Sansar Daily Current Affairs, 27 December 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.
Topic : Madan Mohan Malaviya
संदर्भ
विगत 25 दिसम्बर को प्रधानमंत्री ने मदन मोहन मालवीय को उनकी 158वीं जयंती पर श्रधांजलि अर्पित की.
मदन मोहन मालवीय कौन थे?
- वे एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे.
- वे चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.
- उन्हें महामना की उपाधि दी गई थी.
- 2014 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
- वे हिंदी पत्रिका “हिंदोस्थान” के सम्पादक थे.
- 1889 में वे “इंडियन ओपिनियन” पत्रिका के सम्पादक हुए.
- उन्होंने “अभ्युदय” नामक एक हिंदी साप्ताहिक चालू किया था. इसके अतिरिक्त उन्होंने “लीडर” नामक अंग्रेजी दैनिक एवं “मर्यादा” नामक हिंदी समाचारपत्र भी चलाया था.
- उन्होंने 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय स्थापित किया और 1939 तक इसके उपकुलाधिपति रहे.
- उन्होंने मुसलमानों के लिए अलग चुनाव क्षेत्र और लखनऊ पैक्ट का विरोध किया था.
- वे खिलाफत आन्दोलन में कांग्रेस के शामिल होने के विरोधी थे.
- 1931 ई. के दूसरे गोलमेज सम्मेलन में वे प्रतिभागी रहे.
- गंगा पर बाँध बनाने के विरोध में उन्होंने गंगा महासभा की स्थापना की.
- वे एक समाज सुधारक भी थे. उन्होंने अस्पृश्यता का विरोध किया था और महाराष्ट्र के नासिक में स्थित कलाराम मंदिर में हरिजनों के प्रवेश के लिए काम किया था.
- उन्होंने वृन्दावन में श्री मथुरा वृन्दावन आशानन्द गोचर भूमि नामक एक संगठन भी स्थापित किया था.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability.
Topic : Section 144 CrPC
संदर्भ
नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने पर पिछले दिनों देश के अनेक भागों में उपद्रव हुए जिनको संभालने के लिए पुलिस ने धारा 144 CrPC (Section 144 CrPC) लगाई.
धारा 144 क्या है?
- यह धारा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के अंतर्गत एक धारा है जो जिला दंडाधिकारी अथवा उपमंडल दंडाधिकारी अथवा किसी अन्य कार्यकारी दंडाधिकारी को यह अधिकार देती है कि वह राज्य सरकार की ओर से एक आदेश निकालकर किसी व्यक्ति अथवा सर्वसाधारण को किसी एक विशेष स्थान अथवा क्षेत्र में गतिविधि विशेष में लिप्त होने से रोक दे. यह आदेश एकपक्षीय (ex-parte) भी हो सकता है.
- परन्तु सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि इस धारा का प्रयोग कर नागरिकों के अधिकारों को दबाने के लिए खतरे की आशंका मात्र एक उपयुक्त आधार नहीं हो सकता.
- जहाँ धारा 144 लागू (Section 144) होती है वहाँ हथियार लेकर चलना मना है. इसके लिए अधिकतम तीन वर्ष के कारावास का प्रावधान है.
- धारा 144 लागू होने पर जनसाधारण की आवाजाही पर रोक लग जाती है और सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हो जाते हैं. जब तक आदेश लागू रहता है तब तक उस क्षेत्र में कहीं भी सार्वजनिक बैठक अथवा जुलूस का आयोजन नहीं हो सकता है.
- धारा 144 (Section 144) अधिकारियों को इन्टरनेट रोकने की भी शक्ति प्रदान करता है.
धारा 144 (Section 144) कब लागू होती है?
- जब विधिसम्मत रूप से नियुक्त किसी व्यक्ति के काम में बाधा अथवा आघात पहुंचाया जाता है.
- जब मानव जीवन, स्वास्थ्य अथवा सुरक्षा को खतरा हो.
- सार्वजनिक शान्ति भंग हो अथवा कोई दंगा या झड़प हो.
धारा 144 की अवधि
धारा 144 के अंतर्गत निर्गत आदेश दो महीने से अधिक प्रभाव नहीं होता है. परन्तु राज्य सरकार दो-दो महीने करके इसकी अवधि अधिकतम छह महीने तक बढ़ा सकती है. परिस्थिति सामान्य होने पर धारा 144 बीच में ही उठा ली जा सकती है.
