Sansar Daily Current Affairs, 28 January 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.
Topic : Lala Lajpat Rai
संदर्भ
जनवरी 28 को लाला लाजपत राय की 156वीं जयंती मनाई गई.
लाला लाजपत राय से सम्बंधित मुख्य तथ्य
लाला लाजपत राय का जन्म 1865 ई. में पंजाब में हुआ था. उनके पिता स्कूल-इंस्पेक्टर थे. लाला लाजपत बचपन से ही प्रखर बुद्धि के थे. उन्हें प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति से बहुत लगाव था. इसी लगाव के चलते ही उन्होंने प्राचीन विद्या, धर्म और संस्कृति का गहन रूप से अध्ययन किया. वे भी विदेशी शासन के विरोधी थे. उनका राजनीतिक दर्शन दयानंद सरस्वती के दर्शन से प्रभावित था. अपनी शिक्षा ख़त्म कर के वे सक्रिय रूप से राजनीति में संग्लन हो गए.
इतिहास में से लाला लाजपत का स्थान
1888 ई. में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. वे कांग्रेसी के नरमपंथी नेताओं और कांग्रेस की भिक्षा की नीति से काफी असंतुष्ट थे. तिलक के सामान वे भी उग्र राष्ट्रवादिता के हिमायती थी. जल्द ही तिलक और बिपिनचंद्र पाल के साथ उन्होंने अपना उग्रवादी गुट बना लिया जिसे लाल-बाल-पाल (<<Click to read in detail) के नाम से जाना गया. इन लोगोंने कांफ्रेस की शांतिपूर्ण नीतियों का विरोधरंभ किया. फलतः, कांग्रेस के अन्दर नरमपंथियों का प्रभाव कम होने लगा और उग्रवादियों का प्रभाव बढ़ने लगा. बनारस कांग्रेस अधिवेशन (1905 ई.) में उग्रवादियों ने कांग्रेस पंडाल में भी अलग बैठक की. लाजपत राय ने भी इसमें भाग लिया. उन्होंने कहा कि अगर “भारत स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहता है तो उसको भिक्षावृत्ति का परित्याग कर स्वयं अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा.”
इनके विषय में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें > लाला लाजपत राय
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Women related issues.
Topic : SUKANYA SAMRIDDHI YOJANA
संदर्भ
तेलंगाना के एक सुदूर गांव हरिदासपुर में किसी लड़की का जन्म होने पर मिठाई बांटकर और दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है.
गाँव के नजरिए में यह परिवर्तन पंचायत अध्यक्ष मो. शफी और पंचायत सचिव रोहित कुलकर्णी के प्रयासों के कारण हुआ है.
सरकारी प्रयास
गाँव की सभी बालिकाओं का सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddi Yojana– SSY) के तहत खाता खोला जाएगा. सुकन्या समृद्धि योजना, केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक बचत योजना है.
सुकन्या समृद्धि योजना क्या है?
- सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) बालिकाओं के लिए एक लघु-बचत योजना है जिसका आरम्भ बेटो बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत किया गया है.
- इस योजना में जमा-राशि पर आयकर अधिनियम, 1961 के अनुभाग 80 C के तहत छूट मिलती है.
- सुकन्या समृद्धि खाता बालिका के जन्म के बाद उसके 10 वर्ष के होने तक कभी भी न्यूनतम राशि 250 रु. जमा करके खोला जा सकता है.
- अभिभावक चाहे तो इस खाते डेढ़ लाख रूपए तक जमा कर सकता है.
- सुकन्या समृद्धि खाता किसी भी डाकघर अथवा प्राधिकृत व्यावसायिक बैंक की शाखा में खोला जा सकता है.
- यह खाता खुलने के बाद 21 वर्ष तक अथवा लड़की के 18 वर्ष होने तक चालू रहेगा.
