रबंधन, (यथा- मुख्य रूप से चारण, उर्वरकों का प्रयोग और एकल फसली कृषि पद्धति) तथा कीटनाशकों का व्यापक स्तर पर उपयोग शामिल हैं.
- मनुष्यों के लिए सबसे बड़ा जोखिम फसल परागण में कमी तथा खाद्य और जैव ईंधन फसलों की गुणवत्ता एवं मात्रा में गिरावट है.
- इस अध्ययन से पता चलता कि चीन और भारत, फल एवं सब्जियों की फसलों पर बहुत अधिक निर्भर हैं. ज्ञातव्य है कि इन फसलों को विकसित होने के लिए परागणकों की आवश्यकता होती है. अब कुछ फलों / सब्जियों की फसलों का परागण कृत्रिम रूप से करने की आवश्यकता है.
परागणकों के विषय में
- परागणकों की दो श्रेणियाँ हैं- अकशेरुकी (invertebrates) और कशेरुक (Vertebrates)
- अकशेरूकीय परागणकों में मधुमक्खियाँ, पतंगे, मक्खियाँ, ततैया, भृंग तथा तितलियाँ शामिल हैं.
- कशेरुक परागणकों में बंदर, कृंतक, गिलहरी तथा पक्षी शामिल हैं.
परागणकों की प्रजाति में गिरावट के प्रमुख कारण
- परागणकों की संख्या में गिरावट के कई कारण हैं. उनमें से अधिकांश मानव गतिविधियों में बढ़ोत्तरी का परिणाम हैं.
- भूमि-उपयोग परिवर्तन एवं विखंडन.
- रासायनिक कीटनाशकों, फफूंदनाशकों और कीटनाशकों के उपयोग सहित कृषि विधियों में परिवर्तन.
- फसलों और फसल चक्र में परिवर्तन जैसे जेनेटिकली मॉडीफाइड ऑर्गेनिज़्म (Genetically Modified Organisms- GMOs) और मोनोक्रॉपिंग (Monocropping) अर्थात एक ही प्रकार की फसल उगाना को बढ़ावा .
- भारी धातुओं और नाइट्रोजन से उच्च पर्यावरण प्रदूषण.
- विदेशी फसलों को उगाना.
परागणक सप्ताह GS Paper 3 Source : PIB UPSC Syllabus : Urbanization, their problems and their remedies. संदर्भ ‘स्टेचू ऑफ़ यूनिटी’ एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (SOUADA) के अंतर्गत आने वाले पूरे क्षेत्र का मानचित्रण करने की दिशा में, गुजरात सरकार द्वारा पहले महत्वपूर्ण कदम के तौर पर, ड्रोन-आधारित एरियल ‘लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग’ (Light Detection and Ranging – LiDAR) तकनीक और ‘फोटोग्रामेट्री तकनीक’ (Photogrammetry Technology) का उपयोग किया जा रहा है. यह तकनीक, लेजर परिशुद्धता के साथ इमारतों, प्राकृतिक संरचनाओं, और अन्य विशेषताओं का ऊपर से सटीक मानचित्रण करेगी. यह कैसे काम करता है? LIDAR के साथ समस्याएँ Kilauea Volcano :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi July,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Topic : LiDAR
LiDAR क्या है?
Prelims Vishesh