Sansar Daily Current Affairs, 28 December 2020
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.
Topic : Retrospective Tax
संदर्भ
हाल ही में हेग में स्थित मध्यस्थता के स्थायी न्यायालय (Permanent Court of Arbitration – PCA) ने केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि भारत द्वारा पूर्वव्यापी कर (Retrospective Tax) लगान अनुचित है.
उल्लेखनीय है कि पूर्वव्यापी कराधान (Retrospective Taxation) का मामले में यह मामला अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत के समक्ष लंबित था जिस पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने भारत सरकार को यह भी कहा है कि कंपनी का जो फंड सरकार के पास है वह ब्याज सहित कंपनी को वापस किया जाए. टैक्स मामले में केयर्न एनर्जी की यह जीत अंतरराष्ट्रीय मुकदमेबाजी में भारत की दूसरी हार है. इससे पहले वोडाफोन भी भारत के खिलाफ टैक्स विवाद का केस जीत चुकी है.
पृष्ठभूमि
- 2006-07 में, आंतरिक पुनर्व्यवस्था के अंतर्गत, केयर्न यूके ने केयर्न इंडिया होल्डिंग्स के शेयरों को केयर्न इंडिया को हस्तांतरित कर दिया. आयकर अधिकारियों ने केयर्न यूके पर पूंजीगत लाभ (Capital Gains लाभ के एवज में 24,500 करोड़ रुपये की कर मांग की.
- पूंजीगत लाभ की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण, कंपनी ने कर का भुगतान करने से इनकार कर दिया, जिससे यह मामला आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) और उच्च न्यायालय में दर्ज किए गए. केयर्न एनर्जी आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) में केस हार गया हालंकि कैपिटल गेंस के वैल्यूएशन पर अभी यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के सामने लंबित है.
- 2011 में, केयर्न एनर्जी ने अपने भारत के कारोबार यानी केयर्न इंडिया के अधिकांश हिस्से को वेदांत इंडस्ट्री को बेच दिया हालांकि केयर्न यूके को आयकर अधिकारियों द्वारा लगभग 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने की अनुमति नहीं दी गयी थी. अधिकारियों ने केयर्न इंडिया के शेयरों को भी फ्रीज का दिया जिसे लाभांश के रूप में कंपनी ने अपने मूल यूके फर्म को भुगतान किया था.
- केयर्न एनर्जी ने मार्च 2015 में भारत के टैक्स विभाग के कर की मांग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत औपचारिक विवाद दायर किया था.
पूर्वव्यापी कराधान
- यह एक देश को कुछ उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं और सौदों पर पूर्वव्यापी कर लगाने तथा कंपनियों पर पूर्वव्यापी दंड लगाने की अनुमति प्रदान करता है.
- इस कानून के माध्यम से अनेक देशों ने अपने कराधान नीतियों की विसंगतियों को ठीक किया है जो किसी कंपनी को कमी का फायदा उठाने का अवसर प्रदान करती थी.
- पूर्वव्यापी कराधान उन कंपनियों को नुकसान पहुँचाता है जिनके द्वारा जानबूझकर या अनजाने में कर नियमों की अलग-अलग व्याख्या की गई थी.
- भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया और इटली सहित कई देशों में पूर्वव्यापी टैक्स को लगाने वाली कंपनियाँ विद्यमान हैं.
मध्यस्थता का स्थायी न्यायालय (PERMANENT COURT OF ARBITRATION- PCA)
- स्थापना:वर्ष 1899
- इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में है.
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जो विवाद समाधान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सेवा प्रदान करने और राज्यों के बीच मध्यस्थता एवं विवाद समाधान के लिये समर्पित है.
- PCA की संगठनात्मक संरचना तीन-स्तरीय होती है जिसमें –
- एक प्रशासनिक परिषद् होती है जो नीतियों और बजट का प्रबंधन करती है.
- एक स्वतंत्र संभावित मध्यस्थों का पैनल होता है जिसे न्यायालय के सदस्य के रूप में जाना जाता है.
- इसके सचिवालय को अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो के रूप में जाना जाता है.
- PCA का एकवित्तीय सहायता कोष होता है जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता या PCA द्वारा विवाद निपटान में शामिल साधनों की लागत को पूरा करने में मदद करना है.
