Sansar Daily Current Affairs, 28 May 2019
GS Paper 1 Source: PIB
Topic : Veer Savarkar
संदर्भ
28 मई, 2019 को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की जयंती मनाई गई.
वीर सावरकर से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- सावरकर का पूरा नाम गणेश दामोदर सावरकर था.
- सावरकर ने 1904 में नासिक में ‘मित्रमेला’ नाम से एक संस्था आरंभ की थी जो शीघ्र ही मेजनी के ‘तरुण इटली’ की तर्ज पर एक गुप्त सभा ‘अभिनव भारत’ में परिवर्तित हो गयी.
- अभिनव भारत ने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए विदेशों से अस्त्र-शस्त्र मंगवाया और बम बनाने का काम रूसियों के सहायता से किया. अनेक गुप्त संस्थाएं बम्बई, पूना, नासिक, नागपुर, कोल्हापुर आदि जगहों में सक्रिय थीं. शीघ्र ही सरकार इनकी कार्यवाहियों से पराजित हो गयी.
- सावरकर स्वदेशी आन्दोलन से भी जुड़े रहे.
- कालांतर में सावरकर तिलक की स्वराज पार्टी में भी शामिल हुए थे.
- उनके राष्ट्रभक्ति से पूर्ण भाषणों एवं गतिविधियों से क्रुद्ध होकर ब्रिटिश सरकार ने उनकी BA की डिग्री वापस ले ली थी.
- जून, 1906 को बेरिस्टर बनने के लिए लंदन गये. वहाँ उन्होंने भारतीय छात्रों को भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एकत्र किया.
- सावरकर ने फ्री इंडिया सोसाइटी नामक एक समूह बनाया जो भारत की स्वतंत्रता के विषय में चर्चा करने के लिए बना था. यह सोसाइटी भारतीय पंचाग के अनुसार विभिन्न पर्वों तथा स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बंधित मुख्य तिथियों को मनाया करती थी.
- उन्होंने अंग्रेजो से भारत को मुक्त करने के लिए सशस्त्र आन्दोलन को बढ़ावा दिया और इसके लिए इंग्लैंड में रहने वाले भारतीयों का एक जत्था तैयार किया जिनके पास हथियार भी होते थे.
- 1908 में उन्होंने 1857 की क्रांति पर एक प्रमाणिक शोधग्रन्थ लिखा. वे अंग्रेजों के इस दावे को नहीं मानते थे कि यह घटना सिपाहियों का विद्रोह थी. इस पुस्तक का नाम ही रखा गया था – 1857 का भारतीय स्वातंत्र्य युद्ध. ब्रिटेन की सरकार ने इस पुस्तक के ब्रिटेन और भारत दोनों जगह छपने पर प्रतिबंध लगा दिया. आगे चलकर इस पुस्तक को मैडम भिकाजी कामा ने हौलेंड में प्रकाशित किया और कालांतर में यह पुस्तक भारत में क्रांतिकारियों तक पहुँच गई.
- जन नासिक के कलक्टर ए.एम.टी. जैक्सन को किसी युवा व्यक्ति ने गोली मारी तो सावरकर को इस हत्या का आरोपी इस आधार पर बनाया गया क्योंकि उनका इंडिया हाउस से सम्बन्ध रहा था.
- लन्दन में ही सावरकर को मार्च 13, 1910 को बंदी बना दिया गया और भारत भेज दिया गया.
- 1920 में विट्ठल भाई पटेल, महात्मा गाँधी और बाल गंगाधर तिलक जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों ने वीर सावरकर की रिहाई की माँग की परन्तु सावरकर को छोड़ा नहीं गया.
- मई 2, 1921 को उनको पहले रत्नागिरी जेल भेजा गया और फिर वहाँ से यरवदा जेल में बंद किया गया. कालांतर में उन्हें कालापानी की सजा मिली और उनको अंडमान निकोबार के सेलुलर जेल में रख दिया गया. वहाँ उन्होंने 14 वर्ष तक यातनाएं सहीं.
