Sansar Daily Current Affairs, 29 July 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : The Freedom Struggle – its various stages and important contributors /contributions from different parts of the country.
Topic : Bhagat Singh
संदर्भ
हाल ही में पंजाब सरकार से कहा गया है कि वह भगत सिंह के न्यायालयीन मामलों से जुड़े फाइलों को पाकिस्तान से प्राप्त करने से सम्बंधित मामला देखे. आज की तिथि में, ये फाइलें लाहौर के अनारकली मकबरे में स्थित पंजाब अभिलेखागार में रखी हुई हैं.
पृष्ठभूमि
पाकिस्तान द्वारा भगत सिंह की विरासत को सही तरीके से संरक्षित किया जा रहा है और वह इन फाइलों पर विदेशी विद्वानों को परामर्श करने की अनुमति भी दे रहा है.
भगत सिंह पर मुकदमा और फाँसी
- भगत सिंह के लिए 23 मार्च 1931 को राजगुरु और सुखदेव के साथ लाहौर सेंट्रल जेल में फाँसी दी गयी थी.
- भगत सिंह और बी.के. दत्त ने ‘सेंट्रल असेंबली’ में एक ‘जोखिम-रहित’ बम फेका था.
- 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली में सेंट्रल असेंबली से भगत सिंह को गिरफ्तार किया गया था, इसके पश्चात् जेल में बिताया गया समय, उनके जीवन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है.
- इन लोगों पर पहला मुकद्दमा ‘दिल्ली बम’ मामले में चलाया गया, जिसमें दोनों को दोषी ठहराया गया और मृत्युदंड की सजा सुनाई गई.
- भगत सिंह पर सॉन्डर्स की हत्या से जुड़े लाहौर षड्यंत्र मामले में भी मुकदमा चलाया गया था.
- वह जेल में कैदियों को राजनीतिक बंदी का दर्जे देने की माँग को लेकर हुई भूख हड़ताल में भी शामिल थे.
भगत सिंह
- भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के लायलपुर ज़िले में हुआ था जो अभी पाकिस्तान में है.
- वर्ष 1919 में 12 वर्ष की आयु में भगत सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के स्थल का दौरा किया था जहाँ एक सार्वजनिक सभा के दौरान हज़ारों निहत्थे लोगों को मार दिया गया था.
- चौरी-चौरा घटना के चलते महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन खत्म कर देने के चलते भगत सिंह का गांधी जी के अहिंसा दर्शन से मोह भंग हो गया. इसके बाद भगत सिंह ‘युवा क्रांतिकारी आंदोलन’ (Young Revolutionary Movement) में सम्मिलित हो गए और भारत से ब्रिटिश सरकार को हिंसक तरीके से हटाने की वकालत करने लगे.
- वर्ष 1923 में भगत सिंह ने लाहौर के ‘नेशनल कॉलेज’ में प्रवेश लिया जहाँ उन्होंने नाट्य समाज की तरह पाठ्येतर गतिविधियों (Extra-curricular Activities) में भी भाग लिया.
- भगत सिंह, करतार सिंह सराभा को अपना आदर्श मानते थे, जो गदर पार्टी के संस्थापक सदस्य थे.
- भगत सिंह अराजकतावाद (Anarchism) एवं साम्यवाद (Communism) के प्रति आकर्षित थे. वे मिखाइल बकुनिन (Mikhail Bakunin) की शिक्षाओं को ग्रहण करते थे और कार्ल मार्क्स, व्लादिमीर लेनिन और लियोन ट्रॉट्स्की (Leon Trotsky) को भी पढ़ा करते थे.
- ज्युसेपे मैज़िनी (Giuseppe Mazzini) के ‘युवा इटली आंदोलन’ (Young Italy Movement) से ही प्रेरणा लेकर उन्होंने मार्च, 1926 में भारतीय समाजवादी युवा संगठन ‘नौजवान भारत सभा’ (Naujawan Bharat Sabha) की स्थापना की.
- भगत सिंह ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (Hindustan Republican Association) में भी सम्मिलित हुए जिसके प्रमुख नेता चंद्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल एवं शाहिद अशफाकल्लाह खान थे.
