Sansar Daily Current Affairs, 28 August 2020
GS Paper 3 Source : Indian Express
Topic : UGEP
सन्दर्भ
देश के कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि देश में एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम (National Urban Employment Guarantee Programme – UGEP) को लागू करने की आज आवश्यकता है.
उनका मंतव्य
- उनका मानना है कि इस कार्यक्रम से भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत बदल सकती है. साथ ही लाखों भारतीयों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार भी होने की उम्मीद है.
- बेरोजगारी और अल्प बेरोजगारी में कमी तथा आमदनी में बढ़ोतरी जैसे प्रयासों से छोटे कस्बों में मांग बढ़ेगी और सफल उद्यमिता के लिए परिस्थितियां पैदा होंगी।
- कौशल विकास के जरिए निजी क्षेत्र में रोजगार और उत्पादकता में बढ़ोतरी, अनौपचारिक क्षेत्र में आय में वृद्धि और पर्यावरण क्षरण को रोकने की बात भी कही गई है.
UGEP
- राष्ट्रीय शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम (National Urban Employment Guarantee Programme – UGEP) मनरेगा के समान वैधानिक मजदूरी को अनिवार्य करके अनौपचारिक शहरी कार्यबल के समक्ष विद्यमान बेरोजगारी और अल्प मजदूरी की समस्या के समाधान में सहायक होगा.
- यह मांग के आधार पर कार्य प्रदान कर छोटे शहरों और कस्बों के स्थानीय कार्यबल को उनके स्थानीय क्षेत्र में ही रोजगार प्रदान करने में सहायक होगा. इससे प्रवास संबंधी चुनौती का समाधान करने में बड़े शहरों को सहायता प्राप्त होगी.
- इसके अतिरिक्त, पारिस्थितिकीय तनाव और पर्याप्त लोक सेवाओं के अभाव के कारण जीवन की गुणवत्ता का संकट भी विद्यमान है. विभिन्न प्रकार के श्रमिकों की मजदूरी को शामिल करने वाला एक केंद्रीय वित्त पोषित कार्यक्रम, शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) को सौपें गए कार्यों के निष्पादन में सक्षम बनाएगा.
- साथ ही, UGEP ‘हरित रोज़गार’ (green jobs) (विभिन्न क्षेत्रकों में रोजगार के माध्यम से पर्यावरण का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन) की एक नई श्रेणी सृजित कर सकता है, जो ULBs की क्षमता को सुदृढ़ता प्रदान करने के साथ-साथ संधारणीय शहरी विकास को भी प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है.
- अतः एक सुनियोजित UGEP से प्रत्यक्ष रूप से न केवल आय में वृद्धि होगी और परिसंपत्तियों के सुजन से समृद्धि को बल मिलेगा, अपितु इसके व्यापक सकारात्मक प्रभाव भी उत्पन्न होंगे, यथा- इससे आय में वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप अनौपचारिक क्षेत्रक में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मांग (स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्धता द्वारा) में वृद्धि होगी. साथ ही, इससे श्रमिकों की बड़े शहरों की ओर प्रवास करने की प्रवृति में कमी आएगी.
- यह शिक्षित युवा श्रमिकों को कौशल अर्जित करने और अपनी नियोजनीयता में सुधार करने का अवसर प्रदान कर निजी क्षेत्रक को बेहतर प्रशिक्षित कार्यबल उपलब्ध कराएगा.
- इसके तहत निष्पादित कार्यों से परिसंपक्तियों का सृजन होगा, जिससे कस्बे की पारिस्थितिकी और लोक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा.
- यह सार्वजनिक संपत्ति के प्रति भागीदारी की चेतना सृजित करेगा, जिसमें प्रत्येक निवासी का अंश या हिस्सा होता है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
Topic : Seabed 2030 and GEBCO
सीबेड 2030 परियोजना के बारे में
- ‘सीबेड 2030’ परियोजना जापान की एक गैर-लाभकारी संस्था निप्पोन फ़ाउंडेशन और जनरल बेथेमेट्रिक चार्ट ऑफ़ द ओशन (GEBCO) का एक समन्वित प्रयास है.
- इसका उद्देश्य समस्त उपलब्ध बेथेमेट्रिक आंकड़ों को एकत्र करना है ताकि वर्ष 2030 तक विश्व के महासागर के तल के एक निश्चित हिस्से का मानचित्रण किया जा सके तथा इसे सभी के लिए उपलब्ध कराया जा सके.
- बेथेमेट्री (Bathymetry) वस्तुतः समुद्र-तल के आकार व गहराई की माप है. यह जैविक समुद्रशास्त्र में एक प्रमुख तत्व है. बाथमीट्रिक डेटा में गहराई और पानी के नीचे की स्थलाकृति के आकार के बारे में जानकारी शामिल है. स्नानागार से संबंधित ज्ञान में चट्टानों, खनिजों, चट्टानों, पानी के नीचे भूकंप या ज्वालामुखी, और आधुनिक हाइड्रोग्राफी का अध्ययन शामिल है.
