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Sansar Daily Current Affairs, 29 December 2018
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : FDI in e-commerce
संदर्भ
ई-वाणिज्य कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विषय में वर्तमान नियमों के सन्दर्भ में औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग ने हाल ही में एक स्पष्टीकरण जारी किया है.
स्पष्टीकरण के मुख्य तथ्य
- यदि किसी ई-वाणिज्य कम्पनी में वेंडर का कोई हित है तो वह उस ई-वाणिज्य कम्पनी के मंच से अपने उत्पादों को नई बेच सकता है.
- यदि कोई वेंडर किसी ई-वाणिज्य समूह कम्पनी से अपने भण्डार का 25% या अधिक की खरीद करता है तो उस वेंडर को उस ई-वाणिज्य कम्पनी के द्वारा नियंत्रित माना जाएगा और इसलिए उसके मंच से बिक्री से उसे रोक दिया जायेगा. इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि कोई वेंडर किसी ई-वाणिज्य समूह कम्पनी से अपने भण्डार का 25% या अधिक की खरीद करता है तो उस वेंडर को उस ई-वाणिज्य कम्पनी के द्वारा नियंत्रित माना जाएगा और इसलिए उसके मंच से बिक्री से उसे रोक दिया जायेगा. इस प्रावधान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि किसी वेंडर का अमेज़न जैसे मार्केट-प्लेस में अपना हित है तो वह अपनी सामग्रियों को थोक-भाव में किसी तृतीय पक्ष वाले वेंडर को नहीं बेच सके जिससे कि वह तृतीय पक्ष वाला वेंडर उन सामग्रियों को ई-वाणिज्य बाजार में बेचता रहे.
- दूसरे ढंग से कहा जाए तो यह प्रावधान किसी बाजार इकाई को वेंडरों के ऊपर नियंत्रण रखने से रोकता है.
- ई-वाणिज्य प्रतिष्ठान द्वारा विशेष वेंडरों को उत्प्रेरण देकर अपने मंच पर बिक रहे उत्पाद का मूल्य प्रभावित करने नहीं दिया जाएगा.
पृष्ठभूमि
ई-वाणिज्य कंपनियाँ दो अलग-अलग मॉडलों पर काम कर सकती हैं –
- पहला मॉडल बाजार-मॉडल (marketplace) है जिसमें ई-वाणिज्य प्रतिस्ठान मात्र एक मंच होता है जो क्रेताओं और विक्रेताओं को जोड़ता है. इस मॉडल वाली कंपनियों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति होती है.
- दूसरा मॉडल भण्डार सूची पर आधारित है जिसमें पोर्टल पर बिकने वाली वस्तुओं पर सम्बन्धित ई-वाणिज्य कम्पनी का स्वामित्व और नियंत्रण होता है. इस मॉडल में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति नहीं है.
माहात्म्य
- औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग के नए निर्देश ई-वाणिज्य वेबसाइट पर छोटे-छोटे वेंडरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिए गये हैं. इनके द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि छोटे विक्रेताओं से ई-वाणिज्य कम्पनी भेदभाव न करे और उन वेंडरों को बढ़ावा न दे जिसमें उस ई-वाणिज्य कम्पनी का हित निहित है.
- नए निर्देशों के फलस्वरूप ई-वाणिज्य पोर्टलों पर बिक्री करने वाले सभी वेंडरों को समान रूप से काम करने का अवसर मिलेगा.
- ज्ञातव्य है कि छोटे व्यापारी शिकायत करते रहते हैं अमेज़न और फ्लिप्कार्ट जैसे मार्केट प्लेस पोर्टल दामों में बहुत अधिक छूट देते हैं जिस कारण छोटे व्यापारी मैदान से हटने को विवश हो जाते हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Capacity Building Programme for Elected Women Representatives (EWRs) of Panchayati Raj Institutions.
संदर्भ
भारत सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के लिए चुनी हुई महिला प्रतिनिधियों के लिए एक क्षमता-वर्धन कार्यक्रम का अनावरण किया है.
उद्देश्य
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिला प्रतिनिधियों में नेतृत्व की क्षमता पैदा करना, उन्हें अपने अधिकारों के प्रति मुखर बनाना और प्रशासन की प्रक्रिया में उनकी कारगर सहभागिता सुनिश्चित करना है.
