Sansar Daily Current Affairs, 29 May 2019
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Kartarpur Sahib pilgrim corridor
संदर्भ
पिछले दिनों पाकिस्तान और भारत के अधिकारियों ने करतारपुर गलियारे के विषय में एक बैठक की. ज्ञातव्य है कि इस योजना के अंतर्गत पंजाब के गुरुदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नामक मंदिर को पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब से जोड़ने का प्रस्ताव है.
करतारपुर गुरुद्वारा दरबार साहिब से सम्बंधित तथ्य
करतारपुर का गुरुद्वारा रावी नदी के तट पर लाहौर से 120 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है. यह वह स्थान है जहाँ गुरु नानक पढ़ें : (गुरु नानक की जीवनी) ने सिख समुदाय को जमा किया था और 1539 में अपनी मृत्यु तक 18 वर्ष तक रहे थे. यह गुरुद्वारा भारतीय भूभाग से दिखाई पड़ता है. यहीं से लोग गुरुद्वारे का दर्शन करते हैं. कभी-कभी घास बड़े हो जाने के कारण भारतीय सिख गुरूद्वारे को ठीक से देख नहीं पाते हैं तो पाकिस्तानी अधिकारी उन घासों को छाँट देते हैं. गुरूद्वारे को ठीक से देखने के लिए भारत के लोग दूरबीन का सहारा लेते हैं. ये दूरबीन गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक में लगाये गये हैं.
गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए जत्थे कब निकलते हैं?
करतारपुर (पाकिस्तान) में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए भारत से तीर्थयात्रियों के जत्थे हर वर्ष चार बार निकलते हैं. जिन अवसरों पर ऐसे जत्थे पाकिस्तान जाते हैं, वे हैं – वैशाखी, गुरु अर्जन देव शहीदी दिवस, महाराजा रंजित सिंह की पुण्यतिथि तथा गुरु नानक देव की जयंती.
गलियारा निर्माण से सम्बंधित समस्याएँ
कुछ दिनों से पाकिस्तान में खलिस्तान समर्थक लोग गुरुद्वारों का प्रयोग कर रहे हैं. हाल ही में, एक गुरुद्वारे में “सिख जनमत संग्रह 2020” के लिए पोस्टर लगाये गये थे और पैम्फलेट बाँटे गये थे. जब भारत के राजदूत और राजनयिक वहाँ जा रहे थे तो पाकिस्तान ने उन्हें रोक दिया था. इस प्रकार इस बात की प्रबल सम्भावना है कि यदि करतारपुर साहिब गलियारा बनता है तो पाकिस्तान उसका दुरूपयोग भारत के विरुद्ध करेगा.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : UN Security Council
संदर्भ
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आह्वान किया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए भारत नए सिरे से प्रयत्न करे.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् क्या है?
संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति एवं सुरक्षा बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद् की होती है. इसकी बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है. इसके फैसले का अनुपालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है. इसमें 15 सदस्य देश शामिल होते हैं जिनमें से पाँच सदस्य देश – चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – स्थायी सदस्य हैं. शेष दस सदस्य देशों का चुनाव महासभा में स्थायी सदस्यों द्वारा किया जाता है. चयनित सदस्य देशों का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है.
ज्ञातव्य है कि कार्यप्रणाली से सम्बंधित प्रश्नों को छोड़कर प्रत्येक फैसले के लिए मतदान की आवश्यकता पड़ती है. अगर कोई भी स्थायी सदस्य अपना वोट देने से मना कर देता है तब इसे “वीटो” के नाम से जाना जाता है. परिषद् (Security Council) के समक्ष जब कभी किसी देश के अशांति और खतरे के मामले लाये जाते हैं तो अक्सर वह उस देश को पहले विविध पक्षों से शांतिपूर्ण हल ढूँढने हेतु प्रयास करने के लिए कहती है.
परिषद् मध्यस्थता का मार्ग भी चुनती है. वह स्थिति की छानबीन कर उस पर रपट भेजने के लिए महासचिव से आग्रह भी कर सकती है. लड़ाई छिड़ जाने पर परिषद् युद्ध विराम की कोशिश करती है.