- इस परियोजना को वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (United Nations Ocean Conference) के दौरान प्रारम्भ किया गया था.
- यह संयुक्त राष्ट्र के SDG-14 (अर्थात् सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goal – SDG 14) के साथ संरेखित (aligned) है. SDG-14 के अंतर्गत महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण एवं संधारणीय उपयोग पर बल दिया गया है.
- सीबेड 2030 परियोजना के अंतर्गत चार क्षेत्रीय केंद्र तथा एक वैश्विक केंद्र (यूनाइटेड किंगडम में) शामिल हैं.
GEBCO के बारे में
- GEBCO भू-वैज्ञानिको (geoscientists) तथा जलसर्वेक्षकों (hydrographers) का एक अंतर्राष्ट्रीय समूह है, जो बेथेमेट्रिक डाटा सेट अथवा डाटा उत्पादों के विकास हेतु प्रयासरत हैं.
- GEBCO, UNESCO के अंतर-सरकारी समुद्रविज्ञान आयोग (Intergovernmental Oceanographic Commission: IOC) तथा अंतर्राष्ट्रीय जलसर्वेक्षण संगठन (International Hydrographic Organization – IHO) के संयुक्त तत्वावधान में कार्यरत एक निकाय है.
- GEBCO एकमात्र अंतर-सरकारी संगठन है जिसे संपूर्ण महासागर अधस्थल के मानचित्रण का कार्यभार सौंपा गया है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
Topic : Lichen Park
लाइकेन के बारे में
- लाइकेन एक संयुक्त जीव (composite organism) है, जो कवक के तंतुओं के साथ सहवासित शैवाल या सायनोबैक्टीरिया से उत्पन्न होता है.
- जहाँ शैवाल आम तौर पर केवल जलीय अथवा अत्यंत आर्द वातावरण में विकसित होते हैं, वहीं लाइकेन संभावित रूप से लगभग किसी भी सतह (विशेष रूप से चट्टानों) पर या अधिपादपों (एपिफाइट्स अर्थात् जो जीवन हेतु अन्य पौधों पर निर्भर होते हैं) के रूप में पाए जा सकते हैं.
- स्थानीय भाषा में, इन्हें “झूला” या “पत्थर के फूल” कहा जाता है.
- लाइकेन मंद गति से बढ़ने वाले जीव होते हैं और ये सदियों तक जीवित रह सकते हैं.
लाइकेन के कुछ प्रमुख उपयोग
- लाइकेन चट्टानों का अपरदन कर खनिजों को पृथक करने में सक्षम होते हैं.
- लाइकेन को कई व्यंजनों में एक प्रमुख सामग्री के तौर पर उपयोग किया जाता है.
- कन्नौज क्षेत्र में एक स्वदेशी इत्र का निर्माण करने में इनका उपयोग किया जाता है.
- इनका उपयोग सनस्कीन क्रीमों, रंजकों तथा कुछ औषधियों में भी किया जाता है.
- कुछ लाइकेन नाइट्रोजन व सल्फर यौगिकों जैसे प्रदूषकों के प्रति बहुत सहिष्णु होते हैं, वहीं कुछ अन्य लाइकेन इनमें से किसी एक या दोनों रसायनों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं. इस प्रकार, ये प्रजातियां जैवसूचकों (bioindicators) के रूप में कार्य करती हैं.
- इसके अतिरिक्त, ये लाइकेन, सीज़ियम तथा स्ट्रोंटियम यौगिकों जैसे रेडियोधर्मी पदार्थों को, बिना कोई प्रत्यक्ष क्षति पहुंचाए, उनका अवशोषण व संग्रहण करते हैं.
GS Paper 3 Source : Indian Express
Topic : India and Patent Pooling
सन्दर्भ
पेटेंट पूलिंग की अवधारणा भारत में नई है और यह मुख्य रूप से वहनीय स्वास्थ्य देखभाल हेतु समाधानों की व्यवस्था पर केंद्रित रही है.
भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 {Indian Patents Act (IPA), 1970} पेटेंट पूलिंग या इससे संबंधित किसी भी प्रावधान के लिए कोई दिशा-निर्देश प्रस्तुत नहीं करता है. साथ ही, यह पेटेंट पूलिंग पर कोई प्रतिबंध भी आरोपित नहीं करता है.
भारतीय पेटेंट अधिनियम के अंतर्गत, केंद्र सरकार जनहित में आवश्यक आविष्कारों और पेटेंट्स को प्राप्त कर, पेटेंट पूल की स्थापना कर सकती है.
