Sansar Daily Current Affairs, 27 September 2019
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Development processes and the development industry the role of NGOs, SHGs, various groups and associations, donors, charities, institutional and other stakeholders.
Topic : Recognition of Prior Learning – RPL
संदर्भ
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत RPL (Recognition of Prior Learning) प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किये. इसके साथ RPL प्रमाण-पत्र पाने वालों की संख्या देश में 20 लाख से ऊपर चली गई है.
RPL से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- RPL कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) का एक मुख्य अंग है.
- यह अविनियमित क्षत्रों में सक्षमता को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचे (National Skills Qualification Framework) से जोड़ता है.
- RPL के कारण लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ जाते हैं और साथ ही उन्हें उच्चतर शिक्षा के अनेक विकल्प भी प्राप्त होते हैं.
- RPL का मुख्य उद्देश्य अन्य कौशलों और ज्ञान की तुलना में कुछ विशेष प्रकार के कौशल और ज्ञान को अधिक महत्त्व देने के कारण हो रही विषमता को दूर करना है.
RPL का महत्त्व
- भारत में असंगठित श्रमिकों में बहुत सारे श्रमिक कौशलरहित अथवा अल्प-कौशल से युक्त हैं. इनमें से अधिकांश श्रमिक लोगों का निरीक्षण करके अथवा कुशल श्रमिकों के अन्दर काम करके अथवा पूरी तरह स्वयं सीख कर कौशल और ज्ञान प्राप्त करते हैं.
- फलतः यद्यपि वे किसी प्रकार नौकरी पकड़ लेते हैं और ठीक-ठाक वेतन भी पाने लगते हैं, परन्तु अपने कौशल में वृद्धि नहीं ला पाते हैं. इससे उनकी उत्पादकता और काम की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है.
- RPM उनको अपना मूल्यांकन करवाने तथा NSQF स्तर से उनकी वर्तमान क्षमता के विषय में प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में सहायता करता है.
- RPM उनको अपने वर्तमान ज्ञान और वांछित कौशल के बीच की खाई पाटने का मार्ग दिखाता है और उन्हें व्यावसायिक वृद्धि के लिए ऊँचे से ऊँचा कौशल सीखने के लिए प्रेरित करता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.
Topic : AISHE report 2018-2019
संदर्भ
भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पिछले दिनों 2018-19 के लिए अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण (AISHE) प्रतिवेदन निर्गत किया.
भूमिका
- 2010-11 से चल रहा यह वेब-आधारित वार्षिक अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण देश के सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों पर प्रतिवेदन देता है.
- इस सर्वेक्षण में कई मानदंडों के आधार पर आँकड़े जमा किये जाते हैं, जैसे – शिक्षक, छात्रों का नामांकन, शिक्षा कार्यक्रम, परीक्षा परिणाम, शिक्षा के लिए वित्त, अवसरंचना आदि.
प्रतिवेदन के मुख्य निष्कर्ष
- यह प्रतिवेदन बताता है कि उच्चतर शिक्षा में लैंगिक विषमता घटती जा रही है.
- उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ऐसे दो राज्य हैं जहाँ उच्चतर शिक्षा में नाम लिखाने वाले 18 से 23 वर्ष के आयु-वर्ग में छात्रों से अधिक छात्राएँ ही हैं.
- समग्र रूप से छात्राओं के नाम लिखाने में 2017-18 (47.6%) की तुलना में 2018-19 (48.6%) में सुधार हुआ.
- सकल नामांकन अनुपात (gross enrolment ratio – GER) में भी 2017-18 (25.8) की तुलना में 2018-19 (26.3) में थोड़ा सुधार हुआ है.
- जहाँ तक नामांकन की संख्या की बात है पिछले दो वर्षों में छात्रों की संख्या 3.66 करोड़ से बढ़कर 3.74 करोड़ हो गई.
- अनुसूचित जाति के छात्रों तथा अनुसूचित जनजाति के छात्रों के सकल नामांकन के अनुपात में भी क्रमशः 21.8 से 23.0 और 15.9 से 17.2 की वृद्धि हुई.
- 2017-18 में विश्वविद्यालयों की संख्या देश में 903 थी जो 2018-19 में बढ़कर 993 हो गई.
- इसी अवधि में सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों की गिनती भी 49,964 से बढ़कर 51,649 हो गई.
- इसी अवधि में शिक्षकों की संख्या 13.88 लाख से बढ़कर 14.16 लाख हो गई.
- स्नातक की पढ़ाई में एक तिहाई छात्र मानविकी की पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर स्नातकोत्तर स्तर पर अधिक छात्र प्रबंधन को पसंद करते हैं.
- Phil और Ph.D कार्यक्रमों में विज्ञान और इंजीनियरिंग पढ़ने वाले छात्र अधिक नाम लिखाते हैं.