मेरी राय – मेंस के लिए
यह उम्मीद की जानी चाहिये कि कर अधिकारी कानूनी रूप से अस्थिर राजस्व प्राप्त करने के लिये वित्त मंत्रालय में राजनेताओं की सिफारिशों से प्रभावित हुए बिना कार्य करने का प्रयास करें. निवेश के अनुकूल कारोबारी माहौल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और समय के साथ सरकार के लिये अधिक राजस्व जुटाने में सहायक होगा. भारत के सीमा पार लेन-देन से संबंधित विवादों को अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में जाने से रोकने के साथ -साथ लागत और समय को बचाने हेतु सार्थक तथा स्पष्ट विवाद समाधान तंत्र तैयार करने की आवश्यकता है. ऐसे सुधारों से व्यापार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.
Topic : Recognition of Prior Learning
संदर्भ
कौशल भारत (Skill India) द्वारा चंदौली और वाराणसी में पंचायती राज विभाग के अंतर्गत श्रमिकों के लिए पूर्व शिक्षण मान्यता (Recognition of Prior Learning- RPL) कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
- यह कार्यक्रम कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship– MSDE) द्वारा संकल्प (SANKALP) कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यान्वित किया जा रहा है.
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) इस कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है.
माहात्म्य
- हमारे देश की लगभग 70% जनसंख्या ग्रामीण भारत में निवास करती है और इसलिए जिला पंचायतों का समावेशन जिला कौशल विकास योजनाओं की सफलता के लिए आवश्यक है और यह कौशल भारत अभियान के मामले में एक व्यापक स्तर की सुविधा प्रदान करेगा.
- इस योजना का लक्ष्य पूर्व शिक्षण मान्यता (RPL) के माध्यम से, देश के पूर्व-विद्यमान कार्यबल के कौशल को मानकीकृत ढांचे में संरेखित करना है. इसके अंतर्गत, पूर्व शिक्षण प्रमाणन आत्मविश्वास का सृजन करता है, सम्मान दिलाता है और उम्मीदवारों को मान्यता प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त यह कौशल को आकांक्षात्मक बनाने में सक्षम है.
- युवाओं के अनौपचारिक शिक्षण को समर्थन, स्थायी आजीविका के अवसर खोजने के प्रयासों में पूरक साबित होगा और ज्ञान आधारित विशेष योग्यताओं से उत्पन्न असमानताओं को कम किया जा सकेगा.
RPL से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- RPL कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) का एक मुख्य अंग है.
- यह अविनियमित क्षत्रों में सक्षमता को राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचे (National Skills Qualification Framework) से जोड़ता है.
- RPL के कारण लोगों के रोजगार के अवसर बढ़ जाते हैं और साथ ही उन्हें उच्चतर शिक्षा के अनेक विकल्प भी प्राप्त होते हैं.
- RPL का मुख्य उद्देश्य अन्य कौशलों और ज्ञान की तुलना में कुछ विशेष प्रकार के कौशल और ज्ञान को अधिक महत्त्व देने के कारण हो रही विषमता को दूर करना है.
RPL का महत्त्व
- भारत में असंगठित श्रमिकों में बहुत सारे श्रमिक कौशलरहित अथवा अल्प-कौशल से युक्त हैं. इनमें से अधिकांश श्रमिक लोगों का निरीक्षण करके अथवा कुशल श्रमिकों के अन्दर काम करके अथवा पूरी तरह स्वयं सीख कर कौशल और ज्ञान प्राप्त करते हैं.
- फलतः यद्यपि वे किसी प्रकार नौकरी पकड़ लेते हैं और ठीक-ठाक वेतन भी पाने लगते हैं, परन्तु अपने कौशल में वृद्धि नहीं ला पाते हैं. इससे उनकी उत्पादकता और काम की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है.
- RPM उनको अपना मूल्यांकन करवाने तथा NSQF स्तर से उनकी वर्तमान क्षमता के विषय में प्रमाण-पत्र प्राप्त करने में सहायता करता है.
- RPM उनको अपने वर्तमान ज्ञान और वांछित कौशल के बीच की खाई पाटने का मार्ग दिखाता है और उन्हें व्यावसायिक वृद्धि के लिए ऊँचे से ऊँचा कौशल सीखने के लिए प्रेरित करता है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life. Disaster and disaster management.