- भारत में उचित ढंग से क्रांतिकारी आंदोलन का संचालन करने के उद्देश्य से अक्टूबर, 1924 में युवा क्रांतिकारियों ने कानपुर में एक सम्मेलन का आह्वान किया तथा ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (Hindustan Republican Association) नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की. इसके संस्थापक शचींद्र नाथ सान्याल (अध्यक्ष), राम प्रसाद बिस्मिल, जोगेश चंद्र चटर्जी तथा चंद्रशेखर आज़ाद थे. साल 1928 में चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्त्व में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का नाम बदलकर ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (Hindustan Socialist Republican Association- HSRA) कर दिया गया जिसका उद्देश्य भारत में एक समाजवादी, गणतंत्रवादी राज्य की स्थापना करना था.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Pradhan Mantri Jan Vikas Karyakaram
संदर्भ
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा देश के चिन्हित अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों (Minority Concentration Areas – MCAs) में ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ (Pradhan Mantri Jan Vikas Karyakaram – PMJVK) का कार्यान्वयन किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम
- साल 2018 में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अंतर्गत संचालित बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (MsDP) का पुनर्गठन कर इसे प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) के रूप में पुनर्नामित किया गया था.
- प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम में बहुल कस्बों (MCTs) तथा गाँवों के संकुल (क्लस्टर) की पहचान के लिए मापदंडों को युक्तिसंगत बनाया गया है. ये 2011 की जनगणना पर आधारित है.
- इससे पहले, केवल आधारभूत जरूरतों तथा सामाजिक-आर्थिक मानदंडों के संदर्भ में पिछड़े कस्बों को ही MCTs के रूप में पहचान किया जाता था. पर अब वे कस्बे जो किसी एक अथवा दोनों मापदंडों में पिछड़े पाए जाते हैं, MCTs के अन्दर सम्मिलित किए गये हैं.
- अब गाँवों के संकुल के चयन के लिए जनसंख्या मापदंड को कम कर अल्पसंख्यक समुदाय की 25% जनसंख्या तक कर दिया गया है (जो पूर्व में न्यूनतम 50% था).
योजना का वित्त-पोषण
योजना का वित्त-पोषण, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजटीय प्रावधान से किया जाएगा. साथ ही आवधिक रूप से होने वाले व्यय/अनुरक्षण व्यय का वहन राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेशों/संगठनों द्वारा किया जायेगा.
- 80% भाग शिक्षा, स्वास्थ्य तथा कौशल विकास से सम्बंधित परियोजनाओं के लिए सुनिश्चित किया गया है.
- जिसमें से33 से 40% विशेष रूप से महिला केन्द्रित परियोजनाओं के लिए आवंटित किया जाएगा.
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम का विस्तार
प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम में अब चार राज्यों हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, नागालैंड एवं गोवा तथा एक संघ शाषित प्रदेश पुडुचेरी (कुल 32 राज्यों/संघ शाषित प्रदेशों) को शामिल किया गया है.
- PMJVK के तहत 115 आकांक्षी जिलों (aspirational districts) में से 61 जिलों के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों को कवर किया जायेगा.
- अल्पसंख्यक बहुल ब्लॉक, कस्बों तथा गाँवों के संकुल के अतिरिक्त अल्पसंख्यक बहुल जिला मुख्यालयों को शामिल करते हुए क्रियान्वयन की क्षेत्रीय इकाई का और अधिक विस्तार किया गया है.
- प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत मौजूदा MsDP/ Multi-sectoral Development Programme (196 जिले) क्षेत्रों की तुलना में 57% अधिक क्षेत्र (308 जिले) कवर किये गये हैं.
निगरानी तंत्र
- जियो-टैगिंग के साथ एक ऑनलाइन मॉड्यूल भी शामिल किया गया है.
- सभी क्रियान्वयन एजेंसियों को सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रनाली (Public Finance Management System : PFMS) के अंतर्गत लाया गया है और PMJVK में निधि उपयोग की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए इसके प्रभावी उपयोग के लिए प्रावधान किये गये हैं.
बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (MSDP) क्या है?
- इसकी पहचान नीति आयोग के राष्ट्रीय विकास एजेंडा के अंतर्गत कोर ऑफ़ द कोर स्कीम्स में से एक के रूप में की गई है.
- इस कार्यक्रम को वर्ष 2008-09 में अल्पसंख्यक बहुल जिलों (MCD) के रूप में चिन्हित 90 ऐसे जिलों में प्रारम्भ किया गया था, जहाँ कम से कम 25% अल्पसंख्यक जनसंख्या निवास करती हो.
- इसे मुख्य रूप से चिन्हित पिछड़े अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में प्रारम्भ किया गया था. इसका निर्माण विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों की केंद्र प्रयोजित योजनाओं के मापदंडों, दिशा-निर्देशों और वित्तीय प्रारूपों में परिवर्तन किये बिना विकास अंतरालों को कम करने के लिए किया गया था.