- रत्नागिरी जेल में रहते हुए सावरकर ने एक और पुस्तक लिखी, जिसका नाम था – हिंदुत्व, हू इज हिन्दू?
- सावरकर 1937 से 1943 तक हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रहे. जब 22 अक्टूबर, 1939 को कांग्रेस के मंत्रियों ने सरकार से त्यागपत्र दे दिया तो हिन्दू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ सहयोग कर सिंध, बंगाल और उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रान्त में सरकारें गठित कीं.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : ILO report on Women in Business and Management
संदर्भ
पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अपना दूसरा वैश्विक प्रतिवेदन निर्गत कर दिया है जिसका शीर्षक है – “व्यवसाय और प्रबंधन में महिलाएँ : परिवर्तन की आवश्यकता”.
मुख्य निष्कर्ष
- लैंगिक विविधता का लाभ उठाने के लिए विभिन्न उद्यमों में 30% महिलाओं का होना आवश्यक है.
- जिन उद्यमों का सर्वेक्षण किया गया उनमें से आधे ने बताया कि वहाँ प्रवेश के स्तर के प्रबंधन के पदों पर 30% से कम महिलाएँ काम कर रही हैं.
- 60% कम्पनियों में वरीष्ठ प्रबंधक और शीर्षस्थ कार्यकारी के पदों में 30% से कम महिलाएँ काम कर रही हैं.
- पूरे संसार को लिया जाए तो अभी भी श्रम बाजार में पुरुषों की भागीदारी महिलाओं से अधिक है. वर्ष 2018 में औषत वैश्विक श्रम बल में महिलाओं कि भागीदारी जहाँ 5% थी, वहीं पुरुषों की भागीदारी 75% थी. इस प्रकार दोनों लिंगों में 26.5% का अंतराल था.
- 1991 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में श्रमबल में स्त्रियों की भागीदारी 9% थी जो 7.6% घटकर 2018 में 45.3% रह गई.
महिला समावेशी उद्यम संस्कृति के लाभ
- जिन उद्यमों में महिलाओं का समावेश है वहाँ इस बात कि 60% संभावना है कि लाभ और उत्पादकता दोनों बढ़ेगी. ऐसे व्यवसायों में बेहतर प्रदर्शन की संभावना 9% बढ़ जाती है.
- विश्व आर्थिक मंच के एक अध्ययन में भविष्यवाणी की गई है कि यदि श्रम बाजार में वैश्विक लैंगिक अंतराल को 2025 तक 25% घटा दिया जाए तो संसार-भर में GDP में 3 ट्रिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि जुड़ जायेगी.
निष्कर्ष
आज कौशल के अभाव का युग चल रहा है. ऐसी स्थिति में कंपनियों को चाहिए कि महिलाओं को काम में लगाकर उनकी प्रतिभा का उपयोग करें. जो कम्पनियाँ वैश्विक-स्तर पर सफल होना चाहती हैं उनको चाहिए कि वे लैंगिक समानता को अपनी रणनीति का एक अनिवार्य अवयव बनाएँ. इसके लिए चुने हुए व्यवसायिक संगठनों, नियोक्ताओं और व्यावसायिक सदस्यता संगठनों को चाहिए कि वे आगे बढ़कर उदाहरण प्रस्तुत करें और कारगर एवं वास्तविक रूप से लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करे.
GS Paper 2 Source: Indian Express
Topic : BIMSTEC
संदर्भ
30 मई, 2019 को अपनी दूसरी पारी में प्रधानमन्त्री पद की शपथ लेने के अवसर पर नरेंद्र मोदी ने BIMSTEC के नेताओं को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है. साथ ही इस अवसर पर किर्गिस्तान और मॉरिशस के राष्ट्र प्रमुखों को भी बुलाया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमन्त्री ने ऐसा जान-बूझकर किया है जिससे कि BIMSTEC देशों के साथ भारत के रिश्ते मजबूत हों तथा साथ ही किर्गिस्तान और मॉरिशस से अपने विशेष रिश्ते को भी इस कदम के माध्यम से उजागर किया गया है.