Topic : Weather-based advance warning system for disease outbreaks
संदर्भ
केंद्र सरकार के अनुसार रोगों के प्रकोप के लिए मौसम आधारित उन्नत चेतावनी प्रणाली (Weather-based advance warning system for disease outbreaks) विकसित की जा रही है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय एक पूर्व स्वास्थ्य चेतावनी प्रणाली (Early Health Warning System: EHWS) विकसित कर रहा है. इससे भारत में रोग के प्रकोप की संभावना का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है.
पूर्व स्वास्थ्य चेतावनी प्रणाली का माहात्म्य
- EHWS मौसम परिवर्तन और रोग की घटनाओं के बीच संबंध पर आधारित है. इस प्रणाली द्वारा वाहक जनित रोगों, विशेष रूप से मलेरिया और अतिसार के प्रकोपों का पूर्वानुमान लगाए जाने की संभावना है.
- राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के प्रासंगिक संस्थानों द्वारा निर्णयन की सुविधा के लिए एक सूचना प्रणाली के रूप में कार्य हेतु अभिकल्पित किया गया है.
- यह संभावित महामारी के सर्वाधिक प्रभावी सप्ताहों का पूर्वानुमान लगाने तथा साथ ही साथ इससे सम्बंधित खतरे के प्रभावों का शमन करने के लिए कार्रवाई करने हेतु स्वास्थ्य समुदाय की सहायता भी करेगी.
जलवायु परिवर्तन आर मानव स्वास्थ्य (Climate change and human health)
- भौगोलिक स्थानों पर रोगों की बढ़ते मामलों में वर्षा और तापमान के स्वरूप में परिवर्तन की प्रमुख भूमिका होती है.
- रोग वस्तुत: मौसम और जलवायु स्थितियों के प्रति संवेदनशील होते हैं. इसलिए रोगों की प्रारम्भ में ही पहचान या स्वास्थ्य जोखिमों की चेतावनी, रोगों के प्रभाव को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में पर्यावरणीय जोखिम कारक, रोगों के वैश्विक बोझ के 25-33% के लिए उत्तरदायी हैं.
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) ने वर्ष 2007 की अपनी रिपोर्ट में उल्लिखित किया था कि जलवायु परिवर्तन से मुख्य रूप से विकासशील देशों में बाढ़ और सूखे की बढ़ती घटनाओं के साथ ही अतिसार से होने वाले रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.
Topic : Coastal Radar Network
संदर्भ
भारत द्वारा तटीय रडार नेटवर्क (Coastal Radar Network) में अधिक देशों को एकीकृत करने पर विचार किया जा रहा है. ये प्रयास मालदीव, म्यांमार, थाईलैंड और बांग्लादेश में तटीय रडार स्टेशन (coastal radar stations) स्थापित करने के लिए उन्नत चरण में जारी हैं.
- इस दीर्घकालिक रणनीतिक योजना को बुनियादी ढांचा संबंधी क्षमता को बढ़ाने तथा रेलवे के भावी अवसंरचनात्मक, व्यावसायिक व वित्तीय नियोजन हेतु एक साझे मंच के रूप में तैयार किया गया है.
- संपूर्ण क्षेत्र में तटीय निगरानी रडार नेटवर्क को स्थापित करने और उसे बनाए रखने से तटीय रडार श्रृंखला के नेटवर्क का विस्तार होगा. इसके फलस्वरूप खुले सागरों की खतरों से वास्तविक समय निगरानी करने में सक्षमता प्राप्त होगी.
- यह हिंद महासागर के तटवर्ती राज्यों में क्षमता निर्माण के लिए भारत की सहायता का भी विस्तार करेगा.
यह एकीकरण मुख्य रूप से दो मंचों पर किया जा रहा हैः–
- गुरुग्राम में अवस्थित भारतीय नौसेना का सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (Information Management and Analysis Centre: IMAC). यह समुद्री डेटा समेकन के लिए एक नोडल अभिकरण है. ज्ञातव्य है कि इसकी स्थापना 26/11 के मुंबई हमलों के उपरांत की गई थी.
