Sansar Daily Current Affairs, 29 August 2020
GS Paper 1 Source : The Hindu
Topic : Dr. Dwarkanath Kotnis
सन्दर्भ
चीनी क्रांति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस की एक कांस्य प्रतिमा का अगले महीने चीन में अनावरण किया जाएगा.
यह प्रतिमा हेबई प्रांत की राजधानी शिजियाझुआंग स्थित एक चिकित्सा विद्यालय के बाहर लगाई गई.
डॉ द्वारकानाथ कोटनिस कौन थे?
- महाराष्ट्र के कोंकण में जन्मे डॉ. द्वारकानाथ कोटनिस 1937 में रेड क्रॉस मिशन की टीम के सदस्य थे और भारत से चीन गए चिकित्सकों के एक दल का नेतृत्व कर रहे थे.
- चीन पर जापान के हमले के समय चीन के तत्कालीन जनरल छू ते के अनुरोध पर पंडित जवाहरलाल नेहरू से घायल सैनिकों के इलाज के लिए इंडियन मेडिकल मिशन टू चाइना के तहत डॉ. कोटनिस के नेतृत्व में चिकित्सकों का एक दल चीन भेजा था.
- डॉ द्वारकानाथ कोटनिस ने द्वितीय विश्व युद्ध और माओ त्से तुंग के नेतृत्व में हुई चीनी क्रांति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था.
- चीनी क्रांति के दौरान कोटनिस के योगदान की माओ त्से तुंग ने भी प्रशंसा की थी. उनके इसी योगदान को देखते हुए चीन के कई शहरों में उनकी प्रतिमाएं और स्मारक बनाए गए हैं.
- चीन में इन्हें ‘के दिहुआ’ के नाम से जाना जाता है और इनके नाम पर शिजियाझुआंग में 1992 में एक मेडिकल कॉलेज “के दिहुआ मेडिकल साइंसेज सेकेंडरी स्पेशलाइज्ड स्कूल” की स्थापना हुई थी.
- इसके अतिरिक्त, शिजियाझुआंग और तानझियांग में उनके नाम पर कई प्रतिमाएं और स्मारक स्थापित किए गए हैं. चीन में रहने के दौरान डॉ. कोटनिस ने इन दोनों शहरों में चिकित्सकीय सहायता प्रदान की थी.
GS Paper 1 Source : The Hindu
Topic : Noor Inayat Khan
सन्दर्भ
दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन की भारतीय मूल की महिला जासूस नूर इनायत खान लंदन में मेमोरियल प्लाक से सम्मानित की जाने वाली पहली महिला बनी गई हैं. हाल ही में नूर इनायत खान के नाम पर मध्य लंदन में उनके पूर्व पारिवारिक घर में स्मारक ‘ब्लू प्लाक’ देकर सम्मानित किया जाएगा.
यह ब्लू प्लाक, इसी साल उनके लंदन वाले घर पर लगाई जाएगी, अर्थात् इसके अंतर्गत उनके सेंट्रल लंदन स्थित पूर्व आवास के बाहर उनके कामों के बारे में बताते हुए एक नीली पट्टिका लगाई जाएगी.
वे भारतीय मूल पहली ऐसी महिला होंगी, जिन्हें यह सम्मान दिया जा रहा है.
नूर इनायत खान कौन थीं?
- मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के वंशज और भारतीय सूफी संत हजरत इनायत खान की बेटी नूर इनायत खान द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन के स्पेशल ऑपरेशन एग्जक्यूटिव (एसओई) की एजेंट थीं.
- भारतीय पिता और अमेरिकी माँ से रूस की राजधानी मास्को में वर्ष 1914 में नूर इनायत खान का जन्म हुआ था.
- वह 18वीं शताब्दी में मैसूर के राजा रहे टीपू सुल्तान की वंशज थीं, क्योंकि नूर के पिता हजरत इनायत खान मैसूर के राजा टीपू सुल्तान के परपोते थे. उनकी मां ‘ओरा मीना रे बेकर’ (अमीना बेगम) एक अमेरिकी महिला थीं.
- वे दुनिया की बहुत ही लोकप्रिय जासूस बनीं. नूर इनायत खान को दूसरे विश्व युद्ध के दौरान स्पेशल ऑपरेशन एग्जक्यूटिव (एसओई) में योगदान के लिए याद किया जाता है.
- 1940 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने एक स्वतंत्र ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस के तौर पर स्पेशल ऑपरेशन एग्जक्यूटिव (एसओई) की स्थापना की थी.
- नूर इनायत खान, स्पेशल ऑपरेशन एग्जक्यूटिव (एसओई) की पहली महिला रेडियो ऑपरेटर थीं.
- 1944 में 30 वर्ष की आयु में नाजियों ने उन्हें जासूसी के आरोप में बंदी बना लिया था और बाद में उनकी हत्या कर दी थी.
- ब्रिटेन में नूर इनायत खान को 1949 में मरणोपरांत जार्ज क्रास से सम्मानित किया गया था.