- इस कार्यक्रम के तहत अतिरिक्त क्लासरूम, प्रयोगशालाएँ, विद्यालय भवन, छात्रावास, शौचालय, पॉलीटेक्निक, ITIs, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/उप-केंद्र, आँगनवाड़ी केंद्र, ग्रामीण आवास हेतु भवन की स्थापना इत्यादि परियोजनाओं पर विचार किया गया है.
- इसका उद्देश्य उन नवोन्मेषी परियोजनाओं का प्रारम्भ करना भी था, जिन्हें विभिन्न मंत्रालयों की किसी भी मौजूदा CSS द्वारा कवर नहीं किया गया था. इन परियोजनाओं का केंद्र और राज्यों के मध्य 60:40 के अनुपात (पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए 90:10) में वित्त-पोषण किया गया.
GS Paper 3 Source : Indian Express
UPSC Syllabus : Related to space.
Topic : Mystery behind Jupiter’s spectacular X-ray
संदर्भ
बृहस्पति (Jupiter) ग्रह के दोनों ध्रुवों के निकट ‘धुर्वीय ज्योति’ / ‘ऑरोरा’ (Auroras) पाए जाते हैं और इनसे एक्स-किरणों का उत्सर्जन होता है. इन एक्स-रे उत्सर्जन के पीछे के कारण को लेकर वैज्ञानिक काफी अचंभित थे.
अब ‘जूनो मिशन’ (Juno mission) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के ‘एक्सएमएम-न्यूटन मिशन’ (XMM-Newton mission) के आंकड़ों को मिलाकर नासा ने इस पहेली को सुलझा लिया है.
यह परिघटना हुई क्यों?
बृहस्पति ग्रह के धुर्वों पर ‘ऑरोरा’ की उत्पत्ति, इसके वायुमंडल में आयनों के टकराने से होती है. ये ‘आयन’ (ions) ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करने हेतु बृहस्पति के चुंबकीय क्षेत्र में विद्युत चुम्बकीय तरंगों में ‘सर्फिंग’ करते हैं.
‘जूनो मिशन’ के बारे में
- जूनो (Juno) अंतरिक्ष यान, वर्ष 2011 में बृहस्पति की संरचना और उद्भव का अध्ययन करने के लिए छोड़ा गया था.
- गैलीलियो के पश्चात् बृहस्पति की परिक्रमा करने वाला यह पहला अंतरिक्ष यान है. जूनो का प्रमुख उद्देश्य, बृहस्पति ग्रह की अवसंरचना और इसके उद्भव की कहानी को हमारे समक्ष लाना है.
XMM-न्यूटन मिशन
- ‘एक्सएमएम-न्यूटन मिशन’ (XMM-Newton mission) को ‘हाई थ्रूपुट एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन’ (High Throughput X-ray Spectroscopy Mission) और ‘एक्स-रे मल्टी-मिरर मिशन’ (X-ray Multi-Mirror Mission) के नाम से भी जाना जाता है.
- ‘एक्सएमएम-न्यूटन’ दिसंबर 1999 में ‘यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी’ द्वारा शुरू की गई एक ‘एक्स-रे अंतरिक्ष वेधशाला’ (X-ray space observatory) है.
- यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के ‘होराइजन 2000’ (Horizon 2000) कार्यक्रम का एक भाग है.
- इस अंतरिक्ष यान का काम अंतर-तारकीय एक्स-रे स्रोतों की जांच करना, संकीर्ण एवं व्यापक श्रेणीक्रम में स्पेक्ट्रोस्कोपी करना, और एक्स-रे तथा ऑप्टिकल (दृश्यमान और पराबैंगनी) तरंग दैर्ध्य, दोनों में, वस्तुओं का पहली बार एक साथ चित्रण करना है.
ऑरोरा
सौर विस्फोटों से आकाश में बिजली पैदा हो सकती है, जिसे ऑरोरा (Aurora) कहा जाता है, तथा ये रेडियो संचार को प्रभावित करते है. चरम विस्फोट होने पर ये पृथ्वी पर स्थित बिजली ग्रिड को प्रभावित कर सकते हैं.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : : Effects of liberalization on the economy, changes in industrial policy and their effects on industrial growth.
Topic : Special Economic Zone
संदर्भ
कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र (KASEZ) इंडियन ग्रीन बिल्डिंग कौंसिल (IGBC) की ग्रीन सिटीज प्लेटिनम रेटिंग फॉर एक्सिस्टिंग सिटीज प्राप्त करने वाला प्रथम विशेष आर्थिक जोन (SEZs) बन गया है. IGBC नीतिगत पहलों, ग्रीन मास्टर प्लानिंग और हरित बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन के लिए प्लेटिनम रेटिंग प्रदान करती है. यह मान्यता देश के अन्य सभी SEZs को KASEZ द्वारा किए गए प्रयासों और हरित पहल का अनुकरण करने के लिए प्रेरित करेगी.