- लड़की की उच्चतर शिक्षा के खर्चे के लिए इस खाते में से 50% उपलब्ध राशि को लड़की के 18 वर्ष की हो जाने के बाद निकाला जा सकता है.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP)
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) जनवरी 2015 में आरम्भ की गई थी.
- इस योजना का उद्देश्य लैंगिक समानता तथा लड़कियों की पढ़ाई के महत्त्व को बढ़ावा देना है.
- इस योजना में केंद्र सरकार के कार्यान्वयन में तीन मंत्रालय सहयोग (tri-ministerial effort) करते हैं. ये मंत्रालय हैं – महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय.
योजना की महत्ता और आवश्यकता
1961 से भारत में लगातार शिशु लिंग अनुपात (child sex ratio) गिरता जा रहा है. 1991 में यह अनुपात 945 था जो घटकर 2001 में 927 हो गया और आगे चल कर 2011 में 918 हो गया. यह गिरावट खतरनाक है. लिंग अनुपात की इस गिरावट के कई मूलभूत कारण हैं, जैसे – समाज में लड़कियों के प्रति भेदभाव की परम्परा, लिंग के निर्धारण के लिए उपकरणों का सरलता से उपलब्ध होना, उनका सस्ता होना और उनका दुरूपयोग किया जाना.
शिशु लिंग अनुपात
शिशु लिंग अनुपात (Child Sex Ratio – CSR) 0 से 6 वर्ष के बच्चों में प्रत्येक एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या को कहते हैं. इसलिए इस अनुपात में गिरावट को स्त्रियों की अशक्तता का एक बहुत बड़ा संकेत माना जाता है. यह अनुपात इस सच्चाई को भी प्रतिबिम्बित करता है कि लिंग निर्णय के द्वारा गर्भ में ही बच्चियों के साथ भेद-भाव होता है और उनके जन्म के उपरान्त भी वे भेद-भाव की शिकार होती हैं.
इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
बाल लिंग अनुपात में गिरावट की रोकथाम के लिए की गयी पहल
- बेटी बचाओं बेटी पढाओं योजना
- सुकन्या समृद्धि योजना
- पूर्व गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन का प्रतिषेध) अधिनियम, 1994
- आंध्र प्रदेश सरकार की गले चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम
- हरियाणा सरकार द्वारा “आपकी बेटी, हमारी बेटी” योजना
- राजस्थान सरकार की आश्रय योजना
- तमिलनाडु सरकार की शिवगामी अम्माययार मेमोरियल कन्या संरक्षण योजना
- बिहार सरकार की मुख्य मंत्री कन्या सुरक्षा योजना
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Internal security related issues.
Topic : India’s Decision To Ban 59 Apps Violates WTO Rules: China
संदर्भ
चीन ने भारत सरकार द्वारा 59 चीनी मोबाइल एप्लीकेशन पर प्रतिबंध को एक तरफा करार देते हुए इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि भारत की यह कार्रवाई विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन हो सकती है. यह विश्व व्यापार और ई-वाणिज्य के सामान्य प्रचलन के खिलाफ है. इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता के हित भी प्रभावित होते हैं.
विश्व व्यापार के लिए डबल्यूटीओ के सिद्धान्त क्या हैं?
- विश्व व्यापार के लिए डब्ल्यूटीओ के वर्तमान नियमों को निम्नलिखित समझौतों के तहत संहिताबद्ध किया गया है:
- वस्तुओं के अंतराष्ट्रीय व्यापार और शुल्क पर सामान्य समझौता (General Agreement on Tariffs and Trade-GATT)
- सेवाओं के व्यापार पर सामान्य समझौता (General Agreement on Trade in Services-GATS)
- बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौता (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS)
- ज्ञातव्य है कि GATT की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की गई थी, जबकि GATS और TRIPS दोनों 1995 में लागू किए गए था.
- इन समझौतों का उद्देश्य वैश्विक बाजार अर्थव्यवस्था में मुक्त व्यापार के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना है.