ब्लू प्लाक
- इंग्लिश हैरिटेज (English heritage) धर्मार्थ संगठन द्वारा संचालित ‘ब्लू प्लाक’ योजना प्रख्यात लोगों और संगठनों को सम्मानित करता है जो लंदन में किसी खास भवन से जुड़े होते हैं.
- भारतीय मूल की महिला जासूस नूर इनायत खान के ब्लूम्सबरी (लंदन) के फोर टेविटन स्ट्रीट स्थित पूर्व आवास को ब्लू प्लाक दिया जाएगा, जहां वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जासूस के तौर पर रहीं थीं . यह वही घर है, जिसको नूर ने अपने अंतिम मिशन पर जाने से पूर्व छोड़ा था.
GS Paper 2 Source : Indian Express
Topic : Remote Learning Reachability Report
सन्दर्भ
यूनीसेफ द्वारा हाल ही में निर्गत ‘रिमोट लर्निंग रीचेबिलिटी रिपोर्ट’ में दूरस्थ ऑनलाइन शिक्षा हासिल करने के लिए जूझ रहे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.
रिमोट लर्निंग रीचेबिलिटी रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- रिपोर्ट के अनुसार भारत में ऑनलाइन शिक्षा पाने के लिए सिर्फ 24 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है.
- भारत में इंटरनेट तक पहुंच प्राप्त करने के मामले में एक बड़ा ग्रामीण- शहरी और लैंगिक विभाजन है.
- उच्च, मध्यम और निम्न-आय वाले परिवारों के बीच शिक्षा का अंतर और बढ़ सकता है क्योंकि आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के बच्चे दूरस्थ शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते.
- भारत में पूर्व-प्राथमिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक के 6 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है, जिनमें 49 प्रतिशत लड़कियां सम्मिलित हैं.
- ज्यादातर पिछड़े समुदायों के छात्रों, विशेषकर लड़कियों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं.
- यहाँ स्मार्टफोन और डिजिटल पहुँच है, वहाँ इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है.
- रिपोर्ट में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सामग्री और उनकी मातृभाषा में अनुपलब्धता को भी दर्शाया गया है.
- हालांकि रिपोर्ट में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा छात्रों के लिए घर पर पढ़ाई को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल और गैर-डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से की गई पहल का जिक्र किया गया है.
- साथ ही यूनिसेफ ने बच्चों व छात्रों की सीखने की सामग्री के उपयोग और उन तक पहुंच पाने की व्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाने और रणनीति बनाने का आह्वान भी किया है.
यूनिसेफ (UNICEF) के बारे में
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children’s Fund-UNICEF) संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 11 दिसंबर, 1946 को स्थापित गया था.
- पूर्व में इसे संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (United Nations International Children’s Emergency Fund) कहा जाता था.
- पोलैंड के चिकित्सक लुडविक रॉश्मन ने यूनिसेफ का गठन करने में प्रमुख भूमिका निभाई.
- इसे बनाने का प्रमुख उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध में तबाह हुए देशों में बच्चों और माताओं को आपातकालीन स्थिति में भोजन और स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना था.
- 1950 में यूनिसेफ के दायरे को विकासशील देशों में बच्चों और महिलाओं की दीर्घकालिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये विस्तारित किया गया था.
- 1953 में यह संयुक्त राष्ट्र का एक स्थायी हिस्सा बन गया और इस संगठन के नाम में से ‘अंतर्राष्ट्रीय’ एवं ‘आपातकालीन’ शब्दों को हटा दिया गया.
- अब इसका नाम संयुक्त राष्ट्र बाल कोष है किंतु मूल संक्षिप्त नाम ‘यूनिसेफ’ को बरकरार रखा गया.
- हैनेरीटा एच फोरे इसकी वर्तमान प्रमुख हैं.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : Chunauti- Next Generation start-up challenge contest launched by IT Minister
संदर्भ
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ‘चुनौती’ – नेक्सट जनरेशन स्टार्ट-अप चैलेंज प्रतियोगिता शुरू की है.
क्या है चुनौती प्रतियोगिता?
- भारत के टियर-2 शहरों पर विशेष ध्यान देने के साथ स्टार्टअप्स और सॉफ्टवेयर उत्पादों को और बढ़ावा देने के लिए ‘चुनौती’ – नेक्सट जनरेशन स्टार्टअप चलैंज प्रतियोगिता का शुभारम्भ किया गया है.
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य चिन्हित क्षेत्रों में काम कर रहे लगभग 300 स्टार्टअप्स की पहचान करना और उन्हें 25 लाख रुपये तक की प्रारंभिक राशि (सीड फंड) तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना हैं.
- इस चुनौती प्रतियोगिता के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय निम्नलिखित कार्य क्षेत्रों में स्टार्टअप को आमंत्रित करेगा :-
- आम जनता के लिए एडु-टेक, एग्री-टेक और फिन-टेक सोल्यूशन
- आपूर्ति श्रृंखला, लॉजिस्टिक्स और परिवहन प्रबंधन
- बुनियादी ढांचा और दूरस्थ निगरानी
- चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल, नैदानिक, रोकथाम तथा मनोचिकित्सकीय देखभाल
- नौकरियां और कौशल, भाषाई उपकरण और प्रौद्योगिकियां
- सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए तीन वर्षों की अवधि के लिए 95.03 करोड़ रुपये का बजट रखा है.