BIMSTEC की स्थापना एवं स्वरूप
- BIMSTEC का full form है – Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation.
- यह एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापनाBangkok Declaration के अंतर्गत जून 6, 1997 में हुई थी.
- इसकामुख्यालय बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है.
- वर्तमान में इसमें7 देश हैं (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका) जिनमें 5 दक्षिणी-एशियाई देश हैं और 2 दक्षिण-पूर्व एशिया के देश (म्यांमार और थाईलैंड) हैं.
- इस प्रकार के BIMSTEC के अन्दर दक्षिण ऐसा के सभी देश आ जाते हैं, सिवाय मालदीव, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के.
BIMSTEC के उद्देश्य
- BIMSTEC का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (बंगाल की खाड़ी से संलग्न) के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है.
- आज यह संगठन 15 प्रक्षेत्रों में सहयोग का काम कर रहा है, ये प्रक्षेत्र हैं –व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, मत्स्य पालन, कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद निरोध, पर्यावरण, संस्कृति, लोगों का लोगों से सम्पर्क, जलवायु परिवर्तन.
BIMSTEC क्षेत्र का महत्त्व
- बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है. इसके आस-पास स्थित 7 देशों में विश्व की 22% आबादी निवास करती है और इनका संयुक्त GDP 2.7 ट्रिलियन डॉलर के बराबर है.
- यद्यपि इन देशों के समक्ष आर्थिक चुनौतियाँ रही हैं तथापि 2012-16 के बीच ये देश अपनी-अपनी आर्थिक वृद्धि की वार्षिक दर को 4% और 7.5% के बीच बनाए रखा है.
- खाड़ी में विशाल संसाधन भी विद्यमान हैं जिनका अभी तक दोहन नहीं हुआ है.
- विश्व व्यापार का एक चौथाई सामान प्रत्येक वर्ष खाड़ी से होकर गुजरता है.
भारतीय हित
- इस क्षेत्र में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है, अतः इससे भारत के हित भी जुड़े हुए हैं. BIMSTEC न केवल दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ता है, अपितु इसके अन्दर हिमालय और बंगाल की खाड़ी जैसी पर्यावरण व्यवस्था विद्यमान है.
- “पड़ोस पहले” और “एक्ट ईस्ट” जैसी नीतिगत पहलुओं को लागू करने में BIMSTEC एक सर्वथा उपयुक्त मंच है.
- भारत के लगभग 300 मिलियन लोग अर्थात् यहाँ की आबादी का एक चौथाई भाग देश के उन चार तटीय राज्यों में रहते हैं जो बंगाल की खाड़ी के समीपस्थ हैं. ये राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल. इसके अतिरिक्त 45 मिलियन की आबादी वाले पूर्वोत्तर राज्य चारों ओर भूभागों से घिरे हुए हैं और इनकी समुद्र तक पहुँच नहीं है. BIMSTEC के माध्यम से इन राज्यों को बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों से सम्पर्क करना सरल हो जाएगा और विकास की अनेक संभावनाएँ फलीभूत होंगी.
- बंगाल की खाड़ी का सामरिक महत्त्व भी है. इससे होकर मनक्का जलडमरूमध्य पहुंचना आसान होगा. उधर देखने में आता है कि चीन हिन्द महासागर में पहुँचने के लिए बहुत जोर लगा रहा है. इस क्षेत्र में उसकी पनडुब्बियाँ और जहाज बार-बार आते हैं, जो भारत के हित में नहीं हैं. चीन की आक्रमकता को रोकने में BIMSTEC देशों की सक्रियता काम आएगी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : International Classification of Diseases (ICD)
संदर्भ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार बर्न आउट अर्थात् “मानसिक रूप से बुझ जाने को” अपने अंतर्राष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (ICD) के अंतर्गत एक रोग के रूप में मान्यता दी है.
विदित हो कि ICD वह मापदंड है जिसका प्रयोग रोगों के निदान के लिए और स्वास्थ्य बीमा दाताओं के द्वारा किया जाता है.
