Sansar Daily Current Affairs, 27 May 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.
Topic : Bay of Bengal, fomenting Yaas, hotter than usual
संदर्भ
जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में मौसम का तापमान, साल के इस समय होने वाले सामान्य तापमान की अपेक्षा कम से कम दो डिग्री अधिक है. हाल ही में, बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवात ‘यास’ का निर्माण हुआ था.
पृष्ठभूमि
आमतौर पर, बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात काफी भयंकर होते हैं और भारी तबाही मचाते हैं. इस साल, बंगाल की खाड़ी का उत्तरी भाग असाधारण रूप से अधिक गर्म है, और यहाँ का तापमान लगभग 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है.
बंगाल की खाड़ी में आने वाले हालिया चक्रवात
- पिछले साल मार्च में, बंगाल की खाड़ी में ‘अम्फान’ नामक एक सुपर साइक्लोन आया था, जिसने पश्चिम बंगाल में काफी तबाही मचाई थी. यह वर्ष 1999 में पारादीप, ओडिशा को बुरी तरह प्रभावित करने वाले सुपर साइक्लोन भारत के पूर्वी तट पर आने वाला सबसे शक्तिशाली तूफान था.
- अम्फान से पहले, वर्ष 2019 में ‘फानी’ नामक चक्रवात से भी ओडिशा में तबाही मचाई थी और भारी नुकसान पहुँचाया था.
संबंधित चिंताएँ
- पिछले चार वर्षों में खाड़ी में 12 चक्रवात निर्मित हुए हैं. भारतीय समुद्र तट पर, एक साल में आने वाले पांच चक्रवातों में से चार, बंगाल की खाड़ी में और केवल एक अरब सागर में उत्पन्न होता है.
- हाल के वर्षों में उत्तर हिंद महासागर में चक्रवात आने की आवृत्ति में भी वृद्धि देखी जा रही है.
बंगाल की खाड़ी ही बार-बार तूफान का शिकार क्यों बनती है?
- विदित हो कि 120 साल के इतिहास में सिर्फ 14% चक्रवाती तूफान और 23 भयंकर चक्रवात अरब सागर में आए हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो 86% चक्रवाती तूफान और 77% भयंकर चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आए हैं.
- बंगाल की खाड़ी में अरब सागर की तुलना में ज्यादा तूफान आने का सबसे अहम कारण हवा का बहाव है. पूर्वी तट पर मौजूद बंगाल की खाड़ी के मुकाबले पश्चिमी तट पर स्थित अरब सागर ज्यादा ठंडा रहता है. ठंडे सागर के मुकाबले गर्म सागर में तूफान ज्यादा आते हैं.
- बंगाल की खाड़ी में आने वाले तूफानों का भारत में सबसे ज्यादा असर ओडिशा में देखा गया है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु भी इससे प्रभावित होते रहे हैं.
- इसके अलावा पूर्वी तटों से लगने वाले राज्यों की भूमि पश्चिमी तटों से लगने वाली भूमि की तुलना में ज्यादा समतल है. इस वजह से यहां से टकराने वाले तूफान मुड़ नहीं पाते. वहीं, पश्चिमी तटों पर आने वाले तूफान की दिशा अक्सर बदल जाती है.
- भारत में आने वाले पांच समुद्री तूफानों में औसतन चार पूर्वी किनारों से टकराते हैं. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर से उठने वाले तूफानों के अलावा उत्तर-पश्चिमी प्रशांत से बिखरने वाले तूफान दक्षिणी चीन सागर से होते हुए बंगाल की खाड़ी में पहुंच जाते हैं.
- यही वजह है कि हमारा पूर्वी तट हमेशा दबाव में रहता है.
- तूफान अरब सागर में भी बनते हैं, लेकिन ये अमूमन भारत के पश्चिमी तट को छोड़ते हुए उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ जाते हैं. पूर्वी तट पर बने तूफान ज्यादा ताकतवर होते हैं. तूफान का वर्गीकरण कम दबाव के क्षेत्र में हवा की रफ्तार से होता है. अगर हवा की रफ्तार 119 से 221 किमी प्रति घंटे के बीच होती है तो यह प्रचंड तूफान माना जाता है.
GS Paper 1 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : The Reclining Buddha
संदर्भ
बुद्ध जयंती (26 मई) को, बोधगया में स्थित ‘बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय कल्याण मिशन मंदिर’ के प्रांगण में लेटे हुए बुद्ध की भारत में सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित की जानी थी. इस समारोह को कोविड-19 प्रतिबंधों की वजह से स्थगित कर दिया गया है.
बुद्ध जयंती
- बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाई जाती है.
- बुद्ध पूर्णिमा को दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में वेसाक (Vesak) के रूप में भी मनाया जाता है. यह दिन भगवान बुद्ध के जन्म, मृत्यु और साथ ही आत्मज्ञान की याद दिलाता है.
लेटे हुए बुद्ध की मूर्ति क्या दर्शाती है?
लेटे हुए बुद्ध (Reclining Buddha) की इस मुद्रा से हमें बुद्ध के बीमार होने एवं उनके अंतिम दौर तथा परिनिर्वाण के पूर्व की स्थिति का पता चलता है .
- ‘परिनिर्वाण’ मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करने की अवस्था होती है, जो केवल प्रबुद्ध आत्माओं को ही प्राप्त होती है.
- विदित हो कि बिहार की सीमा से लगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में, ध्यानवस्था के दौरान 80 वर्ष की आयु में बुद्ध की मृत्यु हो गई थी.