- चुनौती कार्यक्रम के माध्यम से चुने गए स्टार्टअप को देश भर में फैले सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्कों के माध्यम से सरकार की ओर से विभिन्न सहायता प्रदान की जायेंगी.
- चुने गए स्टार्टअप को इनक्यूबेशन फैसिलिटी, मेंटरशिप, सुरक्षा परीक्षण सुविधाएं, वेंचर कैपिटलिस्ट फंडिंग तक पहुंच, उद्योग से जुड़ने के साथ-साथ कानूनी सलाह, मानव संसाधन (एचआर), आईपीआर और पेटेंट मामलों में सलाह दी जाएगी.
- 25 लाख रुपये तक की प्रारंभिक राशि (सीड फंड) के अलावा, स्टार्टअप को अग्रणी क्लाउड सेवा प्रदाताओं से क्लाउड क्रेडिट भी प्रदान किया जाएगा.
- प्रत्येक इंटर्न (प्री-इनक्यूबेशन के तहत) को 6 महीने की अवधि तक के लिए 10,000 रुपये/- प्रति माह दिए जाएंगे.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.
Topic : Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana -PMJDY
सन्दर्भ
हाल ही में प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana –PMJDY) के 6 वर्ष पूर्ण हुए हैं.
PMJDY योजना के बारे में
- 28 अगस्त 2014 को शुरू इस योजना का प्रमुख लक्ष्य वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इनक्लूजन) रहा है.
- PMJDY के जरिये सरकार की कोशिश नए बैंक खाते खोलने के साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंचाने की रही है.
- प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) जीरो बैलेंस अकाउंट के साथ कुछ अन्य सुविधायें प्रदान करती है.
- इस योजना में जमा राशि पर ब्याज के साथ ही का दुर्घटना बीमा कवर दिया जाता है.
- इस योजना के अंतर्गत 30,000 रुपये का जीवन बीमा पॉलिसीधारक की मौत होने पर उसके नॉमिनी को दिया जाता है.
- विशेष लाभ के रूप मे छह माह तक खातों के संतोषजनक परिचालन के बाद ओवरड्राफ्ट की सुविधा का प्रावधान भी है.
- PMJDY के अंतर्गत खुले खाते पर धारक 6 महीने के बाद 10,000 रुपये तक की राशि लोन के तौर पर भी ले सकते हैं.
- जनधन योजना में खाता खुल जाने से डायरेक्ट बेनिफिट स्कीम का फायदा आज हर परिवार को मिल रहा है.
Prelims Vishesh
Hezbollah :-
- पिछले दिनों इजराइल द्वारा लेबनान की सीमा पर स्थित हिजबोल्ला संगठन के अड्डों पर हवाई आक्रमण हुए.
- ज्ञातव्य है कि हिजबोलला लेबनान का एक शिया इस्लामी राजनीतिक दल है जिसकी स्थापना 1980 के दशक में ईरान की पहल पर की गई थी.
- वस्तुतः यह दल लेबनान में ईरान के हितों के अनुसार चलता है.
7 New ASI Circles :-
- भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वे के लिए सात नए अंचलों की घोषणा की है.
- नए अंचल इस प्रकार हैं – त्रिची, रायगंज, राजकोट, जबलपुर, झाँसी, मेरठ तथा हम्पी. विदित हो कि इनमें से हम्पी पहले लघु अंचल हुआ करता था और अब यह पूर्णरूपेण नया अंचल हो गया है.
- विदित हो कि भारतीय पुरातत्त्व सर्वे की स्थापना 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी और वे ही इसके पहले महानिदेशक थे.
Great Andamanese tribe :-
- ग्रेट अंडमानी जनजाति के पाँच जनों को COVID-19 का संक्रमण होने का समाचार है.
- जैसा कि सर्वविदित है कि ये जनजाति विशेष रूप से संकटप्रवण जनजातीय समूह / Particularly Vulnerable Tribal Group (PVTG) के अन्दर आता है.
- यह जनजाति अंडमान द्वीपसमूह में रहने वाली पाँच PVTG जनजातियों में से एक है.
- इनकी पूर्ण संख्या मात्र 51 है और ये लोग जेरु बोली बोलते हैं.
- अंडमान द्वीपसमूह में बसी हुई पाँच PVTG जनजातियों के नाम इस प्रकार हैं – ग्रेट अंडमानी, जारवा, ओंगे, शोम्पेन और उत्तर सेंटनिल.
Togo :-
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अगस्त 27, 2020 को यह प्रमाणित किया कि अफ्रीका का देश टोगो उस महादेश का ऐसा पहला देश बन गया है जहाँ Tsetse नामक मक्खी द्वारा संचरित परजीवियों से फैलने वाले Trypanosomiasis (sleeping sickness) नामक रोग का उन्मूलन हो गया है.
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