माहात्म्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस निर्णय से एक लम्बे समय से विशेषज्ञों के मध्य चले आ रहे विवाद का अंत हो गया है और अब यह निर्विवाद सिद्ध हो गया है कि मानसिक रूप से बुझ जाने की अवस्था एक चिकित्सकीय अवस्था है.
बर्न आउट क्या है?
रोगों और शारीरिक क्षतियों की अपनी नवीनतम सूची में WHO ने बर्नआउट की परिभाषा एक उस लक्षण के रूप में दी है जो कार्यस्थल में लगातार होने वाले ऐसे तनाव का परिणाम होता है जिसका सफलतापूर्वक प्रबंधन नहीं किया गया हो.
इस रोग के लक्षण तीन प्रकार के होते हैं –
- ऊर्जा समाप्त होने अथवा थकान होने का अनुभव.
- अपने काम से मानसिक दूरी का बढ़ना अथवा अपने काम के प्रति नकारात्मकता अथवा उदासीनता की भावना.
- पेशेवर कौशल्य में कमी.
ICD क्या है?
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने रोगों का एक नया अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण निर्गत किया है जिसे ICD -11 की संज्ञा दी गई है.
- ICD मृत्यु एवं रुग्णता (mortality) के लिए वैश्विक सूचना मापदंड को कहते हैं.
- ICD का प्रयोग रोगों की चिकित्सा एवं उनसे सम्बंधित शोध में बढ़ता ही जा रहा है.
- इसके आधार पर स्वास्थ्य की देखभाल का प्रबंधन, प्रतिफलों की निगरानी तथा धन का आवंटन किया जाता है.
- ICD का प्रयोग मृत्य से सम्बंधित आँकड़ों को प्रतिवेदित करने के लिए सौ से अधिक देशों द्वारा किया जाता है.
- Millennium Development Goals की दिशा में हुई प्रगति को मापने के लिए एवं विश्व-भर में मृत्यु तथा रोग की दरों की निगरानी में इसका प्रयोग होता है.
- ICD -11 में स्वास्थ्य से सम्बंधित रुझानों और आँकड़ों के बारे में सूचना रहती है.
- इसमें चोटों, रोगों और मृत्यु के कारणों से सम्बंधित लगभग 55,000 यूनिक कोड होते हैं.
- नई ICD -11 में औषधियों एवं वैज्ञानिक शोध में हुई प्रगति का ब्यौरा भी रहता है, उदाहरण के लिए – एंटी-माइक्रोबियल रेसिस्टेंस से सम्बंधित इसके कोडGlobal Antimicrobial Resistance Surveillance System (GLASS) के अधिक अनुरूप हैं.
- नई ICD में नए-नए अध्याय जोड़े गये हैं. एक पारम्परिक दवाओं के बारे में और दूसरा यौन स्वास्थ्य के बारे में. इसके अतिरिक्त गेमिंग डिसऑर्डर अर्थात् कंप्यूटर खेलों की लत को भी इसमें एक रोग के रूप में जोड़ दिया गया है.
ICD का उपयोग
- विश्व-भर में स्वास्थ्य से सम्बंधित रुझानों और आँकड़ों को तय करने में ICD एक आधार के रूप में प्रयुक्त होता है. इससे विश्व को स्वास्थ्य से सम्बंधित सूचनाओं की तुलना करने और उन्हें साझा करने में सहायता मिलती है.
- ICD एक ऐसा मंच है जो साल भंडारण, स्वास्थ्यगत सूचनाओं की सहज उपलब्धता और विश्लेषण के लिए जाना जाता है. इसकी सूचनाएँ साक्षों पर आधारित होती है अतः उनका उपयोग निर्णय प्रक्रिया में मूल्यवान होता है.
