Sansar Daily Current Affairs, 28 July 2021
GS Paper 1 Source : PIB
UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.
Topic : Dholavira
संदर्भ
हाल ही में हड़प्पा कालीन नगर धोलावीरा को यूनेस्को द्वारा “विश्व धरोहर स्थल सूची” में शामिल किया गया है. यह भारत में विश्व विरासत स्थल का टैग प्राप्त करने वाला प्राचीन सिंधु नदी घाटी सभ्यता का पहला स्थल है.
धोलावीरा
- इसकी खोज जगतपति जोशी (JP Joshi) ने1967-68 में की लेकिन इसका विस्तृत उत्खनन 1990-91 में रवीन्द्रसिंह बिस्ट (RS Bisht) ने किया.
- यह स्थल अपनी अद्भुत् नगर योजना, दुर्भेद्य प्राचीर तथा अतिविशिष्ट जलप्रबंधन व्यवस्था के कारण सिन्धु सभ्यता का एक अनूठा नगर था.
विशेषताएँ
- धोलावीरा नगर तीन मुख्य भागों में विभाजित था, जिनमें दुर्गभाग (140×300 मी.) मध्यम नगर (360×250 मी.) तथा नीचला भाग (300×300 मी.) हैं. मध्यम नगर केवल धोलावीरा (dholavira) में ही पाया गया है. यह संभवतः प्रशासनिक अधिकारियों एवं महत्त्वपूर्ण नागरिकों के लिए प्रयुक्त किया जाता था. दुर्ग भाग में अतिविशिष्ट लोगों के निवास रहे होंगे, जबकि निचला नगर आम जनों के लिए रहा होगा. तीनों भाग एक नगर आयताकार प्राचीर के भीतर सुरक्षित थे. इस बड़ी प्राचीर के अंतर्गत भी अनेक छोटे-बड़े क्षेत्र स्वतंत्र रूप से मजबूत एवं दुर्भेद्य प्राचीरों से सुरक्षित किये गए थे. इन प्राचीर युक्त क्षेत्रों में जाने के लिए भव्य एवं विशाल प्रवेशद्वार बने थे.
- धोलावीरा नगर के दुर्ग भाग एवं माध्यम भाग के मध्य अवस्थित 283×47 मीटर की एक भव्य इमारत के अवशेष मिले हैं. इसे स्टेडियम बताया गया है. इसके चारों ओर दर्शकों के बैठने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं.
- यहाँ से पाषाण स्थापत्य के उत्कृष्ट नमूने मिले हैं. पत्थर के भव्य द्वार, वृत्ताकार स्तम्भ आदि से यहाँ की पाषाण कला में निपुणता का पर्चे मिलता है. पौलिशयुक्त पाषाण खंड भी बड़ी संख्या में मिले हैं, जिनसे विदित होता है कि पत्थर पर ओज लाने की कला से धोलावीरा के कारीगर सुविज्ञ थे.
- धोलावीरा से सिन्धु लिपि के सफ़ेद खड़िया मिट्टी के बने दस बड़े अक्षरों में लिखे एक बड़े अभिलेख पट्ट की छाप मिली है. यह संभवतः विश्व के प्रथम सूचना पट्ट का प्रमाण है.
- इस प्रकार धोलावीरा एक बहुत बड़ी बस्ती थी जिसकी जनसंख्या लगभग 20 हजार थी जो मोहनजोदड़ो से आधी मानी जा सकती है. हड़प्पा सभ्यता से उद्भव एवं पतन की विश्वसनीय जानकारी हमें धौलावीरा से मिलती है. जल स्रोत सूखने व नदियों की धरा में परिवर्तन के कारण इसका विनाश हुआ.
- गुजरात के कच्छ जिले के मचाऊ तालुका में मानसर एवं मानहर नदियों के मध्य अवस्थित सिन्धु सभ्यता का एक प्राचीन तथा विशाल नगर, जिसके दीर्घकालीन स्थायित्व के प्रमाण मिले हैं. इसका अन्वेषण जगतपति जोशी ने 1967-68 ईस्वी में किया लेकिन विस्तृत उत्खनन रवीन्द्रसिंह बिस्ट द्वारा संपन्न हुआ.