- स्नातक स्तर पर 35.9% छात्रों ने मानविकी में नाम लिखाया था. मात्र 16.5% छात्र विज्ञान संकाय में थे. 14.1% के साथ वाणिज्य संकाय का नंबर तीसरा था. सबसे कम छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे.
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.
Topic : PACEsetter Fund programme
संदर्भ
PACEsetter फण्ड प्रोग्राम के दूसरे चक्र में नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय ने चार परियोजनाओं को अनुदान दिए हैं.
PACEsetter फण्ड क्या है?
- PACEsetter फण्ड की स्थापना 2015 में भारत और अमेरिका ने मिलकर की थी.
- इस कोष में 50 करोड़ रु. की धनराशि है जिसका प्रावधान भारत और अमेरिका की सरकारों ने सम्मिलित रूप से किया है.
- इस कोष का उद्देश्य नवाचारी ग्रिड-बाह्य स्वच्छ ऊर्जा उत्पादों, प्रणालियों और व्यावसायिक मॉडलों के व्यवसायीकरण को गति देने के लिए प्रारम्भिक अवस्था में अनुदान मुहैया कराना है.
- जिन उद्यमों के लिए इस कोष से राशि दी जायेगी, उनमें से कुछ हैं – ग्रामीण ऊर्जा सेवा कम्पनियाँ (पूरे पैमाने पर समेकित संचालक); ग्रामीण वितिरण कम्पनियाँ/फ्रेंचाइजी; संचालन/संधारण कम्पनियाँ; प्रौद्योगिकी क्रियान्वयन कम्पनियाँ/प्रणाली एकीकरण कम्पनियाँ तथा अन्य उपक्रम.
अर्हता
इस कोष से धन लेने के लिए वे ही परियोजनाएँ अर्हता रखती हैं जो उन क्षेत्रों के लिए काम करना चाहती हैं जहाँ ग्रिड वाली बिजली नहीं जाती है अथवा जाती भी है तो आठ घंटे प्रतिदिन से अधिक बिजली नहीं होती है. धन प्राप्त करने वाली कम्पनी को एक-एक मेगावॉट के छोटे-छोटे स्वच्छ ऊर्जा संयंत्रों के माध्यम से बिजली पहुँचाने का कार्य करना होगा.
GS Paper 3 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Head on Generation (HOG) technology
संदर्भ
रेलवे मंत्रालय सभी वर्तमान लिंक होफमैन बुच (Linke Hofmann Busch – LHB) कोचों में शीर्षस्थ बिजली उत्पादन तकनीक [Head on Generation (HOG) technology] लगाने की योजना बना रहा है.
HOG तकनीक क्या है?
- इस तकनीक में ट्रेन में लगे हुए एयर कंडीशन, बिजली, पंखों, रसोई यान आदि सुविधाओं के लिए बिजली पेंटोग्राफ के माध्यम से ट्रेन के ऊपर खिंची बिजली लाइनों से ली जायेगी.
- ऊपर लगे तार के सिंगल फेज में 750 वॉल्ट बिजली होती है जिसे 945kVA की लपेट वाला ट्रांसफार्मर 750 वॉल्ट 50 हर्ट्ज़ (3-फेज) में बदल डालता है. तत्पश्चात् यह बिजली सभी बौगियों में पहुँचाई जाती है.
हॉग प्रणाली वर्तमान की EOG (End on Generation) प्रणाली से अलग कैसे?
- वर्तमान में ट्रेनों में बिजली के लिए EOG प्रणाली का प्रयोग होता है. इसके अंतर्गत प्रत्येक रेलगाड़ी के रैक में दो बड़े-बड़े डीजल के जनरेटर लगाये जाते हैं जो पूरी रेलगाड़ी में 750 वॉल्ट 50 हर्ट्ज़ (3-फेज) बिजली की आपूर्ति करते हैं.
- EOG प्रणाली में प्रत्येक कोच प्राप्त बिजली को 60 KVA के ट्रांसफार्मर के माध्यम से 110 वॉल्ट में बदल देता है क्योंकि प्रत्येक कोच को इतने ही वॉल्ट की बिजली चाहिए होती है.
- प्रत्येक रेलगाड़ी में जो दो जनरेटर कोच होते हैं वे ट्रेन के आगे और पीछे दो जगह लगाये जाते हैं. इसलिए इसका नाम एंड ऑन जनरेशन पड़ा है.
HOG अधिक लाभकारी कैसे?
- हॉग वाली ट्रेन में दो डीजल जनरेटर लगाने नहीं पड़ते हैं. हाँ, एक जनरेटर अवश्य लगता है जो आपातकाल में काम आता है.
- जनरेटर कोच कमने से जो जगह बचेगी उससे अधिक यात्रियों को ले जाने में सुविधा होगी.
- इस अतिरिक्त कोच को दिव्यांग अथवा गार्ड कोच बनाया जा सकता है अथवा लगेज के अतिरिक्त डिब्बे के रूप में प्रयोग हो सकता है.