Section 144 का दुरुपयोग
बहुधा यह देखा गया है कि धारा 144 का दुरूपयोग शान्तिपूर्ण प्रतिरोध को भी दबाने के लिए किया जाता है. वस्तुतः यह धारा संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(b) एवं (c) की भावना के विरुद्ध है. विशेषज्ञों की मान्यता है कि धारा 144 औपनिवेशिक युग की धरोहर है और यह अभी तक इसलिए बनी हुई है क्योंकि भारत सरकार ने 1872 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1872 Code of Criminal Procedure) के अधिकांश प्रावधानों को बिना मीन-मेख के ज्यों का त्यों अपना लिया था.
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests
Topic : Recycling of Ships Act
संदर्भ
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा सहमति मिलने के पश्चात् जलयान पुनश्चक्रण विधेयक (Recycling of Ships Bill) एक अधिनियम बन गया है.
साथ ही सरकार ने 2009 के उस हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन को अपनाने का भी निर्णय ले लिया है जो जलयानों के निरापद एवं पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त पुनश्चक्रण से सम्बंधित है.
जलयान पुनश्चक्रण अधिनियम के मुख्य तत्त्व
- यह अधिनियम ऐसी हानिकारक सामग्रियों के प्रयोग को प्रतिबंधित करता है, जिन्हें जहाजों की रिसाइक्लिंग करने या ऐसे भी इस्तेमाल किया जाता है.
- नए जहाजों के लिए ऐसी सामग्रियों के इस्तेमाल पर विधेयक के कानून का रूप लेने के साथ ही तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध की व्यवस्था है जबकि मौजूदा जहाजों को यह व्यवस्था अपनाने के लिए 5 वर्ष का समय दिया जाएगा.
- हानिकारक सामग्रियों के इस्तेमाल पर रोक या प्रतिबंध युद्धपोतों और सरकार द्वारा संचालित गैर-व्यवसायिक जहाजों पर लागू नहीं होंगे.
- जहाजों में हानिकारक सामग्रियों के इस्तेमाल की जांच के बाद ही उन्हें प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा.
- इस अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि जहाजों की रिसाइक्लिंग के लिए बनाए गए स्थान अधिकृत होने चाहिए और जहाजों की रिसाइक्लिंग केवल इन्हीं स्थानों पर होनी चाहिए.
- अधिनयम के अनुसार जहाजों की रिसाइक्लिंग निर्धारित योजना के अनुरूप होनी चाहिए. भारत में रिसाइक्लिंग किए जाने वाले जहाजों को हांगकांग इंटरनेशनल कन्वेंशन के अनुसार रेडी फॉर रिसाइक्लिंग प्रमाण पत्र लेना जरूरी होगा.
पृष्ठभूमि
- जहाज रिसाइक्लिंग उद्योग के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. पूरी दुनिया में जहाजों की रिसाइक्लिंग बाजार में भारत की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है. संयुक्त राष्ट्र की समुद्री परिवहन पर जारी रिपोर्ट 2018 के अनुसार 2017 में भारत में जहाजों के तोड़ने से कुल 6323 टन मलबा निकला था.
- जहाजों का रिसाइक्लिंग उद्योग श्रम आधारित उद्योग है, लेकिन यह पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं.
हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन क्या है?
- हांगकांग कन्वेंशन का पूरा नाम है – The Hong Kong International Convention for the Safe and Environmentally Sound Recycling of Ships,
- यह कन्वेंशन 2009 में हांगकांग में हुए एक कूटनीतिक सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (International Maritime Organization – IMO) द्वारा अंगीकृत हुआ था.
- इस कन्वेंशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके जीवनकाल समाप्त कर लेने के बाद जहाज़ों का जो पुनश्चक्रण हो तो उस समय मानव स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण को कोई अनावश्यक क्षति नहीं पहुँचे.
- ज्ञातव्य है कि विश्व में जहाँ-जहाँ जहाज तोड़े जाते हैं वहाँ-वहाँ कामगारों और पर्यावरण को खतरा होने का अंदेशा रहता है.
- यह कन्वेंशन अभी तक प्रभावी नहीं हुआ है क्योंकि अभी तक 15 देशों ने इस पर अभी तक स्वीकृति नहीं दी है. इन 15 देशों का महत्त्व इसी से समझा जा सकता है कि वहन क्षमता के अनुसार विश्व की 40% माल-ढुलाई यही देश करते हैं और साथ ही प्रति वर्ष वैश्विक पुनश्चक्रण का 3% इन्हीं देशों में होता है.