डबल्यूटीओ के नियमों के कुछ महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं:
- आयात-विरोधी शुल्कों को समाप्त करना
- सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को आसान करना
- संरक्षणवाद को बढ़ावा देने वाले घरेलू कानूनों और करों को हतोत्साहित करना
- कोटा और सब्सिडी कम करना
डबल्यूटीओ के नियम सामान्य सिद्धांतों पर आधारित हैं, इनमें गैर-भेदभाव, मुक्त व्यापार, पूर्वानुमान और आर्थिक संवृद्दि और विकास को बढ़ावा देना शामिल है.
भारत ने क्यों प्रतिबंध लगाया था?
भारत सरकार का कहना था कि ये चीनी एप उपभोक्ताओं के डेटा को चुराकर, उन्हें गुपचुक तरीके से भारत के बाहर स्थित सर्वर को भेजते हैं. भारत सरकार का मानना था कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति शत्रुता रखने वाले तत्वों द्वारा इन आंकड़ों का संकलन, इसकी जांच-पड़ताल और प्रोफाइलिंग अंतत: भारत की संप्रभुता और अखंडता पर आधात होता है जो एक बहुत अधिक चिंता का विषय है, एवं जिसके विरुद्ध आपातकालीन उपायों की जरूरत है. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी कानून और नियमों की धारा 69ए के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया था.
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डेटा स्थानीयकरण का अर्थ : डेटा स्थानीयकरण का अर्थ, डेटा उत्पन्न करने वाली किसी देश की सीमाओं में भौतिक रूप से मौजूद किसी डिवाइस पर डेटा संग्रहीत करना है. भारतीय नागरिकों का डेटा भारतीय भू-भाग में ही स्थित किसी केंद्र में संग्रहीत किया जाना अनिवार्य है.
श्रीकृष्ण समिति ने डेटा के सीमा पार स्थानांतरण और भंडारण पर रोक लगाने हेतु इससे संबंधित मानकों को सख्त करने का सुझाव दिया है. समिति, विदेशी सर्विलांस को रोकने हेतु, भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस परिवेश तैयार करने तथा कानून प्रवर्तन के लिए डेटा का स्थानीयकरण पर जोर देती है.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने केवल भुगतान प्रणाली डेटा को भारत में संग्रहीत करने के लिए भुगतान प्रणाली प्रदाताओं के लिए एक कठोर डेटा स्थानीयकरण अधिदेश लागू किया है.
सरकार, वर्ष 2018 से एक डेटा संरक्षण नीति ड्राफ्ट पर भी काम कर रही है, जो इस समय एक संयुक्त संसदीय समिति के विचाराधीन है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Infrastructure
Topic : Ageing dams in India, U.S. and other nations
संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिवेदन के अनुसार भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा अन्य राष्ट्रों में पुराने हो चुके बाँधों से खतरा बढ़ रहा है.
“एजिंग वॉटर इन्फ्रास्ट्रक्चर: एन इमर्जिंग ग्लोबल रिस्क” (Ageing water infrastructure: An emerging global risk) के शीर्षक वाली रिपोर्ट प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में बड़े बांधों की निर्माण संबंधी प्रवृत्तियों का विश्लेषण करती है.
प्रतिवेदन के प्रमुख निष्कर्ष
- वर्ष 2050 तक, अधिकांश जनसंख्या बड़े बांधों के निचले क्षेत्रों की ओर निवास कर रही होगी, क्योंकि वर्ष 1930 से वर्ष 1970 के मध्य विश्व के अधिकांश बड़े बांधों का निर्माण 50 से 100 वर्षों की जीवनावधि के लिए ही किया गया था.
- विश्व के 55% बड़े बांध चीन, भारत, जापान और दक्षिण कोरिया में स्थित हैं.