- इस कार्यक्रम के परिणामस्वरूप महिला प्रतिनिधि सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में अपना योगदान कर सकेंगी.
- इस कार्यक्रम से यह लाभ होगा कि चुनी हुई महिला प्रतिनिधि अपनी भूमिका और उत्तरदायित्व को सही ढंग से समझ पाएंगी.
राज्य सरकारों का योगदान
- इस क्षमता-वर्धन कार्यक्रम में राज्य सरकारों की भी सक्रिय भूमिका होगी. विभिन्न राज्यों के महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों के साथ इन कार्यक्रमों के संचालन में राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (State Institute of Rural Developments – SIRDs) और राज्य संसाधन केंद्र (State Resource Centers – SRCs)का भी सहयोग रहेगा.
- इसके अतिरिक्त इसमें पंचायती राज, कृषि, ग्रामीण विकास आदि विभागों का भी सक्रिय सहयोग रहेगा.
भूमिका
इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन काम करने वाले स्वायत्त निकाय – राष्ट्रीय लोक सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (National Institute of Public Cooperation and Child Development – NIPCCD) द्वारा किया जायेगा.
इस परियोजना के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्रशिक्षण के कई कार्यक्रम बनाए हैं जिनमें इन विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा – महिला एवं बच्चों की सुरक्षा के कानून, केंद्र और राज्य की विकास योजनाएँ और कार्यक्रम, चुनी हुई महिला प्रतिनिधियों के लिए सूचना-संचार तकनीक, सहभागी योजना निर्माण एवं संपदा सृजन, लोक निर्माण के कार्यों की निगरानी और नेतृत्व के गुण.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Zika warning: India rebuts CDC Zika alert
संदर्भ
हाल ही में दिसम्बर 13, 2018 को अमेरिका की लोक स्वास्थ एजेंसी Centers for Disease Control and Prevention ने राजस्थान राज्य की यात्रा करने वाले अपने देश के लोगों के लिए एक परामर्श-परिपत्र निर्गत (advisory) निर्गत किया था जिसमें बताया गया था कि राजस्थान में जिका वायरस फैला हुआ है, इसलिए लोग वहाँ न जाएँ. भारत सरकार ने इस परामर्श-परिपत्र पर आपत्ति दर्ज की है और Centers for Disease Control and Prevention को सलाह दी है कि वह अपने परामर्श-परिपत्र को या तो वापस ले लें अथवा उसमें संशोधन करें.
भारत को आपत्ति मुख्य रूप से इस बात को लेकर है कि परामर्श-परिपत्र में बताया गया है कि पूरे भारत में जिका वायरस फ़ैल चुके हैं जबकि सच्चाई यह है कि यह वायरस नियंत्रित कर लिया गया है और कुछ छोटे-छोटे स्थानों तक ही सीमित है.
परामर्श-परिपत्र में क्या है?
परामर्श-परिपत्र में कहा गया है कि जिका वायरस पूरे भारत में फैला हुआ है और राजस्थान एवं आस-पास के राज्यों में इसका असाधारण उपद्रव देखा जाता है. इसमें गर्भवती स्त्रियों को इन क्षेत्रों में घूमने से मना किया गया है क्योंकि जिका का संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे में गंभीर जन्मजात दोष उत्पन्न कर सकता है.
परामर्श-परिपत्र में राजस्थान में जिका को स्तर-2 का बताया गया है जिसमें अत्यधिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है. स्तर-1 में सामान्य सावधानियों की सलाह दी जाती है और स्तर-3 में यह सलाह दी जाती है कि यात्रा से बचा जाए.
जीका वायरस क्या है?
जीका वायरस एक ऐसा वायरस है जो डेंगी ज्वर के वायरस, येलो ज्वर के वायरस और वेस्ट नाइल वायरस के समान होता है. इस रोग के वाहक मच्छर का नाम Aedes aegyptiहै. जब यह मच्छर किसी को काटता है तो उसे यह रोग हो जाता है परन्तु गर्भाशय संक्रमण से भी यह किसी को हो सकता है.
- इस वायरस का नामा जीका इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी पहचान सबसे पहले 1947 में यूगांडा के जीका जंगल में हुई थी.
