Sansar डेली करंट अफेयर्स, 29 August 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 29 August 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Centre asks states to ban e-cigarettes

E-cigarette

संदर्भ

बच्चों, किशोरों एवं बच्चा उत्पन्न करने वाली आयु की स्त्रियों को स्वास्थ्यगत खतरों से बचाने के लिए हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों से अनुरोध किया है कि वे ई-सिगरेट, वैप (Vape), ई-शीशा, ई-हुक्का आदि इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन दाता प्रणालियों (Electronic Nicotine Delivery Systems – ENDS) पर प्रतिबंध लगाएँ. उनसे कहा गया है कि वे सुनिश्चित करें कि ऐसी प्रणालियाँ न हाथों-हाथ और न ही ऑनलाइन बेची जाएँ, न बनाई जाएँ, न वितरित की जाएँ, न उनका व्यापार किया जाए, न उन्हें आयातीत किया जाए और न ही उनका विज्ञापन किया जाए.

यह भी कहा गया है कि इनका उपयोग यदि करना हो तो उसी उद्देश्य से और उसी ढंग और उसी मात्रा में किया जाए जिसके लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 एवं तत्संबंधित नियमों के अधीन अनुमोदन प्राप्त हो.

पृष्ठभूमि

ज्ञातव्य है कि हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को एक फटकार लगाई थी कि देश में ई-सिगेरेटों के बढ़ते नये खतरे से निपटने के लिए अभी तक कोई नियम क्यों नहीं बनाए गए हैं.

ई-सिगरेट क्या है?

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट अथवा ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाली एक वाष्पोत्सर्जक (vaporizer) है जिसे देखने से लगता है कि उपभोक्ता तम्बाकू का सेवन कर रहा है. यह वाष्प ई-सिगरेट के अन्दर स्थित तरल निकोटिन (juice) के गर्म होने से निकलता है.

निकोटिन जूस भाँति-भाँति के स्वाद के होते हैं और इनमें निकोटिन की मात्रा भी कम-ज्यादा होती है. इस जूस में प्रमुख्य रूप से दो अवयव होते हैं – i) वेजिटेबल ग्लीसरिन (जो टूथपेस्ट और कई भोज्य पदार्थों में प्रयुक्त होता है) और ii) प्रोप्लीन ग्लाईकोल (propylene glycol) (जो fog machines में प्रयुक्त होता है).

ई-सिगरेट के पक्षधर यह पक्ष देते हैं कि इसे पीना सामान्य सिगरेट की तुलना में अधिक स्वास्थ्यकर है क्योंकि इसमें उपभोक्ता के शरीर में मात्र जलवाष्प और निकोटिन ही जाता है.

ई-सिगरेट और उसके दुष्प्रभाव पर WHO का रिपोर्ट

  • इस रिपोर्ट के अनुसार e-cigarette में प्रयोग होने वाला निकोटिन गर्भावस्था में भ्रूण के विकास पर बुरा प्रभाव डालता है. इससे दिल के रोग की भी संभावना होती है. इसको पीने से इसकी लत पड़ जाती है.
  • WHO रिपोर्ट के अनुसार निकोटिन कैंसरकारी नहीं है, परन्तु इसके कारण किसी ट्यूमर में वृद्धि हो सकती है और नसों को क्षति पहुँच सकती है.
  • भ्रूणावस्था और किशोरवस्था में निकोटिन लेने से मस्तिष्क का विकास अवरुद्ध हो जाता है और उपभोक्ता को अत्यधिक चिंता करने की आदत पड़ जाती है.

GS Paper 2 Source: Times of India

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Topic : Venezuela crisis

सन्दर्भ

वेनेजुएला कभी एक बड़ा खनिज तेल उत्पादक देश हुआ करता था. परन्तु आज यह अभूतपूर्व आर्थिक संकट से गुजर रहा है. मुद्रास्फीति की स्थिति भयंकर हो चुकी है, कई लोग झुंड के झुंड देश को छोड़ रहे हैं, खाद्य का अभाव है, अपराध बढ़ गये हैं और सर्वत्र भयानक दरिद्रता है.