मूर्तिकला शैली
‘लेटे हुए बुद्ध’ को सर्वप्रथम ‘गांधार कला’ में चित्रित किया गया था. इस मूर्तिकला शैली का समय 50 ईसा पूर्व और 75 ईस्वी के बीच माना जाता है, और यह पहली से पांचवीं शताब्दी ईस्वी तक, कुषाण काल के दौरान, अपने चरम पर थी.
- ‘लेटे हुए बुद्ध’ की मूर्तियों और चित्रों में उन्हें अपनी दाहिनी ओर लेटे हुए दिखाया गया है, जिसमे उनका सिर एक तकिए या उनकी दाहिनी कोहनी पर टिका हुआ होता है.
- यह मुद्रा दर्शाती है, कि सभी प्राणियों में प्रबुद्ध होने और मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होने की क्षमता होती है.
👉कृपया ध्यान दें: कि बुद्ध मूर्ति पूजा के विरुद्ध थे.
लेटे हुए बुद्ध की भारत के बाहर स्थापित मूर्तियाँ
- थाईलैंड और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य हिस्सों में लेटे हुए बुद्ध की मुद्राएं अधिक प्रचलित हैं.
- विश्व में लेटे हुए बुद्ध की सबसे बड़ी प्रतिमा, 600 फुट लंबी ‘विनसेन ताव्या बुद्ध’ (Winsein Tawya Buddha) प्रतिमा है जिसे वर्ष 1992 में म्यांमार के ‘मावलमाइन’ (Mawlamyine) में बनाया गया था.
- पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित, दूसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व में निर्मित ‘भामला बुद्ध परिनिर्वाण’ (Bhamala Buddha Parinirvana), को दुनिया में अपनी तरह की सबसे पुरानी मूर्ति माना जाता है.
भारत में लेटे हुए बुद्ध
- अजंता के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की गुफा संख्या 26 में, लेटे हुए बुद्ध की एक 24 फुट लंबी और नौ फुट ऊँची एक मूर्ति है, जिसे 5 वीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित माना जाता है.
- कुशीनगर, जहां बुद्ध ने परिनिर्वाण प्राप्त किया था, में परिनिर्वाण स्तूप के भीतर बुद्ध की 6 मीटर लंबी, लाल बलुआ पत्थर की एकाश्म मूर्ति स्थापित है.
भारत में बुद्ध का अन्य मुद्राओं में चित्रण
- महाबोधि मंदिर में, बुद्ध ‘भूमि-स्पर्श मुद्रा’ में बैठे हुए हैं और इस मुद्रा में उनका हाथ जमीन की ओर इशारा कर रहा है. यह मुद्रा पृथ्वी को उनके ज्ञानोदय की साक्षी के रूप में दर्शाती है.
- सारनाथ में, जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था, बुद्ध की हाथ से संकेत करती हुई एक पाषाण-प्रतिमा स्थापित है. इस प्रतिमा में दिखाई गई मुद्रा को धर्म-चक्र मुद्रा कहा जाता है, जो उपदेश का प्रतीक है.
- टहलते हुए बुद्ध (Walking Buddha) की प्रतिमा उनके आत्मज्ञान की ओर यात्रा शुरू करने या उपदेश देकर लौटने को दर्शाती है. सभी बुद्ध मुद्राओं में यह सबसे कम प्रचलित है, और ज्यादातर थाईलैंड में देखी जाती है.
GS Paper 3 Source : Business Standard
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization, of resources, growth, development and employment.
Topic : Circular Economy
संदर्भ
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने ई-अपशिष्ट से निपटने के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था पर एक नीति पत्र तैयार किया है. “इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल क्षेत्र में चक्रीय अर्थव्यवस्था” शीर्षक वाले दस्तावेज का उद्देश्य चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना या इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल क्षेत्र के उपयोग में शून्य से लेकर न्यूनतम अपव्यय सुनिश्चित करना है.
ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर 2020 रिपोर्ट के अनुसार, भारत चीन और अमेरिका के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट उत्पन्न करने वाला देश है.
चक्रीय अर्थव्यवस्था क्या है?
- चक्रीय अर्थव्यवस्था एक औद्योगिक प्रणाली है. यह प्राप्ति-निर्माण-निस्तारण के अत्यधिक निष्कर्षण और संसाधन गहन रैखिक अर्थव्यवस्था सिद्धांत का एक विकल्प प्रदान करती है.
- चक्रीय अर्थव्यवस्था में संसाधन सुरक्षा में वृद्धि करने, बहुमूल्य और दुर्लभ खनिजों के नुकसान को कम करने, प्रदूषण से निपटने, आजीविका के अवसरों का संवर्धन करने तथा पर्यावरणीय निम्नीकरण को कम करने की क्षमता विद्यमान है.
प्रमुख संस्तुतियाँ
- एंड ऑफ लाइफ (उपयोगावधि समापन) उत्पाद के भौतिक मूल्य का आकलन करने के लिए क्षेत्रों में सामग्री नमूना चयन प्रयोगशालाएं स्थापित करनी चाहिए.
- गौण सामग्री से महत्त्वपूर्ण सामग्री स्रोतों के कुछ प्रतिशत का अनिवार्य उपयोग होना चाहिए.
- उत्पादों के चक्रीय पहलुओं में उपभोक्ता जागरूकता सृजित करने के लिए उत्पाद में पुनर्नवीनीकरण सामग्री के प्रतिशत उपयोग के संदर्भ में उत्पादों पर संसाधन दक्षता,/चक्रीय अर्थव्यवस्था लेबलिंग व इको-लेबलिंग करनी चाहिए.
- प्रौद्योगिकी विकास हस्तांतरण, नवोन्मेषी वित्त तंत्र और योजनाओं के माध्यम से अधिकतम संख्या में सामग्री के निष्कर्षण के लिए प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देना चाहिए.
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