- विश्व स्तर पर लोक सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा रख-रखाव की बढ़ती लागत व जलाशयों के अवसादन जैसी चुनौतियों से निपटने और नदी के प्राकृतिक पारिस्थितिकी-तंत्र की पुनर्स्थापना को सुनिश्चित करने के लिए पुराने हो चुके बांधों को सेवा-मुक्त (decommissioning) किए जाने का प्रचलन है.
सेवा-मुक्ति के साथ समस्या
कृषि, पर्यटन और जल विद्युत आदि के प्रभावित होने के कारण स्थानीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तन होता है. किसी विशेष क्षेत्र का सांस्कृतिक इतिहास और विरासत प्रभावित होते हैं. रिपोर्ट में एक प्रोटोकॉल की रूपरेखा को विकसित करने का सुझाव दिया गया है, जो बांध की सेवा-मुक्ति प्रक्रिया को निर्देशन और गति प्रदान करेगा. बांध की सेवा-मुक्ति की प्रक्रिया को भी उसी पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environment Impact Assessment) से गुजरना चाहिए, जो बांध निर्माण के चरण में आवश्यक है.
EIA क्या है?
- EIA एक औपचारिक प्रक्रिया है जिसका प्रयोग किसी विकास परियोजना के पर्यावरणीय परिणामों की भविष्यवाणी करने में किया जाता है. इस आकलन का वैधानिक आधारपर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986 है जिसमें EIA की कार्य-पद्धति और प्रक्रिया के विषय विभिन्न प्रावधान किये गये हैं.
- EIA भारत की पर्यावरणीय निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण घटक है जिसमें उन्हें प्रस्तावित परियोजनाओं के संभावित प्रभावों का विस्तृत अध्ययन माना जाता है.
- EIA किसी प्रस्तावित विकास योजना में संभावित पर्यावरणीय समस्या का पूर्व आकलन करता है और योजना के निर्माण व प्रारूप निर्माण के चरण में उससे निपटने के उपाय करता है.
- यह योजना निर्माताओं के लिये एक उपकरण के रूप में उपलब्ध है, ताकि विकासात्मक गतिविधियों और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के बीच समन्वय स्थापित हो सके.
- इन प्रतिवेदनों के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय या अन्य प्रासंगिक नियामक निकाय किसी परियोजना को मंज़ूरी दे सकते हैं अथवा नहीं.
- वैसे भारत में EIA इसका व्यावहारिक आरंभ 1978-79 में नदी-घाटी परियोजनाओं के प्रभाव आकलन से हुआ और कालांतर में इसके दायरे में उद्योग, ताप विद्युत परियोजनाएँ आदि को भी शामिल किया गया.
- भारत में EIA प्रक्रिया अनुवीक्षण, बेसलाइन डेटा संग्रहण, प्रभाव आकलन, शमन योजना EIA प्रतिवेदन, लोक सुनवाई आदि चरणों में संपन्न होती है.
- एक बार आकलन पूरा हो जाने के पश्चात् EIA अपना प्रतिवेदन सभी हितधारकों को भेज देता है. ये हितधारक हैं – निर्माणकर्ता, निवेशक, नियामक, योजना निर्माता, राजनीतिज्ञ, प्रभावित समुदाय आदि-आदि.
- इस प्रतिवेदन में दिए गये निष्कर्ष के आधार पर सरकार यह तय करती है कि कोई योजना पर्यावरणीय अनुमति देने योग्य है अथवा नहीं.
- निर्माणकर्ता और निवेशक भी इस प्रतिवेदन को देखकर परियोजना को इस प्रकार नया रूप दे सकते हैं जिससे होने वाली क्षति कम की जा सके और लाभ को अधिकतम बढ़ाया जा सके.
EIA के लाभ
- स्वस्थ स्थानीय पर्यावरण विकास में सहायक.
- पर्यावरण मानकों का पालन.
- पर्यावरण की हानि या आपदाओं में कम जोखिम.
- जैव विविधता का रख-रखाव.
- सूचित निर्णयन के कारण संसाधनों के उपयोग में कमी.