इंडियन ग्रीन बिल्डिंग कौंसिल (IGBC)
- IGBC का गठन वर्ष 2001 में किया गया था.
- यह भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का भाग है.
- इसका उद्देश्य सभी के लिए एक सतत निर्माण परिवेश को सक्षम करना तथा भारत को वर्ष 2025 तक सतत निर्माण परिवेश में अग्रणी देशों में से एक बनाना है.
विशेष आर्थिक जोन (SEZS) क्या हैं?
विशेष आर्थिक जोन (SEZs) वे भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बन्धित नियम और प्रथाएँ देश के अन्य भागों से अलग हैं. दूसरे शब्दों में, इस भौगोलिक क्षेत्र में स्थित व्यवसायों को विशेष अधिकार होते हैं. SEZs स्थापित करने के पीछे मूल विचार यह है कि व्यवसाय के लिए संरचना और परिवेश का निर्माण करना रातों-रात संभव नहीं होता, अतः इसके लिए ऐसे विशेष क्षेत्र बनाए जाएँ जो कम अवधि में तैयार हो सकें और जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बंधित समस्याओं के हल अधिक कुशलता से किया जा सके.
SEZ Act, 2005 में SEZs और इसके अन्दर संचालित इकाइयों की स्थापना के लिए कानूनी ढाँचे का प्रावधान किया गया है.
ज्ञातव्य है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र की शुरूआत 1965 में गुजरात के कांडला से हुई थी. कांडला में एशिया का सबसे पहला मुक्त व्यापार क्षेत्र (Free Trade Zone) बनाया गया था.
विशेष आर्थिक जोन के विषय में विस्तार से पढ़ें :- विशेष आर्थिक ज़ोन
Prelims Vishesh
Interest Equalization Scheme for Pre and Post Shipment Rupee Export Credit :-
- सरकार ने 30 सितंबर, 2021 तक समान दायरे और कवरेज के साथ “ढुलाई पूर्व एवं उपरांत रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समकरण योजना” (Interest Equalization Scheme for Pre and Post Shipment Rupee Export Credit) के विस्तार को स्वीकृति प्रदान की है.
- यह योजना 1 अप्रैल 2015 से प्रभावी है.
- निर्यातकों को ब्याज पर 3 फीसदी से 5% के बीच सब्सिडी प्राप्त होती है.
- बैंक निर्यातकों को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करते हैं और जिनकी बाद में सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाती है.
- योजना सभी वस्तुओं के MSME निर्यातकों के लिए उपलब्ध है. अन्य निर्यातक इसे 416 चिन्हित उत्पादों के लिए प्राप्त करते हैं.
Production Linked Incentive Scheme (PLI) for IT Hardware :-
- इस योजना के तहत, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में 14 पात्र आवेदकों को मंजूरी प्रदान की है.
- यह योजना वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान पात्र कंपनियों को भारत में निर्मित लक्षित खंड के तहत वस्तुओं की शुद्ध वृद्धिशील बिक्री (वित्त वर्ष 2019-20 के आधार वर्ष से अधिक) पर 4% से 2% / 1% का प्रोत्साहन प्रदान करती है.
- लक्षित खंडों में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर (PCs) और सर्वर शामिल हैं.
- इससे कुल 1.61 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का उत्पादन हो सकता है.
Indrajaal :-
- यह एक स्वायत्त रक्षा हथियार प्रणाली है, जो खतरों की पहचान करने और उनका मुकाबला करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा एवं रोबोटिक्स जैसी तकनीकों का प्रयोग करती है.
- यह मानव रहित विमानों (UAVs), हमला करने वाले हथियारों (मिसाइलों), लॉइटरिंग युद्ध सामग्री और लो-रडार क्रॉस सेक्शन (कम उड़ान) लक्ष्यों जैसे खतरों के विरुद्ध प्रति सिस्टम 1,000-2,000 वर्ग किमी के बड़े क्षेत्र की रक्षा करने में समर्थ है.
- हैदराबाद में अवस्थित ग्रेने रोबोटिक्स कंपनी द्वारा विकसित इंद्रजाल, जम्मू-कश्मीर में हाल के हमले में ड्रोन के संभावित उपयोग की पृष्ठभूमि में तैयार किया गया है.
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