- सरकार द्वारा नौसेना को 36 देशों और तीन बहुपक्षीय कंस्ट्रक्ट्स (constructs) के साथ व्हाइट शिपिंग (वाणिज्यिक असैन्य पोत परिवहन) समझौते संपन्न करने के लिए अधिकृत किया गया है.
- भारतीय नौसेना का सूचना समेकन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (Information Fusion Centre for the Indian Ocean Region: IFC-IOR). इसका उद्देश्य समुद्री क्षेत्र में जागरूकता को बढ़ावा देना है.
- IFC-IOR को 21 देशों और 20 समुद्री सुरक्षा केंद्रों के साथ व्हाइट शिपिंग एक्सचेंज एग्रीमेंट्स के माध्यम से 100 में समुद्री सुरक्षा सूचना के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है.
- IFC को भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल द्वारा संयुक्त रूप से प्रशासित किया जाता है.
तटीय रडार शृंखला नेटवर्क
- इसका उद्देश्य रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में सूचना एवं समुद्री डोमेन जागरूकता का एक नेटवर्क बनाना है.
- यह हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूद देशों के क्षमता निर्माण के लिये भी भारत की सहायता का विस्तार करेगा. इन देशों की सहायता के लिये भारत ने ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region -SAGAR) नाम से एक पहल भी शुरू की है.
- तटीय रडार शृंखला नेटवर्क के पहले चरण के अंतर्गत देश के समुद्र तटों पर कुल 46 तटीय रडार स्टेशन स्थापित किये गए हैं.
- वर्तमान में जारी परियोजना के दूसरे चरण के अंतर्गत तटरक्षक बल द्वारा 38 राडार स्टेशन और चार मोबाइल रडार स्टेशन स्थापित किये जाने हैं, जिनका कार्य लगभग अंतिम चरण में है. तटरक्षक बल, रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित एक मल्टी-मिशन संगठन है, जो कि समुद्र में अलग-अलग तरह के ऑपरेशन्स का संचालन करता है.
- इसका प्राथमिक लक्ष्य तटीय निगरानी एप्लीकेशन के लिये छोटे जहाज़ों का पता लगाना और उन्हें ट्रैक करना है.हालाँकि इसका उपयोग वेसल ट्रैफिक मैनेजमेंट सर्विसेज़ एप्लीकेशन, हार्बर सर्विलांस और नेविगेशनल उद्देश्यों के लिये भी किया जा सकता है.यह समुद्र में किसी भी अवैध गतिविधि पर नज़र रखने में भी मदद करेगा.
- अंततः इसके अंतर्गत एकत्र किये गए डेटा को ‘सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र’ (IFC-IOR) के तहत शामिल किया जाएगा
IFC–IOR क्या है?
- यह सूचनाओं के संकलन का एक केंद्र है जहाँ हिन्द महासागर क्षेत्र से सम्बंधित सामुद्रिक सूचना इकट्ठी की जाती है. यहाँ से इस महासागर में हो रही सामुद्रिक गतिविधियों की समग्र जानकारी उपलब्ध होती है.
- समेकित सूचना संकलन केंद्र गुरुग्राम में स्थित नौसेना के सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र में स्थापित है.
- इस केंद्र से सभी तटीय रडार जुड़े हुए हैं जिनसे देश की लगभग 7,500 किमी. लम्बी समुद्र तट रेखा का प्रत्येक क्षण का चित्र निर्बाध रूप से प्राप्त हो सकता है.
- इस केंद्र के माध्यम सेश्वेत जहाजरानी (white shipping) अर्थात् वाणिज्यिक जहाजरानी के विषय में इस कार्यशाला में सूचनाओं का आदान-प्रदान क्षेत्र के अन्य देशों के साथ किया जाएगा जिससे कि हिन्द महासागर में सामुद्रिक गतिविधियों के प्रति जागरूकता में सुधार लाया जा सके.
IFC–IOR का महत्त्व
- IFC-IOR के अन्दर हिन्द महासागर के किनारे-किनारे अवस्थित देश और द्वीप आते हैं जिनकी अपनी-अपनी अनूठी आवश्यकताएँ, आकांक्षाएँ, रुचियाँ और मान्यताएँ हैं.