अत्यधिक मुद्रा स्फीति

  • वेनेजुएला जिस सबसे बड़ी समस्या का सामना कर रहा है वह विकट मुद्रा स्फीति से गुजर रहा है.
  • इस वर्ष यहाँ मुद्रा स्फीति 10 लाख प्रतिशत बढ़ गयी.
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का कहना है कि आज वेनेजुएला की वही स्थिति है जो 2000 में जिम्बाब्वे और 1920 के दशक में जर्मनी की थी.
  • सरकार का दावा है कि ये सब कुछ विपक्षियों के षडयंत्र और अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंधों के कारण हो रहा है.
  • विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ी हुई मुद्रास्फीति के पीछे मुख्य कारण खनिज तेल के मूल्य में 2014 से लगातार हो रही गिरावट है. इस देश के पास खनिज तेल का बहुत बड़ा भण्डार है और इसके राजस्व का स्रोत 96% तेल के निर्यात से ही आता था. लेकिन 2014 में तेलों के दाम आश्चर्यजनक रूप से गिर गये इससे इस देश के पास विदेशी मुद्रा बहुत ही घट गयी. इस कारण भोज्य पदार्थ और दवाइयों जैसी आवश्यक वस्तुओं का आयात कठिन हो गया.

प्रभाव

  • पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष वेनेजुएला का आयात 50% घट गया.
  • यहाँ न्यूनतम मजदूरी 1 डॉलर महिना हो गयी, जिस कारण लोग बुनियादी आवश्यकता की वस्तुएँ खरीद नहीं पा रहे हैं.
  • आयातित वस्तुओं की कमी के कारण देश में कालाबाजारी चरण पर है.
  • हर 26वें दिन वस्तुओं के दाम दुगुने हो जाते हैं.
  • इस वर्ष फरवरी में हुआ एक सर्वेक्षण कहता है कि देश के लगभग 90% लोग गरीबी में रह रहे हैं और भूखे रहने को विवश हैं.
  • देश में औषधियों की भी कमी है और जनस्वास्थ्य प्रणाली अस्त-व्यस्त हो गयी है.
  • लोग पैसा कमाने के लिए अपराध करने पर उतारू हो गये हैं. हाल ही में कराये गये एक गैलप (Gallup) अध्ययन के अनुसार विश्व के विधि व्यवस्था सूचकांक, 2018 में वेनेजुएला का स्थान सबसे नीचे है.
  • यहाँ के 42% लोगों ने बताया गया कि पिछले साल उनके साथ लूट की वारदात हुई और 25% लोगों ने बताया गया कि उनके साथ मार-पीट भी हुई थी.
  • देश के आर्थिक संकट से क्रुद्ध होकर कोई देशवास देश को छोड़ने लगे हैं. 2015 के बाद 16 लाख लोग देश के बाहर जा चुके हैं, ऐसा संयुक्त राष्ट्र का कहना है. परिव्रजन की यह दर बढ़ती ही जा रही है जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र चेतावनी भी दे चुका है.
  • अधिकांश परिव्रजन पड़ोस के कोम्लोम्बिया देश में और उसके बाद इक्वेडोर, पेरू और चिली में हुआ है. कुछ लोग ब्राजील भी चले गये हैं.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Asian Electoral Stakeholder Forum

सन्दर्भ

हाल ही में क्षेत्र में चुनावों और लोकतंत्र की स्थिति पर चर्चा करने के लिए श्रीलंका में एशियाई निर्वाचन हितधारक मंच (Asian Electoral Stakeholder Forum- ASEF) की चौथी (IV) बैठक हुई. इस बैठक का आयोजन संयुक्त रूप से श्रीलंका निर्वाचन आयोग तथा एशियाई मुक्त निर्वाचन नेटवर्क के द्वारा किया गया था.