- यदि कोई संक्रमित मच्छर किसी औरत को काट लेता तो जीका वायरस धीरे-धीरे यह गर्भनाल तक पहुँच जाता है और भ्रूण पर असर करता है.
- ऐसा देखा गया है कि इस वायरस से सबसे बड़ी हानि गर्भवती स्त्री को होती है क्योंकि तब भ्रूण के सिर के छोटा होने तथा अन्य स्नावयिक असमान्यताओं के होने का सबसे अधिक खतरा होता है.
- जीका वायरस के मुख्य लक्षण हैं – ज्वर, सिर दर्द, लाल आँखें, त्वचा पर फफोले, थकान, माँसपेशियों में पीड़ा इत्यादि.
उपचार और रोकथाम
वर्तमान में जीका के उपचार के लिए न कोई विशेष तरीका है और न ही कोई टीका उपलब्ध है. इसके रोकथाम के लिए सबसे अच्छा उपाय मच्छरों से बचना और घर के आस-पास जमा जल को निकाल देना है क्योंकि मच्छर उसी में पनपते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : India’s second Biennial Update Report (BUR) to UNFCCC
संदर्भ
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के दूसरे द्वै-वार्षिक अद्यतन प्रतिवेदन (Biennial Update Report – BUR) को अपनी स्वीकृति दे दी है. इस प्रतिवेदन को जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र ढाँचा संधि को भेजा जाएगा. इसमें उस संधि के अंदर सौंपे गये दायित्वों को पूरा करने की दिशा में भारत में हुई प्रगति का ब्यौरा दिया गया है.
पृष्ठभूमि
इस प्रतिवेदन में जलवायु प्रदूषण से सम्बंधित जिन पाँच प्रमुख अवयवों की चर्चा है, वे हैं – राष्ट्रीय परिस्थिति, राष्ट्रीय ग्रीनहाउस गैस सूची, उत्सर्जन को घटाने के लिए किये गये काम, वित्त तकनीक और क्षमता-वर्धन की आवश्यकता, प्राप्त सहायता और घरेलू निगरानी, प्रतिवेदन और सत्यापन के विषय में किये गये उपाय.
भारत के प्रस्तावित लक्ष्य (INDC- India’s proposed targets)
- अपनी GDP की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 2030 तक 33-35% घटाना.
- तकनीक के स्थानान्तरण तथा कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त की सहायता से 2030 तक 40% बिजली गैर-जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न करना.
- 2030 तक नए-नए जंगल लगाकर और पेड़ों को रोककर 5 से लेकर 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के अतिरिक्त कार्बन सिंक का सृजन.
UNFCCC क्या है?
- UNFCCC एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण विषयक संधि है जो21 मार्च, 1994 से लागू है. अब इसमें विश्व के लगभग सभी देश सदस्य बन चुके हैं. दिसम्बर, 2015 तक इसमें 197 सदस्य हो गये थे.
- इस संधि का उद्देश्य जलवायु प्रणाली में मानव के खतरनाक हस्तक्षेप को रोकना है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : China-Pakistan Economic Corridor (CPEC)
संदर्भ
हाल ही में अमेरिका की एक मीडिया ने प्रतिवेदन दिया था जिसमें कहा गया था कि चीन CPEC परियोजना ( China-Pakistan Economic Corridor – CPEC) के एक अंग के रूप में पाकिस्तान में गुप्त रूप से लड़ाकू जेट और अन्य सैन्य उपकरण बनाने जा रहा है. इस प्रतिवेदन के उत्तर में पाकिस्तान ने कहा है कि CPEC एक द्विपक्षीय आर्थिक योजना है जिसमें कोई सैन्य आयाम नहीं है.
CPEC
- CPEC चीन के One Belt One Road (OBOR) कार्यक्रम का एक अंग है.
- CPEC 51 अरब डॉलर की कई परियोजनाओं का समूह है.
- प्रस्तावित परियोजना के लिए पाकिस्तान सरकार को जिन संस्थाओं द्वारा धन मुहैया कराया जाएगा, वे हैं – EXIM बैंक ऑफ़ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और इंडस्ट्रियल & कमर्शियल बैंक ऑफ़ चाइना.
