Sansar Daily Current Affairs, 28 February 2019
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Inclusive Internet Index 2019
संदर्भ
फेसबुक द्वारा प्रायोजित और द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा संचालित समावेशी इन्टरनेट सूचकांक – 2019 प्रकाशित कर दिया गया है.
संचालित समावेशी इन्टरनेट सूचकांक के उद्देश्य
- इस सूचकांक के द्वारा यह आकलन किया जाता है कि किसी देश में इन्टरनेट कितना उपलब्ध है और सुलभ है तथा सब के लिए कितना प्रासंगिक है.
- साथ ही यह भी देखा जाता है कि इन्टरनेट का प्रयोग व्यक्तिगत एवं सामूहिक स्तर पर सकारात्मक सामाजिक एवं आर्थिक प्रतिफल देता है अथवा नहीं.
- संचालित समावेशी इन्टरनेट सूचकांक का उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं एवं नीतिनिर्माताओं को ऐसी जानकारी उपलब्ध कराना है जिसके बल पर वे आयु, लिंग, स्थान अथवा पृष्ठभूमि के परे होकर इन्टरनेट के लाभप्रद प्रयोग को सुनिश्चित कर सकें.
सूचकांक निर्माण की प्रक्रिया
इस सूचकांक में 100 देशों के प्रदर्शन का आकलन होता है. आकलन के लिए इन चार वस्तुओं पर विचार होता है – उपलब्धता, सुलभता, प्रसंगिकता एवं तत्परता. इन सभी श्रेणियों के अंतर्गत इन्टरनेट के समावेशी उपयोग के विभिन्न पहलुओं को देखा जाता है, जैसे – नेटवर्क कवरेज, दाम, ई-समावेश नीतियों का होना और स्थानीय भाषा में सामग्री की उपलब्धता आदि.
मुख्य निष्कर्ष
- न्यून्तम आय के स्तर पर डिजिटल अंतराल (digital divide) चौड़ा होता हुआ दिख रहा है जिससे पहले हुई प्रगति पर भी आँच आने का खतरा है.
- इन्टरनेट की उपलब्धता में लैंगिक अंतराल पूरे विश्व में सिकुड़ता जा रहा है और इसमें निम्न और निम्नतर मध्यम आय वाले देश सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.
- ऑनलाइन एकान्तता (privacy) से सम्बंधित चिंताएँ बनी हुई हैं और सरकारों द्वारा इन्टरनेट पर दी गई सूचनाओं पर पश्चिम के देशों में विश्वास घटा है.
- विश्व-भर में स्त्रियों की तुलना में पुरुषों की इन्टरनेट तक पहुँच अधिक है, किन्तु 2018 में यह अंतराल निम्न एवं निम्नतर मध्यम आय वाले देशों में घटा है.
- निम्न आय एवं निम्नतर माध्यम आय वाले देशों में स्त्रियों और दिव्यांगों के इन्टरनेट गतिविधियों में समावेश पहले से बढ़ा है.
विभिन्न देशों का प्रदर्शन
- सूचकांक में स्वीडन का स्थान शीर्षस्थ है और तत्पश्चात् सिंगापुर और अमेरिका का स्थान है.
- इस सूचकांक में भारत का स्थान 47वाँ रहा.
- लैंगिक समानता के सन्दर्भ में इस वर्ष सबसे अच्छा प्रदर्शन ब्रिटेन, नामीबिया, आयरलैंड, ऑस्ट्रिया, चिली और द. अफ्रीका का रहा. इन सभी देशों ने स्त्रियों को डिजिटल कौशल का प्रशिक्षण के लिए योजनाएँ बना रखी थीं.
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Parents Responsibility and Norms for Accountability and Monitoring (PRANAM) Bill
संदर्भ
असम ने राज्य सरकार के कर्मचारियों के माता-पिता की सुरक्षा के संदर्भ में लाए गए एक ‘प्रणाम’ (पेरेंट रिसपॉन्सिबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड मॉनिटरिंग) विधेयक से संबंधित मुद्दों की जाँच के लिए एक PRANAM नामक पैनल का गठन किया है.