- ICD की सहायता से किसी विशेष स्थान में विशेष समय में स्वास्थ्य क्या डाटा रहा, उसकी तुलना आसानी से हो जाती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Social and Labor Convergence Programme (SLCP)
संदर्भ
भारत में शीघ्र ही सामाजिक एवं श्रमिक संगम कार्यक्रम (Social and Labor Convergence Programme – SLCP) आरम्भ किया जा रहा है जिसका उद्देश्य कपड़ा एवं परिधान उद्योग के सम्बन्ध में एक प्रामाणिक एवं निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए ढाँचा तैयार करना है.
कार्यक्रम के मुख्य तथ्य
- SLCP कोई आचार संहिता अथवा अनुपालन कार्यक्रम नहीं है.
- SLCP द्वारा निर्मित ढाँचा मूल्यांकन का एक बहुविध साधन है जो बिना किसी पूर्वाग्रह अथवा अंकविधान के डाटा मुहैया करता है.
- परन्तु, यह ढाँचा वर्तमान अंकेक्षण प्रणालियों और आचार संहिताओं से मेल खाता है. इसका अर्थ यह हुआ कि एक ही डाटा को कई प्रकार के हितधारक प्रयोग में ला सकते हैं. इससे बार-बार एक ही सुविधा के लिए अंकेक्षण करने की आवश्यकता निर्मूल हो जाती है.
- इस पहल में विश्व के अग्रणी निर्माता, ब्रांड, खुदरा विक्रेता, औद्योगिक समूह, गैर-सरकारी संगठन और सेवा प्रदाता बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं.
- इस पहल का उद्देश्य कपड़ा प्रतिष्ठानों में काम-काज की दशाओं में सुधार लाने के लिए उन प्रतिष्ठानों के द्वारा, जो ऊर्जा अंकेक्षण के अनुपालन में लगाई जाती रही है, उस ऊर्जा को वहाँ से हटा कर प्रतिष्ठान की सामाजिक एवं श्रमिक दशाओं में सुधार लाने की ओर मोड़ देना है.
- SLCP एक स्वैच्छिक उपाय है जिसको अपनाने अथवा नहीं अपनाने के लिए कपड़ा और परिधान निर्माता स्वतंत्र हैं.
माहात्म्य
SLCP निर्यात करने वाले प्रतिष्ठानों को सामाजिक अंकेक्षणों की संख्या कम करने में मदद करता है और रोजगार से सम्बंधित प्रचलनों को मापने की सुविधा देता है. इस प्रकार कामकाज की दशा के साथ-साथ कर्मियों के साथ रिश्ते भी सुधरते हैं. यह संसाधनों को सुधारात्मक गतिविधियों में लगाने में सहायता करता है और आपूर्ति शृंखला के भागीदारों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा भी देता है.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Akash Missile
संदर्भ
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने पिछले दिनों आकाश-MK-1S नामक प्रक्षेपणास्त्र का सफल परीक्षण किया.
आकाश-MK-1S से सम्बंधित मुख्य बातें
- यह सतह से हवा में मार करने वाला विमान-प्रतिरोधी प्रक्षेपणास्त्र है जो 25 किलोमीटर तक आक्रमण कर सकता है और 60 किलोग्राम तक का हथियार (warhead) ढो सकता है.
- यह 18 किलोमीटर तक की ऊँचाई पर जा सकता है.
- इस प्रक्षेपणास्त्र को ट्रैक पर रखकर अथवा पहियेदार मंच से भी छोड़ा जा सकता है.
- इस प्रक्षेपणास्त्र को राजेन्द्र नामक एक रडार मार्गदर्शन देता है. इस रडार को बैटरी स्तर का रडार कहा जाता है जिसकी टोही क्षमता लगभग 60 किलोमीटर तक की होती है.
- आकाश-MK-1S शत्रु के युद्धक विमानों और ड्रोनों को सटीक रूप से एवं कुशलतापूर्वक मार गिराने की क्षमता रखता है.
- सतह से हवा में मार करने वाले आकाश प्रक्षेपणास्त्र को इस प्रकार बनाया गया है कि शत्रु की ओर से आने वाले विमान अथवा मिसाइल को 18 से 30 किलोमीटर की दूरी से ही नष्ट कर दिया जाए.
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