- समुदायों की भागीदारी में वृद्धि तथा सतत् विकास की सुनिश्चितता.
EIA के उद्देश्य
- गहरे समुद्र खनिजों के साथ जुड़ी पर्यावरण स्थितियों का मूल्यांकन करना.
- वितलीय क्षेत्रों में तलछट पारिस्थितिक तंत्र और जैव भूगोल का मूल्यांकन करना.
- इन क्षेत्रों में भू-जैव रासायनिक प्रक्रियाओं के बीच परस्पर क्रिया को समझना.
- गहरे समुद्र खनिज संसाधनों के खनन के लिए पर्यावरण डेटा को विकसित करना.
- प्रथम पीढ़ी खनन (एफजीएम) स्थल के लिए ईएमपी तैयार करना.
मेरी राय – मेंस के लिए
बाँध प्रबंधन में सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- देश के सभी निर्दिष्ट बांधों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन, और रख-रखाव हेतु लोकसभा द्वारा 2019 का बाँध सुरक्षा विधेयक पारित किया गया है.
- चयनित बाँधों की सुरक्षा व परिचालन से सम्बंधित प्रदर्शन में सुधार करने के बाँध पुनरुद्धार और सुधार परियोजना (Dam Rehabilitation and Improvement Project: DRIP) के द्वितीय एवं तृतीय चरण को स्वीकृति प्रदान की है.
- भारत में सभी बड़े बाँधों की संरचना और स्थिति से सम्बंधित डेटा के प्रभावी संग्रह और प्रबंधन के लिए डैम हेल्थ एंड रिहैबिलिटेशन मॉनिटरिंग (धर्मा/ DHARMA) सॉफ्टवेयर का संचालन भी आरंभ किया गया है.
- दक्षिण भारतीय क्षेत्र में एक स्थान पर भूकंपीय खतरे का अनुमान लगाने हेतु भूकंपीय खतरा विश्लेषण सूचना प्रणाली (Seismic Hazard Analysis Information System: SHAISYS) स्थापित की गई है.
Prelims Vishesh
Mudumalai Tiger Reserve :-
- यह तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में स्थित है.
- यह पश्चिम में वायनाड वन्यजीव अभ्यारण्य (केरल) तथा उत्तर में बांदीपुर टाइगर रिज़र्व (कर्नाटक) के साथ सीमा साझा करता है.
- यह रिजर्व नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है.
- नीलगिरी भारत का प्रथम बायोस्फीयर रिजर्व है.
- इसे वर्ष 1966 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था.
- जीव-जंतु: बाघ, हाथी, भारतीय गौर, पैंथर, सांभर, चित्तीदार मृग, भौंकने वाले मृग (Barking Deer), माउस डियर, सामान्य लंगूर, मालाबार विशालकाय गिलहरी (Malabar Giant Squirrel), जंगली कुत्ता, नेवला, जंगली बिल्ली, लकड़बग्घा (hyena) आदि.
Various initiatives launched by Tribal Ministry for tribal migrants :-
- श्रमशक्ति: यह जनजातीय प्रवासी श्रमिक सम्बन्धी डेटा एकत्र करने और उन्हें वर्तमान कल्याणकारी योजनाओं से संबद्ध करने के लिए एक पोर्टल है. इसमें जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल, आजीविका विकल्प, कौशल संबंधी मानचित्रण और प्रवासन की प्रवृति से संबंधित विवरण सम्मिलित होंगे.
- श्रमसाथी: यह एक जनजातीय प्रशिक्षण मॉड्यूल है. इसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक आजीविका से संबंधित प्रवास की प्रक्रिया सुरक्षित और उत्पादक है. यह प्रशिक्षण मॉड्यूल जनजातीय प्रवासी श्रमिकों को प्रवास से पूर्व और उपरांत आजीविका एवं सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सेवाओं, अधिकारों व स॒विधाओं की माँग करने तथा उन तक पहुँच को संभव बनाएगा.
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