भूमिका
इस विधेयक का उद्देश्य यह सुनिश्चत करना है कि राज्य सरकार के कर्मचारी अपने वृद्ध हो रहे माता पिता या शारीरिक रूप से अशक्त भाई – बहन की देखभाल करें नहीं तो उनके वेतन से पैसे काट लिए जाएंगे.
‘प्रणाम’ (पेरेंट रिसपॉन्सिबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड मॉनिटरिंग)
- भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम की विधानसभा में पारित एक नये कानून ‘प्रणाम’ (पेरेंट रिसपॉन्सिबिलिटी एंड नॉर्म्स फॉर एकाउंटेबिलिटी एंड मॉनिटरिंग) में कहा गया है कि राज्य सरकार का कोई कर्मचारी अगर अपने माता पिता और दिव्यांग भाई बहनों के भरण पोषण से मना करता है, तो उसके वेतन का 10 से 15 % हिस्सा काट कर माता पिता या संबंधित भाई बहनों को दे दिया जाएगा.
- इस विधेयक के तहत कर्मचारियों के वेतन से काटी गई रकम को माता पिता या भाई बहन के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर करने का प्रावधान है.
- ऐसा कानून बनाने वाली यह देश की पहली विधानसभा है.
- देश में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और संतान की ओर से माता पिता की उपेक्षा के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए सरकार का यह कदम अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है.
- देश भर की अदालतों के समक्ष बुजुर्गों की ओर से अपने बच्चों के खिलाफ उपेक्षा के ऐसे हजारों मामले लंबित हैं.
चिंता का विषय
बुजुर्गों की उपेक्षा का यह सिलसिला महज शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है. देश के ग्रामीण इलाकों में भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं. इलाके के ज्यादातर युवक अपने परिवार के साथ नौकरी या रोजगार के लिए शहरों में जाकर बसने लगे हैं. गांव में पीछे छूटे मां-बाप को उनकी किस्मत के सहारे छोड़ने वाले ऐसे युवक कभी-कभार कुछ रुपये भेज कर ही अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं.
आगे की राह
टूटते संयुक्त परिवारों ने इस समस्या को और भयावह बना दिया है. इस पर काबू पाने के लिए सरकार को जहां बुजुर्गों के कल्याण में और ठोस योजनाएं बनानी होंगी, वहीं गैरसरकारी संगठनों को भी इसके लिए आगे आना होगा. उनको उम्मीद है कि असम सरकार ने इस दिशा में जो राह दिखायी है उसका दूसरे राज्य भी अनुसरण करेंगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Scheme for Higher Education Youth in Apprenticeship and Skills (SHREYAS)
संदर्भ
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंत्री ने उद्योग शिक्षुता के अवसर प्रदान करने के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के लिए अपरेंटिसशिप और कौशल (SHREYAS) योजना का प्रारम्भ किया.
श्रेयस योजना
- श्रेयस योजना डिग्री पाठ्यक्रमों में, मुख्य रूप से गैर-तकनीकी छात्रों के लिए, एक कार्यक्रम है जो अपने शिक्षण में रोजगारपरक कौशल के बारे में जानकारी देता है एवं शिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में अप्रेंटिसशिप को प्रोत्साहित करता है.
- विदित हो कि सरकार चाहती है कि शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का समावेश हो जिससे आगे चलकर गैर-तकनीकी शिक्षा लेने वाले स्नातकों को रोजगार का अवसर मिल सके.
योजना के उद्देश्य
- गैर-तकनीकी छात्रों को रोजगार का अवसर देना
- गैर-तकनीकी स्नातकों को ऐसे व्यवसायिक कौशल सिखाना जिससे उन्हें आगे चलकर रोजगार मिल सके.
- छात्रों को ऐसे कौशल जा सकें जिनकी उद्योगों और सेवाओं में माँग है.
- उच्चतर शिक्षा में “सीखो और साथ-साथ कमाओ” ऐसी प्रणाली स्थापित करना.
- व्यवसाय और उद्योग को अच्छी गुणवत्ता वाले कर्मी नियोजित करने में सहायता पहुँचाना.