- HOG प्रणाली लागत की दृष्टि से भी अच्छी है. अनुमान है कि यदि सभी ट्रेनों में सभी प्रणाली लग गई तो प्रत्येक वर्ष 1,390 करोड़ रु. की बचत हो सकती है.
- हॉग प्रणाली में वायु एवं ध्वनि प्रदूषण नहीं होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अभी रेलगाड़ियों से 1724.6 टन कार्बन डाइऑक्साइड और 7.48 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रत्येक वर्ष उत्सर्जन होता है जो हॉग लगाने से घटकर शून्य पर आ जाएगा.
- उत्सर्जन के घटने से पर रेलवे कार्बन क्रेडिट का दावा कर सकता है और उसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेच सकता है.
- ध्वनि-प्रदूषण करने वाले जनरेटरों को हटाने से ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आएगी.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Disaster and disaster management.
Topic : Post Disaster Needs Assessment (PDNA)
संदर्भ
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) ने पिछले दिनों आपदोत्तर आवश्यकता मूल्यांकन (Post Disaster Needs Assessment – PDNA) के विषय में एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया.
भूमिका
NIDM ने आपदोत्तर आवश्यकता मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण परियोजना (National Cyclone Risk Mitigation Project – NCRMP) के अंतर्गत एक वैज्ञानिक उपकरण बनाने के लिए अध्ययन करवाया था. इस प्रयोगशाला में इसी वैज्ञानिक उपकरण के बारे में सम्बंधित हितधारकों को बताया जाएगा जिससे आपदोत्तर चरण में गृह मंत्रालय को दिए जाने वाले अपने ज्ञापन को तैयार करते समय वे इसका उपयोग कर सकें.
आपदोत्तर आवश्यकता मूल्यांकन क्या है?
- PDNA वैज्ञानिक उपकरण का निर्माण संयुक्त राष्ट्र विकास समूह, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ ने किया है.
- इस उपकरण का निर्माण किसी संकट से उत्पन्न परिवेश में मूल्यांकन तथा राहत योजनाओं के लिए एक सामान्य मापदंड अपनाने हेतु किया गया है.
- मुख्य लक्ष्य किसी आपदा के सम्पूर्ण प्रभाव का मूल्यांकन करना तथा पुनुरुद्धार के लिए आवश्यकताओं को परिभाषित करना है. इसके आधार पर पुनुरुद्धार की रणनीति क्या होगी यह बनाई जायेगी और साथ ही धनदाताओं को इससे मार्गनिर्देश भी मिलेगा.
- PDNA का उद्देश्य क्षतिग्रस्त ढाँचों, घरों, आजीविकाओं, सेवाओं, प्रशासन एवं सामाजिक प्रणाली को फिर से खड़ा करना तथा साथ ही भविष्य में ऐसी विपदाएँ न हों इसकी व्यवस्था करना है.
PDNA का माहात्म्य
आपदा के घटित होने के पश्चात् सम्बन्धित देश को पुनुरुद्धार कार्य के लिए निवेश करने हेतु संसाधनों की आवश्यकता होती है. उनके पास यदि ऐसा वैज्ञानिक उपकरण हो जो सम्पदा से होने वाली क्षति का व्यापक मूल्यांकन कर सके और यह बतला सके कि संकटग्रस्त लोगों की क्या-क्या आवश्यकताएँ हैं तो इससे सभी को लाभ होगा.
Prelims Vishesh
Global Goalkeepers Goals Award 2019 :-
- पिछले दिनों बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रतिष्ठित वार्षिक पुरस्कार “ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड” अर्थात् वैश्विक लक्ष्य रक्षक सम्मान दिया गया.
- विदित हो कि यह पुरस्कार सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में किये गये प्रयासों के लिए पाँच श्रेणियों के लिए दिया जाता है, यथा – प्रगति, परिवर्तक, अभियान, लक्ष्य रक्षक वाणि तथा वैश्विक लक्ष्य रक्षक.
Gandan Tegchenling Monastery :–
पिछले दिनों मंगोलिया की राजधानी उलानबतोर में स्थित Gandan Tegchenling Monastery में स्थापित भगवान् बुद्ध और उनके दो शिष्यों के मूर्तियों का अनावरण प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा नई दिल्ली से रिमोट के जरिए किया गया.
International Day of Peace 2019 :-
- प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 21 सितम्बर को अंतराष्ट्रीय शान्ति दिवस मनाया गया.
- इस बार की इसकी थीम थी : “शान्ति के लिए जलवायुगत कार्रवाई” / Climate Action for Peace.
- विदित हो कि विश्व शान्ति दिवस 1981 से मनाया जाता रहा है.
World’s Second Largest Coal Block :–
पश्चिम बंगाल के बीरभूमि कोयला खदान क्षेत्र के देउचा पंचमी कोयला ब्लॉक को एशिया का सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला ब्लॉक माना जा रहा है.
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