वह अशांत क्षेत्र में तनाव कम करने एवं विरोधी सैनिक बलों को दूर रखने के लिए शांति सैनिकों की टुकड़ियाँ भी भेज सकती है. महासभा के विपरीत इसके फैसले बाध्यकारी होते हैं. आर्थिक प्रतिबंध लगाकर अथवा सामूहिक सैन्य कार्यवाही का आदेश देकर अपने फैसले को लागू करवाने का अधिकार भी इसे प्राप्त है. उदाहरणस्वरूप इसने ऐसा कोरियाई संकट (1950) तथा ईराक कुवैत संकट (1950-51) के दौरान किया था.
कार्य
- विश्व में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना.
- हथियारों की तस्करी को रोकना.
- आक्रमणकर्ता राज्य के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करना.
- आक्रमण को रोकने या बंद करने के लिए राज्यों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना.
संरचना
सुरक्षा परिषद् (Security Council) के वर्तमान समय में 15 सदस्य देश हैं जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. वर्ष 1963 में चार्टर संशोधन किया गया और अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई. अस्थायी सदस्य विश्व के विभिन्न भागों से लिए जाते हैं जिसके अनुपात निम्नलिखित हैं –
- 5 सदस्य अफ्रीका, एशिया से
- 2 सदस्य लैटिन अमेरिका से
- 2 सदस्य पश्चिमी देशों से
- 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से
चार्टर के अनुच्छेद 27 में मतदान का प्रावधान दिया गया है. सुरक्षा परिषद् में “दोहरे वीटो का प्रावधान” है. पहले वीटो का प्रयोग सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य किसी मुद्दे को साधारण मामलों से अलग करने के लिए करते हैं. दूसरी बार वीटो का प्रयोग उस मुद्दे को रोकने के लिए किया जाता है.
परिषद् के अस्थायी सदस्य का निर्वाचन महासभा में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों द्वारा किया जाता है. विदित हो कि 191 में राष्ट्रवादी चीन (ताईवान) को स्थायी सदस्यता से निकालकर जनवादी चीन को स्थायी सदस्य बना दिया गया था.
इसकी बैठक वर्ष-भर चलती रहती है. सुरक्षा परिषद् में किसी भी कार्यवाही के लिए 9 सदस्यों की आवश्यकता होती है. किसी भी एक सदस्य की अनुपस्थिति में वीटो अधिकार का प्रयोग स्थायी सदस्यों द्वारा नहीं किया जा सकता.
स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत के तर्क
- भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक था.
- संयुक्त राष्ट्र के शान्ति रक्षण अभियानों में योगदान करने वाला भारतविश्व का दूसरा बड़ा देश है.
- आज विश्व के विभिन्न कोनों में भारत के 8,500 से अधिक शान्ति-रक्षक तैनात हैं. यह संख्या संयुक्त राष्ट्र की पाँचों शक्तिशाली देशों के कुल योगदान से भी दुगुनी से अधिक है.
- भारत बहुत दिनों से सुरक्षा परिषद् का विस्तार करने और उसमें स्थाई सदस्य के रूप में भारत के समावेश की माँग करता रहा है.
- यह सुरक्षा परिषद् में सात बार सदस्य भी रहा है. इसके अतिरिक्त वह G77 और G4 का भी सदस्य है. इस प्रकार इसे सुरक्षा परिषद् में अवश्य शामिल होना चाहिए.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : UN Habitat
संदर्भ
भारत को UN हैबिटेट असेंबली के कार्यकारी बोर्ड के लिए चुन लिया गया है.
UN Habitat क्या है?
संयुक्त राष्ट्र मानव बस्ती कार्यक्रम अथवा UN Habitat संयुक्त राष्ट्र संघ की एक एजेंसी है जिसका काम मानव बस्तियों एवं सतत शहरी विकास को देखना है. इसकी स्थापना 1978 में हुई थी. ज्ञातव्य है कि इसकी स्थापना के लिए 1976 में कनाडा के वैंकुवर नगर में आयोजित मानव बस्ती एवं सतत शहरी विकास (Human Settlements and Sustainable Urban Development – Habitat I) के पहले सम्मलेन में निर्णय लिया गया था.
- UN Habitat सामाजिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ कस्बों और नगरों को बढ़ावा देता है जिससे सभी को उचित आश्रय का लक्ष्य प्राप्त हो.
- यह एजेंसी संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का एक सदस्य है.