योजना का माहात्म्य
इसमें कोई संदेह नहीं कि आज औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न कौशलों की शिक्षा की भी अत्यंत आवश्यकता है. सरकार की श्रेयस योजना इस दिशा में एक बहुत बड़ा कदम सिद्ध होगा. श्रेयस योजना स्नातक विद्यार्थियों को अधिक कौशल-युक्त, अधिक सक्षम, नौकरियों के लिए अधिक योग्य और हमारी अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाएगा और इस प्रकार देश की प्रगति में महान योगदान करेगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : China drafts new rules to supervise biotechnology research
संदर्भ
चीन में जैव तकनीक अनुसंधान के पर्यवेक्षण के नए नियम बनाये गये हैं.
नए नियमों के मुख्य तत्त्व
- इनमें यह व्यवस्था की गई है कि यदि कोई वैज्ञानिक इनका उल्लंघन करे तो उसपर आर्थिक दंड और प्रतिबंध लग सकता है.
- इनमें जीन से सम्बन्धित सामग्रियों को निकालने, जीन का सम्पादन करने, जीन को स्थानांतरित करने, गर्भ नाल से सम्बंधित कोष के लिए अपनाई जाने वाली तकनीक को “बड़ा जोखिम” वर्ग में रखने का प्रस्ताव है.
- पकड़े जाने पर वैज्ञानिक पर अप्राधिकृत अनुसंधान से होने वाली अवैध आय की 10 से 20 गुनी राशि तक अर्थदंड लगाया जा सकता है और उसे अपने कार्यक्षेत्र से 6 महीने से लेकर 1 वर्ष की अवधि तक प्रतिबंधित किया जा सकता है.
- यदि वैज्ञानिक का दोष गम्भीर है तो उसकी चिकित्सा लाइसेंस को समाप्त किया जा सकता है जिसके फलस्वरूप वह चिकित्सा के क्षेत्र में जीवन-भर कोई अनुसंधान नहीं कर सकेगा.
नए नियमों की आवश्यकता क्यों?
- हाल ही में एक चीनी शोधकर्ता ने यह कहकर पूरे विश्व में तहलका मचा दिया था कि उसने जीन-संपादित बच्चों का सृजन किया है.
- उस अनुसन्धानकर्ता ने नवम्बर में घोषणा की थी कि उसने जुड़वाँ बच्चियों के जीन इस प्रकार संपादित किये थे जिससे उनको HIV संक्रमण से बचाया जा सके. इसके लिए उसने CRISPR नामक तकनीक से एक विशेष जीन को विलोपित कर दिया था.
- वैज्ञानिक के उस दावे के कारण विश्व-भर के वैज्ञानिक हक्का-बक्का रह गये थे. वे इस प्रकार के कृत्य पर सवाल उठाने लगे कि यह जैव नैतिकता के प्रतिकूल है’. साथ ही वे कहने लगे कि चीन में इस प्रकार के वैज्ञानिक अनुसंधान में ढिलाई चल रही है जिसके चलते यह कार्य हुआ.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation (SATAT) Initiative
संदर्भ
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री ने हाल ही में ‘सतत’ योजना के अंतर्गत संपीड़ित जैव-गैस (कंप्रेस्ड बायो गैस या सीबीजी) उत्पाद को 100वां आशय पत्र सौंपा.
सतत योजना का उद्देश्य
‘सतत’ एक पहल है जिसका उद्देश्य विकास से जुड़े एक ठोस प्रयास के रूप में किफायती परिवहन या आवाजाही के लिए टिकाऊ विकल्प मुहैया कराना है जिससे वाहनों का इस्तेमाल करने वालों के साथ-साथ किसान एवं उद्यमी भी लाभान्वित होंगे.
यह योजना कैसे क्रियान्वित की जा रही है?
इस योजना के जरिए शहरी और ग्रामीण इलाकों में क्षमतावान उद्यमियों को कॉम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा. इन प्लांट्स में तैयार होने वाली संदमित बायोगैस (compressed bio-gas – CBG) को सरकार खरीदेगी और उसका इस्तेमाल वाहनों के ईंधन के तौर पर करेगी. इस योजना के माध्यम से सरकार सस्ता वाहन ईंधन तो मुहैया कराएगी ही साथ ही साथ इसके जरिये कृषि अवषेशों का सही इस्तेमाल होगा और पशु मल तथा शहरी कचरे का प्रयोग भी संभव हो सकेगा. इससे किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक और स्रोत मिलेगा.