मुख्य तथ्य

  • AESF की यह बैठक पहली बार दक्षिणी एशिया में हुई.
  • इसकी theme थी – “निर्वाचन में पारदर्शिता एवं ईमानदारी बढ़ाने के संदर्भ में प्रजातंत्र को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उसका बचाव करना” / “Advancing Election Transparency and Integrity: Promoting and Defending Democracy Together”

AESF-IV के मुख्य उद्देश्य

  • वर्तमान निर्वाचन सम्बन्धी चुनौतियों एवं इस क्षेत्र में इसके विषय में अपनाई जाने वाली उत्कृष्ट प्रथाओं को समझने एवं उनके विषय में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए निर्वाचन प्रबंधन निकायों, सिविल सोसाइटी संगठनों और अन्य हितधारकों को मंच प्रदान करना.
  • एशिया में निर्वाचित प्रजातंत्र को बढ़ावा देने और उसका बचाव करने के लिए घोषित कोलम्बो रणनीति का विकास एवं पृष्ठपोषण करना.
  • हितधारकों के बीच सहयोग के द्वारा चुनावों को और सार्थक एवं विश्वसनीय बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को संस्थागत रूप प्रदान करना.
  • प्रक्षेत्रीय सहयोग पर विशेष ध्यान देते हुए चुनावों में समावेशिता को प्रोत्साहित करना.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : United Nations Environment Programme (UNEP)

UNEP

सन्दर्भ

भारत के एक विकास अर्थशास्त्री एवं वकील सत्य एस. त्रिपाठी (Satya S Tripathi) को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ का सहायक महासचिव नियुक्त किया गया. ये संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के New York स्थित कार्यालय के प्रमुख होंगे.

UNEP क्या है?

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र की एक agency है जो पर्यावरण से सम्बंधित गतिविधियों का समन्वय करती है. यह पर्यावरण की दृष्टि से उचित नीतियों एवं पद्धतियों का कार्यान्वयन करने में विकासशील देशों को सहायता प्रदान करती है.

UNEP पर संयुक्त राष्ट्र विभिन्न एजेंसीयों की पर्यावरण विषयक समस्याओं को देखने का दायित्व है. जहाँ तक वैश्विक तापवृद्धि (global warming) की समस्या पर चर्चा का प्रश्न है, इसको देखने का काम जर्मनी के Bonn में स्थित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (United Nations Framework Convention on Climate Change) का है.

UNEP जिन समस्याओं को देखता है उनमें प्रमुख हैं – वायुमंडल, समुद्री एवं धरातलीय पारिस्थितिकी तंत्र, पर्यावरणिक प्रशासन एवं हरित अर्थव्यवस्था.

UNEP पर्यावरण से सम्बंधित विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन एवं उन्हें धन देने का काम भी करता है.

Fast Facts

  • UNEP का full-form है – United Nations Environment Programme
  • मानवीय पर्यावरण पर हुए स्टॉकहोम सम्मलेन के परिणामस्वरूप UNEP का गठन जून 1972 में हुआ था.
  • इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्या में है.
  • इसके संस्थापक और पहले निदेशक Maurice Strong थे.
  • विश्व ऋतु विज्ञान संगठन और UNEP ने संयुक्त रूप से 1988 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change –IPCC) की स्थापना की थी.
  • वैश्विक पर्यावरण सुविधा ( Global Environment Facility – GEF)  तथा मोंट्रियल संधि (Montreal Protocol) के कार्यान्वयन के लिए बहुपक्षीय निधि के लिए कार्यरत कई एजेंसियों में से UNEP भी एक एजेंसी है.
  • UNEP UNDP का एक सदस्य निकाय भी है.
  • यह UNEP ही है जिसके तत्त्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय सायनाइड प्रबन्धन संहिता (The International Cyanide Management Code) बनी थी जिसमें सोना निकालने के समय सायनाइड के सही प्रयोग के बारे में निर्देश दिए गये थे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : ‘Horizon 2020’