- UN Habitat संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रति उत्तरदायी है जिसे वह अपनी रिपोर्टें पेश करता है.
- UN Habitat की शक्तियों के मूल में वह हैबिटेट एजेंडा है जिसे 1996 में टर्की के इस्ताम्बुल नगर में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानव बस्ती सम्मेलन (हैबिटेट II) द्वारा अंगीकृत किया गया था.
- हैबिटेट एजेंडा के दो लक्ष्य हैं – पहला सभी को उचित आश्रय दिया जाए और दूसरा शहरीकरण की ओर बढ़ते विश्व में सतत मानव बस्तियों का निर्माण करना.
- UN- हैबिटेट की प्रशासी परिषद् एक अंतरसरकारी नीति निर्माता और निर्णयकर्ता निकाय है.
कार्य
- मानव बस्तियों के प्रति समेकित एवं व्यापक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना.
- देशों और क्षेत्रों को मानव बस्तियों से सम्बंधित समस्याओं के समाधान में सहायता पहुँचाना.
- मानव बस्तियों के विषय में सभी देशों के बीच सहयोग को सुदृढ़ करना.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Export policy
संदर्भ
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यात नीति (export policy) के लिए एक व्यापक प्रारूप तैयार किया है जिसमें उत्पादवार नियम (product-specific rules) वर्णित किये गये हैं जिससे कि निर्यातकों के लिए यह रेडी रेकनर का काम कर सके.
प्रारूप निर्यात नीति, 2019 के मुख्य तथ्य
- इस प्रारूप का उद्देश्य प्रत्येक उत्पाद के लिए निर्यात मानदंड तय करना है.
- यह प्रारूप सभी ITC (HS) टैरिफ कोडों के लिए व्यापक निर्यात नीति का प्रावधान करता है. इन कोडों में वे वस्तुएँ भी होंगी जो निर्यात के लिए “स्वतंत्र” होती हैं और वर्तमान में लागू नीति में इनका अस्तित्व नहीं है. यह प्रारूप निर्यात पर भागीदार सरकारी एजेंसियों के द्वारा थोपी गईं शर्तों, प्रतिबंधों पर भी प्रकाश डालता है.
- नई नीति निर्यातकों को किसी विशेष उत्पाद पर लागू होने वाले मानदंडों को जानने में सहायता करेगी और वस्तु विशेष के लिए नीतिगत शर्तों को समझने में उन्हें आसानी होगी.
- प्रारूप को देखने से पता चलता है कि इसका मुख्य ध्यान मानदंडों को एक जगह लाना है, न कि देश की वर्तमान निर्यात नीति में परिवर्तन लाना है. इसमें विभिन्न सरकारी एजेंसियों के द्वारा थोपे गये गैर शुल्कीय नियमों को भी स्थान दिया गया है.
ITC (HS) कोड क्या है?
- ITC (HS) कोड भारतीय व्यापार विशदीकरण (Clarification) के नाम से अधिक जाने जाते हैं. ये कोड कोडिंग के हार्मोनाइज्ड सिस्टम (HS) पर आधारित होते हैं. इन कोडों को आयात-निर्यात कारोबार के लिए अपनाया था. राष्ट्रीय व्यापार की अपेक्षाओं के अनुकूल, भारतीय चुंगी एक आठ अंकों वाले ITC (HS) कोड का प्रयोग करती है.
- ITC (HS) कोड में परिवर्तन अथवा नए कोड बनाने और जोड़ने के लिए सक्षम निकाय DGFT अर्थात् विदेश व्यापार महानिदेशालय ((Directorate General of Foreign Trade) होता है.
GS Paper 2 Source: Indian
Topic : United States’ currency monitoring watchlist
संदर्भ
अमेरिका की डोनल्ड ट्रम्प सरकार ने भारत को अपनी मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया है. अमेरिकी कांग्रेस को दिए गये विदेशी विनियम से सम्बंधित अपने अर्धवार्षिक प्रतिवेदन में कोषागार विभाग ने भारत का नाम उन देशों की निगरानी सूची में नहीं दिया है जिनके बारे में संभावना है कि उनकी विदेशी विनिमय नीतियाँ संदिग्ध हैं और जो मुद्रा में हेर-फेर करते हैं.