- यहाँ 16 विभिन्न आकार-प्रकार के जलाशय मिले हैं, जो एक अनूठी जल संग्रहण व्यवस्था का चित्र प्रस्तुत करते हैं. इनमें दो का उल्लेख समीचीन होगा —
- एक बड़ा जलाशय दुर्ग भाग के पूर्वी क्षेत्र में बना हुआ है. यह लगभग 70 x 24 x 7.50 मीटर हैं. कुशल पाषाण कारीगरी से इसका तटबंधन किया गया है तथा इसके उत्तरी भाग में नीचे उतरने के लिए पाषाण की निर्मित 31 सीढ़ियाँ बनी हैं.
- दूसरा जलाशय 95 x 11.42 x 4 मीटरका है तथा यह दुर्ग भाग के दक्षिण में स्थित है. संभवतः इन टंकियों से पानी वितरण के लिए लम्बी नालियाँ बनी हुई थीं. महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि इन्हें शिलाओं को काटकर बनाया गया है इस तरह के रॉक कट आर्ट का यह संभवतः प्राचीनतम उदाहरण है.
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GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.
Topic : International North–South Transport Corridor
संदर्भ
हाल ही में “पाकिस्तान-अफगानिस्तान-उजबेकिस्तान” (PAKAFUZ) प्रस्ताव के तहत 573 किमी लंबी एक रेलवे परियोजना प्रस्तावित की गई है. यह रेल परियोजना, उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और पाकिस्तान के उत्तरी शहर पेशावर से जोड़ेगी. इस परियोजना को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की उत्तरी शाखा भी कहा जा सकता है. यह परियोजना भारत के अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान एवं मध्य एशिया एक पहुँच बनाने की योजनाओं को प्रभावित करती है, क्योंकि यह नई रेल परियोजना अफ़ग़ानिस्तान को INSTC का विकल्प उपलब्ध करवाती है.
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा
- भारत, INSTC (International North–South Transport Corridor) का संस्थापक है. इसकी अभिपुष्टि 2002 में की गई थी.
- इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) के माध्यम से मध्य एशिया और यूरोप से कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए ईरान एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है.
- भारतअंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) का हिस्सा है, जो कि भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल की आवाजाही हेतु जहाज़, रेल और सड़क मार्ग का एक नेटवर्क है.
- 2015 में JCPOA पर हस्ताक्षर किये जाने के बाद ईरान से प्रतिबन्ध हटा दिए गये और INSTC की योजना में तीव्रता आई.
मेरी राय – मेंस के लिए
- इस परियोजना से भारतीय हितों पर असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि यह योजना, ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए बनाई जा रही है.
- भारत के लिए अब सबसे बड़ी चिंता यह है, कि PAKAFUZ में अफगानिस्तान के शामिल होने से, यह देश अब हिंद महासागर तक पहुंच के लिए INSTC पर निर्भर नहीं रहेगा. PAKAFUZ, मुख्यतः चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की उत्तरी शाखा के रूप में कार्य करेगा, जिसे अब N-CPEC भी कहा जा सकता है.
- इसका परिणाम यह होगा कि भारत, मध्य एशिया में चीनी प्रभाव को “संतुलित” करने में कम सक्षम होगा, जिससे भारत को अपनी प्रासंगिक रणनीति का फिर से मूल्यांकन करना पड़ेगा.
- मध्य एशिया पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, भारत को तार्किक रूप से, अपना अधिक समय, ध्यान और प्रयास, भारत-प्रशांत क्षेत्र के ‘एफ्रो-यूरेशियन रिमलैंड’ में अपनी पहुँच बढ़ाने के लिए समर्पित करना चाहिए. इस क्षेत्र में भारत के पास यूरेशियन हार्टलैंड की तुलना में काफी अधिक अवसर हैं.