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Important aspects of governance, transparency and accountability, e-governance- applications, models, successes, limitations, and potential.
Topic : Good Governance Index
संदर्भ
सुशासन दिवस के अवसर पर पिछले दिनों नवीनतम सुशासन सूचकांक (Good Governance Index) प्रकाशित किया गया. ज्ञातव्य है कि पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मतिथि 25 दिसम्बर को 2014 से सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है.
सुशासन सूचकांक (Good Governance Index – GGI) के उद्देश्य
- राज्यों और संघीय क्षेत्रों में सुशासन की दिशा में हुई प्रगति के तुलनात्मक अध्ययन के लिए गणनीय आँकड़े उपलब्ध कराना.
- शासन में सुधार लाने के लिए राज्यों और संघीय क्षेत्रों को उपयुक्त रणनीति बनाने और उसे लागू करने में सहायता पहुँचाना.
- प्रशासन में परिणामोन्मुख दृष्टिकोण की ओर बढना.
गुड गवर्नेंस इंडेक्स कैसे तैयार होता है?
- यह सूचकांक तैयार करने में 10 प्रक्षेत्रों पर विचार किया जाता है. ये हैं – कृषि एवं सम्बद्ध प्रक्षेत्र, वाणिज्य एवं उद्योग, मानव संसाधन विकास, लोक स्वास्थ्य, सार्वजनिक अवसंरचना एवं उपयोगी सुविधाएँ, आर्थिक प्रशासन, समाज कल्याण एवं विकास, न्यायिक एवं लोक सुरक्षा, पर्यावरण एवं नागरिकोन्मुख प्रशासन.
- इन दस प्रक्षेत्रों को बांटकर कुल मिलाकर 50 संकेतक बनाए जाते हैं. प्रत्येक संकेतक के लिए एक अलग वेटेज होता है जिसके आधार पर आकलन किया जाता है.
- राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों को भी तीन वर्गों में बाँटा जाता है – बड़े राज्य, पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्य तथा संघीय क्षेत्र.
Good Governance Index 2019 के मुख्य निष्कर्ष (GGI Report)
- बड़े राज्यों में इन राज्यों का प्रदर्शन शीर्षस्थ स्थानों पर रहा – तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और गुजरात.
- बड़े राज्यों में जिन छह राज्यों का स्थान निम्नतम रहा – ओडिशा, बिहार, गोवा, उत्तर प्रदेश और झारखंड.
- पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों में ये तीन राज्य शीर्ष पर रहे – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और त्रिपुरा.
- पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों में इन राज्यों का स्थान निम्नतम रहा – मेघालय, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश.
- संघीय क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पोंडिचेरी का रहा उसके पश्चात् क्रमशः चंडीगढ़ और दिल्ली का स्थान रहा.
- संघीय क्षेत्रों में न्यूनतम स्थान लक्षद्वीप का रहा.
- पर्यावरण प्रक्षेत्र में सबसे अच्छा काम करने वाले तीन राज्य हैं – पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु. इस प्रक्षेत्र में सबसे निराशाजनक काम तेलंगाना और गोवा का रहा.
- न्यायिक और लोक सुरक्षा के प्रक्षेत्र में सबसे बुरा प्रदर्शन पश्चिम बंगाल का और सबसे अच्छा प्रदर्शन तमिलनाडु का रहा.
- आर्थिक शासन में सर्वोत्तम प्रदर्शन कर्नाटक का रहा.
- स्वास्थ्य के मामले में केरल का प्रदर्शन शीर्षस्थ रहा.
Prelims Vishesh
Tibetan Gazelles :-
- तिब्बत के पठार में रहने वाले तिब्बती गजल (Tibetan Gazelles) नामक हरिन की प्रजाति को IUCN के अन्दर “लगभग संकटग्रस्त / Near Threatened” श्रेणी में रखा गया है.
- भारत में ये हरिन थोड़े-बहुत लद्दाख और सिक्किम में पाए जाते हैं.
Typhoon Phanfone :–
- पिछले दिनों मध्य फ़िलीपीन्स में फैनफोन नामक तूफ़ान का प्रकोप रहा.
- इस तूफ़ान को स्थानीय भाषा में उर्सुला (Ursula) कहा जाता है.
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