निगरानी सूची में आने वाले देश
पिछले वर्ष अक्टूबर में निर्गत अर्धवार्षिक मुद्रा निगरानी सूची में भारत शामिल था और उसके अतिरिक्त उसमें चीन, जापान, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड और दक्षिण कोरिया का भी नाम था. नवीनतम सूची में भारत और स्विट्ज़रलैंड का इस सूची में उल्लेख नहीं है, परन्तु कुछ नए देश भी जोड़े गये हैं, जैसे – आयरलैंड, इटली, मलेशिया, सिंगापुर और वियतनाम. इस सूची में चीन का नाम बहुत दिनों से चल रहा है.
निहितार्थ
यदि किसी देश का नाम अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची में डाला जाता है तो इससे उस देश को तत्काल कोई हानि नहीं होती है. परन्तु वैश्विक वित्तीय बाजारों में उस देश के प्रति भरोसा टूट जाता है.
किसी देश को “मुद्रा मैनिपुलेटर” का टैग कब मिलता है?
अमरीकी कोष विभाग किसी देश को “मुद्रा मैनिपुलेटर” घोषित करने के लिये तीन मानदंडों का प्रयोग करता है :-
- अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष 20 अरब डॉलर हो,
- वर्तमान GDP का 2% चालू खाता अधिशेष (पहले यह 3% था) हो और
- एक वर्ष में देश से सकल घरेलू उत्पाद के 2% से अधिक विदेशी मुद्रा खरीदी गई हो.
निगरानी सूची का महत्त्व
- अमेरिका उन देशों को मुद्रा निगरानी सूची में डाला करता है जिनके बारे में उसकी धारणा है कि अमेरिका के व्यवसायों और उपभोक्ताओं के हितों को उन्होंने क्षति पहुंचाई हो. इस प्रकार यह सूची एक हथियार है जिसके माध्यम से अमेरिका अपने हितों को साधना चाहता है.
- ट्रम्प ने बार-बार दावा किया है कि भारत टैरिफ के मामले में राजा है जो अमेरिकी उत्पादों पर अत्यंत कड़े टैरिफ लगाता है. अमेरिका के कहने पर पिछले वर्ष भारत ने हार्ले डेविड्सन मोटर साइकिलों के आयात पर लगने वाले टैरिफ को 100% से घटाकर 50% कर दिया था, परन्तु अमेरिका के अनुसार टैरिफ में की गई यह कमी पर्याप्त नहीं थी. दूसरी ओर, ट्रम्प यह कहते रहे हैं कि उनकी सरकार अमेरिकी श्रमिकों की रक्षा के लिए टूटे पड़े व्यापारिक समझौतों को ठीक करने के लिए प्रतिबद्ध है.
Prelims Vishesh
Operation Safed Sagar :–
- ऑपरेशन सफ़ेद सागर भारतीय वायुसेना के उस अभ्यास को कहते हैं जो करगिल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के पास प्रवेश करने वाले घुसपैठियों को निकाल-बाहर करने के लिए किया गया था.
- विदित हो कि यह ऑपरेशन 1999 में करगिल युद्ध के समय हुआ था.
Kappaphycus alvarezii :–
- Kappaphycus alvarezii लाल रंग की काई है जो तेजी से फैलती है और प्रवाल भित्तियों को भोथरा करके उनका नाश कर देती है.
- यह काई मन्नार की खाड़ी के वलाई द्वीप के पास स्थित प्रवाल भित्ति क्षेत्र तक पहुँच चुकी है और अब समुद्री राष्ट्रीय उद्यान के नए प्रवाल बस्तियों में घुसने जा रही है.
East Container Terminal at the Colombo Port :–
- पिछले दिनों श्रीलंका, जापान और भारत ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जिसका उद्देश्य कोलोंबो बंदरगाह के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल का संयुक्त रूप से निर्माण करना है. इस कार्य में 500 मिलियन से 700 मिलियन डॉलर का खर्च अनुमानित है.
- परियोजना में श्रीलंका का हिस्सा 51% रहेगा और शेष 49% संयुक्त उपक्रम के भागीदारों के पास रहेगा.
- यह टर्मिनल चीन द्वारा समर्थित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नगर (पोर्ट सिटी) से कोई 3 किलोमीटर दूर स्थित है.
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