- इज़राइल द्वारा दिसंबर 2019 में भारत के साथ अपनी ‘पार-क्षेत्रीय संपर्क योजना’- “ट्रांस-अरेबियन कॉरिडोर” (Trans-Arabian Corridor – TAC) – को साझा किया गया था. भारत को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए.
- कुछ साल पहले से लगभग भुलाए जा चुके ‘भारत-जापान के संयुक्त ‘एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर’ (Asia-Africa Growth Corridor – AAGC) को पुनर्जीवित किया जा सकता है.
- भारत पहले से ही व्लादिवोस्तोक-चेन्नई मैरीटाइम कॉरिडोर (VCMC) के माध्यम से रूस के संबंध में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस कॉरिडोर की घोषणा वर्ष 2019 में प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन द्वारा ‘ईस्टर्न इकोनोमिक फोरम’ के आयोजन के दौरान की गई थी.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Related to Space.
Topic : Nauka Module
संदर्भ
हाल ही में रूस द्वारा कजाकिस्तान के बैकानूर से “नउका‘ लैब मॉड्यूल (Nauka Lab Module)” को प्रक्षेपित किया गया है. यह मॉड्यूल 29 जुलाई को “अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन” (Pirs) से जुड़ जाएगा.
नउका लैब मॉड्यूल के बारे में
- रूसी भाषा में “नउका” (Nauka) का अर्थ “विज्ञान” होता है. यह रूस द्वारा लॉन्च की गई अब तक की सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रयोगशाला है.
- यह ISS पर लगे एक रूसी मॉड्यूल पिर्स (Pirs) की जगह लेगा.
‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ के बारे में
- ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (International Space Station- ISS) की शुरुआत वर्ष 1998 में की गयी थी और इसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी सहित रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जापान की अंतरिक्ष एजेंसीज सम्मिलित हैं. ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (ISS), मानव इतिहास में सबसे महत्त्वाकांक्षी अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों में से एक है.
- ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (ISS) पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित एक ‘मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन’ (निवास योग्य कृत्रिम उपग्रह) है.
- आईएसएस, सूक्ष्म-गुरुत्वीय (Microgravity) और अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है, जिस पर खगोल-जीवविज्ञान, खगोल विज्ञान, मौसम विज्ञान, भौतिकी और अन्य क्षेत्रों से संबंधित वैज्ञानिक प्रयोग किए जाते हैं.
- आईएसएस, लगभग 93 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है तथा प्रति दिन 5 चक्कर पूर्ण करता है.
- सोवियत संघ तथा इसके बाद रूस द्वारा भेजे गए साल्युत (Salyut), अल्माज़, और मीर स्टेशनों, तथा अमेरिका द्वारा भेजे गए ‘स्काईलैब’ के बाद आईएसएस नौवाँ अंतरिक्ष स्टेशन है जिस पर चालक दल निवास करता है.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Internal security related issues.
Topic : Border issue between Assam and Mizoram
संदर्भ
हाल ही में असम और मिजोरम की सीमाओं पर दोनों राज्यों की पुलिस एवं स्थानीय नागरिकों के मध्य हिंसक झड़प में असम पुलिस के 6 जवान मारे गये और दोनों ओर के 50 से अधिक व्यक्ति घायल हुए. दोनों राज्यों की सरकारें एक दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा रही हैं एवं केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रही हैं.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि गत सप्ताह ही केन्द्रीय गृह मंत्री ने उत्तर-पूर्व का दौरा कर सीमा विवाद को हल करने की बात कही थी.
सीमा विवाद के बारे में
ये दोनों राज्य 164 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. विवाद का प्रारम्भ वर्ष 1875 की एक अधिसूचना से हुआ था, जिसके अंतर्गत लुशाई पहाड़ियों को कछार क मैदानी अंचलों से पृथक् किया गया था. वर्ष 1933 की एक और अधिसूचना से भी विवाद को बढ़ावा मिला था. यह अधिसूचना लुशाई पहाड़ियों और मणिपुर के मध्य की सीमाओं का निर्धारण करती है.