योजना के लाभ
- आज की तीथी में 5000 कॉम्प्रेस्ड बायोगैस स्टेशनों से वार्षिक रूप से लगभग 1.5 करोड़ टन गैस मिलेगी जो वर्तमान समय में इस्तेमाल हो रही CNG का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है.
- देश में मौजूदा समय में सालाना लगभग 4.4 करोड़ टन CNG का इस्तेमाल वाहन ईंधन के तौर पर होता है. इस योजना में सरकार लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपए निवेश करेगी और इससे लगभग 75000 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा.
- सतत योजना के जरिये फसलों के लिए लगभग 5 करोड़ टन बायो खाद भी मिलेगी.
संदमित जैव-गैस क्या होता है?
- संदमित जैव-गैस (compressed biogas) एक ऐसा गैस है जिसकी बनावट बाजार में उपलब्ध प्राकृतिक गैस के जैसा है और उसी प्रकार यह भी ईंधन के रूप में प्रयोग में आता है.
- इसका ऊष्मा मूल्य (calorific value) ~52,000 KJ/kg है.
- इसके अन्य सभी गुणधर्म CNG के समान होते हैं.
- कंप्रेस्ड बायो गैस वाहनों में एक वैकल्पिक और अक्षय्य ईंधन के रूप में प्रयुक्त हो सकता है.
- हमारे देश में जैव पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं इसलिए बहुत संभव है कि आगामी वर्षों में यह परिवहन, उद्योग और वाणिज्य में CNG में ले लेगा.
- संदामित जैव-गैस जिन जैव पदार्थों से बनाया जा सकता है, वे हैं – खेती का कचरा, शहरों का ठोस कचरा, ईख की शिष्टियाँ, शराब बनाने के समय निकला अपशिष्ट, गोबर, नालों का उपचार करने वाले संयंत्र का मलबा, शीत भंडारों के सड़े हुए आलू, सड़ी हुई तरकारियाँ, दुग्ध संयंत्रों के अपशिष्ट, मुर्गियों की बीट, बचा हुआ भोजन, बागवानी का कचरा, जंगल के अपशिष्ट, कारखानों से निकलने वाले पदार्थों के उपचार से बचा अपशिष्ट आदि.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : National Science Day 2018
संदर्भ
प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 28 फरवरी को रमन प्रभाव के आविष्कार की स्मृति में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया. ज्ञातव्य है कि प्रसिद्ध भारतीय भौतिकशास्त्री सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन ने रमन प्रभाव (Raman effect) का आविष्कार किया था और उन्हें इसके लिए 1930 में भौतिकी का नोबल पुरस्कार दिया गया था. इस बार की थीम है :- लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग.
सी.वी. रमन कौन थे?
चन्द्रशेखर वेंकट रमन जो सी वी रमन के नाम से प्रसिद्ध हैं, न केवल एक महान् वैज्ञानिक थे बल्कि मानव कल्याण और मानवीय सम्मान की वृद्धि में विश्वास करते थे. उन्हें 1930 में भौतिकी में नोबल पुरस्कार मिला और चन्द्रशेखर रमन पुरस्कार प्राप्त करने वाले वह पहले एशियाई थे. श्री सी.वी. रमन का जन्म 7 नवंबर, 1888 ई. में तमिलनाडु में तिरूचिरापल्ली नगर में हुआ था. सी वी रमन के पिता भौतिकी और गणित के प्रोफेसर थे. वह संस्कृत साहित्य, संगीत और विज्ञान के वातावरण में पले बड़े हुए. प्रकृति ने उन्हें तीव्र एकाग्रता, प्रखर बुद्धि और अन्वेषण की प्रवृत्ति प्रदान की थी.
रमन प्रभाव क्या है?