सन्दर्भ

विश्व भर के लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु इन्फ्लुएंजा टीके के निर्माण के लिए यूरोपीय संघ (EU) और भारत ने हाल ही में अनुसंधान एवं नवाचार के निमित्त सहयोग करने का निर्णय लिया. इसके लिए यूरोपीय संघ Horizon 2020 नामक अपने अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रम के तहत धन मुहैया कराएगा. परियोजना के लिए आधा खर्च भारत सरकार करेगी.

मुख्य तथ्य

  • यूरोपीय संघ और भारत सरकार का जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology) इस संयुक्त योजना के लिए डेढ़-डेढ़ करोड़ यूरो खर्च करेंगे.
  • कार्यक्रम का उद्देश्य है प्रतिरोध (immunity) के प्रभाव, सुरक्षा एवं अवधि को बढ़ाना क्योंकि इन्फ्लुएंजा के नए-नए रूप सामने आ रहे हैं.
  • Horizon 2020 के द्वारा गुणवत्ता में कोई समझौता किये बिना इन्फ्लुएंजा के सस्ते टीके बनाए जायेंगे.

परियोजना में शामिल होने हेतु अर्हता

  • परियोजना के लिए यूरोप से (यूरोपीय संघ के देश/यूरोपीय संघ से जुड़े देश) तीन आवेदक और भारत से तीन आवेदक होंगे.
  • परियोजना के लिए चाहें तो दूसरे देश भी आवेदन कर सकते हैं.

Horizon 2020 क्या है?

Horizon 2020 यूरोपियन संघ अनुसंधान एवं नवाचार कार्यक्रम अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है. इसमें 2014 से 2020 तक के 7 वर्षों में 80 बिलियन पौंड खर्च होंगे. इसके अतिरिक्त इसके लिए निजी निवेश भी प्राप्त किये जायेंगे.

परियोजना का लक्ष्य है यह सुनश्चित करना कि यूरोप में विश्व-स्तर की वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल हो, नवाचार में आने वाली अड़चनें दूर हों तथा सार्वजनिक एवं निजी प्रक्षेत्र साथ-साथ नवाचार के लिए सुगमता से काम कर सकें.

Horizon 2020 सब के लिए खुला है. इसकी संरचना अत्यंत सरल है जिसमें लाल-फीताहाशी कम है और प्रतिभागियों को वास्तविक रूप से महत्त्वपूर्ण विषयों ध्यान केन्द्रित करने का अवसर मिलता है.


Prelims Vishesh

Higgs boson :-

  • हिग-बोसॉन के कणों की खोज 6 वर्ष से पहले हुई थी.
  • हाल ही में एक अध्ययन से पता चला कि इन कणों में क्षय हो चुका है और ये bottom quarks नामक आधारभूत कणों में बदल चुके हैं.

Spitzer telescope:-

  • NASA के वृहद् वेधशाला कार्यक्रम “Great Observatory” प्रोग्राम की सबसे बाद में बनी दूरबीन – Spitzer स्पेस दूरबीन – ने अन्तरिक्ष में 15 वर्ष पूरे कर लिए हैं.
  • अगस्त 25, 2003 में यह सौर परिक्रमा पथ में प्रक्षेपित की गई थी.
  • इस दूरबीन का उद्देश्य ब्रह्मांड के अन्य सूर्यों के आस-पास के और सौरमंडल के निकटस्थ अन्य ग्रहों की खोज करना था.

Vostok-2018 (East-2018):

  • वोस्त्वोक 2018 एक सैन्य अभ्यास है जिसका आयोजन रूस के द्वारा आगामी सितम्बर महीने में किया जायेगा.
  • 1980 के दशक के बाद होने वाले सैन्य अभ्यासों में यह सबसे बड़ा अभ्यास होगा.

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