वर्ष 1875 एवं 1933 में सीमाओं का निर्धारण किया गया. वर्ष 1875 का सीमांकन, बंगाल ईस्टर्न फ्रैंटियर रेगुलेशन (बीईएफआर) अधिनियम, 1873 से लिया गया था. इसने लुशाई पहाड़ियों को असम की बराक घाटी में कछार के मैदानी इलाकों से अलग किया. यह मिजो प्रमुखों के परामर्श से किया गया था. और यह दो साल बाद राजपत्र में इनर लाइन रिजर्व फॉरेस्ट सीमांकन का आधार बन गया.
वर्ष 1933 का सीमांकन लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच एक सीमा को चिह्नित करता है. जो लुशाई हिल्स, कछार जिले और मणिपुर के ट्राई-जंक्शन से शुरू होता है. मिज़ो लोग इस सीमांकन को इस आधार पर स्वीकार नहीं करते कि इस बार उनके प्रमुखों से परामर्श नही किया गया था. इस सीमांकन में लुशाई क्षेत्र जैसे- कछार जिओन, लाला बाजार, बंगा बाजार आदि मिजोरम से अलग दिखाए गये हैं, अत: इसकी बजाय मिजोरम के लोग वर्ष 1875 के सीमांकन को मानते हैं. मिजो लोगों के अनुसार वर्ष 1875 की इनर लाइन को ब्रिटिश शासन द्वारा पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) से प्रवासियों को लाकर बसाने के लिए दक्षिण की ओर धकेल दिया गया था. इससे मिजो लोग इस क्षेत्र की समतल भूमि से वंचित रह गये.
हालिया तनाव के पीछे कारण
वर्ष 1980 में मिजोरम के राज्य बनने के पश्चात् असम और मिजोरम राज्य सरकारों के बीच एक समझौता हुए था, जिसमें वे विवादित क्षेत्र में न्यूनतम हस्तक्षेप को राजी हुए थे. पिछले वर्ष में असम पुलिस अधिकारियों के मिजोरम के क्षेत्र में जाकर लोगों को धमकाने की बात सामने आई थी. मिजोरम के सीमावर्ती लोगों के अनुसार, इसके बाद लालीपुर असम के कुछ लोगों ने सड़कों को ब्लॉक कर दिया एवं इसी वर्ष मिजोरम के एक स्कूल एवं खेतों में बनी कई झोपड़ियों में आगजनी की घटनाएँ हुई. इस दौरान करीमगंज, असम एवं ममिउट, मिजोरम के निवासियों के बीच कई हिंसक झड़पें हुई. मिजोस्म सरकार के अनुसार सोमवार, 26 जुलाई को असम पुलिस के 200 जवान, अधिकारियों ने सुरक्षा चौकियों को पार कर मिजोरम के क्षेत्र में अंतर राज्यीय मार्ग पर वाहनों के साथ तोड़-फोड़ की. दूसरी ओर असम सरकार ने अपने बयान में कहा है कि मिजोरम सरकार ने समझौते को तोड़ते हुए लालीपुर वन क्षेत्र में से होते हुए रैंगती बस्ती, असम तक सड़क का निर्माण किया एवं इसके अलावा एक सुरक्षा चौकी CRPF चौकी के पास बनाई. इसी अवैध निर्माण को रोकने के लिए असम पुलिस वहाँ गई थी.
असम और नागालैंड असम और मेघालय दोनों राज्यों के मध्य 733 किलोमीटर की साझी सीमा के अंतर्गत 12 बिंदुओं पर विवाद है. असम और अरुणाचल प्रदेश दोनों राज्य 800 किलोमीटर से अधिक की सीमा साझा करते हैं. UNESCO and Government of Madhya Pradesh take their partnership forward :- Karnataka Is The First State To Provide 1% Reservation To Transgenders In Govt Services :- Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi June,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
Prelims Vishesh