जब एक रंग का प्रकाश पुंज एक पारदर्शी पदार्थ से होकर गुजरता है, तो वह बिखर जाता है. रमन ने इस बिखरे हुए प्रकाश का अध्ययन किया. उन्होंने देखा कि पानी में डाली गई एक प्रमुख प्रकाश की रेखा के समानान्तर दो बहुत कम चमक वाली रेखाएँ दृष्टिगोचर होती हैं. इससे यह ज्ञात होता है यद्यपि पानी में डुबोया गया प्रकाश एकवर्णी था परंतु बिखरा हुआ प्रकाश एकवर्णी नहीं था. इस प्रकार प्रकृति का एक बहुत बड़ा रहस्य उनके समक्ष उद्घाटित हो गया. यह परिवर्तन रमन प्रभाव के नाम से ही प्रसिद्ध हो गया और बिखरे हुए प्रकाश की विशेष रेखाएँ भी ‘रमन रेखाएँ’ के नाम से प्रसिद्ध हो गईं. यद्यपि वैज्ञानिक इस प्रश्न पर विवाद करते रहे हैं कि क्या प्रकाश लहरों के समान हैं अथवा कणों के? लेकिन रमन प्रभाव ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रकाश छोटे-छोटे कणों से मिल कर बनता है जिन्हें फोटोन कहा जाता है. चन्द्रशेखर वी रमन एक महान् शिक्षक और एक महान् पथ-प्रदर्शक भी थे. वह अपने छात्रों में अत्यधिक आत्मविश्वास भर देते थे. उनका एक विद्यार्थी बहुत ही निराश था क्योंकि उसके पास केवल एक किलो वॉट की शक्ति वाला एक्सरे यंत्रा था जबकि उस समय इंग्लैण्ड में वैज्ञानिक 5 किलोवाट की शक्ति वाले एक्सरे यंत्र से कार्य कर रहे थे. डा. रमन ने उसे प्रोत्साहित करते हुए, बदले में 10 किलोवाट की शक्ति वाला मस्तिष्क प्रयोग करने का सुझाव दिया. डा. रमन का जीवन हम सबके लिए अनुकरणीय है. जब भारत अंग्रेजों के वर्चस्व से पीड़ित था और शोध कार्य के लिए भौतिक संसाधन बहुत अल्प थे, उन्होंने अपनी प्रतिभाशाली मस्तिष्क रूपी प्रयोगशाला का ही प्रयोग किया. उन्होंने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए सिद्ध कर दिखाया कि किस प्रकार हमारे पूर्वजों ने मस्तिष्क के बल पर बड़े-बड़े सिद्धांतों की खोज कर डाली.
Prelims Vishesh
2nd Edition of ISL Dictionary :-
- भारतीय संकेत भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (Indian Sign Language Research & Training Centre – ISLR&TC) ने अपने संकेत भाषा शब्दकोष का दूसरा संस्करण प्रकाशित किया है.
- इसमें शैक्षणिक, वैधानिक, चिकित्सा-सम्बंधित, प्रौद्योगिकी-सम्बंधित एवं दैनंदिन प्रयोग के 6,000 शब्द हैं.
“South Coast Railway (SCoR)”- a new Zone of Indian Railways :-
- भारतीय रेलवे ने एक नया जोन बनाया है जिसका मुख्यालय विशाखापत्तनम रहेगा.
- इस जोन का नाम “दक्षिण तटीय रेलवे” होगा जिसका नाम वर्तमान के गुंटकल, गुंटुर और विजयवाड़ा प्रमंडल होंगे.
Technology Support and Outreach (TECH-SOP) :-
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने हाल ही में TECH-SOP नामक एक नई पहल की है जिसका उद्देश्य MSME इकाइयों को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराना है जिससे कि वे वैश्विक मूल्य शृंखला का अंश बन सकें.
India’s first indigenous semiconductor chips for 4G/LTE and 5G NR modems :-
- बंगलुरु में स्थित “सिग्नलचिप” नामक एक अर्धचालक बनाने वाली कम्पनी ने 4G/LTE और 5G NR मॉडमों के लिए देश का पहला स्वदेशी अर्धचालक चिप तैयार किया है.
- इस प्रकार भारत विश्व के उन गिने-चुने देशों में से एक हो गया है जिसके पास अपना अर्धचालक चिप होगा.
- भारत की डाटा सुरक्षा और डाटा संप्रभुता पर इसका अत्यंत बड़ा प्रभाव होगा.
Aarohan Social Innovation Awards :-
- इनफ़ोसिस फाउंडेशन ने आरोहन सामाजिक नवाचार पुरस्कार देने का निर्णय लिया है.
- यह पुरस्कार उन व्यक्तियों, दलों अथवा गैर-सरकारी संगठनों को दिए जाएँगे जो सामाजिक प्रक्षेत्र के लिए नए-नए समाधान विकसित करेंगे.
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