हालांकि, भारत में, पेटेंट पूलिंग को प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 द्वारा प्रतिबंधात्मक अभ्यास के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसकी प्रकृति प्रतिस्पर्धा-रोधी होती है.
पेटेंट पूलिंग की दिशा में उठाए गए अंतर्राष्ट्रीय कदम
- C-TAP कोविड-19 टेक्नोलॉजी एक्सेस पूल (C-TAP) वस्तुतः कोविड-19 स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी से संबंधित ज्ञान, बौद्धिक संपदा और डेटा को स्वेच्छा से साझा करने हेतु सॉलिडैरिटी कॉल टू एक्शन के अंतर्गत व्यक्त की गई प्रतिबद्धता की प्रतिज्ञाओं को संकलित करता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसकी मेजबानी की जा रही है.
- GISAID (अर्थात् समस्त इन्फ्लूएंजा डेटा साझा करने संबंधी वैश्विक पहल) (Global Initiative to Sharing of All Influenza Data): यह सभी इन्फ्लूएंजा विषाणुओं और कोरोना वायरस जनित कोविड-19 से संबंधित डेटा के तीव्र साझाकरण को बढ़ावा देता है.
- इसके तहत मानव विषाणुओं से संबद्ध आनुवंशिक अनुक्रम और संबंधित नैदानिक एवं महामारी संबंधी डेटा तथा भौगोलिक क्षेत्रों के साथ-साथ प्रजातियों से संबंधित विशिष्ट डेटा को भी सम्मिलित किया गया है.
- GISAID के अनुसार, विश्व-भर के शोधकर्ताओं द्वारा स्वेच्छा से जून 2020 तक, कोविड विषाणु के 49,781 जीनोम अनुक्रम साझा किए गए हैं.
- मेडिसिन पेटेंट पूल (MPP): इसके माध्यम से HIV, तपेदिक और हेपेटाइटिस C के लिए जेनेरिक दवाओं के विकास की सुविधा प्रदान की गई है, जिससे उन्हें वहनीय कीमत पर बेचा जा सके.
- MPP संयुक्त राष्ट्र समर्थित एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन है जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता को बढ़ाने तथा ऐसी दवाओं के विकास हेतु प्रयासरत है.
- व्यापार से संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार (Trade Related Intellectual Property Rights : TRIPS): यह समझौता देशों को आपात स्थिति के समय पेटेंटकृत उत्पादों का उत्पादन करने हेतु कंपनियों को अनिवार्य लाइसेंस प्रदान करने की अनुमति प्रदान करता है.
- जैव विविधता अभिसमय (Convention on Biodiversity : CBD) के अंतर्गत नागोया प्रोटोकॉल: इस प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 2 (e) को आनुवांशिक अनुक्रम जानकारी को समाविष्ट करने वाले स्वरूप में वर्णित किया जा सकता है जो कोविड के उपचार और रोकथाम पर चल रहे सभी अनुसंधान एवं विकास को आधार प्रदान करता है.
- इस प्रोटोकॉल के तहत, वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग पर अनुबंध करने काले पक्षकारों (सहभागियों) को उपलब्धता एवं लाभ को साझा करने के लिए विकल्प प्रदान करने की आवश्यकता को निर्धारित किया गया है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से पेटेंट पूलिंग की संभावना उत्पन्न होती है.
Prelims Vishesh
World Bank pauses Doing Business report on data irregularities :-
- विश्व बैंक ने डाटा संग्रह अनियमितताओं की समीक्षा के लिए अपनी डूइंग बिजनेस रिपोर्ट के प्रकाशन को रोक दिया है.
- डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट एक वार्षिक अध्ययन है जो देशों के व्यापार और निवेश को रैंकिंग प्रदान करता है.
- 2019 ईज ऑफ डूइंग बिजनेस सूचकांक में, भारत 190 देशों में 63वें स्थान पर है.
UN Approves Resolution Reducing Lebanon Peacekeeping Force :-
- संयुक्त राष्ट्र ने एक और साल के लिए लेबनान में पीसकीपिंग फ़ोर्स को कम कर दिया. साथ ही, यह सैनिकों की संख्या को कम किया जाएगा.
- लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल 1978 में स्थापित किया गया था. यह लेबनान की दक्षिणी सीमा, जिसे ब्लू लाइन के रूप में जाना जाता है, की गश्त करता है. ब्लू लाइन लेबनान-इज़राइल सीमा के साथ है. सेना को 15,000 से घटाकर 13,000 किया जा रहा है.
- इजरायल और संयुक्त राज्य अमेरिका के अनुसार, हिजबुल्लाह संगठन लेबनान को दक्षिणी सीमा में बेस के रूप में उपयोग कर रहा है.
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