- हिन्द महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती को रोकने के लिए यह संगठन आवश्यक है.
- यह संगठन सुनिश्चित करता है कि सम्पूर्ण क्षेत्र पारस्परिक सहयोग, सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा क्षेत्र की चिंताओं और खतरों की समझ के माध्यम से लाभ उठाएँ.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
हिन्द महासागर का महत्त्व क्यों?
- यह महासागर वैश्विक व्यापार के चौराहे पर स्थित है. अतः यह उत्तरी अटलांटिक और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थित बड़ी-बड़ी अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ता है. इसका महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है कि आज की युग में वैश्विक जहाजरानी उभार पर है.
- हिन्द महासागर प्राकृतिक संसाधनों में भी समृद्ध है. विश्व का 40% तटक्षेत्रीय तेल उत्पादन हिन्द महासागर की तलहटियों में ही होता है.
- विश्व का 15% मत्स्य उद्योगहिन्द महासागर में ही होता है.
- हिन्द महासागर की तलहटी तथा तटीय गाद में बहुत-सारे खनिज होते हैं, जैसे – निकल, कोबाल्ट, लोहा, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, चाँदी, सोना, टाइटेनियम, ज़िरकोनियम, टिन आदि.
मेरी राय – मेंस के लिए
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर विद्यमान पर्यावरणीय खतरा और समुद्री संसाधनों के नुकसान के कारण हिंद महासागर क्षेत्र के कुछ छोटे द्वीप राज्यों पर आजीविका की चुनौती उत्पन्न हो गई है. गैर-स्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की उपस्थिति और वर्ष 2023 में G20 की अध्यक्षता भारत को इन बहुपक्षीय मंचों पर छोटे द्वीपों के मुद्दों को उजागर करने का अवसर प्रदान करेगी. समुद्री कूटनीति और ऐसे छोटे द्वीपों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करना क्षेत्रीय क्षमता निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है. द्विपक्षीय और बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास, समुद्री सूचना-साझाकरण तंत्र तथा सामान्य मानक ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल विकसित करना आदि समुद्री कूटनीति एवं भारत की विदेश नीति की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण साधन हो सकते हैं. सैन्य क्षेत्र के लिये हार्डवेयर का निर्यात भी आर्थिक और सैन्य कूटनीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है तथा यह क्षेत्रीय क्षमता निर्माण में योगदान देता है. वर्तमान में भारत अपने कई छोटे पड़ोसी देशों को सैन्य हार्डवेयर का निर्यात कर रहा है.
Prelims Vishesh
Himalayan Trillium
- इसे नागछत्री के रूप में भी जाना जाता है. यह हिमालय (भारत, भूटान, नेपाल, चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान) के समशीतोष्ण और उप-एल्पाइन क्षेत्रों में एक सामान्य बूटी है.
- भारत में, यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम तथा उत्तराखंड में पाई जाती है.
- यह पादप अपनी उच्च औषधीय गुणवत्ता (कैंसर-रोधी और वृद्धावस्था रोधी कारक) के कारण हिमालय क्षेत्र के सबसे अधिक व्यवसाय किए जाने वाले वाणिज्यिक पादपों में से एक बन गया है.
- अधिक दोहन, दीर्घ जीवन चक्र व बीज प्रसार की निम्न क्षमता इस पादप के अस्तित्व के समक्ष उत्पन्न खतरे हैं.
- IUCN दर्जा: एन्डैन्जर्ड.
Great Conjunction :-
- यह एक खगोलीय घटना है, जिसमें 21 दिसंबर की रात्रि को शनि और बृहस्पति लगभग 400 वर्षों के पश्चात् सर्वाधिक निकटतम दूरी पर थे.
- इसे लोकप्रिय रूप से “क्रिस्मस स्टार” के रूप में भी जाना जाता है.
- इस संयुग्मन को उस घटना के आधार पर नाम दिया गया है, जहां ग्रह या क्षुद्रग्रह पृथ्वी से देखे जाने पर आकाश में एक साथ बहुत समीप दृष्टिगोचर होते हैं.
- खगोलविदों ने बृहस्पति और शनि के आकार के कारण इन ग्रहों के संयुग्मन के लिए “महान” (Great) शब्द का उपयोग किया है.
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