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का उद्देश्य पाकिस्तान के बुनियादी ढांचों को तेजी से विस्तार करना और उन्नत करना है जिससे चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो जाएँ.
- CPEC अंततोगत्वा दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान के ग्वादर शहर को चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र Xinjiang को राजमार्गों और रेलमार्गों से जोड़ेगा.
- CPEC की लम्बाई 3,000 km है जिसमें राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन बिछेगी.
भारत की चिंताएँ
- गलियारा का हिस्सा PoK से होकर गुजरेगा जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है. भारत का कहना है कि यह गलियारा उसकी क्षेत्रीय अखंडता को आहत करता है.
- CPEC के कारण हिन्द महासागर में चीन का दबदबा बढ़ सकता है जिससे भारतीय हितों को क्षति पहुँच सकती है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : BeiDou Navigation Satellite System (BDS)
संदर्भ
चीन का नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम – BeiDou Navigation Satellite System (BDS)- ने वैश्विक सेवा देना चालू कर दिया है. इस सेवा को अमेरिका की बहुप्रचलित GPS (Global Positioning System) का प्रतिद्वन्द्वी बताया गया है.
- इस प्रणाली की स्थानिक सटीकता विश्व-भर में 10 मीटर और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 5 मीटर तक पहुँच गयी है. इसकी वेग-सटीकता 2 मीटर प्रति-सेकंड है जबकि इसकी टाइमिंग सटीकता 20 नैनो-सेकंड है.
- पकिस्तान BeiDou प्रणाली को अपनाने वाला पहला देश बन गया है और इस प्रकार GPS पर उसकी निर्भरता समाप्त हो गई है.
BeiDou नेविगेशन सिस्टम से सम्बंधित कुछ तथ्य
- इसका नाम चीनी भाषा के एक शब्द पर है जिसका अर्थ होता है – Big Dipper. यह चीन में 2000 ई. से अपनी सेवा दे रहा है.
- इसमें सब मिलकर 35 उपग्रह होंगे.
- BeiDou – 1 इसके पहले से तीन उपग्रहों के साथ काम कर रहा है.
विश्व-भर में चल रहे GNSS सिस्टम
- विश्व-भर में चार वैश्विक GNSS सिस्टम (Global Navigation Satellite System) हैं – GPS (अमेरिका), GLONASS (रूस), गैलिलियो (यूरोपीय संघ), BeiDou (चीन).
- इनके अतिरिक्त दो क्षेत्रीय GNSS भी हैं. ये हैं – QZSS (जापान) और IRNSS अथवा NavIC (भारत).
Prelims Vishesh
River Dolphins go missing in Sunderbans :-
- हाल ही में किये गये एक अध्ययन के अनुसार भारतीय सुंदरबन के पानी में क्षारीयता बढ़ गयी है जिसके कारण गांगेय डॉलफिनों की संख्या घट गई है.
- अब ये डॉलफिन सुंदरबन के बीच वाले और पूर्वी भागों में नहीं दिखते, केवल पश्चिमी भागों में डॉलफिन पाए जाते है जहाँ क्षारीयता कम है.
- क्षारीयता बढ़ने के कारणों में से एक कारण यह बताया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से समुद्र-स्तर ऊँचा हो गया है इसलिए सुंदरबन की नदियों और नालों में नमक की मात्रा बढ़ गई है.
Subhash Chandra Bose Aapda Prabandhan Puraskaar :–
- हाल ही में भारत सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार शुरू किये हैं.
- ये पुरस्कार प्रत्येक वर्ष दिए जाएँगे.
- ये पुरस्कार उन व्यक्तियों और संस्थानों को दिए जाएँगे जिन्होंने देश में आपदा प्रबंधन पर उत्कृष्ट काम किया है.
- पुरस्कार में 5 लाख से 51 लाख रू. तक के नकद इनाम होंगे.
- यदि किसी संस्थान को यह पुरस्कार मिलता है तो इनाम की राशि 51 लाख होगी और एक प्रशस्ति-पत्र भी दिया जाएगा.
- यदि पुरस्कार पाने वाला कोई व्यक्ति हो तो उसको प्रशस्ति-पत्र के साथ 5 लाख रू. तक का इनाम मिलेगा.
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